नमस्कार दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं एक बहुत ही अलग तरह के मर्डर केस के बारे में
एक उनतीस साल की लड़की का खून हुआ उसकी लाश मिलने के बाद पुलिस ने छानबीन करनी शुरू कर दी उन्हें खूनी का पता भी चल गया लेकिन उसके बाद भी पुलिस उस खूनी को कभी पकड़ नहीं पाई
# Neetu Solanki Case | जब दहल गई थी पूरी दिल्ली 2011 में #
11 फरवरी 2011 को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हमेशा की तरह भीड़ थी अचानक वहां पर पुलिस को एक काला बैग मिला जो एकदम लावारिस पड़ा हुआ था बैक को जब पुलिस ने खोला तो उनके होश उड़ गए क्योंकि उसमें एक लड़की की लाश थी उस लड़की की आइडेंटिफिकेशन के लिए पुलिस के पास कोई खास नहीं थे सिवाय इसके कि उसकी कमर पर मोरपंख का एक टैटू बना हुआ था पुलिस ने पब्लिक नोटिस भी जारी किए ताकि लडकी की फैमिली उनसे कांटेक्ट करें उस वक्त मीडिया जगत में उस लडकी को लेकर बहुत ज्यादा सनसनी मच गई थी उस लड़की को उन्होंने नाम दिया बगल बुद्ध पीकॉक टैटू तेरह दिन बाद भी जब लड़की की लाश को आइडेंटिफाई करने के लिए कोई नहीं आया तब पुलिस ने फ्रस्ट्रेट होकर खुद ही लड़की का अंतिम संस्कार करने का फैसला कर लिया जिस दिन उसका अंतिम संस्कार होना था उसी दिन एक आदमी पुलिस के सामने आया उस आदमी ने खुद को लड़की का पिता बताया और पुलिस को इतने दिनों के बाद उस लड़की का नाम पता चल ही गया नीतू सोलंकी पुलिस को एक लीड मिल गई थी उन्होंने नीतू सोलंकी के बारे में और पता लगाने के लिए उसकी फैमिली और जान पहचान के लोगों से बातचीत करना शुरू किया नीतू की बहन अलका से बातचीत करने पर यह पता चला कि नीतू एक लॉ ग्रैजुएट थी जिसे कोई भी राह चलता लड़का आसानी से शेर नहीं सकता था क्योंकि वह तुरंत उल्टा जवाब दे देती थी वह दो हज़ार दस तक एक कॉल सेंटर में जॉब करती थी अचानक दो हज़ार दस में ही उसने अपनी फैमिली को बताया था कि उसे सिंगापुर से एक जॉब ऑफर आया है और वह वहां जाकर शिफ्ट हो रही है पुलिस यह जानकर हैरान रह गई उनके दिमाग में यह सवाल था कि अगर नीतू की जॉब सिंगापुर में लगी थी तो उसकी लाश या दिल्ली में कैसे मिली नीतू की फैमिली भी इस बात को लेकर हैरान थी हालांकि पुलिस ने नीतू की पिक्चर भी अखबार और न्यूज चैनल्स में दी थी लेकिन फिर भी नीतू के परिवार को लगा कि वह अगर सिंगापुर में है तो यहां उसका खून कैसे हो सकता है इसी वजह से उन्होंने शुरुआत में पुलिस से कॉन्टैक्ट भी नहीं किया था लेकिन जब उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि जिसकी लाश पुलिस को मिली है वह कोई और नहीं बल्कि नीतू ही है तब जाकर उन्होंने भारी मन से पुलिस से कॉन्टैक्ट किया जब पुलिस ने और अच्छे से नीतू का बैकग्राउंड चेक किया तब उन्हें पता चला कि वह कभी सिंगापुर
