Impossible Engineering of Venice

# वेनिस की असंभव इंजीनियरिंग #

:- यह बात है 1570 साल पहले की जब रोमन एंपायर पर कई बर्बेरिस ट्राइब्स ने हमला कर दिया बर्बेरिस और हंस ने रोमन एंपायर के कई शहरों पर हमला करके खूब तबाही मचाई वहां रहने वाले लोग जान बचाकर भागना चाहते थे लेकिन एक तरफ एड्रियाटिक सी तो दूसरी तरफ ट्रेनियन सी उनका रास्ता रोके हुए था उनके पास एक ही ऑप्शन बचा था लिहाजा उन्होंने समंदर में बने करीबी आइलैंड्स पर भागना शुरू कर दिया वहां पहुंचकर वो हमलों से तो बच गए लेकिन यह आइलैंड्स साहिली झील में बने थे जिनकी मिट्टी इतनी नरम थी कि इंसान भी उसके ऊपर नहीं टिक सकता था पर सभी मुश्किलात के खिलाफ जाकर इन लोगों ने यहां पर ना सिर्फ बसेरा किया बल्कि एक के बाद एक इंजीनियरिंग के कारनामे दिखाकर बिल्डिंग्स कैनाल और यहां तक के ब्रिजसॉफ्ट और ना ही पीने का साफ पानी लेकिन फिर भी वेनेशियन ने इसको सबसे पावरफुल सिटी बनाकर दिखाया पर आखिर यह सब मुमकिन कैसे हुआ वो छोटे आइलैंड्स जिन पर खड़ा होना भी मुमकिन नहीं था वहां इतना बड़ा शहर कैसे खड़ा किया गया वो भी करीब 1000 साल पहले जम टीवी की वीडियोस में एक बार फिर से खुशामदीद नाजरीन रोमन सिटीज छोड़कर जो लोग शुरुआत में इन आइलैंड्स पर गए थे उनके पास यहां रहने का कोई ठिकाना नहीं था नरम गारे जैसी जमीन जिस पर कोई भी चीज रखने से वह अंदर धसने लगती थी उस वक्त कई लोगों ने वापस साहिल पर जाने का मशवरा दिया लेकिन वापसी का मतलब था मौत बर्बेरिस और हंस नॉर्दर्न यूरोप के कुछ खानाबदोश कबीले थे जिन्होंने रोमन एंपायर की कमजोरी का फायदा उठाते हुए यहां पर हमला किया था उस वक्त हालात इतने गंभीर थे कि इन नरम आइलैंड्स पर रहना ही इनकी मजबूरी बन गया साहिल से 5 किलोमीटर दूर डे 150 से भी ज्यादा छोटे-छोटे मार्शी आइलैंड्स थे पर इन सभी का एक जैसा हाल था इसी दौरान रिफ्यूजीस में से एक शख्स जमीन के अंदर धस जा रहा था अपने आप को बचाने के लिए उसने अपनी बोट के चप्पू को जमीन में गाड़ा तो वह कई फुट नीचे जाने के बाद बिल्कुल ठोस हो गया यहीं से इनको आईडिया आया जो बाद में वेनिस सिटी की बुनियाद बना यहां से चंद किलोमीटर दूर जहां आज का क्रोशिया है वहां के जंगलात से दरख्तों के तने लाए गए और इनको मार्शी आइलैंड्स पर ठोक ठोक कर अंदर गाड़ा गया तकरीबन 5 मीटर नीचे जाने के बाद यह तने जमीन की सख्त मिट्टी में जाकर अपनी ग्रिप बना लेते थे इनको एक दूसरे के करीब-करीब अंदर ठोका जाता ताकि एक स्टेबल प्लेटफार्म बन सके पाइल्स को अंदर डालने के बाद इनके ऊपर का हिस्सा काटकर लेवल किया गया और उसके ऊपर लकड़ी के तख्ते बिछाए गए ताकि पूरा लोड पाइल्स में बराबर डिवाइड हो सके इस फाउंडेशन को पानी के लेवल से ऊपर उठाने के लिए स्पेशल लाइम स्टोन के ब्लॉक्स रखे गए ऊपर पत्थरों का लोड और नीचे पांच मीटर लंबे वुडन पाइल्स यह सिंपल कॉमिनेशन एक मजबूत फाउंडेशन बनाने के लिए काफी था लकड़ी के तने जो अब पानी के अंदर थे वो फूलकर एक दूसरे में टाइट हो गए और