आज की इस कहानी की ओर काफी सालों के बाद मैं अपने गांव गया वहां जाकर मुझे बहुत ही अच्छा लगा काम का बोझ इतना बढ़ गया था कि माइंड फ्रेश करने के लिए एक बार गांव जाना मेरा बहुत ही ज़रूरी था शो में गाँव पहुँच गया वहाँ पहुँच कर सभी से मिला खासकर मैं अपने चाचा जी से मैं अपने चाचा जी के बहुत ही करीब और वो मुझे अपने बेटे की तरह मानते हैं और मुझे बहुत प्यार करता है चाचाजी और मैं हम दोनों जहां भी जाते हैं साथ साथ ही जाता है एक शाम की बात है चाचा जी ने मुझसे कहा मेरे दोस्त की शादी में खाना खाकर आता क्या बोलता तो इस पर मैंने भी कहा चलिए इसी गांव में या दूसरे गांव में तो इस पर चाचाजी ने कहा नहीं दूसरे गांव में यहां से दो गांव दूर रास्ता लंबा मगर चलो घर में बैठकर क्या करेगा तो इस पर मैंने भी कहा चलिए मैं फटाफट हो जाता हूँ जिसके बाद में फटाफट रेडी हो गया और मैं और चाचाजी बाइक लेकर निकल पड़े दूसरे गांव की ओर झुकाव हमारे गांव से दूर गांव दूर था यानी के रास्ता थोड़ा लंबा ज़रूर था मगर अब वैसे भी मैं इतनी गर्मी में घर पर बैठकर क्या ही करता शो में चाचा जी के साथ ही निकल पड़ा रास्ते पर चल रही ठंडी हवाएं रास्ता जंगलों से घिरा हुआ था बीच बीच में जंगल तो बीच बीच में थे ऐसे ही वो एक कच्चा रास्ता था
बाइक चलाने में थोड़ी मुश्किल हो रहे थे मगर फिर भी मैं बाइक चला रहा था इसलिए चाचा जी मुझे इंस्ट्रक्शन तेरह है कि मैं किस तरह से बाइक चलाओ कच्चे रास्ते पर क्योंकि शहर में तो कच्चे रास्ते कम ही होते हैं अभी मैं रास्ते पर बाइक चला रहा था थी तभी चाचा जी ने मुझसे कहा
जो रास्ता है ना ये रास्ता थोड़ा सामने जाने के बाद मतलब कि एक गांव को पार करके तो दूसरा गांव पड़ता उस उसको पार करके जब तीसरा गांव पाँच में तो वो जो दूसरे गांव का रास्ता ना तो थोड़ा अच्छा रास्ता नहीं है तो इस पर मैंने कहा अच्छा रास्ता नहीं है मतलब ये तो कच्चा रास्ता है तो खराब तो होगा तो इस पर चाचा जी ने कहा नहीं मेरा मतलब नहीं है मेरा मतलब कि उस रास्ते पर आत्माएं भटकती हैं तो इस पर मैंने हंसते हुए कहा कि आज चाचाजी आत्मा आत्मा कुछ नहीं होता ये सब मन का वहम है तो इस पर चाचा जी ने कहा नहीं बैठा ऐसा नहीं होता आत्माएं सच में होती है मैंने अपनी आँखों से देखा और इसलिए मैं कह रहा हूं कि जब वो रास्ता आएगा तो बाइक में चलाऊंगा तो इस पर मैंने भी ज्यादा चेतनाएं के बस ठीक है कहकर सिर हिलाते हुए बाइक चलाने लगा काफी देर बाइक चलाने के बाद चाची ने मुझे पाइक रोकने को कहा मैं समझ गया कि वो रास्ता आ चुका है तब चाचा जी ने बाइक चलाना शुरू किया और में बाइक के पीछे बैठा हुआ था चाचाजी पाइप चलाए जा रहे हैं बाइक की रफ्तार उन्होंने थोड़ी पढ़ाते थे जो के कच्चे रास्ते में ऐसा करना ठीक नहीं था मगर फिर भी मैंने कुछ नहीं कहा मैंने पीछे बाइक को पकड़ लिया और में कस कर बैठ गया दो रास्ता दिखने में तो सच में खराब लग रहा था मगर मैं भूत प्रेत पर विश्वास नहीं करता जंगल चार की वजह से रास्ते डरावने लगते हैं वो के रात के समय तो और ज्यादातर आपने लगता है खैर कुछ देर चलने के बाद हम लोग उस गांव में पहुंचे जहां शादी थे
