धीरे धीरे रे मना धीरे ही सब कुछ हुए माली सींचे सौ घड़ा ऋतु आई फल हुए दोस्तों कबीर दास जी का यह प्रसिद्ध दोहा यह कहना चाहता है कि इंसान को अपने मन में हमेशा धैर्य रखना चाहिए
क्योंकि सब कुछ धीरे धीरे की होता है अगर कोई माली एक ही दिन में किसी पौधे को सौ घड़े पानी से भी सीज दे तभी फल तो मौसम आने पर ही लगेंगे इसीलिए जीवन में बड़ी सफलताओं का स्वाद चखने के लिए इंसान के भीतर धैर्य का होना बेहद आवश्यक है चाहे जॉब में करियर बनाना हो बिजनेस सेट करना हो या फिर अपने सपनों को पूरा करना हो सब्र सफलता के सफर में मील के पत्थर का काम करता है आज की भागदौड़ भरी दुनिया में जहां हम दो मिनट में बन जाने वाली मैगी की तरह सब कुछ जल्दी से हासिल कर लेना चाहते हैं जिसके चलते सब्र और धैर्य जैसे कॉन्सेप्ट कहीं पीछे छूटते जा रहे हैं आज की इस कहानी में हम धैर्य और बड़ी सफलताओं को हासिल करने में धैर्य यानी पेशेंस कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है इस बारे में विस्तार से जानेंगे एक कहानी के माध्यम से एक बार एक व्यक्ति एक महात्मा जी के पास जाता है और उसे कहता है मुनिवर मेरे साथ एक बहुत बड़ी समस्या है कि मैं किसी एक लक्ष्य पर लंबे समय तक टिक नहीं पाता हूँ मैं अक्सर उत्साह में आकर अपने लिए कोई एक लक्ष्य निर्धारित कर लेता हूं और कुछ समय तक उस पर काम भी करता हूं लेकिन कुछ समय पश्चात जब मुझे मनचाहे परिणाम नहीं मिलते तो मेरा मन उस काम से ऊबने लगता है भटकने लगता है फिर मैं उस काम को छोड़कर किसी दूसरे काम को अपना लक्ष्य बना लेता हूँ और फिर उस लक्ष्य के साथ भी यही होता है जब मुझे उसने भी अपने मनचाहे परिणाम नहीं मिलते तो मैं उसे भी छोड़ देता हूं और किसी तीसरे काम को अपना लक्ष्य बना लेता हूं और सालों से मेरे साथ यही होता रहा है मुझे यह भी पता है कि अपने बार बार लक्ष्य बदलने की आदत की वजह से ही में आज तक किसी भी काम में सफल नहीं हो पाया हूँ लेकिन मैं क्या करूं बहुत प्रयास करने के बाद भी मैं अपनी इस आदत को छोड़ नहीं पा रहा हूँ मुनिवर मैं आपके पास बड़ी उम्मीद लेकर आया हूँ कृपया मुझे कोई ऐसा तरीका बताएं जिससे मैं अपनी इस आदत को छोड़कर एक लक्ष्य पर तब तक टिका रह सकूं जब तक मैं उस लक्ष्य को हासिल न करो महात्मा जी ने उस व्यक्ति की बात पूरी ध्यान सुनी और फिर कहना शुरू किया सब्र का फल मीठा होता है यह प्रसिद्ध मुहावरा तो तुमने सुना ही होगा जिसका अर्थ है धैर्य के साथ काम करने से परिणाम अच्छे मिलते हैं लेकिन यह जरुरी तो नहीं कि परिणाम हर बार हमारी उम्मीद के अनुसार और अच्छे ही हूँ बहुत बार ऐसा होता है कि हमारी सारी कोशिशों के बावजूद कुछ न कुछ कमी रह जाती है और परिणाम हमारी उम्मीदों को पूरा नहीं करता ऐसी स्थिति में ज्यादातर लोग अपना धैर्य खो देते हैं जबकि ऐसे समय में ही इंसान के धैर्य की असली परख होती है सब्र का टूट जाना अक्सर एक आम बात है और यह तब होता है जब चीजें उतनी जल्दी नहीं होती जितना हम चाहते हैं लेकिन
