- उड़ीसा की पहली सच्ची कहानी
आप देख रहे हैं अनहोनी तो चलिए पढ़ते हैं आज की इस कहानी की ओर भूत प्रेत आत्माएं चुना इन सब चीजों पर मैंने कभी भी विश्वास नहीं किया और न ही कभी मैं करना चाहता था मगर उसका उस रात ऐसा कुछ हुआ जिसके बारे में मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकता और इस दिन के बाद से मैं इन सारी चीजों पर विश्वास करने को मजबूर था मेरे पास कोई चारा ही नहीं था मुझे मानना ही पड़ा देश दुनिया में ऐसी भी कुछ चीजें हैं जिनसे आम ही मिले तो अच्छा रहेगा दरअसल घटना है आज से करीब बारह साल पहले कि मेरी उम्र यही कोई सोलह सत्रह साल के थे मुझे नानी घर बहुत पसंद था मैं गर्मियों की छुट्टियों में ज्यादातर नानी के घर ही जाया करता था मगर उस बार जब मैं नानी घर गया तो वो कर्मियों की छुट्टियां रहे थे दो सर्दियों की छुट्टियां थे सर्दियों का मौसम मुझे बहुत ज्यादा पसंद है इसलिए मैंने सोचा क्यों ना इन छुट्टियां नानी के घर में ही बिताया जाए तो मैं नानी के घर पहुँच गया सबसे मिलकर मुझे काफी ज्यादा खुशी हुई वहाँ के दोस्तों अक्सर घर वालों से परिवार वालों से
उनसे मुझे काफी ज्यादा लगाव था और वो भी मुझे बहुत ज्यादा प्यार करते हैं इसलिए मुझे वो का बहुत ज्यादा पसंद थे वहां जाते ही मैंने अपना सामान रखा और में बाहर खेलने निकल गया वहां मेरे बहुत सारे दोस्त हैं खेलकर जब मैं शाम को वापस घर लौट आए तब तक अंधेरा हो चुका था
क्योंकि सर्दियों में अंधेरा बहुत जल्दी हो जाता है
मैंने हाथ मुँह धोया और वापस अपने कमरे में जाकर बैठ गया बस यही तो काम था मेरा वहां खेलना वापस घर आना और सो जाना इसलिए मुझे यह जगह बहुत पसंद थे अभी मैं लेटा लेटा अपने कमरे में छत की तरफ देख ही रहा था कि तभी मुझे बाहर से आवाज आई मामी और नानाजी आपस में कुछ बातें कर रहे हैं मैं रूम से निकलकर बाहर आया तो सुना के में नानाजी को बाहर जाने से मना कर रही और नाना जी कह रहे हैं कि उन्हें कुछ नहीं हुआ बोझ आकर मामा को टिफिन पहुंचाएंगे इस पर मैंने मामी से कहा क्या वह में कोई दिक्कत है क्या इस पर मामी ने कहा देखो तुम्हारे नाना जी को मैं मना कर रही हूं कि आज उन्हें टिफिन देने की कोई जरूरत नहीं है वो कहीं से जुगाड़ करके खा लूंगा इनकी तबियत सही नहीं है और भारत ने ठंड है यह जाएंगे वापस इतनी दूर तौर से आदत विधेयक लाएगी
इस पर मैंने नाना जी से कहा नानाजी रहने दीजिये मामा जी खा लेंगे कंस द्वारा करके इस पर नानाजी ने कहा नहीं नहीं मैं चला जाऊंगा मुझे कुछ नहीं होगा तुम मेरे दिमाग में ख्याल आया क्यों ना नाना जी की चरखा मैं टिफिन पहुंचाने चला जाऊं मामा जी को मामाजी की फैक्ट्री मैंने टेक ही रखे थे तो मैं वहां पर जाकर आराम से उन्हें टिफिन देकर आभी जाऊंगा मैंने यह विचार नाना जी से कहा इस पर नानाजी ने साफ मना कर दिया और उन्होंने कहा मैंने तुम्हें अपने रात हो जाने की कोई ज़रूरत नहीं है वो रास्ता बढ़िया नहीं है तो इस पर मैंने कहा क्यों