Shibli Sadiq Murder Case | Bangladesh में हुए ख़ौफनाक कांड की पूरी कहानी।

बचपन से पढ़ाया जाता है द बेस्ट पॉलिसी मगर क्या कहेंगे जब इसी ऑनेस्टी की वजह से किसी की जान चली जाए और गरीब मां बाप का इकलौता सहारा भी छिन जाए दोस्तों आज हम जिस घटना की पूरी कहानी आपको बताने जा रहे हैं वह बांग्लादेश की है दो हज़ार तेईस में घटी इस घटना ने पूरे बांग्लादेश में सनसनी मचा दी थी और लोगों में जबरदस्त गुस्सा देखा गया था इतने भारी गुस्से की वजह थी विक्टिम के साथ हैवानों द्वारा की गई हैवानियत दुनिया इसे शिवली सादिक हृदय कि इसके नाम से जानती है तो आखिर शिबली सादिक हृदय की इसकी पूरी कहानी क्या है इस कहानी का ईमानदारी से क्या लेना देना था और आगे इस केस में क्या कुछ हुआ चलिए जानते हैं सब कुछ सिलसिलेवार तरीके से इस कहानी में इस केस के आरोपी के साथ जो कुछ भी वहां की आम जनता ने किया था वह जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे तो कहानी में आखिर तक जरूर बने रहे  दोस्तों जैसा की हमने शुरू में बताया यह कहानी बांग्लादेश की है इस कहानी का मुख्य किरदार है बीस साल का एक बंगाली लड़का शिबली सादिक हृदय शिवली का जन्म बांग्लादेश के ग्राम नाम की जगह पर हुआ था इसका संबंध एक बेहद ही गरीब परिवार से था माता पिता बड़ी मुश्किल से दो वक्त की रोटी जुटा पाते थे पेशे से शिवली के पिता एक ट्रक ड्राइवर थे भले ही शिबली एक गरीब परिवार से संबंध रखता था मगर पढ़ाई लिखाई में यह तेज था अपनी पढ़ाई जारी रखते हुए शिबली कॉलेज में एडमिशन ले लेता है शिबली को अच्छे से पता था कि उसके परिवार की हैसियत उतनी नहीं है कि कॉलेज की फीस उस समय पर दे पाए इसलिए परिवार पर बोझ न बनते हुए शिवली पास के ही एक इन फॉर्म पर बतौर मैनेजर काम करने लगता है इस लेकिन फार्म पर शिबली के अलावा छः सात लोग और काम करते थे उन सभी में शिबली की उम्र सबसे कम थी क्योंकि शिवली पढ़ा लिखा था इसलिए फार्म की पूरी जिम्मेदारी फार्म के मालिक द्वारा शिबली को ही दे दी जाती है इसलिए वहां काम करने वाले सभी लोग शिबली के ऑर्डर के अकॉर्डिंग ही काम करना शुरू कर देते हैं रोजाना सुबह शिबली काम के लिए अपने घर से निकलता था और शाम होने तक काम खत्म करके घर वापस चला जाता था मगर अट्ठाईस अगस्त दो हज़ार तेईस को ऐसा नहीं होता है शिवली सुबह काम पर तो आता है लेकिन देर शाम हो जाती है वह वापस घर नहीं जाता है देर होने पर शिवली के परिवार वालों को शिवली की चिंता होने लगती है इसलिए वह शिवली को फोन करने का प्रयास करते हैं मगर मोबाइल स्विच ऑफ आता है फिर ये लोग शिबली के कुछ जानने वालों को फोन करके उसके बारे में जानकारी हासिल करते हैं मगर कहीं से कोई भी जानकारी नहीं मिलती है
अब परिवार वाले शिवली का इंतजार कर ही रहे थे कि रात में अचानक शिवली की मां नाहिद अख्तर के मोबाइल पर शिबली का फोन आता है