यह आदत अम्बा तभी तक है जब एक निश्चित समय के लिए हो और इससे होने वाले नुकसान कम हो बार बार और जल्दी जल्दी अपने धैर्य को खोना हमें शारीरिक और मानसिक रूप से नुकसान पहुंचाता है साथ ही यह हमारे सामाजिक जीवन को भी बर्बाद कर सकता है क्योंकि बार बार अपना सब्र खोने से लोगों का हम पर से विश्वास पूरी तरह खत्म हो जाता है ज़ाहिर सी बात है ऐसी मानसिकता के साथ तो अपने लक्ष्य पर केंद्रित कैसे रह पाओगे और आज के इस भागदौड़ भरी जिंदगी में जहां मन को भटकाने वाली इतनी सारी चीजें हैं ऐसी स्थिति में लंबे समय तक किसी एक कम पर अपने ध्यान को लगाई रख पाना मुश्किल होता जा रहा है तो फिर इसका समाधान क्या है इसका समाधान है मन को शांत रखने का प्रयास और जागरुकता का अभ्यास करना जागरुकता यानी मन को वर्तमान में स्थिर और केंद्रित रखना वर्तमान में जो कुछ भी हो रहा है उसमें डूब जाना खो जाना लीन हो जाना ही जागरुकता है ध्यान है इसमें अतीत या भविष्य से ध्यान हटाकर पूरी तरह वर्तमान में रहना होता है और तुम जो कुछ भी कर रहे हो उसे पूरी तरह से महसूस करना है यह एक ऐसा अभ्यास है जिसे नियमित रूप से करने से तुमसे जिंदगी के हर पहलू में लागू कर सकते हो जागरुकता और ध्यान का अभ्यास करने के कई गजब की शारीरिक और मानसिक फायदे होते हैं जैसे इसके नियमित अभ्यास से अच्छी नींद आती है तनाव कम होता है इंसान पूरे इन हल्का और खुश महसूस करता है साथ ही मन शांत रहता है और एकाग्रता बढ़ती है जिससे लोग अपने काम पर अच्छे से ध्यान दे पाते हैं ध्यान और जागरुकता का महत्व और इसके फायदों के बारे में जानने के बाद अब अगला प्रश्न उठता है कि जागरुकता का अभ्यास कैसे करना है और कौन सी जरुरी बातों का ध्यान रखना है तो सबसे पहले तुम्हें एक मजबूत इरादा बनाना चाहिए और इसके फायदों को ध्यान में रखते हुए तुम्हें ये अच्छे से पता होना चाहिए कि तुम जागरूकता या ध्यान का अभ्यास क्यों करना चाहते हो जब इसके पीछे कोई मजबूत कारण होगा तभी तुम इस अभ्यास को लंबे समय तक कर पाओगी जैसे किसी के लिए ये कारण अपना तनाव कम करना हो सकता है तो कुछ लोगों के लिए अच्छी नींद आना तो सबसे पहले तुम्हें यह तय करना है कि ध्यान या जागरुकता के अभ्यास के पीछे का तुम्हारा अपना कारण क्या है अब जब तुमने तय कर लिया कि तुम्हें अभ्यास क्यों करना है तो सबसे पहले तुम्हें अपने अतीत और भविष्य के फालतू विचारों को बाहर का रास्ता दिखाना है तुम्हें यह पता होना चाहिए कि तुम्हारी पूजा अतीत के लिए पश्चाताप कि भविष्य की चिन्ता करने के लिए नहीं हैं बल्कि अपने वर्तमान पर ध्यान देकर अपने जीवन को एक नई दिशा देने के लिए है तुम्हें अपने आज के लक्ष्यों पर ध्यान देकर अपने भविष्य की बागडोर अपने हाथों में लेनी है अब यहां जागरुकता के अभ्यास में दूसरी बात आती है ध्यान देने की यानी खुद को एकाग्रचित करने की और इसके कई तरीके हैं पहला तुम किसी शांत जगह पर आरामदायक स्थिति में बैठ जाओ और अपनी आती जाती सांसों पर ध्यान दें कि कैसे सांस तुम्हारी नाक से तुम्हारे शरीर के अंदर जा रही है और फिर कैसे बाहर निकल रही है सारा ध्यान