बढ़िया नहीं है मतलब क्या मैं बच्चा थोड़ी नाना जी मैं पहुँचा और लटकन नानाजी सब बहुत सिद्ध करने के बाद वो मान है मगर उन्होंने साथ ही एक हिदायत बेटे देखो तुम जाओ एक टॉर्च भी साथ लेकर जाओ मगर अगर कोई पीछे से आवाज से कैसे भी आवास किसी भी चीज की आवाज अगर कोई छोटे से आये चलकर भी आवास तो पीछे पलटकर मत देखना बस आगे चलते जाना टिफिन पहुंचाना और सीधे घर आना कहीं और मचाना और पीछे पलटकर ग़लती फिल्म देखना
मैंने नाना जी की बात पूरी सुने और टिफिन लेकर घर से चल पड़ा मामाजी के फैक्ट्री की ओर जहां पर मामा काम करता है घर से बाहर कदम रखते ही एक ठंडी हवा के झोंके ने मुझे हिलाकर रख दिया ठंड बहुत ज्यादा थे मगर मैंने भी बहुत ज्यादा कपड़े पहन रखे थे है इसलिए ज्यादा परेशानी नहीं होने वाले थे मैं टॉर्च की रोशनी के सहारे आगे बढता जा रहा था चूंकि अभी से आता राहत नहीं हुए थे बस शाम को यहीं कोई साथ या साढ़े सात बजे होंगे इसलिए मैं चलते चलता हुआ सीधे मामा जी के फैक्ट्री पहुंचा उन्हें टिफिन दिया उनसे मुलाकात की थोड़ी बात की और फिर मामाजी ने कहा देखो यहाँ से सीधे घर जाना और का आना जाना और अगर कोई आवाज तो पीछे पलट मत देखना इस पर मैंने मामा जी से पूछा
मोहम्मदी कौन वास्ते का इस रास्ते पर नाना जी भी यही बोल रहे थे के पीछे पलटकर में देखना इस पर मामा जी ने कहा मैं कल सुबह जब कराऊंगा तो बताऊंगा अभिजात जल्द ही निकले आशा रात होने से पहले घर पहुंचाना जिसके बाद में वहां से निकला और वापस घर की ओर चल पड़ा अपराध के करीब साढ़े आठ बज चुका है रास्ता पूरी तरह से सुनसान हो चुका था क्योंकि मौसम ठंड का था ठंड के मारे सारे लोग अपने घरों में दुबक कर बैठे हुए थे है और वो रास्ता भी जंगलों से घिरा हुआ था कच्ची सड़क ऊपर से आजू बाजू जंगल अभी में आगे बढ़ ही रहा था कि तभी अचानक मेरे कानों में एक आवाज आई
सुनो को आवाज सुन मैं अपनी जगह पर ही रुक गया तभी वापस पीछे से आवाज आई पीछे पलटकर देखो तो सही मैं कौन हूं तुम बच्चे जानते हो मैं पीछे पलट ने ही वाला था कि तभी मुझे नाना जी की कही बात याद आ गए के पीछे मत देखना पता नहीं क्यों मुझे वो आवाज़ भी कुछ अजीब सी लगने लगे थे इसलिए मैंने वापस छूना शुरू कर दिया चलते चलते मैं काफी दूर आ चुका था मगर पीछे से वो आवाज़ लगातार आयेज आ रहे थे चलते चलते में भागने लगा और भागते भागते मैं घर पहुंचा घर पहुँच कर मैंने नानाजी को पूरी बात बताई पहले तो नानाजी ने मुझे शांत किया और फिर कहा दरअसल रोजा आवास थे
तो कोई इंसान की आवाज नहीं थे वो एक प्रेत के आवास थेnउस रास्ते पर प्रेत भटकता हैं वो आवाज़ तहत हैं अगर तुम उनकी आवाज सुनकर पीछे पलटकर तो फिर तुम वापस कभी घर नहीं आता होगा वो तुम्हें अपने साथ ले जाएंगे और अगर पीछे नहीं पलटें तो वह तुम्हें कुछ नहीं कर सकता है तुम्हें छू भी नहीं सकता तुम्हें अपनी मर्जी से पीछा पलटना होता उस दिन के बाद से मैं कभी भी उस रास्ते पर नहीं गया तो दोस्तों ये थी आज की कहानियां.