तो चाचा जी ने बाइक रोकी और हम लोग अंधकार हमने वहां पर खाना पीना खाया चाचा जी अपने दोस्त से मिले और फिर रात को करीब साढ़े दस बजे के आसपास चाचा जी ने मुझसे कहा तो सोने का इंतजाम हो जाए तो इस पर मैंने चाचा जी से कहा क्या हम लोग यहां रुकने वाले हैं तो इस पर चाचा जी ने कहा हां तो रुकने वाला इतनी रात को कहां जाएंगे ऊपर से वो रास्ता तो इस पर मैंने कहा नहीं चाचा जी मुझे जाना पड़ेगा मुझे कल ट्रेन पकड़नी है सुबह सुबह तो इस पर चाचा जी ने कहा क्या बात कर रहा मुझे तो ने बताया ने कल द्वारा तो इस पर मैंने कहा मैं घर नहीं जा रहा वहां कुछ काम दूसरी जगह तो वहीं जाना तो इस पर चाचाजी ने कहा आप कैसे मैंने अपने दोस्त को भी बोल दिया कि मैं रुका तो इस पर मैंने कहा तो फिर आप रुक जाइए मैं बाइक लेकर चला जाता हूँ आप कल सुबह किसी तरह जाना घर तो इस पर चाचा जी ने पहले तो मना कर दिया मगर मेरे काफी सेट करने पर चाचा जी ने मुझे जाने को कह दिया और साथ ही साथ चाचा जी ने एक हिदायत बेटे के उस भूटिया रास्ते पर लाने की जिस रास्ते पर आत्माएं भटकती हैं उस रास्ते पर गलती से भी पढ़ें एकमात्र अपना
बस चलते जाना और चलते जाना मैंने उनके हिदायत को सुना और दूसरे कान से निकाल दिया और फिर बाइक लेकर मैं वापस अपने गांव की ओर चल पड़ा रास्ता अब और भी ज्यादा सुनसान था रास्ते पर दूर दूर तक मेरे अलावा और कोई शख्स नजर नहीं आ रहा था गर्मी का मौसम था और उस सुनसान रास्ते पर चल रही ठंडी हवाएं चेहरे पर लगने से एक अलग ही सुकून मिल रहा था मैं आराम आराम से बाइक चलाकर आगे बढ़ाया जा रहा था अभी मैं बाइक चलाकर आगे बढ़ ही रहा था कि तभी बाइक का पीछे का टायर अचानक से बैठ गया मुझे समझ नहीं आया कि अचानक ये क्या हो गया मैंने बाइक रोकी और मैंने पीछे झांककर कर देखा तो पाया कि पाइप का पिछला टायर पंचर हो चुका है मुझे समझ नहीं आया कि अचानक से या टायर पंचर कैसे हो गया खैर मैंने बाइक को स्टैंड पर लगाया और उतर कर वापस पीछे की तरफ़ आया मैंने सोचा कि अब मैं क्या करूं मैं उस गांव से भी काफी दूर आ गया था और अपने गांव से भी काफी दूर ही था यानी के मैं बीचों बीच था मैंने जब नजर उठाकर टेकर उधर रास्ते की तरफ देखा तो पाया कि ये तो वही रास्ता है जिस पर चाचा जी ने मुझे पाईक रोकने को मना किया था यानी के वहीं भूत प्रेत वाला रास्ता मैं थोड़ा सा घबरा सा गया मगर फिर मैंने अपने आप पर ही हंसते हुए कहा कि भाई अब तू भी भूत प्रेत पर विश्वास करने लगा
और फिर मैंने इधर उधर देखा किसी मदद की तलाश में मुझे कोई भी शख्स नजर नहीं आया