सिर्फ इसी पर लगाना है दूसरा तरीका है कि तुम शांति से बैठकर अपने मन में चलने वाले विचारों पर ध्यान दे सकते हो तो मन में चल रही विचारों को सिर्फ देखना है किसी विचार को पकड़ना नहीं है विचार आएंगे और गायब हो जाएंगे तो बस देखना है सड़क के किनारे बैठे उस आदमी की तरह जो वहां से आते जाते राहगीरों को ठीक रहा है लेकिन किसी को रुक नहीं रहा या कुछ लोग अपने भगवान यह मंत्रों का जाप करते हैं जिसका जहाँ मन लगे या जिसके लिए जो तरीका काम करें सभी सही है पर यहां सबसे महत्वपूर्ण बात है ध्यान देने की एकाग्रचित रहने की फिर चाहे वो किसी भी तरीके से हो इसी तरह जागरूकता का अभ्यास करने का एक और जबरजस्त का है और वो है अभी वर्तमान में तुम्हारे आसपास जो कुछ भी हो रहा है उस पर ध्यान देना जैसे किसी चीज की आवाज सुगंध हवा या फिर तुम कहीं चल रहे हो तो उसके आसपास की हर एक चीज पर बारीकी से ध्यान दो ऐसे ही अगर कुछ खा रहे हो तो उसका स्वाद आकार रंग सुगंध हर एक को देखती और महसूस करते हुए उसे खाना इस तरह अपनी सारी इंद्रियों की मदद से जागरुकता का अभ्यास बड़े ही शानदार तरीके से किया जा सकता है इसमें अलग से किसी शांत जगह जाने की जरूरत नहीं बल्कि जो कुछ भी तुम कर रहे हो बस उसे महसूस करना है अपनी जिंदगी में हर इंसान कभी न कभी ऐसी स्थिति में जरूर पहुंचा
का है जहां उसे लगता है कि वह अटक चुका है उसे आगे कोई रास्ता नजर नहीं आता उसकी सफलता रुक सी जाती है असल में हम कितने ही सटीक योजना बना ली कुछ बाहरी परिस्थितियां हमारे हाथ में नहीं होती या फिर कभी हम अपनी क्षमताओं का सही अनुमान नहीं लगा पाते और ऐसे लक्ष्य तय कर लेते हैं जो उस समय हम
मारी लिए हासिल कर पाना लगभग असंभव होता है तो ऐसी स्थिति में सब कुछ छोड़ देने का मन करता है इसी वजह से ज्यादातर लोग लक्ष्य को निर्धारित कर लेते हैं लेकिन अपनी योजना पर लंबे समय तक काम नहीं कर पाते और हार मानकर अपना लक्ष्य बदल देते हैं या फिर योजना जबकि बहुत बार ऐसे पलों में बस एक धक्के की जरूरत पड़ती है जो हमें फिर से उत्साहित कर सके जब किसी काम में हमारी प्रगति हमारी उम्मीद से कम होती है या फिर नहीं होती तब हम सबसे पहले उस काम को ही छोड़ देना चाहते हैं यह स्वाभाविक है क्योंकि यही सबसे आसान काम लगता है उस समय लेकिन यही बात सबसे खतरनाक भी है क्योंकि अगर बार बार हार मान
लेने की आदत पड़ गई तो फिर किसी भी काम में सफल होना तुम्हारे लिए बहुत मुश्किल हो जाएगा ऐसी स्थिति में तुम्हें अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है सबसे पहले जो हो रहा है उसका सही मूल्यांकन करना गलतियों का पता लगाना और फिर उसके हिसाब से योजनाओं को नए तरीके से बनाने की जरूरत होती है भविष्य की चिंता छोड़कर वर्तमान के काम पर अपना ध्यान लगाना और मन लगाकर अपने काम को पूरी जागरुकता के साथ करना तुम्हें फिर से अंदर से उत्साह से भर देगा तुम्हें इस बार आठ को हमेशा याद रखना है कि मुश्किलें और असफलताएं भी जिंदगी का एक हिस्सा है यह हमें कुछ नया सिखाते हैं और हमारे व्यक्तित्व निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं अपनी मानसिकता को एक नई सोच देकर तुम सफलता के बीच में आने वाली छोटी छोटी असफलताओं को एक मौखिक रूप में देख सकते हो तुम्हें अपने अंदर एक सकारात्मक मानसिकता विकसित करनी चाहिए जो भविष्य में आने वाली चुनौतियों के लिए तुम्हें मानसिक रूप से तैयार रखेगा तो अपने सोचने का नजरिया बदल कर अपनी परिस्थितियां बदल सकते हो हमेशा ऐसे लक्ष्य तय करो जो हासिल किए जा सकते हैं अक्सर असफलता या आगे न बढ़ पाने का एक बड़ा कारण यह भी होता है कि व्यक्ति खुद से ऐसी ऐसी उम्मीदें पाल लेता है जिसे पूरा कर पाना बहुत मुश्किल होता है और फिर में जल्दी ही निराश और उदास हो जाता है
