How Students Survived Inside Cave For 18 Days

इमेजिन कीजिए आपके घर के बच्चे बाहर खेलने गए हो और दो से तीन दिन बीत जाते हैं और बच्चे खेल कर घर आए ही ना ऐसा ही होता है वाइल्ड वेस्ट फुटबॉल क्लब के 12 बच्चों के साथ ये सभी बच्चे के के अंदर भूखे पेट पूरे 18 दिन गुजारते हैं दिन था 23 जून 2018 वाइल्ड वर्ष फुटबॉल क्लब के सभी बच्चे फुटबॉल खेल रहे थे यह वह दिन था जब बच्चों की एक फुटबॉल टीम ने यह डिसाइड किया कि वह अपने फ्रेंड का बर्थडे एक अलग अंदाज में सेलिब्रेट करेंगे साइड करते हैं कि सभी था आम लोगों के में एडवेंचर करने जाएंगे और वही उसका बर्थडे सेलिब्रेट करेंगे यह के थाईलैंड के पापा विलेज में लोकेटेड है जो कि दस किलोमीटर से भी ज्यादा तक फैली हुई है और एटी फाइव मीटर तक गहरी है जो कि बडे बडे लाइम स्टोन के पहाड़ों के अंदर है इसके अंदर जाना काफी एडवेंचर भरा हो सकता है लेकिन उतना खतरनाक भी बच्चे यह डिसाइड करते हैं कि इस प्लान के बारे में कोई भी अपने घर पर किसी को नहीं बताएगा और यही उनकी लाइफ की सबसे बड़ी गलती थी क्योंकि इन बच्चों के साथ अब जो होने वाला था वह उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा यह टोटल बारह बच्चे थे जिनकी उम्र 11 से 16 साल के बीच की थी जिन्होंने यह बर्थडे सेलिब्रेशन भयानक प्लांट डिसाइड किया था और इस प्लान में अपने पच्चीस साल के कोच को भी शामिल कर लिया था फिर वो सब अपनी अपनी बाइसिकिल पर बैठकर थाम के पर पहुंच गए और अपनी अपनी बाइसिकल से और पैक्स को के के बाहर रखकर के को एक्सप्लोर करने के लिए चल दिए ये सोचकर कि अभी बस थोड़ी देर की तो बात है कोच के लिए यह कोई नई बात नहीं थी क्योंकि वो इसके में कहीं बार आठ किलोमीटर से भी ज्यादा तक अंदर जाकर के की एक वॉल पर अपने नए फुटबॉल टीम के प्लेयर्स का नाम वॉल पर लिखते थे तो उन्होंने यही सोचा कि वहां जाकर ही इसका बर्थडे सेलिब्रेट किया जाए उनके पास बस टॉर्च थी और कुछ नहीं क्योंकि उन्होंने सोचा कि बस एक घंटे के अंदर अंदर हम सब बर्थडे सेलिब्रेट कर के बाहर आ जाएंगे लेकिन बाहर मौसम खराब होने लग गया और बारिश आना शुरू हो गई थी लेकिन उन बच्चों को इस बात का जरा सा भी अंदाजा नहीं था क्योंकि वह रात को के के बहुत
तक चले गए थे जिसे बाहर क्या हो रहा है उनको कोई खबर नहीं थी काफी समय बीत गया था और बच्चों के पेरेंट्स भी अब चिंता में आ गए थे कि आखिर इतना लेट हो गया और बच्चे अभी तक फुटबॉल खेलकर घर नहीं लौटे बच्चे के के अंदर थे तो उनके फोन में सिग्नल्स भी नहीं आ पा रहे थे जिसके चलते पेरेंट्स उनसे कम्युनिकेट
पेट भी नहीं कर पा रहे थे और उनको कोई अंदाजा नहीं था कि उनके बच्चे कहां पर है लेकिन जब उन्होंने फुटबॉल क्लब में पूछा तो उन सबको यह पता चला कि उनके बच्चे थाम लोगों के में एडवेंचर करने के लिए गए हैं जिसे सुनकर वह सब बहुत घबरा गए जब सारे पेरेंट्स के पर पहुंचे तो उन्होंने पाया कि बच्चों के बैग और बाइसिकल के के पास हर पड़ी थी जिसका सीधा सा मतलब यही था कि बच्चे अभी भी के के अंदर है और यह देखकर डर गए लेकिन जब