School Exam - Horror Stories in Hindi।

एग्जाम ये शब्द शायद किसी हॉरर स्टोरी से भी ज्यादा डरावना है आज की कहानी भी इसी शब्द से जुड़ी है पुनीत और करण बचपन से ही बहुत अच्छे दोस्त थे नर्सरी से लेकर लेविन क्लास तक एक ही क्लास में पढ़ते आए थे और वो दोनों ही बचपन से पढ़ाई में थोड़े कमजोर थे पर दोनों स्पोर्ट्स में बहुत अच्छे थे पुनीत स्कूल की फुटबॉल टीम का कैप्टन था और करण विस्तृत बैडमिंटन चैंपियन था टूर्नामेंट में बिजी रहने की वजह से दोनों को ही पढ़ाई करने का बहुत ही कम टाइम मिलता था पूरा साल कैसे निकल गया उन्हें पता ही नहीं चला और अब उनके फाइनल एग्जाम शुरू होने में सिर्फ दस दिन बचे थे उन दोनों का उन एग्जाम में पास होना बहुत जरूरी था क्योंकि अगर वह फेल होते उनके पेरेंट्स उनके सारे स्पोर्ट्स छुड़वा देते पुनीत और करण पढ़ने की कोशिश भी कर रहे थे लेकिन पढ़ाई में उनका मन ही नहीं लग रहा था एग्जाम में फेल होने का डर उन्हें सताए जा रहा था ऐसा ही करते करते नौ दिन और बीत गए और अब भी दोनों के बहुत ही बुरे हाल थे अगली सुबह एग्जाम था
और न तो पुनीत और न ही करण को कुछ भी आता था तभी पुनीत के दिमाग में एक आईडिया आया उसने करंट से कहा कि उस आइडिया में बहुत रिस्क है लेकिन अब बस वही तरकीब थी जो उन्हें कल के पेपर में पास करा सकती थी
उनके स्कूल प्रिंसिपल का बेटा योगेश पुरोहित का बहुत अच्छा दोस्त था उसने योगेश को रात को फोन करके उससे उसकी मम्मी की ऑफिस की चाबी मांगी योगेश ने दोस्ती निभाते हुए अपने घर की बालकनी से चाबी नीचे फेंककर पुनीत और करण को स्कूल के प्रिंसिपल ऑफिस की चाबी दे दी उन्हीं और करण का प्लान बहुत सिंपल सा था
वह जानते थे कि एग्जाम से एक दिन पहले ही क्वेश्चन पेपर प्रिंसिपल ऑफिस में आ जाता था
उन्हें बस वही पेपर ढूंढकर उसके क्वेश्चन्स कॉपी करके घर लाने थे पर वो नहीं जानते थे कि उनका सीधा सा दिखने वाला प्लान उन्हें कितना उल्टा पड़ने वाला था जैसे तैसे करके वह स्कूल की दीवार टॉप कर स्कूल के अंदर घुस गए रात के अंधेरे में स्कूल अपने आप में बहुत ही डरावना लग रहा था वहां स्कूल गार्ड के अलावा और कोई भी नहीं था वह स्कूल गार्ड से छुपते हुए प्रिंसिपल ऑफिस तक पहुंचे और पुनीत चाबी से लोग को खोलने लगा कि तभी करण को अपनी गर्दन पर खड़ी ठंडी हवा महसूस हुई उसने अपने बाई तरफ देखा तो उसे ऐसा लगा कि जैसे कॉरिडोर के एंड में कोई खड़ा उन्हें देख रहा है करण उन्हीं को बुलाने के लिए और जब उन दोनों ने वहां पर देखा तो उस कॉरिडोर में कोई भी नहीं था पुनीत ने करण की बात को नजरअंदाज किया और ऑफिस का ताला खोलकर वह दोनों तुरंत ऑफिस के अंदर घुसकर वो दोनों ऑफिस में उस क्वेश्चन पेपर को ढूंढने में लग गए तभी उन दोनों के सामने कुछ ऐसा हुआ जिससे उन दोनों के होश उड़ गए ऑफिस में रखिए कलमाड़ी का दरवाजा खुद ब खुद खुल गया है पुनीत और करण ने घबराते हुए दूसरे को देखा लेकिन तभी करण का ध्यान अलमारी में रखे एक पेपर पर गया पर ने उसे उठाकर देखा तो कल सुबह होने वाले एग्जाम का ही क्वेश्चन पेपर था पेपर को देखने की एक्साइटमेंट ने करण और पुनीत दोनों ही भूल गए कि अभी क्या हुआ था और रोज पेपर के क्वेश्चन्स कॉपी करने लग गए तभी अचानक से प्रिंसिपल के दरवाजे पर किसी ने नौ किया दरवाजे पर नॉक्स उनका पुनीत और तरह का तेल उनके मुंह में आ गया उन्हें लगा कि शायद योगेश ने प्रिंसिपल नाम को बता दिया है और वो उन्हें रंगे हाथों पकड़ने यहां आ गई है वो दोनों बिना किसी आवास किए प्रिंसिपल देश के नीचे छुप गए दरवाजे पर हो रहे अब तक धीरे धीरे बढ़ती जा रही थी प्रीत और करण डरी सहमी बस वहीं छुपे रहे.