इनके बीच हवा गुजरने की जगह भी नहीं बची यही वजह है कि वेनस में जो पाइल्स करीब 1000 साल पहले गाड़े गए थे वो आज तक पर परफेक्ट कंडीशन में शहर का वजन झेले हुए हैं फाउंडेशन डालने के बाद इसके ऊपर बिल्डिंग्स बनाने का काम शुरू किया गया शुरुआत में वेनिश ने लकड़ी के घर बनाए लेकिन कुकिंग वगैरह के दौरान अक्सर इनमें आग लग जाती थी बाद में ईंटों का इस्तेमाल भी शुरू हो गया बिल्डिंग्स को हल्का रखने के लिए घर तीन स्टोरी से ज्यादा बड़े नहीं रखे जाते थे ईंटों के बीच में लाइम स्टोन के पाउडर से बनाया गया स्पेशल गारा डाला जाता ताकि मजबूती के साथ-साथ दीवारें फ्लेक्सिबल भी र फ्लोर्स और अंदर की दीवारें लकड़ी के तख्तों से बनाई गई जिनको बाहर से लोहे की रॉड्स डालकर होल्ड किया जाता यह आइडिया वेनिश में काफी फेमस हो गया और देखते ही देखते इसी तरीके से आइलैंड्स घरों से भरते गए नॉर्मली शहर बाहर की तरफ फैलते हैं लेकिन वेनस अंदर की तरफ फैलने लगा पहले ऐसा होता था कि एक आइलैंड से दूसरे आइलैंड में जाने के लिए सिर्फ बोट्स का ही सहारा होता था लेकिन बाद में जब आबादी बढ़ने लगी तो आइलैंड्स करीब से करीब होने लगे और अब इनके बीच कम पानी में घोड़ों प बैठ के भी आइलैंड्स क्रॉस हो सकते थे वेनिस सिटी में अब सबसे ज्यादा जरूरत इन आइलैंड्स को आपस में कनेक्ट करने की थी पहले 500 सालों तक ये आइलैंड्स आपस में कनेक्टेड नहीं थे लेकिन जब आबादी काफी बढ़ गई और कारोबार की रेल पेल होने लगी तो यहां का बिजनेस हब जिसे रिल्ट कहा जाता है सबसे पहले यहां एक सिंपल लकड़ी का ब्रिज बनाने की कोशिश की गई इस ब्रिज को पोंटो ब्रिज कहते हैं जिसमें फ्लोट्स की मदद से गुजरने का रास्ता बनाया जाता है इस ब्रिज से रिल्ट तक पहुंचना तो आसान हो गया लेकिन क्योंकि यह फ्लोट्स के सहारे खड़ा था इसी वजह से काफी हिलता रहता था और अक्सर लोग इसमें से गिर भी जाते थे बाद में यहां लकड़ी का परमानेंट ब्रिज भी बनाया गया लेकिन ईयर 1310 में हंगामा अराई की वजह से इसको आग लगा दी गई आग लगने के बाद भी रिल्ट ब्रिज अगले 140 सालों तक टिका रहा लेकिन आखिरकार ईयर 1444 में ज्यादा लोड पड़ने की वजह से वह गिर गया आखिरकार रिल्ट को कनेक्ट करने के लिए यहां वेनस का सबसे पहला स्टोन ब्रिज बनाने का इरादा किया गया इसको बनाने के लिए उसी तरीके का सहारा लिया गया जिसकी मदद से यहां हजारों घर बने थे 12000 से ज्यादा वुडन पाइल्स नहर के किनारे में गाड़ी गई और उनके ऊपर 10000 टन वजनी पत्थर का आर्च ब्रिज कंस्ट्रक्ट किया गया यह ब्रिज इतना कामयाब हुआ कि पूरे वेनिस में इसी तरीके से पत्थर से बने ब्रिज बनाए जाने लगे आज भी यह ब्रिज उसी मजबूती से खड़े लोगों के हजू का वजन बर्दाश्त कर रहे हैं इन ब्रिजे की मदद से अब एक आइलैंड से दूसरे में जाना और भी ज्यादा आसान हो गया वेनिस सिटी में रोड्स नहीं बल्कि सिर्फ कैनाल हैं और इन कैनाल्ली करते हुए एक जगह से दूसरी जगह पहुंचा जाता है इससे वेनस को फायदा यह हुआ कि सामान वगैरह को शहर के किसी भी कोने में