उन्होंने के को देखा तो उन्होंने पाया कि बारिश के कारण के में जोर से पानी भरते जा रहा था और के पानी से भर गई थी क्योंकि बहुत ही चिंता की बात थी क्योंकि जुलाई में जब मानसून आता है तब यह के पूरा पानी से भर जाता है जिससे हर साल बहुत सारे लोग यहां पर मर जाते हैं और पेरेंट्स को डर था कि उनके बच्चों के साथ ऐसा कोई हादसा उनके साथ न हुआ हो बात इतनी बड़ी हो गई थी कि रेस्क्यू टीम भी वहां पर पहुंच गई थी रेस्क्यू टीम जबकि में गई तो उन्होंने देखा कि हर तरफ पानी ही पानी फटा जा रहा है जिसकी वजह से अंदर घुटन हो रही थी जिससे उनको सांस लेने में भी काफी तकलीफ हो रही थी रात के करीब एक बज चुके थे और के में पानी अभी भी पहाडों से होता हुआ उसके अंदर बढ़ता ही चला जा रहा था और फिर रेस्क्यू टीम ने उन पेरेंट्स को एक दिल दहलाने वाली बात बताई कि था पानी के की चट्टान तक जा टकराया है जिसके आगे जाना पॉसिबल नहीं है क्योंकि उनके पास पूरे इक्विपमेंट नहीं थी उसको पर करने के लिए टोन रेस्क्यू टीम ने यह डिसाइड किया कि फिलहाल इस ऑपरेशन को यही रोकना होगा यानी कि अगर वह बच्चे जिंदा है तो उन्हें यही रात बितानी पड़ेगी रेस्क्यू टीम ने जब इसके कामयाब देखा तो उन्हें पता चला कि के के कुछ प्वाइंट कुछ ऐसे हैं जो कि बहुत ही ज्यादा दीप है जहां पानी भरा होगा लेकिन कुछ पॉइंट काफी ऊंचे हैं
तो शायद ऐसे किसी प्वाइंट पर जहां पानी अभी तक नहीं भरा हो वहां वे बच्चे जिंदा बैठे हो और अपनी मदद के लिए इंतजार कर रहे हो अब तक पूरी रात इसके में पानी भरता ही चला गया और जैसे ही सुबह हुई तो रेस्क्यू टीम ने सबसे पहले के को खाली करने के लिए हैवी ड्यूटी पंप्स वहां पर लगा दिया जिससे कुछ हद तक के से पानी खत्म हो सके उन्होंने सोचा कि इंसान बिना खाने के तो रह सकता है लेकिन बिना पानी के नहीं मगर ऐसे कहने को तो उनके पास पानी भरपूर मात्रा में था लेकिन वह पानी पीने के काबिल नहीं था तो उन बच्चों के कोच ने उन बच्चों को यह बताया कि जो पानी चट्टानों से सीधा टपक रहा है वो एकदम साफ पानी है जोकि पीने के लायक है लेकिन बाहर रेस्क्यू टीम को यह डर था कि जहां वह बच्चे फंसे होंगे वहां ऑक्सीजन की कमी होगी जिससे उन बच्चों को काफी तकलीफ सहनी पड़ेगी रेस्क्यू टीम ने पाया कि स्केप के मैप में एक पॉइंट ऐसा था जहां उन बच्चों के होने का चांस बहुत ही ज्यादा था और वो पॉइंट था पटाया बीच लेकिन प्रॉब्लम यहां पर यह थी कि यह पॉइंट के एंट्रेंस से चार किमी तक अंदर था फिर उन रेस्क्यू टीम ने यह निर्णय लिया कि अब एक ही तरीका है उन बच्चों तक पहुंचने का चूंकि था कि प्रोफेशनल ड्राइवर्स को इसके अंदर भेजा जाए क्योंकि यह डिस्टेंस प्रबल करके उन बच्चों के पास पहुंचेंगे फिर थाईलैंड की गवर्नमेंट ने प्रोसेस नेशनल ने भी ड्राइवर्स को वहां पर भेजा जो कि ऐसे मिशन करना बखूबी जानते थे अब तक इन बच्चों को उसके में फंसे हुए पूरे चौबीस घंटे बीत गए थे और जैसे जैसे समय बीतता जा रहा था वैसे वैसे उन बच्चों के जिंदा रहने के चांसेस भी कम हो रहे थे इसीलिए ड्राइवर ने स्वयं करना शुरू किया