बहुत ही घबराई हुई आवाज में रोते हुए शिवली अपनी मां से कहता है कि कुछ लोगों ने मुझे किडनैप कर लिया है ये लोग जितना पैसा मांग रहे हैं उन्हें दे दो और मुझे बचा लो शिवली की मां आगे कुछ कह पाते उससे पहले ही फोन कट हो जाता है उसके बाद ये लोग शिवली से कांटेक्ट करने की कोशिश करते रहते हैं मगर कॉन्टैक्ट नहीं हो पाता है फिर कुछ घंटे बाद एक बार फिर से अनजान नंबर से फोन आता है इस बार फोन करने वाला व्यक्ति कहता है कि अगर तुम अपने बेटे को जिंदा वापस चाहती हो तो पंद्रह लाख बांग्लादेशी टके का इंतजाम कर लो शिवली के परिवार के लिए पंद्रह लाख एक बहुत बड़ी रकम थी फिर भी ये लोग कोशिश करते हैं मगर काफी कोशिश के बाद भी शिवली के पिता बड़ी मुश्किल से दो लाख का ही प्रबंध कर पाते हैं अगली बार जब किडनैपर फोन करता है तो शिबली के पिता कहते हैं कि में पंद्रह लाख का तो नहीं बल्कि दो लाख का इंतजाम कर पाया हूँ इसलिए आप फिरौती की रकम कम कर दें शिवली के पिता की बात करने पर मान लेता है और अब फिरौती के रूप में दो लाख की डिमांड करता है जब शिवली के पिता पैसा देने के लिए रेडी हो जाते हैं तो किडनैपर उन्हें चार सितंबर दो हज़ार तेईस को फोन करके बंदरबांट डिस्ट्रिक्ट की लोकेशन पर बुलाता है शिवली के पिता बताई गई लोकेशन पर पहुँच जाते हैं क्रिकेट ने पर पैसे लेकर चला जाता है जाते जाते किडनैपर धमकी देता है कि अगर तुमने पुलिसवाले को या किसी को भी इस बारे में बताया तो तुम्हारा बेटा मारा जाएगा पैसे लेने के बाद कि ने पर यह भी कहता है कि शाम तक तुम्हारा बेटा घर चला जाएगा यह सुनकर परिवार वाले थोड़ी राहत की सांस लेते हैं और बेटी के घर वापस आने का इंतजार करते रहते हैं मगर उनका इंतजार था कि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था होते होते कई घंटे बीत जाते हैं मगर शिवली नहीं आता है वैसे तो किडनैपर ने परिवार वालों से पुलिस को कुछ भी बताने से मना किया था अगर जब पैसे देने के तीन दिन बाद भी शिवली वापस नहीं आता है तो आप परिवार वाले पुलिस के पास जाने का फैसला करते हैं परिवार वालों की शिकायत पर राजन पुलिस स्टेशन में शिवली की किडनैपिंग का केस दर्ज कर लिया जाता है
पुलिसवाले अपनी जांच की शुरुआत शिवली के परिवार वालों से ही पूछताछ करते हुए करते हैं
शुरुआती पूछताछ के दौरान शिवली की मां पुलिसवालों को बताती है कि शिवली जिस पोल्ट्री फॉर्म में काम किया करता था वहीं काम करने वाले कुछ साथियों के साथ कुछ महीने पहले उसका झगड़ा हुआ था परिवार वालों के इस बयान के बाद पुलिस वाले सबसे पहले उस पोल्ट्री फार्म पर काम करने वाले मजदूरों की ही तलाश में लग जाते हैं एक के बाद एक कुल छह मजदूरों को गिरफ्तार किया जाता है पहली गिरफ्तारी दस सितंबर को हुई थी गिरफ्तार किए गए मजदूरों में मोहन सिंह मामा स्विचिंग मुंह मामा मामा तथा तो की आत्मा ही मामा शामिल थे इनके अलावा पुलिस दो और व्यक्ति को गिरफ्तार करती है
