Kakuda Real Horror Story |

तीस साल के सोहम का एक पुश्तैनी घर उत्तर प्रदेश के मथुरा शहर के पास एक छोटे से गांव रतौंधी में था लेकिन बचपन से ही सोहन के पिता ने उसे रतौंधी गांव से दूर रखा था वह नहीं चाहते थे कि सोहम एकदम कभी उस मनहूस जगह पर पहुंचे और सोहम जिंदगी में एक बार अपना रतौंधी का बड़ा पुश्तैनी घर देखना चाहता था एक बार जब वो अपनी बिजनेस ट्रिप के लिए उत्तर प्रदेश गया हुआ था तब उसने सोचा कि क्यों ना पूर्व रतौंधी का भेद चक्कर लगाए गूगल मैप में तो रतौंधी का कोई नामोनिशान नहीं था लेकिन हम आसपास के लोगों से रास्ता पूछ पूछकर रतौंधी पहुंच गया अब शाम की सिर्फ साथ ही बजट है लेकिन पूरा गांव खाली था सो हमने देखा कि हर घर में एक नहीं बल्कि दो दरवाजे हैं एक बड़ा दरवाजा और एक छोटा दरवाजा और हर घर का छोटा दरवाजा खुला था सोहम के चाचा उसी गांव में उनकी पुश्तैनी घर पर रहते थे वो सीधा अपने घर के पते पर पहुंच गया घर का बड़ा वाला डोर बंद था उसके नोक करने पर भी जब कोई बाहर नहीं आया तो सो हम उनके घर में बने छोटे दरवाजे से अंदर घुस गया और उसने दरवाजा भी अंदर से बंद कर दिया अंदर घुसकर अपने चाचा से मिला जब उसे देखकर बहुत खुश थे वो लोग अंदर वाले कमरे में बैठकर बातें करने लगे तभी पूरे रतौंधी गांव में जोरों से घंटी बजने की आवाज आने लगी हमने अपने चाचा से पूछा कि इस टाइम घंटी बज रही है और रतौंधी अभी से इतना सुनसान पड़ा है तब उसके चाचा ने बताया कि रतौंधी गांव पर एक भूत का श्राप है का कूडा कचरा हर मंगलवार को थी शाम सवा सात बजे का नाम का एक भूत आता है इसके लिए घर का छोटा दरवाजा हमेशा खुला रखना होता है
अगर दरवाजा खुला नहीं हुआ तो अंदर जो भी मर्द होता है उसे का घोड़ा का श्राप लग जाता है
वह कोबरा बन जाता है और उस दिन से उसकी उल्टी गिनती चालू हो जाती है और तेरहवें दिन उसकी मौत हो जाती है यह सुनते ही सुगम को याद आया कि आते समय उसने वह छोटा दरवाजा बंद कर दिया था वह जल्दी से बाहर भागा एकदम से रतौंधी का क्लॉक टावर सोच समझ जिसका मतलब आप सवा सात बज चुके थे अचानक से बहुत तेज हवा चलने लगी और ढेर सारे मच्छरों के भिनभिनाने की आवाज आनी उन वादों से सोहम के चाचा को अहसास हो गया था
ख़ुदा ने गांव में घूमना शुरू कर दिया है सो हम अपनी गलती सुधारने के लिए जल्दी से छोटे दरवाजे को खोलने के लिए आगे बढ़ा लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी उस दरवाजे के बाहर किसी के रोने की आवाज आने लगी रखी हुई बहुत शोर से दरवाजा खटखटाने लगा उस दरवाजे की खटखट से उसके चाचा समझ गए कि कोरा आ चुका है इससे पहले सोहन के चाचा कुछ कर पाते वो छोटा दरवाजा अपने आप खुल
हमने जो देखा वो देखकर उसकी चीख निकल गई क्योंकि दरवाजे की दूसरी ओर कोई इंसान नहीं बल्कि हवा में उड़ते हुए मच्छरों से घिरे हुए उसे दो सधे हुए छोटे से नीले पेड़ देखें उनका खुदा को अपने सामने देखकर बुरी तरह कांप रहा था
