9 अगस्त 2024 के सुबह तकरीबन 10 बजे का समय था कोलकाता के जी कार मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल से एक फोन कॉल आया फोन कॉल उठाने वाले व्यक्ति की आवाज में घबराहट साफ झलक रही थी फोन के दूसरी तरफ से आवाज आई क्या आप लेडी डॉक्टर के पिताजी बात कर रहे हैं तब उन्होंने हां में जवाब दिया इसके बाद सामने वाले की बात सुनकर उस पिता के पैरों तले से जमीन खिसक गई उसने कहा जितनी जल्दी हो सके आप अस्पताल पहुंचे आपकी बेटी की तबियत बहुत ज्यादा खराब है पिता को इस खबर पर यकीन नहीं हुआ उनकी बेटी जो एक समर्पित डॉक्टर थी रात में बिल्कुल ठीक थी अचानक से उसे ऐसा क्या हो गया व कुछ पूछ पाते इससे पहले ही फोन कट गया पिता ने घबराहट में दोबारा फोन कॉल किया और लड़खड़ाती हुई आवाज में पूछा मेरी बेटी को क्या हुआ है उधर से जवाब मिला साहेब आपकी बेटी ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली है शब्द सुनते ही पिता की आंखों में आंसू उमड़ आए हैं उनकी बेटी जो हमेशा मुस्कुराती रहती थी जिसने हर दिन न जाने कितने मरीजों को नया जीवन दिया वह अब इस दुनिया में नहीं रही बेटी की खबर सुनते ही मां भी फूट फूटकर रोने लगी वो टूट चुके थे लेकिन अब बिना देरी किए दोनों अस्पताल की ओर रवाना हुए लेकिन उन्हें नहीं पता था कि जब तक वे हस्पताल पहुंचेंगे यह खबर पूरे शहर में आग की तरह फैल चुकी होगी
पताल के बाहर भीड़ का जमावड़ा शुरू हो चुका था हर कोई हैरान था गुस्से में था ऐसा कैसे हो सकता है वह कौन था जिसने इसे निर्दोष डॉक्टर की जान ले और सबसे बड़ी बात क्यों इस बीच न केवल डॉक्टर और नर्स है बल्कि आम जनता भी सड़कों पर उतर आए हर किसी की एक ही मांग थी सीबीआई जांच और जस्टिस इस घटना ने इंसानियत को शर्मशार कर दिया था जिसने भी इस खबर को सुना व हक्का बक्का रह गया कहानी यहीं खत्म नहीं होती है यह तो बस शुरुआत है इस दर्दनाक घटना के पीछे छिपा सच क्या है कौन है इस बर्बरता का जिम्मेदार
और क्यों इन सवालों के जवाब जानने के लिए हमें इसे रहे से की तह तक जाना होगा आज की सच्ची घटना आज कल मेडिकल कॉलेज की है एक ऐसी सच्ची घटना जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया यह कहानी कोलकाता की है जहां एक बेहद मेधावी और समर्पित महिला डॉक्टर जो चेस्ट मेडिसिन विभाग की पोस्ट ग्रेजुएट छात्रा थी और अपने पेशेवर जीवन में नई ऊंचाइयों को छू रही थी यह महिला डॉक्टर जिसने अपने जीवन के अंतिम क्षणों में अत्यधिक यातनाएं सही एक साधारण परिवार से आए थे बचपन से ही उसे शिक्षा का महत्व समझ में आ चुका था और उसने अपनी मेहनत और लगन से मेडिकल की पढ़ाई पूरी की या अपने माता पिता की उम्मीदों का केंद्र बिंदु बन चुकी थी और परिवार में पहले डॉक्टर बनने का गौरव हासिल कर रही थी उसकी सफलता न केवल उसके परिवार के लिए गौरव की बात थी बल्कि वह अपने समुदाय के लिए भी प्रेरणा बन चुकी थी मेडिकल कॉलेज में उसने खुद को साबित करने के लिए कड़ी मेहनत की उसे हमेशा से ही मरीजों की सेवा करने की प्रेरणा थी और उसने अपने परीक्षण के दौरान जूनियर और सीनियर के साथ
मिलकर काम किया वह हमेशा मुस्कुराते हुए मरीजों की देखभाल करती थी और अपने काम के प्रति समर्पित थे लेकिन कोई नहीं जानता था कि एक दिन यही समर्पण उसे भयानक अंत की ओर ले जाएगा दो हज़ार चौबिस आठ अगस्त की रात को लगभग ग्यारह बजे उसे उसकी मां का फोन को लाया माने हर रोज की तरह अपनी बेटी की खैर खबर ली डॉक्टर ने फिर मुस्कुराते हुए जवाब दिया माँ मैं ठीक हो उस समय वह मरीजों को देखने जा रहे थे या उनका आखिरी संवाद था माँ कोई असंतोष था कि उनकी बेटी अपने काम में व्यस्त है और सुरक्षित है लेकिन नियति कुछ और ही खेल खेल रही थी रात बारह बजे के आसपास जब सभी लोग अपनी थकान मिटाने के लिए सोने की तैयारी कर रहे थे डॉक्टर अपने दो जूनियर सहयोगियों के साथ बैठकर हंसी मजाक के बीच खाना खाया खाना खाने के बाद उन्होंने कहा कि वे काफी थकी हुई है और अब सोने के लिए चौथी मंजिल पर स्थित सेमिनार हॉल में जा रही है किसी ने सोचा भी नहीं था कि वह आखिरी बार होगा जब किसी के साथ मुस्कुराते हुए देखे गए नौ अगस्त की सुबह जब उसके पिता को वह भयानक फोन कॉल आया तो उन्होंने इस बात की जानकारी अपनी पत्नी को दें और दोनों ही घबराए हुए अस्पताल की ओर भागे और जब वे