यह चार किमी की डिस्टेंस को ट्रैवल करना एक दिन का काम नहीं था क्योंकि इसके का लेआउट काफी डिफिकल्ट था जैसे जैसे वो ड्राइवर्स अंदर जाते जा रहे थे वैसे वैसे व पानी बहुत ही ज्यादा गंदा और मेला होता जा रहा था एक प्वाइंट ऐसा आया जहां पर उनको अपने हाथ भी नहीं दिख रहे थे यह ड्राइवर्स अपने साथ एक रस्सी को भी छोड़ते जा रहे थे जिससे वापस आने में आसानी हो उनके लिए अंदर जाना बहुत ही मुश्किल था लेकिन बाहर वह इस रस्सी के सहारे आसानी से आ पा रहे थे करीब दो दिन बाद वे एक ऐसे प्वाइंट पर पहुँच गए थे जहां पानी नहीं था अच्छी बात यह थी कि इस पॉइंट पर किसी भी बच्चे की डेड बॉडी नहीं मिली लेकिन इसका मतलब यह था कि बच्चे अभी भी बहुत दूर है हालांकि यह ड्राइवर थे तो बहुत एक्सपर्ट लेकिन इनको के रेस्क्यू का जरा सा भी एक्सपीरियंस नहीं था जिस वजह से इनको हर एक कदम उठाने में काफी समय लग रहा था उन बच्चों को फंसे अब चार दिन बीत गए थे और बाहर रेस्क्यू टीम ने कैम्प लगा लिया था और वहां पर इंटरनेशनल मीडिया भी पहुँच गई थी क्योंकि हर पल पल की खबर लाइव बता रही थी जिसे पूरी दुनिया अब बस यही इंतजार कर रही थी कि वह बच्चे सही सलामत बाहर आ जाए और मीडिया के दिखाए गए कवरेज से पूरी दुनिया के टाइप एक्सपोर्ट्स भी यहां पर आने लग गए थे लेकिन अभी तक वो ड्राइवर्स ज्यादा आगे नहीं पहुँच पा रहे थे जिसके चल अब वक्त आ गया था कि के रेस्क्यू एक्सपर्ट्स को बुलाया जाए तो फिर ब्रिटिश के रेस्क्यू एक्सपर्ट्स को बुलाया गया तो उन्होंने आते ही सबसे पहले यह कहा कि पहले केव के पानी को खाली करने का काम और तेजी से किया जाए जहां पर सिर्फ पहले एंट्रेंस प्वाइंट से पानी खाली किया जा रहा था अब वहीं दूसरे इंटेंस प्वाइंट
से भी बड़े बड़े पंप की मदद से यह पानी खाली किया जा रहा था देखते ही देखते के से पानी निकलने लगा और के के पहले आठ सौ मीटर से पानी निकल चुका था और यह वही पॉइंट था जहां पर ब्रिटिश रेस्क्यू टीम ने अपने कैम्प लगा लिए जिसे चैम्बर थ्री का नाम दे दिया गया बहुत सारे ऑक्सीजन सिलेंडर और बाकी इक्विपमेंट चेम्बर तक लाए जा चुके थे क्योंकि अब रेस्क्यू ऑपरेशन यहीं से शुरू होना था बच्चों को गायब हुए पूरे दस दिन बीत चुके थे डाइवर्स उस मेले पानी से होते हुए आगे बढ़ने लगे अब उस जगह के काफी करीब पहुंच गए थे जिसे बताया बीच कहा जाता था और यहीं पर उन बच्चों के मिलने के चांसेस थे लेकिन जब पॉइंट की सरफेस पर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि वहां किसी भी बच्चे का नामोनिशान नहीं था अब इस पॉइंट पर उन ड्राइवर के पास बस इतनी ही ऑक्सीजन बच गई थी जितना कि वह सब वापस चेम्बर थ्री तक पहुँच पाए अगर अब और आगे जाएंगे तो उनके पास सीजन खत्म हो जाएगी जिससे वह वापस नहीं आ पाएंगे लेकिन उन डाइवर्स में से एक डाइवर्स ने हिम्मत दिखाई और व थोडा और आगे गया हजार फीट आगे जाने पर उसको एक ऐसा प्वाइंट मिला जहां पर पानी नहीं था और थोडा और आगे जाने के बाद उसने देखा कि सारे बच्चे पिछले दस दिनों से इस पॉइंट पर बैठे थे और जब उन बच्चों ने ड्राइवर