मेहनत करने से डरो मत।

एक बार की बात है पहाड़ी के नीचे बसे एक छोटे से गांव में एक जवान लड़का रहता था वह लड़का उस पूरे गांव में अपने आलस्य और कामचोरी के लिए प्रसिद्ध था सभी गांव वासी उसे आलसी कहकर ही पुकारते थे क्योंकि वह पूरे दिन एक पेड़ के नीचे पड़ा रहता झपकियाँ लेता और अपने भविष्य के बारे में अच्छे अच्छे सपने देखता उसके दिन ऐसे ही आलस्य में गुजर रहे थे लेकिन एक दिन उस गांव में एक बौद्ध भिक्षु पधारे जो कि अगले तीन दिनों तक उसी गांव में ठहरने वाले थी
बौद्ध भिक्षु गांव में भिक्षा मांगते दिन भर लोगों को उपदेश देते और रात्रि में गांव के बाहर बनी बौद्ध मठ में विश्राम करते बौद्ध भिक्षु जबकि भिक्षाटन के लिए जाते और भिक्षा लेकर वापस लौटते तो वह हर बार उस जवान लडके को उसी पेड़ के नीचे लेट हो पाते बौद्ध भिक्षु दो दिनों तक यह सब देखती रही और वह समझ गई कि यह लड़का मानसिक आलस्य का गुलाम है तीसरे दिन जब बौद्ध भिक्षु भिक्षा लेकर वापस लौट रहे थे तो वह उस लड़के के पास गए जो कि अभी भी उसी पेड़ के नीचे लेटा हुआ था भिक्षु ने लड़के से कहा बेटा मेरे पास तुम्हारे लिए एक काम है मैं चाहता हूं कि तुम उस पहाड़ी की चोटी तक जाओ और वहां से मेरे लिए एक पंख लेकर आओ लडके ने लेते लेते ही अपना सिर भारी की तरफ घुमाया और उसकी सबसे ऊंची चोटी तक अपनी नजर दौडाई उसके बाद उसने बौद्ध भिक्षु की तरफ देखा और उपहास उड़ाते हुए कहा यह असंभव है मैं उस पहाड़ी के शिखर तक नहीं जा सकता मैं बहुत आलसी हो बौद्ध भिक्षु ने मुस्कुराते हुए कहा अरे लेकिन मुझे जिस पंक की तलाश है वो इस पहाड़ी के शिखर पर भी नहीं मिलेगा वह तो इस पहाड़ी की दूसरी तरफ कि गुफा के अंदर मिलेगा
जिसके लिए इस पहाड़ी के शिखर तक चढ़कर दूसरी तरफ नीचे उतरना होगा लेकिन वह कोई साधन नहीं हैं ऐसा पंक तुमने आज तक नहीं देखा होगा वो एक बहुत ही दुर्लभ लेकिन सुंदर पंख है जो अपनी रोशनी बिखेरता है भिक्षु कि इन बातों से उस लडके के अंदर उत्सुकता जागी
आज से पहले ऐसे किसी पंख के बारे में कभी नहीं सुना था और ऐसे रोमांचक सफर के बारे में सोचकर वह अंदर से उत्साहित था इसीलिए उसने भिक्षु की चुनौती को स्वीकार करने का निश्चय किया और में पहाड़ी की तरफ चल पड़ा लेकिन चढ़ाई बहुत लंबी और कठिन थी जल्द ही लड़के का सईद थकने लगा सांस फूलने लगी और शरीर से काफी पसीना बहने लगा लेकिन फिर भी उसने चलना जारी रखा वह जैसे जैसे ऊपर और ऊपर चढ़ता गया उसे प्रसन्नता और उत्साह की अनुभूति होने लगी जिसे उसने आज से पहले कभी महसूस नहीं किया था अंततः जब वह कड़ी मेहनत और लंबे प्रयास के बाद पहाड़ी के शिखर पर पहुंचा तो वह पूरी तरह से थक चुका था लेकिन मैं बहुत खुश था उसे अंदर से आत्म संतुष्टि का अहसास हो रहा था उसके चेहरे पर युद्धों जैसी मुस्कान थी
जैसे उसने को युद्ध जीत लिया हो उसने पहाड़ी के शिखर से नीचे देखा उसके सामने एक बहुत ही मनमोहक दृश्य था उसने अपने अंदर एक उपलब्धि की भावना महसूस की जो उसने आज से पहले कभी नहीं की थी लेकिन असली चुनौती आगे थी लडके को पहाड़ की दूसरी ओर उतरना था और उस गुफा को होना था जहां पंक्ति मिलने की बात कही गई थी नीचे उतरना और भी ज्यादा मुश्किल वह खतरनाक था क्योंकि ढलान ज्यादा खड़ी थी और चढ़ाई के समय लड़का कई बार लड़खड़ाया और गिरा भी था तो वह डर भी उसके अंदर था लेकिन भिक्षु को पंख लाकर देने के वादे की वजह से वह लगातार आगे बढ़ता रहा काफी खोज मशक्कत और कड़ी मेहनत के बाद जब