अगर तुमने समाज या घरवालों के दबाव में आकर कोई ऐसा लक्ष्य तय कर लिया जो न तो वास्तविक है और ना ही पाने योग्य हैं तो फिर तुम उसे पाने के लिए चाहे कितनी अच्छी योजना बना लो सफलता मिलने की संभावना बहुत कम होगी हम अपने आसपास देखते हैं कि लोग सालों साल अवास्तविक लक्ष्य बनाकर उसके पीछे बर्बाद कर देते हैं और आखिरकार एक दिन थक कर हार मान लेते हैं जबकि अगर सही योजना और कड़ी मेहनत के बाद भी तुम्हें उचित परिणाम नहीं मिल रहे हैं तो फिर तुम्हें अपने लक्ष्य में कुछ बदलाव करने की जरूरत है और ऐसा करने से तुम किसी से कमतर नहीं हो जाते हम सब अलग हैं हमारे अंदर अलग अलग विशेषताएं हैं हमारी सोच अलग है हमारी की हालत थी हमारे अपनी अलग हैं इसीलिए किसी की देखा देखी किसी की नकल न करके किसी के दबाव में न आकर तो अपने लिए वो लक्ष्य बनाओ जो तुम्हारे लिए सबसे सही हो तभी तो अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकते हो और इसमें सफल होने की सबसे ज्यादा संभावना भी है जब लोगों को उम्मीद के अनुसार परिणाम नहीं मिलते तो भूल जाते हैं कि उन्होंने यह लक्ष्य क्यों बनाया था अपने लक्ष्य हासिल करने के लिए जब हम योजना बनाते हैं तो इसके पीछे दो प्रमुख कारण होते हैं एक आंतरिक और दूसरा बाहरी जब किसी भी काफी प्रगति धीमी पड़ जाए यह तुम्हारा आगे उस काम को करने का मन न करें या फिर तुम हार मान लो कि मुझसे नहीं होगा ऐसी स्थिति में तुम्हें अपने क्यों को याद करना है
कि तुमने यह लक्ष्य क्यों बनाया था खुद को याद दिलाना है कि अगर तुम हार मान लोगे तो इससे तुम्हारे अपने और तुम से जुड़े लोगों के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा अपने लक्ष्य के पीछे की मजबूत कारण को याद करना तुम्हें ऐसी स्थिति में हौसला देगा जब तुम हार मानने वाले होगी हमारी उम्मीद यह बताती है कि जो काम हम कर रहे हैं उसका परिणाम कैसा होना चाहिए हम कितनी और कैसी उम्मीद रखेंगे या बहुत सी चीजों पर निर्भर करता है जैसे हमारे अतीत के अनुभव समाज की राय बाहरी परिस्थितियों के आदि शामिल है तुमने भी अनुभव किया होगा कि जब तुम्हारे परिवार समाज या आसपास के लोग अच्छा कर रहे होते हैं तो तुम्हारे ऊपर भी उनसे अच्छा करने का तनाव बढ़ने लगता है लेकिन ऐसी स्थिति में तुम्हें किसी की देखा देखी या दबाव में आकर कोई काम नहीं करना चाहिए बल्कि अपनी काबलियत समय परिस्थिति जानकारी के अनुसार ही अपना लक्ष्य तय करके उस पर काम करना चाहिए वैसे भी इस दुनिया में सब के सारे सपने पूरे हो ते हैं लेकिन उम्मीद पूरी न होने की स्थिति में कुछ लोग टूट जाते हैं और हार मान लेते हैं जबकि वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग नए सिरे से नए जोश के साथ उस काम को पूरा करने में जुट जाते हैं कभी सोचा है ऐसा क्यों होता है कि एक ही परिस्थिति में लोग इतनी अलग अलग प्रतिक्रिया क्यों देते हैं क्योंकि हम सब एक दूसरे से अलग हैं हमारी सोच और क्षमताएं अलग अलग हैं वैसे उम्मीद अपेक्षा रखना