पहुंचाना काफी आसान होता है वैसे नॉर्मल सिटीज में उस वक्त पैदल चलने वालों का और घोड़े गाड़ियों का एक ही रास्ता होता था जिसकी वजह से काफी कंजेशन होती थी लेकिन वेनस इससे बिल्कुल अलग था यहां पैदल चलने वालों का रास्ता कैनाल में चलने वाली बोट से बिल्कुल अलग है और सबसे बड़ा फायदा यह कि कैनाल से कोई कहीं भी उतर कर जल्दी से अपने घर तक पहुंच सकता है देखते ही देखते वेनिस यूरोप का सबसे ताकतवर और अमीर शहर बन गया और इसकी सबसे बड़ी वजह इसकी लोकेशन थी मैप पे देखा जाए तो यह है एड्रियाटिक सी जिसके एंड में वेनस है और यह समंदर सीधा मेडिटरेनियन सी में जाकर मिलता है और मेडिटरेनियन सी अफ्रीका यूरोप और मिडिल ईस्ट तीनों से कनेक्टेड है आज भी गुड्स ट्रांसपोर्ट का सबसे आसान और सस्ता तरीका सम अंदरी रास्ता माना जाता है यानी मिडिल ईस्ट और ईस्ट यूरोप से वेस्टर्न यूरोप तक पहुंचने के लिए जहां इटली ऑस्ट्रिया हंगरी जर्मनी और फ्रांस हैं शिप्स आसानी से एड्रियाटिक सी के आखिर तक आ सकती थी जहां पर आज वेनस मौजूद है बेशक ही ईस्ट यूरोप वेस्ट के साथ जमीनी रास्ते से जुड़ा है लेकिन क्योंकि उस वक्त ट्रांसपोर्ट का वाहिद जरिया शिप्स थी तभी ब्लैक सी से मेडिटरेनियन और फिर एड्रियाटिक सी तक सारा सामान शिप्स में ही भेजा जाता था और क्योंकि यहां कार्गो शिप्स का आना ज्यादा था तभी वेस्टर्न यूरोप से ईस्ट यूरोप तक गुड्स भेजने के लिए सस्ती कार्गो शिप्स भी वेनस से ही मिल जाती थी क्योंकि उनको वापसी खाली जाना होता था बिजनेस एक्टिविटी की वजह से वेनेशियन काफी मालदार हो गए यह देखते हुए आसपास मुल्कों के लोग भी वेनस में बसने लगे और देखते ही देखते यहां की आबादी काफी बढ़ गई अब वेनिस में पीने के पानी की डिमांड हद से ज ज्यादा बढ़ गई बेशक वेनस चारों तरफ पानी से घेरा हुआ है लेकिन यह समंदर का नमकीन पानी है जिसे पिया नहीं जा सकता कुदरती चश्मों या रिवर्स के ना होने की वजह से यहां फ्रेश वाटर जमा नहीं होता था वेनिस में पीने का पानी मेन लैंड से ड्रम्स में भर भर के कश्तियों में लादकर लाया जाता था लेकिन जब यहां की पापुलेशन 170 हज हुई तो पानी की किल्लत होने लगी इस पॉइंट पे वेनेशियन के इंजीनियर्स को एक बार बार फिर से अपना दिमाग चलाने की जरूरत थी कुछ तो ऐसा करना था जिससे वेनस की बढ़ती आबादी को पीने का पानी मिल सके वरना यहां का बिजनेस भी अफेक्ट हो सकता है वेनिस में ही आइलैंड्स के चंद हिस्से ऐसे थे जहां कंस्ट्रक्शन नहीं हुई थी उन आइलैंड्स पे बारिश के पानी को जमा करने के लिए गहरा गड्ढा खोदा गया और उसकी दीवारों को मिट्टी और ारे से वाटरप्रूफ बनाया गया अगर आपको लग रहा है कि इन गहरे गड्ढों में डायरेक्टली का पानी स्टोर किया जाएगा तो ऐसा नहीं है बल्कि वेनेशि की सोच इससे ज्यादा एडवांस्ड थी इन गड्ढों में कुआं बनाकर उसके इर्दगिर्द रेत और पत्थर डाले गए और उसके ऊपर टाइल्स लगाकर वापस प्लेन सरफेस कर दिया गया सरफेस पे कुछ सुराख छोड़े गए जिसमें से बारिश का पानी अंदर जा सके यह पानी रेत