को देखा तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था लेकिन सबसे चुनौती भरा काम यह था कि इन तेरह बच्चों को वापस कैसे ले जाया जाए क्योंकि इतने एक्सपर्ट डाइवर्स को भी दस दिनों का समय लग गया इस पॉइंट पर पहुंचने में तो वह कमजोर बच्चों को वापस एंट्री पॉइंट पर कैसे ले जाएं क्योंकि इन बच्चों ने पिछले दस दिनों से कुछ नहीं खाया था बस चट्टानों में से आने वाला पानी पीकर यह जैसे तैसे सर्वाइव कर रहे थे था इसी वजह से उन बच्चों में काफी वीकनेस भी आ गई थी और वह इस काबिल नहीं थे कि इतनी डिस्टेंस को ड्राइव करके पार कर सके लेकिन जब इस खबर का पता बाहर बैठे पेरेंट्स को चला तो मानो इनके लिए इतने दिनों का पल पल कदर उनके लिए गायब हो गया था और मीडिया की मदद से यह खबर पूरी दुनिआ
में फैल चुकी थी कि दस दिन से बच्चे बिना खाए अभी भी जिंदा इसके में मौजूद है लेकिन जो बाहर डाइवर्स बैठे थे उन्होंने बताया कि इन बच्चों को ढूंढना नए इस मिशन का सबसे आसान काम था सबसे मुश्किल हमारे लिए यह होगा कि इन बच्चों को सही सलामत बाहर कैसे लाया जाए लेकिन इसी बीच उन बच्चों को सबसे पहले खाना दिया गया और थाईलैंड के एक डॉक्टर को अंदर भेजा गया जिन्होंने उन बच्चों की मरहम पट्टी की इन बच्चों ने बताया कि जब इसके में पानी भर रहा था तो जो भी व खाना अपने साथ लेकर आए थे वहां अफरा तफरी में कहीं गिर गया था और उन्होंने बताया कि हमारे कोच भी हमें रोज स्टेशन करवाते थे जिससे उन बच्चों में उल्टे सीधे खयाल न पाए जिससे इनके दिमाग और शारीरिक स्तर पर कोई प्रभाव न पड़े ड्राइवर से देखा के बाहर के मुकाबले यहां के में पंद्रह पर्सेंट कम ऑक्सीजन थे और उनका मानना था कि यह स्तर अगर तू पर्सेंट और कम हुआ तो इन बच्चों को एक एक करके अपनी जान से हाथ धोना पड जायेगा और ऐसा न हो इसीलिए उन्होंने जैसे तैसे करके एक एक ऑक्सीजन सिलेंडर को उस जगह पहुंचाया जहां वह बच्चे फंसे हुए थे डाइवर्स एक एक करके सिलेंडर लेकर आ रहे थे इसी बीच एक हादसा हो गया जो कि किसी ने नहीं सोचा होगा दरअसल रेस्क्यू ऑपरेशन के चौदह वें दिन रात एक बजे एक ड्राइवर और सीजन सिलेंडर बच्चों को देखकर वापस चेम्बर थ्री की तरफ आ रहा था कि तभी उसने अपने आप को पानी में छोड़ दिया यह देख उसके पीछे वाले डाइवर्स जब यह देखा तो वह उसे खींचकर चेम्बर थ्री तक ले आया जहां यह देखा गया कि वोट ड्राइवर सांस नहीं ले रहा था तो तुरंत उसे एंबुलेंस के जरिए हॉस्पिटल रवाना किया गया जहां उसने अपना दम तोड़ दिया इस ड्राइवर का नाम था सामान्यीकरण और यह थाइलैंड नेवी का रेस्क्यू ड्राइवर था सारे रेस्क्यू डाइवर में शोक की घड़ी आ गई थी और उन बच्चों के लिए यह एक बहुत ही दुख भरी बात थी कि अब वह इसके को कैसे पाएं करेंगे अब रेस्क्यू टीम को एक ऐसा प्लान चाहिए था जिसे यह बच्चे आसानी से बाहर आ जाए पहले यह डिसाइड किया गया कि जहां बच्चे हैं वहीं ऊपर से ड्रिल करके उनको बाहर लाया जाए लेकिन इसको करने में उनको एक महीना भी लग सकता था भले ही समय ज्यादा लगता लेकिन यहां पर प्रॉब्लम यह थी कि अगर एक भी छोटी बड़ी गलती