कई ही नहीं थे उसने अपनी फैमली से झूठ कहा था कि वो सिंगापुर शिफ्ट हो गई है जबकि वह दिल्ली में ही अपने बॉयफ्रेंड के साथ लिवइन रिलेशनशिप में रह रही थी जिसका नाम था राजू गहलोत यही राजू गहलोत पुलिस का प्राइम सस्पेक्ट बन चुका था पुलिस का शक यकीन में बदल गया जब उन्होंने राजू के ही एक कर्षण नवीन शौकीन से कॉन्टैक्ट किया नवीन पुलिस को कॉल आने पर घबरा गया और उन्हें सारी सच्चाई बता दी राजू ने ग्यारह फरवरी दो हज़ार ग्यारह की सुबह नवीन को फोन किया था उससे कहा था कि उसके हाथों नीतू का खून हो गया है लाश को ठिकाने लगाने के लिए उसे नवीन की मदद चाहिए थी नवीन ने जब मना कर दिया तो राजू ने खुद ही नीतू की लाश को बैग में भरकर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर बैग फेंक दिया आखिर कौन था यह राजू गहलोत जिसने इतने भयंकर हत्याकांड को अंजाम दिया राजू गहलोत ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से वोकेशनल स्टडीज में ग्रेजुएशन करने के बाद टूरिज्म के मास्टर्स की डिग्री ली और फ्रेंच भाषा में डिप्लोमा किया अपनी नौकरी की वजह से उसे एयर इंडिया कॉलोनी बसंत विहार में रहने के लिए घर मिल गया था
नीतू और वो लिव इन रिलेशनशिप में थे उसी दौरान उन्हें पता चला कि उनका गोत्र एक ही है
इंडिया में कई जगह एक गोत्र वालों को भाई बहन माना जाता है नीतू को लगा कि अगर यह बात उसने अपनी मां बाप को बताई तो वह कभी भी शादी के लिए नहीं मानेंगे इसी वजह से उन्होंने अपने रिलेशनशिप को सीक्रेट रखने का फैसला लिया वह दोनों कुछ टाइम अपनी अपनी नौकरी छोड़कर बैंगलोर शिफ्ट हो गए थे लेकिन पैसों की तंगी की वजह से उन्हें वापस बीस जनवरी दो हज़ार ग्यारह को दिल्ली आना पड़ा अब दिल्ली में भी किराए के मकान में रह रहे थे जिसका किराया सात हजार रुपए था धीरे धीरे बेरोजगारी और पैसों की तंगी की वजह से उनमें झगड़े होने लगे
राजू के परिवार के पास काफी सारी प्रॉपर्टी थी नीतू बार बार राजू को फोन करती थी कि अपने पिता से बात करके प्रॉपर्टी में हिस्सा मांगे लेकिन राजू उसकी बात टाल देता था नीतू एक जिद्दी लडकी थी और राजू भी काफी गुस्सैल इंसान था उनके बीच मुंह से होने वाली लड़ाई अब हाथापाई में बदल गई थी नीतू अपने घर वालों को अक्सर स्काइप कॉल करती थी ताकि उन्हें लगे कि वह अभी सिंगापुर में ही है उसने अपनी बहन को खून से एक दिन पहले जब स्काइप कॉल किया था तो बहन ने उसके माथे पर चोट के निशान देखे थे
उसने पूछा भी कि यह चोट का निशान कैसे लगा लेकिन नीतू ने बोल दिया कि वो सीढ़ियों से गिर पड़ी थी इसके बाद कभी उसकी बहन को भी उसका कॉल नहीं आया आई तो सिर्फ नीतू की मौत की खबर बाद में पुलिस को पता चला कि नीतू ने ग्यारह फरवरी की सुबह राजू की बहन को कॉल किया था वो से राजू के परिवार का एक फ्लैट बेचने के लिए कह रही थी राजू की बहन ने जब मना किया तो नीतू ने उससे भी झगड़ा करना शुरू कर दिया राजू को यह बर्दाश्त नहीं हुआ और उसी वक्त हाथापाई इतनी ज्यादा बढ़ गई कि उसके हाथों नीतू की मौत हो गई राजू ने नीतू की बॉडी को बैग में डाला पहले उसका यह प्लान था कि बैक को रेलवे स्टेशन पर ही छोड़कर ट्रेन से कहीं दूर निकल जाएगा या फिर रास्ते में ही किसी सुनसान जगह पर ट्रेन से बैक को धक्का दे देगा