- उड़ीसा की दुसरी सच्ची कहानी
ट्रेन में बैठे बैठे मैं बॉस की कहीं उस बात के बारे में सोच रहा था जब उन्होंने मुझसे ये कहा था मैं अभी कमालपुर के लिए निकलो वाई स्टील प्लांट बजाओ पड़ा इस बार का ऑर्डर में मिलना चाहिए
बॉस के यह कहने का तरीका मुझे थोड़ा बुरा तो लगा था मगर हर एम्प्लोयी की तरह ही मैंने भी उनका गुस्सा और कड़वी बातों को बर्दाश्त कर लिया वैसे तो मुझे कमालपुर के स्टील प्लांट में कल सुबह पहुंचना था लेकिन इस बार मैं किसी भी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहता था इसलिए मैं आज रात ही कमल पर पहुँच जाऊंगा कुछ देर बाद ट्रेन पावर स्टेशन पर रुकी मैं ट्रेन से उतरा और साथ ही जब निगाहें प्लेटफॉर्म में लगी घड़ी पर गई तो वक्त हो रहा था रात के पौने बारह बजे का ट्रेन के जाते ही मैंने एक नज़र चारों तरफ देखा बड़ा छोटा सा स्टेशन था चारों तरफ खामोशी और सन्नाटे ने अपना घर बना रखा था
घर मुझे क्या मैं स्टेशन से बाहर निकलने लगा आसपास इतनी ज्यादा खामोशी थी कि मैं अपने कदमों की आवाज भी साफ सुन पा रहा था
मैं जब स्टेशन से बाहर निकला तो अंदर और बाहर में मुझे कुछ खास फर्क देखा नहीं बाहर भी खाली पन्ने अपना डेरा जमा रखा था मैंने सोचा आज रात किसी होटल में रुक जाता हूँ कल तक कल देखा जाएगा और यही सोचकर मुझे
अपने सामने जो भी रास्ता दिखा मैं उसी पर चलने लगा फिर उस सीधे रास्ते पर मुझे दूर दूर तक कोई होटल यहां तक कि एक लाइव का खंभा भी नहीं दिख रहा था उस अंधेर नगरी में रौशनी का इकलौता साधन मेरा फोन ही था
अभी में चल ही रहा था कि तभी पीछे से आती एक आवाज ने मेरे कान में दस्तक दिया ध्यान से सुनने पर पता चला कि वो आवाज घोड़े की टाप की है पीछे मुड़कर देखा तो एक आदमी तांगा लिए मेरे पास आ रहा था मैंने सोचा शायद ये मुझे किसी होटल तक पहुंचा देगा यही सोचकर मैं उस तांगे वाले को हाथ दिखाकर रुकवाने लगा उसने टांगे को मेरे से कुछ फासले पर ही रोक दिया और बोला का जाना है बाबू जी उस तांगे वाले का पूरा शरीर एक चादर से ढका हुआ था उसके चेहरे को छोड़कर बाकी सबकुछ ढक रखा था अब या तो उसका चेहरा सफेद था या फिर दाढ़ी खैर मैं बोला भाई साहब मुझे किसी होटल तक छोड़ देंगे या फिर कोई ऐसी जगह जहां में रात करा सकें इतना बोलते ही मेरी नाक में एक सधी हुई सी बदबू टकराई जिससे कोई बड़ा जानवर मर गया और खैर वो तांगे वाला बोला एक गांव है या तेल नहीं मिलेगा आप आज रात स्टेशन में वेटिंग रूम में रुक जाओ मैं कल आपको स्टील प्लांट ले चलूंगा
उस आदमी के मुंह से स्टील प्लांट का नाम सुनकर मैं एकदम से चौंकते हुए बोला पर तुम्हें कैसे पता कि मुझे स्टील प्लांट जाना इस पर वह तांगे वाला मुस्कुराते हुए बोला यार सब स्टील प्लांट जाने के लिए आते हैं साहब और इतना बोलकर दो तांगे वाला वहां से चला गया उसके जाते ही वो जो सड़ी हुई सी बदबू आ रही थी