देखते ही देखते कोई उस दरवाजे को अब जोर जोर से पीटने लगा था ऐसा लग रहा था कि वो दरवाजा बस अब ही जाएगा पर तभी एकदम से सन्नाटा हो गया दरवाजे पर हो रही तक एकदम से बंद हो गई पुनीत इंटरनेट डेस्क के पीछे से उठकर दरवाजे पर नजर डाली और उसकी आंखों के सामने दरवाजा धीरे धीरे लगा
उधर दरवाजा पूरा खुल गया पर दरवाजे की उस ओर कोई नहीं था जो कुछ भी हो रहा था पुनीत और करण की समझ से परे था बस उस एग्जाम पेपर के क्वेश्चन्स कॉपी कर कर वहां से निकलना चाहते थे और उनका वहां से निकलना इतना आसान नहीं होने वाला था पुनीत और करण ने देश के नीचे बैठे बैठे ही क्वेश्चन्स कॉपी करना शुरू कर दिया जितने भी क्वेश्चन्स कॉपी हो सकते थे उतने क्वेश्चन्स उन्होंने कॉपी किए और उस रूम से बाहर भागने लगे पर वह जैसे ही कमरे से निकलने लगे उनका पैर कहीं अटका और दोनों ही मुंह के बल नीचे गिर गए गिरने पर करण की नाक पर बहुत जोर से चोट लग गई और उसकी नाक से खून बहने लगा वो झटका उसे इतनी जोर से लगा कि करंट देखते देखते ही वहीं बेहोश हो गया पुनीत कदम को देख ही रहा था तभी उसे अपने पीछे कुछ महसूस हुआ
उसने जमीन पर लेटे लेटे ही अपनी गर्दन को घुमाया तो उसे अपने पास नीले सधे हुए दिखे उन पेड़ों में पास पड़ी हुई थी और वो देखने में बहुत ही ज्यादा भयानक लग रहे थे करण ने हिम्मत करके नजर आई तो वहाँ एक आदमी खड़ा था जिसने उनके स्कूल के पीएम जैसे कपड़े पहने थे
उसका मुँह इतना सफेद था जैसे उसके शरीर में कोई ही ना हो उसे देखकर ही उन्हीं की चीख निकल गई उस आदमी की दोनों आंखें पूरी तरह से सफेद और वो बिना कुछ बोले बस वहां खड़ा हुआ था इससे पहले कि पुनीत कुछ कर पाता उस भयानक आदमी ने अपने हाथ में पकड़ा बाइक पर सीधा पुनीत के सर पर दे मारा और पुनीत वहीं गिरकर बेहोश हो गया प्रभु भयानक आदमी कहीं गायब हो गया अगली सुबह जब स्कूल गार्ड को कॉरिडोर में दो बच्चे बेहोश मिले तो बहुत हाहाकार मच गया उस दिन का पेपर कैंसिल हो गया और प्रिंसिपल को पुनीत और करण की चोरी के बारे में भी पता चल गया पुनीत और करण को उस दिन की शाम को जाकर होश आया और वो हड़बड़ाहट में अपने साथ हुआ हादसा बताने लगे तभी उनके प्रिंसिपल ने उन्हें बीच में ही रोक दिया उन्होंने कहा कि स्कूल में भूत प्रेत जैसा कुछ नहीं है उनकी बात को काटकर प्रिंसिपल ने उनसे कहा कि उन्होंने जो किया है उसके लिए उन्हें सजा मिलेगी पुनीत और करण को इलेवन क्लास रिपीट करने को कहा गया पर पुनीत और करण उस रात को भूल नहीं पाते उन्होंने सब लोगों को अपने साथ हुआ हादसा कई बार बताया लेकिन सब सिर्फ उनका मजाक उड़ाते रहे फिर एक दिन एक पुराने स्कूल के गार्ड ने उन्हें बताया कि करीब बीस साल पहले एक स्कूल पीएम की क्लासरूम में सफाई करते हुए मौत हो गई थी उस गार्ड ने यह भी बताया कि अब उस क्लास रूम की जगह पर प्रिंसिपल का ऑफिस बन गया है पुरुष पीएम की मौत के बाद उस पीएम को कभी देखा नहीं गया और न ही कोई भूटिया के साथ उस गार्ड को कभी सुनने में आया लेकिन उस गार्ड की बात को सुनकर पुनीत और करण की हालत खराब हो गई वह इतना डर गए कि उन्होंने अपने पेरेंट्स से बहुत जिद करके वह स्कूल छोड़ दिया
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