अंत में गुफा तक पहुंचा तो उसने देखा कि पंक वहीं पड़ा हुआ था जो गुफा के प्रवेश द्वार से छनकर आ रही रोशनी में चमक रहा था उसने पंख उठाया लेकिन उसकी सुंदरता को देखकर अचंभित रह गया वह काफी देर तक पंखों को ही घूमता रहा लेकिन फिर अचानक उसे याद आया कि अभी तो उसे वापस भी जाना है उसने खुद की तरफ देखा वह पूरी तरह से थक चुका था वह चिंतित हो गया कि उन्हें पहाड़ पर कैसे चढ़ेगा और भिक्षु तक पंख कैसे पहुंचाएगा एक पल के लिए उसने हार मानने के बारे में सोचा लेकिन फिर उसे वह उपलब्धि पर गर्व की भावना याद आ गई है जो ने पहाड़ी के शिखर पर पहुंचने पर महसूस की थी उसे एहसास हुआ कि उसके अंदर इस सफर को दोबारा पूरा करने की ताकत और दृढ़ संकल्प है वह दोबारा पहाड़ी पर चढ़ने लगा उसकी मांसपेशी में दर्द हो रहा था पैर कांप रही थी फेफड़े फटी जा रही थी वह कई बार लड़खड़ा कर गिर भी पड़ा लेकिन उसने हार नहीं मानी वह खुद को आगे बढ़ाने के लिए लगातार प्रेरित करता जा रहा था अथक प्रयास और घंटों की कड़ी मेहनत के बाद अंततः जगह बौद्ध भिक्षु के पास पहुंचा और उनके हाथों में वह पंख रखा तो उसकी खुशी का ठिकाना न रहा उसे महसूस हुआ कि आज उसने अपने आलस्य पर काबू पा लिया है और कुछ महत्वपूर्ण करके दिखाया है उसके चेहरे पर इतनी खुशी और संतुष्टि का भाव देखकर बौद्ध भिक्षु मुस्कुराई और बोली बहुत बढ़िया मेरे बच्चे आज तुमने जीवन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण सबक सीखा है कि आलस्य कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे स्वीकार कर लिया जाए ये सहन किया जाए आलस्य एक चुनौती है जिसे दूर कर ना होगा यह एक बाधा है जिसे पार करना होगा और आलस्य को खत्म करने के लिए तुम्हें अपना पहला कदम उठाना ही पड़ेगा अपने लक्ष्य की ओर चलना ही पड़ेगा और तब तक चलते रहना पड़ेगा जब तक तू अपनी मंजिल को हासिल नहीं कर लेते लडके ने भिक्षु के शब्दों की गहराई और उसके महत्व को समझते हुए हमें अपना सिर हिला दिया आज उसे एहसास हुआ कि वे हमेशा से ही बड़ी और महान चीजों को करने में सक्षम था लेकिन उसके आलस्य ने उसे रोक रखा था अब मैं जानता था कि उसके पास अपने रास्ते में आने वाली किसी भी बाधा को दूर करने की ताकत और दृढ़ संकल्प है इसके बाद भिक्षुओं ने उस लड़के को आशीर्वाद दिया और उस गांव से चले गए इस कहानी से सीखने वाली बात यह है कि जब हम असंभव लगने पर भी अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए खुद को आगे बढ़ाते हैं तब हम अपने भीतर एक ऐसी ताकत और दृढ़ संकल्प की खोज करते हैं जिसके बारे में हम पहले कभी नहीं जानते थे आलस्य पर काबू पाने के लिए हमें खुद को चुनौती देनी चाहिए और बड़ी व महत्वकांक्षी लक्ष्य बनानी चाहिए फिर चाहे वह लक्ष्य कितने ही मुश्किल क्यों ना हो हमें लगातार खुद को अपनी शारीरिक और मानसिक सीमाओं से परे धकेलते रहना चाहिए और असफलताओं व बाधाओं का सामना करने पर भी अंदर से मजबूत बने रहना चाहिए हमें अपने लिए एक नियम बनाकर और उस पर टिके रहकर अपनी दैनिक आदतों और दिनचर्या में अनुशासन और निरंतरता भी विकसित करनी चाहिए हम कुछ ऐसी अच्छी आदतें बना सकते हैं जो हमें मन न लगने पर भी ध्यान केंद्रित करने और क्रियाशील बने रहने में मदद करती हैं एक और महत्वपूर्ण बात आलस पर काबू पाने का मतलब विकास की मानसिकता विकसित करना है इसका मतलब चुनौतियों और असफलताओं को विकास और सीखने के अवसरों के रूप में देखना न की हार मानने के कारण के रूप में विकास की मानसिकता को अपनाकर हम सफलता के बारे में अपनी सोच को नया रूप दे सकते हैं और इसका अपने सुधार व सीखने के लिए उपयोग कर सकते हैं और अंत में हमें अपने आलस्य पर काबू पाने के लिए अपने आराम को छोड़कर जीवन की चुनौतियों और अवसरों को स्वीकार करना ही पड़ेगा
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