और पत्थर से होता हुआ जब कुएं में जमा होता तो यह फिल्टर भी हो जाता था पानी की फिल्ट्रेशन का यह नेचर प्रोसेस है बारिश का पानी जब पहाड़ों से चश्मों की सूरत में नीचे आता है तो पत्थरों और मिनरल से गुजर कर वह बिल्कुल साफ पीने के काबिल हो जाता है वेनिश का यह फिल्टर सिस्टम इसी बुनियाद पर काम करता था लेकिन सवाल यह है कि इतने छोटे से एरिया में आखिर कितना ही बारिश का पानी जमा हो पाएगा इसके लिए आसपास घरों की छतों पर पाइप्स लगाए गए जो बारिश के पानी को सीधा इस फिल्टर में डालने का काम करने लगे ऐसे पानी की कलेक्शन के लिए सरफेस एरिया भी बढ़ा दिया गया देखते ही देखते वेनस में 600 से ज्यादा छोटी बड़ी फिल्टर वेल्स लगा दी गई 10 से 12 घर आपस में मिलकर एक ही फिल्टर वेल शेयर करने लगे वेनेशियन ने एक बार फिर से अपने शहर को बचाने के लिए एक मास्टर पीस तैयार किया लेकिन अभी भी वेनस में एक बड़ा मसला मौजूद था सीवरेज नॉर्मली शहरों में अंडरग्राउंड सीवरेज लाइंस बिछाई जाती हैं जो को शहर से दूर लेकर जाती हैं लेकिन वेनस में ग्राउंड ही नहीं तो सीवरेज लाइन कहां बिछाई जाएंगी अभी तक वेनस में लोग वेस्ट को कैनाल में ही फेंक देते थे लेकिन जिनके घर के सामने से डायरेक्टली कोई कैनाल नहीं गुजरता था वह अपना कचरा पाथवेज पर ही फेंक देते थे इसकी वजह से यह पाथवेज अक्सर औकात बदबू से भरे रहते 16th सेंचुरी में वेनेशियन नेने घरों से वेस्ट कलेक्शन के लिए नालियां बनाई जिनकी मदद से वेस्ट सीधा ल् में जाकर गिरता था यह नालियां कैनाल के नॉर्मल लेवल से ऊपर रखी गई जिसकी वजह से नालियों का लिक्विड वेस्ट उसी वक्त कैनाल में गिर जाता था लेकिन सॉलिड वेस्ट वहीं नाली में रह जाता था फिर हाई टाइड के वक्त जब कैनाल का लेवल बढ़ता तो पानी नालियों के अंदर मौजूद सॉलिड वेस्ट को कैनाल में खींच लेता था समंदर में दिन में दो मर्तबा हाय टाइड आती है और ऐसे दिन में दो मर्तबा नालियां खुद साफ हो जाती थी हाय और लो टाइड्स की वजह से दिन में दो मर्तबा समंदर का पानी वेनिस के कैनाल में दाखिल होता और पोल्यूटेड पानी की जगह ले लेता ऐसे ना सिर्फ घरों की नालियां बल्कि वेनिस के कैनाल्ली साफ रहते और क्योंकि यह सॉल्ट वाटर है जो कि डिस इफेक्ट के तौर पर भी काम करता है आज भी वेनस में यही सीवरेज सिस्टम काम कर रहा है हैरत अंगेज तौर पे 1000 साल पहले जिस इंजीनियरिंग की बदौलत वेनस को बनाया गया था वो आज तक काम कर रही है बिल्डिंग फाउंडेशन कैनाल ब्रिजे और सीवरेज सिस्टम आपको बताता चलूं कि वेनस धीरे-धीरे जमीन में धस जा रहा है यह एक नेचुरल प्रोसेस है जिसकी वजह से हर साल यह शहर एक से 2 मिलीमीटर नीचे धस रहा है यह दुनिया का वाहिद शहर है जहां ना गाड़ियां हैं ना मोटर बाइक्स यहां हर साल फ्लड आता है जिसे एक्वा एल्ट कहते हैं सर्दियों में यहां पानी का लेवल काफी बढ़ जाता है और अक्सर वॉकवे पानी के अंदर चले जाते हैं हर साल वेनस को 60 लाख लोग विजिट करते हैं लेकिन अभी यहां की लोकल पॉपुलेशन 50000 से भी कम है उम्मीद है