गलत नहीं है क्योंकि यह हमें अंदर से उत्साहित और जोशीला बनाये रखती है लेकिन जरूरत से अधिक उम्मीद और अपेक्षा रखना चिंता और तनाव का कारण बन सकती है इसीलिए हमारी अपेक्षाएं हमेशा वास्तविक होनी चाहिए क्योंकि निराशा का सबसे बड़ा कारण होता है अवास्तविक लक्ष्य बना लेना तुम्हें अपने लक्ष्य तय करने से पहले अपनी योग्यता जानकारी पसंद परिस्थितियां समय और उपलब्ध संसाधन पर ध्यान देना चाहिए और उसी के अनुसार अपने लक्ष्य में आना चाहिए ताकि तो अपनी क्षमताओं और जानकारियों का सही उपयोग करके अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सको न कि किसी की देखा देखी या प्रभाव में आकर खुद को ऐसे काम छोड़ दो जिसके लिए तो ही बाद में पछताना पड़े श्रीमद् भगवद गीता में कहा गया है कि कर्म करो फल की चिंता मत करो यानि किसी परिणाम के लालच में काम न करें बल्कि उसके सफर का भी आनंद उठाएं परिणाम मिलने में समय लगता है और बहुत बार वह हमारी उम्मीदों से मेल नहीं खाता लेकिन जब हम उस काम की प्रक्रिया में खुशी महसूस करना शुरू कर देते हैं
तब हम अपना सर्वश्रेष्ठ कर रहे होते हैं फिर वह कम हमारे लिए काम नहीं बल्कि आनंद का स्रोत बन जाता है सफलता की राह पर अक्सर उतार चढ़ाव आते ही रहते हैं बहुत सी मुश्किलों और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है इसी तरह बहुत बार परिणाम तुम्हारी सोच के बिल्कुल विपरीत होगा लेकिन अगर तुम्हें उस काम को करने में ही आनंद आ रहा है तो तुम उदास और हताश होने से बच जाओगे कहते हैं कि जिंदगी का क्या भरोसा कब किस मोड़ पर लिए आए जीवन पूरी तरह से अनिश्चित है और हमेशा हमारी योजना के अनुसार चीजें नहीं हो सकती क्योंकि इसमें बाहरी परिस्थितियां भी अपना असर डालती हैं जिन पर हमारा कोई वश नहीं चलता इसलिए जरुरी है कि हमारी उम्मीदों में थोड़ा लचीलापन हूं हमें किसी भी तरह की अनचाही परिणाम के लिए लिए हमेशा मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए इसी अचानक परिस्थितियां बदलने पर व्यक्ति को सदमा नहीं लगता और वह सकारात्मक सोच के साथ आगे आने वाली चुनौतियों का डटकर सामना कर सकता है धैर्य टूटने और निराशा में डूबने का अगला सबसे बड़ा कारण है दूसरों से अपनी तुलना करना क्या चीते की रफ्तार की तुलना हाथी की चाल से करके इन दोनों में से किसी एक को दूसरे से कम समझना सही है क्या सिर और मगरमच्छ की तुलना की जा सकती है ये दोनों ही अपने क्षेत्र के धुरंधर हैं ऐसे ही हम सभी एक दूसरे से अलग है हमारा व्यक्तित्व अलग है इसीलिए तुलना किसी प्रकार से फायदेमंद नहीं होती हर किसी का अतीत अलग था परिस्थितियां अलग थी परवरिश अलग थी दूसरों से बेवजह की तुलना करना हमें तनाव में डाल सकता है जो हमारे काम और स्वास्थ्य दोनों के लिए सही नहीं है इसीलिए दूसरों से अपनी तुलना करने की बजाय अपने काम पर ध्यान लगा लक्ष्य हासिल करने की दिशा में मनचाहे परिणाम न मिलने पर कभी खुद को दोष मत दो खुद के प्रति ज्यादा कठोर होना भी सही नहीं है क्योंकि लगातार खुद को दोष देते रहने से हालात बदलेंगे नहीं बल्कि तुम्हारा आत्मविश्वास और आत्मसम्मान बुरी तरह से प्रभावित होगा जिसका परिणाम यह होगा कि तुम फिर नए तरीके से शुरुआत करने में