अस्पताल पहुंचे तो वहां का दृश्य किसी नाइट मेयर से कम नहीं था हस्पताल के गलियारों में अफरा तफरी का माहौल था डॉक्टर का शरीर अर्धनग्न अवस्था में खून से लथपथ और जख्मों से भरा पड़ा था डॉक्टर के शरीर पर जगह जगह चोट के निशान पाए गए और उनकी गर्दन की हड्डी टूटी हुई थी आंखों मूंग और निजी अंगों से खून बह रहा था यह कोई साधारण मौत नहीं थी बल्कि बर्बरता की सारी हदें पार की जा चुकी थी बेटी की हालत को देखकर पिता और मां दोनों टूट जाते हैं और अब कहने सुनने को कोई शब्द ही नहीं बचता इस भयानक घटना की खबर ने पूरे हस्पताल कैसे भेद डॉक्टरों नर्सों और कर्मचारियों को हिलाकर रख दिया जैसे ही यह खबर अस्पताल से बाहर निकले तो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैलने लगी और पूरे शहर में गुस्से की लहर दौड़ गई अस्पताल के बाहर लोगों का जमावड़ा होना शुरू हो गया डॉक्टरों और नर्सों ने
धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया लोगों की बस एक ही मांग थी न्याय दोषियों को सख्त से सख्त सजा देना बढ़ते दबाव के चलते इस मामले की जांच बहुत तेजी से शुरू हुई जांच अधिकारियों ने मामले की जांच शुरू की लेकिन शुरुआत में अस्पताल प्रशासन ने इसे एक क्या के रूप में पेश करने की कोशिश की थी हालांकि घटनास्थल की स्थिति महिला डॉक्टर के शरीर पर गहरे घाव और उसकी टूटी हुई गर्दन की हड्डी या सभी संकेत देते थे कि यह मामला साधारण तो बिल्कुल नहीं है जो कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने साबित कर ही दिया था जैसे जैसे मामला आगे बढ़ा राजनीतिक नेताओं और समाजिक संघ उन्होंने भी इस मामले पर दुख जताया यह घटना केवल एक परिवार का दर्द नहीं बल्कि पूरे समाज का सवाल बन गई थी ममता बनर्जी की सरकार भी इस मामले को लेकर दबाव में आ गई थी खैर जांच के दौरान सेमिनार हॉल के पास के सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए इसमें कुछ संदिग्ध गतिविधियां देखी गई जांच के दौरान संजय राय नामक एक व्यक्ति सामने आया जो पुलिस कल्याण बोर्ड में सहायक के रूप में कार्य करता था वह अक्सर अस्पताल में आता जाता था और उसे संदेह की निगाहों से देखा जाने लगा उसी जांच के दौरान पुलिस को सेमिनार हॉल के पास एक ब्लूटूथ डिवाइस मिला पुलिस ने जब उसका ब्लूटूथ डिवाइस चेक किया जो की बुरी हालत में टूटा हुआ था यह डिवाइस संजय राय का निकला फिर उसे तुरंत हिरासत में लिया गया है अब संजय राय का इतिहास और उसकी गतिविधियां किसी से छिपी नहीं हुई थी उसने कई शादियां की थी और हर बार जब उसका मन भर जाता था तो अपनी पत्नी को छोड़ देता था उसकी पत्नी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत भी हुई थी लेकिन उस समय किसी ने इसकी शिकायत नहीं की थी और वह खुद को एक पुलिस वाला बताता था जांच के दौरान पुलिस को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा संजय राय की गिरफ्तारी के बाद उसने पहले तो किसी भी अपराध को स्वीकार नहीं किया लेकिन बाद में जब उसे कड़ी पूछताछ का सामना करना पड़ा तो उसने अपने अपराधों को कबूल कर लिया आठ अगस्त की रात संजय राय ने शराब के नशे में धुत होकर उसे महिला डॉक्टर पर हमला किया उसने पहले उसे बुरी तरीके से मारा फिर उसके साथ दुष्कर्म किया और अंत में उसकी जीवन लीला समाप्त कर दी उसके शरीर पर जगह जगह गहरे घाव के निशान पाए गए जो इस बात का सबूत थे कि उसने कितनी क्रूर के साथ महिला डॉक्टर पर हमला किया था पुलिस ने उसके मोबाइल को भी जब्त किया और उसमें कई आपत्तिजनक वीडियो भी पाए गए जो उसके अपराधी होने के और भी पुख्ता सबूत थे फिर पुलिस ने संजय राय के खिलाफ को भारतीय न्याय सहिता की धारा चौंसठ और धारा एक सौ तीन के तहत मामला दर्ज किया और सियालदाह अदालत में उसे पेश किया जहां पर उसे तेईस अगस्त तक पुलिस रिमांड में रखे जाने की मंजूरी मिलनी बाकी अभी यह मामला चल ही रहा है तो हो सकता है कि उसमें अभी और भी नए खुलासे हो जाए जो कि मैंने आप सभी के कहने पर ही इस केस को इन्वेस्टिगेशन के दौरान ही कवर किया इस घटना ने हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हमारा समाज किस दिशा में जा रहा है इस घटना ने हमें यह भी सिखाया कि समाज में महिलाओं की सुरक्षा के लिए केवल कानून ही नहीं बल्कि समाज की सोच और जागरूकता भी महत्वपूर्ण है हमें यह समझना होगा कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए केवल एक कानूनी मुद्दा नहीं है बल्कि एक सामाजिक मुद्दा भी है जो हमें बचपन से ही छोटे बच्चों को सिखाना होगा कि नारी शक्ति ही जीवन है
Thank for Reading ❣️