गिरफ्तार किए गए सभी आरोपी बांग्लादेश में अल्पसंख्यक की कैटेगरी में आने वाले मामा संप्रदाय से थे जब इन सभी से पूछताछ शुरू होती है तो एक एक करके सभी आरोपी पुलिस के सामने शिवली के बारे में कुछ भी जानने से इनकार करते हैं लेकिन जब पुलिस वाले इन आरोपियों से कड़ाई के साथ पूछताछ शुरू करते हैं तो गिरफ्तार किए गए छह व्यक्ति में से एक कहता है कि हमने सब कुछ ओमसिंह मामा के कहने पर किया है पुलिसवाले उमंग मामा को ही प्राइम सस्पेक्ट मानते हुए अपनी जांच आगे बढ़ाते हैं इससे पूछताछ का सिलसिला शुरू होता है पूछताछ में पहले तो यह बाकी अपराधियों की तरह ही शिबली को मानने से इनकार करता है मगर पुलिस की थोड़ी सी सख्ती के बाद उमंग सिंह मामा एक एक राज से पर्दा हटाना शुरू कर
आता है मोहन सिंह द्वारा किए गए खुलासे को सुनकर हर किसी के रोंगटे खड़े हो जाते हैं लॉन्चिंग मामा शिबली को किडनैप करने तथा फिरौती के रूप में दो लाख बांग्लादेशी रुपए लेने की बात भी एक्सेप्ट कर लेता है पुलिसवाले पूछते हैं कि जब तुमने किडनैपिंग के बाद फिरौती की रकम भी ले ली तो आखिर शिबली घर क्यों नहीं गया इस पर मामा खुलासा करता है कि हमने किडनैपिंग के कुछ घंटे बाद ही शिबली की हत्या कर दी थी हत्या करने के बावजूद फिरौती की डिमांड ओमसिंह मामा और उसके साथियों ने बस इसलिए की थी कि परिवार वालों को पुलिस तक जाने से रोका जा सके और उन्हें गुमराह किया जा सके सिंह मामा बताता है कि किडनैपिंग के बाद शिवली के परिवार वालों से जो दो लाख मिले थे उसमें से डेढ़ लाख वह खुद रख लेता है बचे पचास हजार को पांच साथियों में बराबर बराबर बांट देता है जब करने पर हत्या की बात कबूल कर लेता है तो पुलिसवाले अब उनसे शिबली की लाश के बारे में पूछते हैं इस पर कितने पर बताता है कि उन लोगों ने शिबली को किडनैप करने के बाद आबादी से दूर कादलपुर नाम के इलाके में ले जाकर ऊंची पहाड़ी पर ले जाकर मारा था खुलासे के मुताबिक ये सभी अपराधी पहले शिबली की हत्या करते हैं फिर उसके शरीर की हड्डियों से मांस को अलग कर देते हैं शरीर की हड्डियों को भी कई टुकड़ों में तोड़ने के बाद पहाड़ी पर से ही उसे अलग अलग दिशाओं में फेंक देते हैं इसके अलावा इन लोगों ने जो मांस को शरीर से अलग किया था उसे दूर ले जाकर कहीं और फेंक देते हैं
इन लोगों ने ऐसा इसलिए किया था ताकि कोई कभी भी शिबली को न पहचान सके इतना ही नहीं इनमें से एक किडनैपर दावा करता है कि इन लोगों ने जो मांस शिवली के शरीर से अलग किया था उनमें से कुछ हिस्सा ओमसिंह मामा ने पकाकर खाया भी था जब अपराधियों द्वारा शिवली का मांस खाई जाने वाली बाद मीडिया के जरिए बाहर आती है तो पूरे देश में यह चर्चा का विषय बन जाता है लोगों में गुस्सा भर आता है