वो एक ऑटो रिक्शा में बैठकर रेलवे स्टेशन तक आया लेकिन स्टेशन पर बैग स्कैन करने वाली मशीन को देखकर थोड़ा घबरा गया अगर बैग स्कैन हो जाता तो पता चलता कि उसके अंदर लाश है इसी वजह से राजू ने बैक वहीं स्टेशन पर ही एक सुनसान जगह पर रख दिया और किसी से फोन पर बात करने का नाटक करते हुए धीरे धीरे बैक से दूर होकर वहां से चला गया बाद में पुलिस और मीडिया को वोट बैक मिला कातिल राजू गहलोत है यह तो पता चल गया था लेकिन वह कहां है यह अब भी एक सवाल था इन्क्वायरी जब आगे बढ़ी तो पता चला कि राजू जिस किराए के फ्लैट में नीतू के साथ रहता था वह महीना पूरा होने से पहले ही उसने किराया दे दिया था ताकि मकान मालिक नीतू के बारे में कोई पूछताछ न करें उसने मकान मालिक से कहा था कि वह विदेश जा रहा है कि आखिरी बार था जब राजू गहलोत को उस एरिया में देखा गया था उसके बाद इंस्पेक्टर रितेश कुमार और उनकी टीम ने राजू का पता लगाने की बहुत कोशिश की लेकिन वो उनके हाथ नहीं लगा बीच में उसके गोवा में होने की लीड मिली थी जिसकी वजह से क्राइम ब्रांच की टीम महज डेढ़ दो महीने के लिए डेरा डाल ली लेकिन फिर भी राजू हाथ नहीं लगा
राजू के परिवार वाले भी पुलिस के टच में थे उनके पास एक लेटर आया जिसका पता पुलिस को चला लेटर में से एक सिम कार्ड मिला और लेटर में राजू ने अपने भाई को लिखा था कि इस सिम को लगाकर उसे बात करें जिससे मुंबई के परेल एड्रेस पर लिया गया था पुलिसवाले अभी भी उम्मीद कर रहे थे कि राजू उन्हें मिल जाएगा इसलिए उन्होंने वहां छापा मारा लेकिन पता चला कि स्टेशन के बाहर सिम बेचने वाले के नाम पर इस सिम को लिया गया था राजू ने उन्हें एक बार फिर से चकमा दे दिया था एक बार तो पुलिस की टीम राजू को खोजते हुए नेपाल तक चली गई थी लेकिन वहां भी उनके हाथ कुछ नहीं लगा राजू ने इस बीच लगभग पंद्रह मोबाइल और पंद्रह सिम कार्ड का इस्तेमाल इतनी चालाकी से किया कि पुलिस भी उसकी लोकेशन को समझने में काफी कन्फ्यूज हो गए राजू गहलोत न सिर्फ दिल्ली पुलिस की मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में आ चुका था बल्कि उसके सिर पर दो लाख का इनाम भी रखवाया गया था ताकि जनता से उसके बारे में कोई जानकारी मिल सके लेकिन राजू फिर भी नहीं मिला राजू और पुलिसवालों के बीच ये चूहे बिल्ली का खेल कुछ दिनों तक और चला लेकिन उसके बाद पुलिस का हौसला कमजोर पड़ने लगा
अब उन्हें धीरे धीरे इस बात का यकीन होने लगा था कि राजू ने अपनी चालाकियों की वजह से उन्हें हमेशा के लिए चकमा दे दिया है लेकिन क्या राजू बाकी बचा रह पाया वक्त निकलता गया नीतू सोलंकी मर्डर केस को अब आठ साल बीत चुके थे इस केस पर सबसे ज्यादा वक्त बिता चुके इंस्पेक्टर रितेश कुमार को अचानक पच्चीस जून दो हज़ार उन्नीस को एक कॉल आया कॉल की दूसरी तरफ मौजूद शख्स ने कहा कि जिस शख्स की उन्हें तलाश है वह गुड़गांव के पारस हॉस्पिटल में एडमिट है कुमार समझ चुके थे कि जिस शख्स की यहां बात हो रही है वो और कोई नहीं बल्कि राजू चुकी है पुलिस फटाफट गुड़गांव के पारस हॉस्पिटल पहुंचे लेकिन वहां पहुंचकर भी उनके हाथ कुछ नहीं लगा क्योंकि राजू गहलोत हमेशा हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह चुका था वहां पहुंचकर पुलिस को सिर्फ एक यही बात नहीं पता चली ऐसी और भी कई बातें थी जो सामने आने पर उनके होश उड़ गए थे राजू गहलोत काफी वक्त से रोहन भैया नाम से गुड़गांव की एक बड़ी इन्फोटेक कंपनी में काम कर रहा था
कंपनी में जॉब के लिए अप्लाई करते वक्त उसने आधार कार्ड पैन कार्ड यहां तक कि टेंट और ट्वेल्थ के सर्टिफिकेट भी नकली बन बैठे जब राजू और रोहन भैया के क्लिक से पुलिस ने पूछताछ की तो उसकी सच्चाई जानकर को सारे लोग एकदम शॉक्ड रह गए थे कंपनी में काम करने वाले लोगों के हिसाब से रोहन भैया एक बहुत ही गंभीर और मेहनत करने वाला इंसान था