खुद को बेबस महसूस करोगे कहते हैं जैसा इंसान सोचता है एक दिन वैसा ही बन जाता है इसलिए यह जरूरी है कि हम इस बात को लेकर जागरूक रहें कि हमारे मन में किस तरह का ख्याल ज्यादा आते हैं खासतौर पर सोने से ठीक पहले और सुबह उठने के ठीक बाद आने वाली विचार हमारी जिंदगी बदल देने वाले होते हैं क्योंकि रात में सोने से पहले हम जो सोचते हैं हमारा अवचेतन मन पूरी रात उस पर काम करता है कबीर दास जी ने एक बार कहा था कि निंदक नियरे राखिए आंगन कुटी छवाय बिन पानी साबुन बिना निर्मल करे सुभाय यानी हम अपने आसपास ऐसे लोग जरूर रखनी चाहिए जो बिना किसी डर संकोच और लाग लपेट के पूरी ईमान से हमें हमारी गलतियों और कमजोरियों के बारे में बता सकें लेकिन इसमें ध्यान देने वाली बात यह है कि वह हमारे शुभचिंतक होनी चाहिए हमें सही से समझनी चाहिए क्योंकि सिर्फ तारीफ करके अपना काम निकलवाने वाले लोग हमें गलत रास्ता दिखा सकते हैं वहीं सिर्फ कमियां ढूंढने वाले लोग हमें निरुत्साहित कर सकते हैं हमें सही लोगों की पहचान करनी आनी चाहिए जिस तरह से तो अपनी तारीफ को खुले दिल से स्वीकार करते हो उसी तरह अपनी आलोचनाओं को भी स्वीकार करना सीखना होगा तभी तुम खुद को बेहतर बना पाओगे और अपने लक्ष्य को हासिल कर पाओगे
जीवन में मुश्किलें चुनौतियां आने पर सबसे पहले वही लोग अपना धैर्य खोते हैं जिनका मन अशांत और बेचैन होता है यानी जिनके मन और शरीर के बीच का तालमेल ठीक नहीं होता तो अगर लोग अपने मन और शरीर के बीच ठीक से तालमेल बिठाना सीख लें यानी खुद को शांत रखना सीख लें तो वह ज्यादा धैर्य और आत्मविश्वास के साथ
आने वाली चुनौतियों का सामना कर सकते हैं तो प्रश्न उठता है कि शरीर और मन के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए तो ऐसा करने के बहुत से तरीके हैं जैसे हर सुबह ध्यान का अभ्यास करना गहरी सांस लेना जागरुकता का अभ्यास करना प्रकृति के साथ जुड़ना योग और प्राणायाम जैसे अभ्यासों को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं इत्यादि एक और चीज जो व्यक्ति को ज्यादा धैर्यवान और खुशहाल बनाती है वो है आभार व्यक्त करना जब इंसान का पूरा ध्यान उस चीज पर होता है जो उसके पास नहीं हैं तो यह बात उसके अंदर बेचैनी पैदा करती है फिर वह इस बेचैनी में आकर अपना धैर्य खो देता है और ऐसे निर्णय लेने लगता है जो उसे सफलता की ओर ले जाते हैं प्रिय असफलता उसी और बेचैन कर देती है और फिर इस तरीके से यह एक चक्र बन जाता है जिस पर व्यक्ति उलझ कर रह जाता है आभार व्यक्त करना एक ऐसा अभ्यास है जिसमें हम जान बूझकर जिंदगी में होने वाली अच्छी चीजों पर ध्यान देते हैं और उसके लिए खुशी महसूस करते हैं हमें हर दिन थोड़ा समय निकालकर और उस छोटी से छोटी चीज के लिए भी आभार प्रकट करना चाहिए जिसने हमारे जीवन को खुशहाल समृद्ध और आसान बनाया है धन्यवाद अदा करने का यह अभ्यास हमारी मानसिकता को बदलकर हमारे अंदर अध्ययन विकसित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है अगली चीज जो इंसान के अंदर विकसित करती है वो है अपने समय का सही उपयोग करना तुमने देखा होगा कि कुछ लोग अक्सर समय की कमी का रोना रोते रहते हैं जबकि यह सबके पास एक बराबर है दिन के चौबिस घंटे