अभी मैं खड़ा खड़ा सोच ही रहा था कि मैं क्या करूं मैंने अपनी जेब से मोबाइल निकाला तो पाया कि उसमें नेटवर्क ही नहीं है मुझे समझ नहीं आ रहा था कि अब मैं के घर जाओ किस्से मत मांगो आपे में खड़ा खड़ा कुछ सोच ही रहा था कि तभी मेरे पीठ पर किसी ने पीछे से हाथ रखा में एकदम से चौंक गया और तुरंत पीछे पलट कर देखा तो पाया कि एक आदमी मेरे पीछे खड़ा है और मुस्कुराते हुए मुझे ही देख रहा है तो इस पर मैंने कहा कि तो को खूब कुछ कुछ चाहिए आपको तो उस पर उस आदमी ने कहा वजह तो नहीं पर आपको चाहिए मदद आपका टायर पंचर हो चुका है ना तो इस पर मैंने कहा हाँ पंचर तो हो चुका है आप जानते हैं यहां कोई पंचर बनाता है क्या तो इस पर उस आदमी ने कहा मैं बनाता हूँ ना अब बाइक पर बैठे बैठे कर दूंगा क्या बाइक पर हूँ मगर बाइक पर बैठने का सब कुछ ठीक हो जायेगा तो इस पर उस आदमी ने कहा आप बैठे तो सही न बनाता हूँ उसके कहे मुताबिक में पाये पर चढ़कर बैठ गया मेरे बैठते हैं जो में वापस से मेरे बाइक के पीछे टायर के पास बैठ गया और अपने हाथों से कुछ करने लगा मैंने पीछे मुड़कर देखा मगर मुझे समझ नहीं आ रहा था कि वो कर क्या रहा है कुछ ही देर बाद उस आदमी ने कहा
सबकुछ देगा आप जा सकता है तो इस पर मैंने कहा क्या मगर आपने तो कुछ किया नहीं तो इस पर उस आदमी ने कहा मैंने कहा ना जा सकता
मैंने पीछे घूमकर देखा तो टायर सचमुच में बिल्कुल सही हो गया था मुझे समझ नहीं आया कि आखिर इस आदमी ने ऐसा क्या किया जो बिना पट्टी किया है बिल्कुल सही हो गया खैर मैंने बाइक स्टार्ट किया फिर मैंने सोचा क्यों न एक बार जाने से पहले उस आदमी को धन्यवाद दिया जाए
शुक्रिया बोलने के लिए पीछे कोमा तो पाया कि वो शख्स दूर दूर तक कहीं नहीं है वहां कोई आदमी तो क्या कोई परिंदा तलक भी नहीं था
जिसके बाद मैंने बाइक स्टार्ट किया और सीधे बाइक को अपने गाँव वाले घर पर ही रोका मुझे समझ नहीं आया कि वो शख्स कौन था मगर को चौबे था इतनी जल्दी गायब कैसे हो गया या आज तक मैं समझ नहीं पाया तो दोस्तों ये थे आज के पहले कहानी तो चलिए पढ़ते हैं आज की दूसरी कहानी की और घटना तब की है जब हमारे गांव में तरह तरह की आए दिन घटनाएँ हुआ करते थे जिन घटनाओं के कारण हम सभी गाँव वाले परेशान रहा करते थे सभी का मानना था कि ये सभी आत्माएं और काला जादू और डायन विद्या का खेल है मगर मैं इन सब बातों को नहीं मानता था जिस कारण मुझे आए दिन घर पर काफी डाँट भी सुनने को मिलते थे लेकिन यह सच था कि दिन पर दिन हमारा गांव काफी अजीब सा होता जा रहा था साथ ही साथ लोगों के मरने की संख्या दिन पर दिन बढ़ते जा रहे थे जिस वजह से लोग और दहशत में रहने लगे उस समय गांव वाले रात में तो क्या दिन को भी संभल संभलकर अपने घरों से बाहर निकलते थे उस वक्त हमारे गांव में सबसे बड़ी दिक्कत यह थी कि उस समय हमारे गांव में बिजली नहीं हुआ करते थे जिस कारण अंधेरा होते ही हमारा गांव एकदम वीरान सा लगने लगता था दरअसल हुआ कुछ यूं था कि एक रात मैं काम से जब घर वापस लौटा तो मेरी मां ने मुझसे कहा बेटा तुम्हारे पापा शाम को खेत में गए थे और अभी तक खेत से वापस नहीं लौटे