तब खुदा दो लाल भयानक आपको बिखरे हुए पाए और सधे हुए छोटे से नीले शरीर के साथ रहता हुआ तेजी से उड़कर सोहम की तरफ आया और उसे इतनी जोर से लात कि वो वहीं बेहोश हो गया जब सोहम की आंख खुली तो सारे गांव वाले उसे घेर कर खड़े थे शुभम को अपनी पीठ पर बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था उसने पीछे हाथ लगाकर चैक किया तो सोहम को रिलीज हुआ कि उसकी पीठ पर एक बहुत बड़ा फोड़ा यानी को बड़ा गया था सो हमने कल रात के बारे में सब से पूछा तो उसके चाचा ने बताया जो कि एक्चुअल में घर सोहम के पिता का ही था जिसे छोड़कर डेली शिफ्ट हो गए थे तो कायदे के अनुसार उस घर का मद सोहम ही था और उसे अब का ख़ुदा का श्राप लग गया है और श्राप के चलते तेरह दिन में उसकी मौत होना पक्का था इस हादसे के बाद कोई भी रजौरी वासी उसकी मदद करने को राजी नहीं था तब सो हमने रोती हुई हालत में अपने बेस्ट फ्रेंड तनुज को कॉल किया तनुश्री सोहम की सारी बात सुनी और वह दो दिन बाद ही एक तांत्रिक को लेकर रतौंधी गांव पहुंचा वहां जाकर जब उसने सुगम की हालत देखी तो उसके रोंगटे खड़े हो गए सोहम के पूरे शरीर पर घाव थे उसकी पीठ का पूरा और ज्यादा भर चुका था और वह कांपता हुआ बस यही कहे जा रहा था कि का कूड़ा उसे मार डालेगा सोहम के चाचा ने तांत्रिक को बताया कि ख़ुदा गांव के खेत में रहता है एक ग्रुप यानी बिजूका के पास तांत्रिक ने देरी न करते हुए उस खेत में क्रियाएं शुरू कर दी और उन्हें आश्वासन दिया कि वह दो दिन में का खुदा को अपने वश में कर लेगा को दिन रात पूजा करता रहा लेकिन सोहम के गांव बस बढ़ते ही जा रहे थे
दूसरी रात जब तांत्रिक ने सोहम को उस खेत में ही पूजा स्थल के पास बुलाया तो सबको बाहर फिर से तेज हवा रानी और मच्छरों की आवाज आने और अचानक ही खेत के बीच में वह लकड़ी से बना बिजूका हिलने लगा इससे पहले कि कोई कुछ कर पाता उस बिजूका ने अपने हाथों से तांत्रिक का गला दबाया और से पल भर में वहीं मार डाला यह सब देखकर तनुज और सो हम वहां से फटाफट भागे तनुज बहुत ज्यादा डर गया था और बिना देरी करते हुए सोहम को गाड़ी में बिठाकर वहां से निकल गया उसने सोचा कि वह सोहम को पटौदी गांव से बाहर ले जाएगा गाड़ी में बैठकर दिल्ली की तरफ जाने लगी दौड़ी गांव से निकलने ही वाले थे तभी तेज हवा चलने लगी और अचानक उनकी गाड़ी खराब हो गई एकदम से उनकी गाड़ी को भिनभिनाते मच्छरों ने घेर लिया और उन्हें किसी के गुजारने की आवाज आने लगी उन्होने देखा कि का खुदा ठीक उनकी गाड़ी के सामने हो रहा था तनुज दरवाजा खोलकर का खुदा से दूर भागने लगा लेकिन का गुर्दा इसके पीछे एक साये की तरह चिपक गया था उसी पलों में सो हमने देखा कि तनुज हवा में उड़ रहा है और का खुदा उसके पीछे है देखते ही देखते उसकी गरदन सड़क गई और वो नीचे गिरकर मर गया और का खुदा वहां से गायब हो गया का खुदा अब बहुत गुस्से में आ चुका था
अगले सात दिनों तक भुट्टो हम को उसके घर से उठाकर ले जाता और दौड़ी के अलग अलग घरों के दरवाजे पर उसके कपडे शरीर को जोर से फेंकता है रतौंधी वासी सोहम की मदद करना चाहते थे पर का कुत्तों का आतंक हर कोई देख रहा था इसलिए चाह कर भी कोई कुछ नहीं कर पाया और फिर तेरह दिन पूरे हो गए पूरे दौरे को पता था कि साहब के मुताबिक आजकल खुदा सोहम को जान से मारने वाला था उस दिन गांव में बाकी मंगलवार से ज्यादा सन्नाटा था सवा सात बजते ही पटौदी का क्लॉक टावर फिर से बचें
गांव के हर दरवाजे के बाहर से तेज हवा और मच्छरों के झुंड के साथ तक है कुछ ही देर बाद गांव वालों ने सोहम की रूह कंपा देने वाली सोहम अब इस दुनिया से जा चुका था 
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