कंपनी में काम करने के दौरान उसकी सैलरी भी भरी और साथ ही उसके प्रमोशन भी हुआ गुड़गांव में काम करते वक्त वह जिस घर में पेइंग गेस्ट की तरह रह रहा था वहां भी किसी को उस पर किसी तरह का शक नहीं था तो बस बाकी लोगों की तरह काम पर जाता और कभी कभी दोस्तों के साथ अपने रूम पर पार्टी करता में काम कर रहे बाकी पांच सौ लोगों की तरह रोहन भैया भी एक साधारण एम्प्लॉई था जिसके पास के बारे में कोई नहीं जानता था वह कंपनी में सबसे एकदम तमीज से बात करता और वो बातें भी ज्यादातर काम से ही रिलेटेड होती थी कंपनी ने अपने अच्छे कंडक्ट की वजह से वह जल्द ही आठ लोगों की टीम को लीड भी करने लगा था
राजू को रोहन भैया के नाम से जानने वाले कंपनी के लोगों को उसकी एक आदत बहुत अजीब लगती थी वह कभी भी स्मार्टफोन्स नहीं लेता था दो हज़ार उन्नीस में जब हर किसी के पास स्मार्टफोन था तब भी वह कीपैड वाले फोन से ही काम चला रहा था अगर कोई उससे उसकी पर वाले फोन के बारे में पूछता तो से यही जवाब मिलता कि वह की पेट वाले फोन के साथ ज्यादा कंफर्टेबल है राजू गहलोत ने बीते आठ सालों में अपने परिवार से भी पुलिस प्रेशर की वजह से बिल्कुल कॉन्टैक्ट नहीं रखा था जिसकी वजह से उसके कलीग्स को उसकी पास लाइफ के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता था अचानक ही राजू को लीवर सिरोसिस की प्रॉब्लम हुई जिसका असर उसकी दोनों किडनी पर भी हुआ जिसकी वजह से उसके कलीग्स ने कंपनी की ही एक इंश्योरेंस स्कीम के चलते उसे हॉस्पिटल में एडमिट करवाया राजू डॉक्टर्स को भी अपना पूरा नाम बताने से काफी ज्यादा झिझक रहा था लेकिन जैसे ही उसे पता चला कि उसका अंत नजदीक है उसने अपनी सारी सच्चाई डॉक्टर्स को बता दी और फैमली वालों से कॉन्टैक्ट किया बाद राजू गहलोत के परिवार वालों को उसके बारे में पता चला वो भी तब जब हॉस्पिटल बेड पर अपनी अंतिम सांसे गिन रहा था राजू का परिवार पुलिसवालों के सामने ही उसकी डेड बॉडी को लेकर गया और उसका अंतिम संस्कार कर दिया
इस केस की सबसे खास बात यह रही कि राजू कोई हिस्ट्रीशीटर नहीं था लेकिन फिर भी वह अपनी मौत तक हमेशा पुलिस से बचता रहा जो बहुत चालाक इंसान था जिसे जाली डॉक्यूमेंट्स बनवाने के बारे में पूरी जानकारी थी इन आठ सालों में न जाने उसने कितनी बार अपने नामों को बदला होगा और कहां कहां रहा होगा दिल्ली पुलिस उसे दुनिया भर में ढूंढ रही थी लेकिन वो उनसे बस एक किलोमीटर दूर गुड़गांव में बैठा एक अच्छी पोस्ट पर नौकरी कर रहा था पुलिस के अनुसार राजू गहलोत के बार बार बचने में सबसे बड़ा हाथ जाली डॉक्यूमेंट्स का भी था
पुलिसवालों ने कहा कि देश में जाली डॉक्यूमेंट्स बनवाना और उन्हें यूज करना काफी ज्यादा आसान हो गया है इन डॉक्यूमेंट्स को बनाने वालों के खिलाफ कुछ स्ट्रिक्ट एक्शन लेने चाहिए जिससे पुलिस जल्दी से मुस्लिम तक पहुँच सके और उन्हें बार बार चकमा न दे पाए क्या आपको लगता है कि जिस राजू गहलोत को पुलिस सजा नहीं दे सके उसे कुदरत ने सजा दे दी
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