चूंकि सभी आरोपी अल्पसंख्यक समुदाय से थे इसलिए देखते ही देखते यह मामला कम्यूनल रूप भी लेने लगता है पुलिसवालों के सामने सबसे बड़ा सवाल था कि आखिर इन लोगों ने एक मासूम लड़की की इतनी बेरहमी से हत्या क्यों करती जब इसी सवाल का जवाब ओमसिंह मामा से पूछा जाता है तो वह चौंका देने वाला खुलासा करता है खुलासे के मुताबिक जब शिवली अपनी नौकरी की शुरुआत इस पोल्ट्री फॉर्म में करता है तो वहां काम करने वाले बाकी मजदूर शिबली की बातों पर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं अक्सर ये लोग काम में चोरी किया करते थे मगर मैनेजर होने के नाते शिवली इन लोगों को हमेशा समझाया करता था शिवली के कई बार समझाने के बावजूद बाकी के मजदूर काम पर ध्यान नहीं देते थे और चोरी करना जारी रखते थे इस पर शिबली एक दिन सभी को चेतावनी देता है कि अगर तुम लोग नहीं सुधरे तो मैं तुम लोगों के खिलाफ एक्शन लूंगा और इसकी शिकायत पोल्ट्री फॉर्म के ओनर से भी कर दूंगा इसी बात पर सिंह मामा और उसके बाकी साथियों तथा शिबली के बीच झगड़ा हो जाता है इस झगड़े की जानकारी पोल्ट्री फॉर्म के ओनर तक भी चली जाती है फिर एक दिन ओनर शिबली तथा वहां काम करने वाले बाकी मजदूरों को बुलाता है और उनसे कहता है कि शिवली यहां का मैनेजर है और वो जैसा कहेगा तुम लोगों को उसके ही काम करना है यहां पर ओनर सभी मजदूरों को मिलजुलकर और बिना झगड़े के काम करने की भी चेतावनी देता है बाकी मजदूरों को शिवली के अनुसार ही काम करना पड़ता है मगर इमानदारी से काम करने में उन लोगों का मन नहीं लगता है और वो लोग शिवली को भी से हटाने के बारे में सोचने लगते हैं इसी प्लानिंग के दौरान सिंह मामा अपने बाकी साथियों को किडनैपिंग भला आइडिया देता है बाकी साथी मूंछ मामा की इस सलाह को मान लेते हैं और फिर शुरू में हुई लड़ाई झगड़े के लगभग दो महीने बाद मुंशी मामा और उसके साथ ही पोल्ट्री फॉर्म से ही शाम में शिवली को किडनैप कर लेते हैं किडनैपिंग के बाद यह सभी शिवली के परिवार वालों से फिरौती की डिमांड करते हैं इन लोगों का मकसद फिरौती के जरिए मोटा पैसा कमाना था मगर इन लोगों के मंसूबों पर पानी फिर जाता है जब शिबली ओमसिंह मामा और उसके साथियों को पहचान लेता है लोगों को डर सताने लगता है कि अगर हमने फिरौती की रकम लेने के बाद भी शिवली को रिहा कर दिया तो ये सभी को किडनैपिंग के बारे में बता देगा और हम सभी पकड़े जाएंगे इसलिए ओमसिंह मामा अपने साथियों से शिबली को जान से मारने के लिए कहता है फिर वहां मौजूद दो अन्य व्यक्ति शिबली को जोर से पकड़ते हैं और मोहनसिंह मामा शिवली का गला दबाता है और तब तक दबाए रखता है जब तक कि शिवली की सांस थम नहीं जाती है हत्या करने के बाद सबूत मिटाने के लिए पहले ये सभी शिवली के शरीर से मांस को अलग करते हैं अतः हड्डियों को पहाड़ी पर ले जाकर अलग अलग दिशाओं में फेंक देते हैं जबकि मांस को दूसरी जगह पर ले जाकर देखते हैं इतना सब कुछ करने के बाबजूद शिवली के परिवार वालों को फिरौती के लिए बार बार फोन करते हैं ताकि परिवार वालों को गुमराह