हो गई तो ये के उठा सकती है जिससे वह बच्चे मर सकते हैं फिर उन्होंने सोचा कि क्यों ना मानसून खत्म होने तक का इंतजार किया जाए जिसको खत्म होने में अभी दो महीने का समय था जिससे पानी कम हो जाएगा और उन बच्चों को आसानी से बाहर भी लाया जा सकता है लेकिन मानो प्रॉब्लम उनके सर पर चढ़ गई थी क्योंकि उनको जब वेदर रिपोर्ट से यह पता चला कि अगले हफ्ते नॉर्टन थाईलैंड में एक भयानक तूफान आने वाला है जिसका पता जब रेस्क्यू टीम को पड़ा तो मानो उनके होश ही उड़ गए क्योंकि के पहले से ही इतना पानी से भरा हुआ था और अगर और बारिश हुई तो यह के पूरा पानी से भर जाएगी जिसके बाद इन बच्चों को बचाना नामुमकिन हो जाएगा इसीलिए उनका अपना मानसून के चले जाने तक का प्लान बदलना पड़ा और कोई ऐसा प्लान तुरंत सोचना था जो कि उस तूफान से आने से पहले इन बच्चों को पचा सके और एक प्लान यही था कि पानी के जरिए ही इन बच्चों को बाहर लाया जाए लेकिन अगर इन बच्चों को डाइव करवाया गया तो शायद वह इतनी दूरी तय करते करते डर गए तो दिक्कत आ जाएगी इसलिए ऐसा प्लान बाद में सोचा गया जिस पर सभी रेस्क्यू टीम ने एग्री कर लिया था वैसे यह प्लेन था तो बहुत रिस्की लेकिन तूफान से पहले इन बच्चों को बचाने का यही एकमात्र तरीका था तो दस जुलाई दो हज़ार अट्ठारह रेस्क्यू ऑपरेशन का अट्ठावन फिर था जब सुबह सुबह डॉक्टर रिचर्ड हैरिस जो कि एक कैब ड्राइवर भी थे वो उन बच्चों के पास पहुंचे और एक एक करके हर एक बच्चे को एनेस्थीसिया दिया गया वैसे यह एनेस्थीसिया तो सर्जरी के दौरान दिया जाता है जिससे पेशेंट को नींद आ जाए लेकिन उनको बस उस अमाउंट का एनेस्थीसिया उन बच्चों को देना था जिससे उन बच्चों को नींद भी ना आए लेकिन उनका दिमाग किसी भी खतरनाक या खौफ पर रिएक्ट न करें एनेस्थीसिया देने के बाद उन लडकों को एक फुल स्टेज मास्क पहनाया गया जिसमें से पानी तो अंदर नहीं जा सकता था लेकिन एक पाइप के जरिए उनके पास पर्याप्त ऑक्सीजन जा रही थी अब इसके बाद एक रेस्क्यू दाएं व एक बच्चे को लेकर निकला यह करीब एक घंटे का सफर था जोकि चेम्बर तीन तक का था और यह सफर आसान भी नहीं था क्योंकि बीच में कोई कोई जगह सिर्फ दो फीट जितनी चौड़ी थी पानी के अंदर ज्यादा कुछ नजर नहीं आ रहा था और बच्चों को एनेस्थीसिया दिया हुआ था जिससे वह आधी नींद में थे है और इन जगहों में ज्यादा रिएक्ट नहीं कर रहे थे फिर आखिरकार आठ जुलाई को चार डायवर्ट चार बच्चों को के से बाहर निकालने में सफल होते हैं लेकिन अब भी आठ बच्चे के में फंसे हुए थे में फिर ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म होने के कारण उन्हें दस घंटों तक रिफिल कर आ गया और फाइनली नव जुलाई को चार बच्चों को बाहर निकाला गया और फिर दस जुलाई को पूरे अट्ठारह दिन बाद बाकी बचे चार बच्चे और कोच को निकाला गया इस प्रकार यह डिफिकल्ट मिशन कंप्लीट हुआ लेकिन बच्चों को बचाने के चक्कर में समान गुणन ने अपनी जान दांव पर लगा दी थी जिसके बाद इसके के सामने उसका एक स्टेच्यू भी बनवाया गया 
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