माँ की बात सुनकर मैंने जब अपनी निगाहें घड़ी की ओर घुमाई तो वक्त हो रहा था रात के साढ़े आठ बजे का उस समय रात के साढ़े आठ बजे ना यानी काफी रात इस पर मैंने अपने मन ही मन में कहा वक्त काफी हो गया मगर बाबा भी तक वापस नहीं लौटे ये सोचकर मुझे भी काफी चिंता हो रहे थे इस पर मैंने अपनी मां से कहा माँ आप मुझे दे दीजिए मैं पापा को देख कर आता हूँ इस पर मेरी माँ का चेहरा एकदम से उतरने लगा एक तू मेरे पापा की चिंता ऊपर से मुझे इतनी रात गए खेत में अकेले जाने देने की चिंता उनके चेहरे पर साफ साफ दिखाई पड़ रहे थे फिर भी हमारे पास दूसरा कोई रास्ता नहीं था तुम मुझे जाना ही पड़ेगा जिसके बाद मैंने टॉर्च लिया और मां को आता हूँ बोलकर खेत की तरफ चलता बना घर से बाहर निकलते ही आसपास का माहौल देखकर मैं काफी हैरान हुआ क्योंकि आसपास का माहौल एकदम वीरान सा हो गया था दूर दूर तक पूरे इलाके में मुझे मेरे अलावा कोई इंसान तो दूर जानवर झलक भी दिखाई नहीं दे रहा था मानव इंसान तो इंसान जानवर भी गांव में हो रही अजीब अजीब घटनाओं से डर रहे हो खैर मैं वहां और समय जाया न करके आगे बढ़ने लगा रास्ता पूरी तरह से अंधेरे में डूबा हुआ था ऊपर से अमावस की काली रात होने की वजह से आसमान पर चांद का कोई नामोनिशान नहीं था
अंधेरा इतना घना था कि मेरी टॉर्च की रौशनी नाम मात्र के रूप में ही मालूम पड रहे थे मुझे उस समय भूत प्रेत का तो डर नहीं लगता था मगर शेयरों से तो जरूर डर लगता था क्योंकि उन दिनों हमारे गांव में शेयरों का भी बहुत आतंक था पूरे रास्ते पर सन्नाटा इतना फैला हुआ था कि रास्ते के किनारे झाड़ियों से आ रही झींगुरों की आवाजें भी मुझे काफी तेज सुनाई पड रहे थे खैर मैं किसी तरह घने अंधेरे को छेड़ते हुए अपने खेत के करीब पहुंचा मगर वहां दूर दूर तक मेरे पापा मुझे कहीं नहीं दिखाई पड़ रहे हैं अर्थ है तो अपने खेत में पापा को न पाकर मैं और भी ज्यादा परेशान हो गया कि आखिर मेरे पापा गए तो गए कहा मैं काफी हैरान की भरी नजरों से पापा को इधर उधर तलाशने लगा लेकिन फिर भी मेरे पापा कहीं नहीं दिख है जिसके बाद मैं पापा को ढूंढने के लिए थोड़ा और आगे बढ़ने लगा खेत के अंदर वाला रास्ता और भी ज्यादा वीरान और अंधेरे में डूबा हुआ था ऊपर से कच्चा रास्ता होने के कारण रास्ते पर छोटे मोटे गद्दे भी मुझे दिखाई पड़ रहे हैं
अभी में कुछ आगे बढ़ा ही था कि तभी मुझे काफी दूर से किसी के रोने की आवाज सुनाई पड़ने लगी उस आवाज को ध्यान से सुनने पर मुझे पता चला कि वो रोने की आवाज किसी और की नहीं बल्कि मेरे पापा की है पापा के रोने की आवाज को सुन खैर मैं और भी ज्यादा सहम गया कि आखिर पापा को हुआ तो हुआ क्या उस आवाज को सुनकर मुझे पता चल रहा था कि वो आवाज शमशान की तरफ से आ रही है मगर पापा इतनी रात गए शमशान में क्या कर रहे हैं ये सोचकर मैं शमशान की तरफ आगे बढने लगा मुझे अपने पापा की इतनी चिंता हो रही थे कि मेरे पैर खुद ब खुद काफी रफ्तार से चल रहे थे चलते चलते में शमशान के करीब पहुंचा तो मेरी वहां पहुंचते ही वो रोने की आवाज एकदम से बंद हो गई पूरा शमशान काली रात के अंधेरे में काफी डरावना देख रहा था अब मुझे भी थोड़ी थोड़ी बेचैनी सी महसूस होने लगी थी फिर भी मैं चलकर शमशान के अंदर दाखिल हुआ और इधर उधर अपने पापा को ढूंढने लगा अभी में इधर उधर ढूंढ़ी रहा था कि तभी मुझे एक पेड़ के नीचे मेरे पापा बैठे हुए देख है तो उन्हें पेड़ के नीचे बैठा देख मैं जितना हैरान हुआ उससे कई ज्यादा खुश भी कि मुझे मेरे पापा सही सलामत में गए मगर मुझे कहाँ पता था कि ये सिर्फ मेरे मन का भूल है
