सरकटा आपने सरकटा के बारे में कई कहानियां सुनी होंगी मुंबई टीवी में देखा होगा लेकिन इस कहानी में हम आपके लिए बंगाल में घटी सरकटा की एक सच्ची कहानी लेकर आए हैं दिबाकर बचपन से ही लखनऊ में रहता था और वह कई सालों बाद वापस अपने गांव जा रहा था जो कि वेस्ट बंगाल और बांग्लादेश बॉर्डर के एक छोटे से कोने पर था इससे पहले वह अपने गांव सिर्फ बचपन में गया था लेकिन अपने पेरेंट्स के मरने के बाद अब उसके परिवार में सिर्फ उसकी नानी थी जिन्हें वो अपने साथ लखनऊ ले जाने के लिए गांव आया था वह गांव के पास पहुंचे तो गया लेकिन वहां की मेन सड़क बारिश की वजह से खराब हो गई थी उसने देखा तो पास में ही एक साइनबोर्ड जो कि जंगल के रास्ते से उसके गांव की तरफ इशारा कर रहा था दिबाकर ने रास्ता तो ले लिया लेकिन उसे नहीं पता था कि वो रास्ता लेना उसकी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती बनने वाला है शाम ढल रही थी और जंगल का रास्ता एकदम सुनसान था पूरे रास्ते में बस उसके अलावा और कोई नहीं था कुछ दूर जाते ही दिवाकर को अजीब सा भारीपन लगने लगा और उसे ऐसा महसूस हुआ कि कोई तस्वीर का एक झाड़ी के पीछे खड़ा उसकी तरफ देख रहा है
दिबाकर को लगा कि झाड़ियों में कोई जानवर हो तो थोड़ा तेजी से चलने लगा और तभी उसके पैरों के नीचे कुछ आया जिससे वो लड़खड़ा कर नीचे गिर गया जैसे ही उसने पलट कर देखा तो उसके रोंगटे खड़े हो गए लटकाया था कुछ और नहीं बल्कि किसी इंसान सिर था सरकटा हुआ सड़ा हुआ यह देखते ही दिबाकर बहुत जोर से भावनाएं और जैसे तैसे करके उस एरिया से निकलकर अपने घर पहुंच गया उसकी नानी उसे देखकर बहुत खुश थी और साथ ही हैरान भी खुश क्योंकि उन्होंने दिवाकर को कई सालों बाद देखा था और हैरान क्योंकि उसके पूरे कपड़े कीचड़ में सने हुए थे उसने अपनी नानी को बताया कि वह जंगल वाले रास्ते से आया और उसे वहां इकट्ठा हुआ दिखा यह सुनते ही उसकी नानी का चेहरा एकदम सफेद पड़ गया उन्होंने बताया कि वह जंगल का रास्ता गांव में कई सालों से सुनसान हैं क्योंकि वहां स्कूल दो काटा यानी सर करता रहता है कहते हैं कि उनके गांव में एक लंबा चौड़ा पहलवान लड़का रहता था एक दिनों से एक लड़की से प्यार हो गया और जब उसने उस लडकी से अपने प्यार का इजहार किया तो उस लड़की के परिवार वालों ने उसको बहुत मारा और उसकी बहुत बीजेपी की उस दिन के बाद से वह लड़का एकदम पागल हो गया और उसने अपने पागलपन में एक रात उस लड़की को जान से मार डाला उस लड़की के परिवार वालों ने से यह करते हुए देख लिया और उस लडके को जंगल में ले जाकर उसका सरकार दिया उन्होंने उस लडके के सरकती शरीर को उसी जंगल में छोड़ दिया और कहते हैं कि तब से सख्ती की आत्मा अभी भी उस जंगल में भटकती है और वह अपने बदले की आग में जलता रहा है कहते हैं कि अगर वो किसी को एक बार दिख जाए तो वह उसे भी मार कर सकता बना देता है दिबाकर यह कहानी सुनकर चौंक गया लेकिन उसे इस कहानी पर विश्वास नहीं था उसने अपनी नानी को कहा कि जो उसने जंगल में देखा तो कोई आत्मा नहीं थी बस एक मरे हुए आदमी का स्तर था उसके बाद उन्होंने के साथ खाना खाकर सोने चला गया जैसे ही आधी रात हुई दबाकर को सोते हुए ऐसा लगा कि जैसे वह धीमी आवाज में उसे पुकार रहा है उसने उठकर देखा तो उसके कमरे में कोई नहीं था उसे लगा कि शायद उसकी