वो एकदम से बंद हो गई खैर मैंने सोचा कि तांगे वाला यहां के लोकल आदमी है और जब किसी ने कह दिया कि यहां कोई होटल नहीं मिलेगा तो सच में नहीं मिलेगा और ऐसे में वेटिंग रूम में रात गुजारने के अलावा मेरे पास कोई चारा नहीं था अगले ही पल मैं वापस से स्टेशन में था और वेटिंग रूम ढूंढने के लिए अपनी नजरें दौड़ा रहा था तभी मुझे एक कमरे के बाहर वेटिंग रूम का बोर्ड लगा हुआ दिखा मैं उस कमरे की ओर बढ़ने लगा और जैसे ही मैं कमरे का दरवाजा खोलकर अंदर दाखिल हुआ तो सबसे पहले मेरी नाक में वही सड़ी हुई सी गंध आई फिर बाद में मुझे बेंच पर एक बूढ़ा आदमी एक बुढ़िया और एक मेरी ही उम्र का लड़का बैठा दिखा उन सबने भी अपना पूरा शरीर उस तांगे वाले की तरह ही चादर से ढक रखा था मुझे देखते ही पता नहीं क्यों वो तीनो एकदम से उठकर खड़े हो गए और उनकी आंखों में हल्की सी चमक आ गई खैर मैं भी उसी बेंच पर उनके पास जाकर बैठ गया बोला बुढ़िया और वो लड़का मुझे अभी भी घूरे जा रहे थे जैसे उन्होंने मेरी जैसे इंसान को पहले कभी देखा ही न हो मुझे थोड़ा अजीब लगा लेकिन तभी अचानक ही मुझे ठंड लगने लगी मई के महीने में ठंड लगना अजीब बात थी मगर उससे भी ज्यादा मैं हैरान इस बात से था कि वो सड़ी हुई सी बदबू अभी भी आ ही रही थी जबकि न तो वेटिंग रूम का दरवाजा खुला हुआ था और ना ही कोई खिड़की तभी मैं उस बूढ़े आदमी से बोला कितना अजीब है ना मई के महीने में ठंड लग रही है इस पर उस बूढ़े आदमी ने घर घर आती आवाज में कहा
या पास रहना इसलिए वो दुर्गंध अब इतनी बढ़ चुकी थी कि मेरा उस वेटिंग रूम में रुकना मुश्किल हो रहा था मैं अपने नाक को हाथ से दबाकर बाहर जाने के लिए उठाया ही था कि तभी वह बूढ़ा आदमी बोला बेटा का जा रहा है और मैंने उस आदमी से कहा दिवस यहीं पर और ये बोलकर मैं उस वेटिंग रूम से बाहर निकल गया मैं जैसे ही वेटिंग रूम से बाहर निकला तभी वो सड़ी हुई सी बदबू भी एकदम से बंद हो गई मैंने अपनी जेब से सिगरेट का डब्बा निकाला और एक सिगरेट जलाकर वेटिंग रूम के बाहर बने चबूतरे पर बैठ गया अभी में सिगरेट का कश ले ही रहा था तभी एक आवाज आई तुम सिगरेट पीने लगे हो मैंने उस आवास की ओर देखा तो वहीं तीनों यानी वह बूढ़ा बुढ़िया और वो लड़का वेटिंग रूम के दरवाजे पर खड़े थे मैं उस बूढ़े आदमी को जवाब देना तो चाहता था मगर क्या बोलू यह समझ नहीं आ रहा था लिहाजा मैं वहां से उठकर उन दोनों से दूर जाने लगा अभी में उन लोगों की ओर देखते हुए चल ही रहा था तभी किसी ने मेरा हाथ पकड़ा और कारवां जाहिर है मनाया गया स्टेशन मास्टर है और में चलते हुए रेलवे ट्रैक में गिने जा रहा था जिसमें एक मालगाड़ी आ रही थी मैंने स्टेशन मास्टर को शुक्रिया किया और जब वेटिंग रूम की ओर देखा तो वो तीनों वहां से गायब थे देरी से में फिर उस वेटिंग रूम में नहीं किया और प्लेटफॉर्म में लगे