किया जा सके और उन्हें पुलिस तक जाने से रोका जा सके मगर इन लोगों का यह प्लान काम नहीं करता है और आखिरकार शिवली के माता पिता पुलिस की शरण में चले जाते हैं और ये सभी पकड में आ जाते हैं आरोपियों द्वारा किए गए इन सभी खुलासे के बाद पुलिस वालों की कई टीम उस पहाड़ी तक जाती है जहां पर अपराधियों ने शिवली की हत्या करने का दावा किया था फिर यहां सर्च अभियान चलाया जाता है सर्च अभियान के दौरान कई घंटों की मशक्कत के बाद फाइनली पुलिसवालों को शिबली के शरीर की कुछ कंकाल मिलते हैं इसी बीच क्राइम सीन पर अब कुछ ऐसा होता है जिसकी उम्मीद किसी को भी नहीं थी जैसा कि हमने बताया आरोपियों द्वारा किए गए खुलासे के बाद बांग्लादेश में बड़े स्तर पर मीडिया में इस न्यूज को कवर किया गया था आरोपियों द्वारा शिवली के साथ की गई हैवानियत की खबर ने लोगों में गुस्सा भी भर दिया था इसलिए जैसे ही आसपास के लोगों को पता चलता है कि पुलिस आरोपियों को लेकर क्राइम सीन तक सुबूत इकट्ठा करने के लिए आई है तो बड़ी संख्या में आसपास के इलाकों में रहने वाले आम लोग यहां जमा हो जाते हैं जब पुलिस वाले शिवली का कंकाल बरामद कर लेते हैं और वहां से ओमसिंह मामा समेत बाकी आरोपियों को लेकर जाने लगते हैं तभी वहां पर मौजूद सैकड़ों की भीड़ अचानक से पुलिस की गाड़ी पर धावा बोल लेती है और पुलिस की पकड़ से इस पूरे मामले के मुख्य आरोपी ओमसिंह मामा को अपने कब्जे में ले लेती है पुलिस उमंग सिंह मामा को बचाने का पूरा प्रयास करती है मगर सैकड़ों की भीड़ इतनी तेजी से ओमसिंह मामा पर टूट पड़ती है कि देखते ही देखते बस कुछ मिनट के अंदर लॉन्चिंग नामक वहीं पर भीड़ द्वारा किए गए अचानक हमले की वजह से दम तोड़ देता है मुख्य आरोपी की मौत भीड़ के हमले में हो जाती है
जबकि पुलिस वाले किसी तरह बाकी आरोपियों को वहां से लेकर निकलने में कामयाब हो जाते हैं
बाकी जिंदा बचे आरोपियों के खिलाफ जांच आगे बढ़ती है और फिर मिले सबूत के आधार पर उन लोगों पर किडनैपिंग और हत्या की धाराओं के तहत मामला दर्ज करते हुए मामले की सुनवाई शुरू होती है पुलिस के इन्वेस्टिगेशन में पूरे मामले में मर चुका मॉर्निंग मामा ही मुख्य साजिशकर्ता साबित होता है पुलिसवालों को कई ऐसे एविडेंस भी मिलते हैं जिससे पता चलता है कि शिबली हत्या में सबसे अहम रोल ओमसिंह मामा का ही था हालांकि शुरू में मामा द्वारा शिबली का मांस खाने से संबंधित जो खबर में इंडिया में आई थी वह पुलिस की जांच में सही नहीं पाई जाती है पुलिस के मुताबिक जांच के दौरान ओमसिंह मामा द्वारा शिबली का मांस खाने से संबंधित कोई सबूत नहीं मिलता है अब केस की मौजूदा स्थिति की बात करें तो इस मामले की सुनवाई अभी भी अदालत में चल रही है आने वाले समय में अपराधियों को अदालत द्वारा सजा भी मिल जाएगी अब बाकी आरोपियों को क्या सजा मिलती है वो तो आने वाले समय में ही पता चलेगा
Thank for Reading ❣️