नानी होने पर जब वह उनके कमरे में गया तो गहरी नींद में सो रही थी उसे ये अपनी थकान का नतीजा लगा और वह फिर से सोने चला गया लेकिन उसकी आंख लगते ही उसे फिर से वही आवाज सुनाई दी दिबाकर में देखा कि वो उसी जंगल में है और उसके ठीक पीछे एक दस फुट लंबा आदमी खड़ा है और उसके हाथ में उसका गठा हुआ है वहीं सड़ते मांस वाला कथासार जो से रास्ते में लिखा था मुसहर अब दिबाकर से मदद मांगने लगा और कहने लगा कि क्या दिवाकर उसका सर उसके शरीर पर वापस जोड़ सकता है मदद मांगते हैं अवसर मिला बहुत ही भयानक तरीके हैं हसने लगा अचानक से बातें लेकिन जैसे ही दिबाकर की आंख खुली तो कथा अफसर उसके ठीक सामने हवा में रहा था वैसे ही से रहा था दिवाकर कोशिश की लेकिन वह अपने बिस्तर से हर हा हा हा के मारे और कहीं उसकी नाना उसके कमरे में आई और उन्होंने कमरे की लाइट एलईडी लाइट्स ऑन करते ही वह कथा सर वहां से गायब हो गया
जब नानी ने उससे पूछा कि उसे क्या हुआ है तो दिवाकर ने अपनी नानी से कहा कि उसने बस एक बुरा सपना देखा है उस रात दिबाकर सो नहीं पाया उसने गांव वालों से उस सरकंडे के बारे में कई किस्से सुने में से एक किस्सा यह भी था वह सरकंडा लोगों से अपने सर को जोड़ने के लिए मदद मांगता है और अगर किसी ने उसका सर जोर दिया तो पूरे गांव का विनाश कर देगा और जो लोग उसका सर जोर नहीं पाते वो उन्हें मार कर अपने जैसा सरकंडा बना देता है उस रात जब दिवाकर अपने कमरे में सोने के लिए गया तो उसने देखा कि के बाहर एक अजीब सा लंबा साथ भी शॉल ओढ़े खड़ा है वह देखते ही दिबाकर घबरा उठा अचानक से उसका दम घुटने लगा
देखा कि सरकार का शायद उसके ठीक पीछे है
और वह अपने बालों से उसका गला दबा रहा है
इससे पहले कि वह कुछ कर पाता उसे कमरे में इकतीस हवा का झोका महसूस हुआ और वो एकदम से बेहोश हो गया कुछ देर बाद जब दिवाकर की आंख खुली तो उसकी नानी उसके सामने थी दिबाकर अपनी नानी को देखकर रोने लगा और उसने अपनी नानी को सरकंडे के बारे में सब कुछ बताया उसकी नानी बेहद घबरा उठी दोनों ने डिसाइड किया कि वह सुबह होते ही उस गांव को छोड़ देंगे उसकी नानी दिवाकर के कमरे में उसके साथ लेते लेकिन कुछ ही पलों में जब नानी की आंख खुली तो दिवाकर पेट पर नहीं था
उन्होंने पूरे घर में उसकी तलाश की लेकिन वह कहीं नहीं मिला दिवाकर की नानी बहुत ज्यादा खतरा गई क्योंकि उन्हें डर लगने लगा था कि कहीं वह तथा उसे ले तो नहीं गया उन्होंने गांव वालों से मदद मांगी और वह सब उसे ढूंढने में लग गए जैसे ही वह जंगल में पहुंचे उन्हें किसी के शोर से दूर रहने के बाद तब उन्होंने देखा कि दिवाकर एक बड़ी सी तलवार लेकर खड़ा है
दिवाकर की आंख ही सफेद हो चुकी है और वो गुस्से से गुजार रहा है जैसे वह बिल्कुल पागल हो गया पाकर की नानी ने उसे आवाज लगाई लेकिन नानी की आवाज लगाते ही दिवाकर में एकदम से अपनी तलवार से सबके सामने अपना ही देखते ही सब गांव वाले वहां से भाग गए और उसकी नानी वहीं जमीन पर गिरकर रोने लगी सालों बाद किसी ने सरकंडे के हाथों एक मौत देखी थी और इसीलिए उस घटना के बाद सभी लोगों ने उस गांव को हमेशा हमेशा के लिए छोड़ दिया कहते हैं कि बंगाल में उन जंगलों में अब एक नहीं बल्कि कई सरकते भटकते हैं जिन्हें डकोटा या कोटा भी बोला जाता है
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