की बेंच पर ही लेट गया अगले पाँच से दस मिनट में ही में गहरी नींद में चला गया और फिर अगली सुबह ही मेरी आँख खुली मैं स्टेशन पर पहली बार भीड़भाड़ देखकर मुझे अच्छा लग रहा था खैर मैंने स्टेशन पर ही चाय पिया और फिर निकल पड़ा स्टील प्लांट की और में स्टील प्लांट पहुंचा और थोड़ी बातचीत के बाद मुझे अच्छा खासा बड़ा ऑर्डर मिल गया मगर इस भागदौड़ के दौरान तब शाम हो गई पता ही नहीं चला लेकिन जब मैं स्टील प्लांट से निकल रहा था तो तब तक पूरा अंधेरा हो चुका था वापसी की ट्रेन रात के साढ़े दस बजे की थी लिहाजा मैं थोड़ा खाना पीना करके स्टेशन पहुंचा और कल रात की तरह ही प्लेटफॉर्म में लगी एक बेंच पर बैठ गया जैसे जैसे रात घनी होती गई वैसे वैसे स्टेशन खाली होता गया एक वक्त ऐसा भी आया जब कल रात की तरह ही उस पूरे प्लैटफॉर्म पर मैं अकेला था मेरी ट्रेन भी अब कुछ ही मिनटों में आने को थी लेकिन तभी मेरी नाक में वहीं सड़ी गली से बदबू आने लगी मैं जानता था कि कौन होगा मैं पीछे मुड़ा तो पाया कि वहीं बूढ़ा बुढ़िया और लड़का है मगर इस बार उनके साथ वह तांगे वाला भी था जिसने मुझे कल रात वेटिंग रूम में रुकने की हिदायत दी थी तभी उस बूढ़े आदमी ने कहा रहे है और बेटा इससे पहले कि मैं कुछ बोल पाता ट्रेन का हॉर्न सुनाई पड़ी ट्रेन को देखने के बाद मैं जब उन लोगों की ओर पलटा तो उस बोले की आंखों से आंसू बह रहे थे और साथ ही वो लड़का और वह बुढ़िया भी रो रहे थे मैंने अपनी जेब से सौ का एक नोट निकाला और जैसे ही उस बोले के हाथ में थमाने के लिए उसका हाथ पकड़ा तो मैं दंग रह गया उसका हाथ किसी बर्फ की सिल्ली की तरह था पैसे थमाकर में बुजुर्ग के लिहाज से उनका पैर छूने के लिए जैसे ही नीचे झुका तो मेरे होश उड़ गए क्योंकि उस बुजुर्ग आदमी के पैर पीछे की ओर मुड़े हुए यानी उल्टे थे यही नहीं बल्कि उस बुढ़िया वो लड़का और उस तांगे वाले के पैर भी उल्टे थे मैं ठिठक कर पीछे हट गया और पता नहीं क्यों मैं उसी वक्त बेहोश हो गया पता नहीं कितनी देर बेहोश रहा लेकिन जब मेरी आँख खुली तो में स्टेशन मास्टर के कैबिन में था मुझे होश में आता देख स्टेशन मास्टर ने कहा आप वही अनार जो कल रात पटरी पर गिरने वाले थे इस पर मैंने अपना सिर हाथ हिलाते हुए स्टेशन मास्टर को सब कुछ बता दिया जिस पर उन्होंने अपनी कुर्सी के पास ग्रोवर में से एक अखबार निकाला और अखबार का एक पेज मेरे सामने करते हुए कहा कई लोग ऐसे तो नहीं दिखते हैं मैंने अखबार देखा तो उसमें उन दिनों के साथ उस तांगे वाले का भी फोटो था और साथ ही एक और लड़के का जिसके नीचे लिखा था लाश अभी तक मिली नहीं है और उस लडके की फोटो बिल्कुल मेरे जैसी थी तब स्टेशन मास्टर ने बताया कि दरअसल कुछ दिनों पहले तांगा समेत खाई में गिर जाने की वजह से इन सभी की मौत हो चुकी है और इनमें से जो लड़का मेरी तरह दिखता था उसकी लाश अभी तक नहीं मिली है सब जानकर मुझे अब उस बुजुर्ग का प्यार और अपने बेटे की तरह मानना सबकुछ समझ आ गया था तो दोस्तों यदि आज की कहानी अगर आपके पास भी ऐसी ही कोई कहानियां हैं तो हमारे साथ जरूर शेयर करें तो मैं आयरन जल्द ही मिलूंगा आपसे ऐसी ही एक कहानी के साथ
Thank for Reading ❣️