खैर पापा को देख कर मैं पापा की तरफ आगे बढ़ने लगा मेरे पापा अपने स्तर को नीचे झुका कर बैठे हुए थे जिससे उनका चेहरा मुझे दिखाई नहीं पड़ रहा था मगर उनके शरीर और कपड़ों से मुझे साफ साफ पता चल रहा था कि यही मेरे पापा है कुछ कदम चलने के बाद मैं पापा के पास पहुंचा और उनसे कहा क्या बात है बाबा इतनी रात गए यहां पर क्या कर रहे हैं और अब रो क्यों रहे हैं इस पर पापा ने कोई जवाब नहीं दिया और ना ही उनके शरीर में किसी तरह की कोई हलचल हुई इस पर मैंने दोबारा पापा से कहा पापा क्या आपको चली घर चले लेकिन इस बार भी पापा की तरफ से कोई जवाब नहीं आया मुझे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर पापा को हुआ तो हुआ क्या साथ ही साथ मेरे चेहरे पर दो पल के लिए जो मुस्कान आई थी वापस से वहीं मुस्कान परेशानी में बदल गई पापा से कोई जवाब न मिलने के बाद मैंने अपने हाथ को पापा के कंधे पर रखा तो पापा के कंधे पर हाथ रखते ही मेरे पैरों तले जमीन निकल गई और मेरे शरीर में खून की जगह करंट दौड़ने लगा क्योंकि पापा के कंधे पर हाथ रखते ही मेरा हाथ उनके कंधे के आर पार हो गया मगर ये कैसे हो सकता है किसी जिंदा इंसान के शरीर से हाथ आर पार कैसे हो सकता है अभी में काफी हैरान हो ही रहा था कि तभी अचानक पापा ने अपना चेहरा मेरी ओर घुमाया तो उनका देख कर मैं जोर जोर से कांपने लगा और मेरे हाथ पैर फूलने लगे क्योंकि उनका चेहरा पूरी तरह से अलग जला हुआ था और उनकी आंखें लाल चमक रही थी यह देखकर मैं समझ गया कि वो न तो मेरे पापा है और ना ही कोई इंसान बल्कि वह भूत है और शायद अब यह भूत मुझे मार डालेगा अभी में काफी रहा था कि तभी उस भूत ने एकदम से मेरा गला पकड़ लिया और मुझे घसीटते हुए नदी की तरफ ले जाने लगा मुझे समझ आ गया कि गांव वालों की सारी बातें सच थी वो भूत मुझे घसीटकर नदी के अंदर ले जाने लगा था कि वो मुझे नदी में डुबाकर मार सके तभी वह भूत मुझे नदी के अंदर ले जाने ही वाला था कि तभी मेरे ऊपर एक साथ तीन चार टॉर्च की लाइटें बड़ी डीसी वह भौत मुझे एकदम से छोड़कर हवा में धुंआ हो गया फिर जब वो टॉर्च की लाइट मेरे करीब आए तो मैंने देखा कि वो मेरे पापा और दो तीन गांव वाले हैं जिसके बाद मैंने अपनी पूरी आपबीती पापा को बताई तो पापा ने कहा मैं खेत से काफी पहले ही लौट गया था मगर मैं घर न जाकर हरिया काका के घर चला गया
तुम्हारी माँ को लगा कि मैं अभी तक घर वापस नहीं लौटा फिर जब मैं घर गया तो मुझे पता चला कि तुम मुझे ढूंढता हुआ खेत में आए हैं तुम मुझे तेरी काफी चिंता होने लगी इसलिए मैं दो तीन गांव वालों को लेकर तुझे ढूंढने निकल गया तो दोस्तों इस तरह से उस रात मैं मरते मरते बचा तो दोस्तों ये थी आज की कहानी
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