और हफ्ते के साथ दिन इसी समय का सही उपयोग करके कुछ लोग बहुत बड़ी सफलता हासिल कर लेते हैं तो कुछ लोग ठीक से अपनी दिन का काम भी खत्म नहीं कर पाए थे इन दोनों ही प्रकार के लोगों में सिर्फ एक ही फर्क है और वो है अपने समय का सही उपयोग करना समय का सही उपयोग करने की दिशा में पहला कदम है अपनी प्राथमिकताएं तय करना यानी उन कामों को निश्चित करना जो हमारे लिए सबसे ज्यादा जरूरी है फिर उन्हें पूरा करने की योजना बनाकर एक समय सीमा तय करना काम पूरा करने की सब सीमा निश्चित करना जरूरी है क्योंकि यही हमें अनुशासित रखती है वरना टाल मटोल करना तो इंसानी स्वभाव है
अपने दूर के बड़े लक्ष्यों को तय करने के बाद उनको पूरा करने की योजना को दिन हफ्ते और महीनों में बांटना भी जरूरी है क्योंकि यह हमारे काम को बहुत आसान बना देता है जब इंसान के पास अपने काम को पूरा करने की एक अच्छी योजना होती है तो फिर फालतू के कामों में अपना समय बर्बाद करना भी कम हो जाता है और हम अनुशासित बने रहते हैं कभी कभी ऐसा होता है कि हमने लक्ष्य बना दिया योजना बना ली दिन हफ्ते और महीनों में उसे तोड़ भी लिया लेकिन कभी कोई मेहमान आ गया या फिर किसी दोस्त ने कभी कहीं जाने की बात करती तो हमारी सारी योजना ही खराब हो जाती है लेकिन अगर ज्यादा जरूरी नहीं है तो फिर ऐसी स्थिति में हमें न कहना भी आना चाहिए क्योंकि हर समय हर किसी के लिए उपस्थित रहना हमें हमारे लक्ष्य से भटका देता है लेकिन ज्यादातर लोगों की यह न कह पाना बहुत मुश्किल होता है कुछ लोग तरह तरह के बहाने बनाते हैं तो कुछ लोग नजर नाश करके बचने की कोशिश करते हैं लेकिन यह एक सही तरीका नहीं है हमें अपने काम और स्थिति के बारे में बताते हुए उन्हें मना करने का उचित कारण देना चाहिए अगर वो लोग सच में हमारे शुभचिन्तक यह में समझने वाली होंगे तो हमारे साथ बहस या जबरजस्ती नहीं करेंगे इस दुनिया में जितनी भी बड़ी हस्तियां हुई हैं सभी में एक बात समान है कि उन्होंने समय और धैर्य का महत्व समय रहते समझ लिया था जब हमें कोई दूरगामी लक्ष्य हासिल करने होते हैं तो उसकी सफलता के लिए धैर्य का होना बेहद आवश्यक है यह बात उस अपनी जान दी थी कुछ लोग धैर्य और सब्र को गलत तरीके से समझते हैं उन्हें लगता है कि हाथ पर हाथ रखकर इंतजार करना ही धैर्य है जबकि धैर्य एक सतत चलने वाला कम है धैर्य के साथ लगातार परिश्रम करना भी जरूरी है तभी अपना लक्ष्य हासिल कर सकते हैं लक्ष्य हासिल करने की दिशा में धैर्य को विकसित करने के लिए कुछ बातों को ध्यान में रखना बेहद जरूरी है जल्दबाजी में निर्णय लेने पर ज्यादा संभावना है कि हमारा निर्णय गलत दिशा में होगा इसीलिए कोई भी निर्णय लेने से पहले इसके फायदे और नुकसान पर सूचना और उसके बाद सही से निरीक्षण करके उचित निर्णय लेना ही निर्णय लेने का सही तरीका है लेकिन इतनी लंबी प्रक्रिया के लिए हमारे अंदर धैर्य होना चाहिए हमें तुरंत परिणाम हासिल करने के चक्कर में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए क्योंकि छोटा रास्ता कभी सही नहीं होता भावनाओं में बहकर निर्णय लेना भी खतरे से खाली नहीं होता अगर धैर्य के साथ सभी उपलब्ध विकल्पों के बारे में अच्छे से जानकारी लेकर अपनी समझ का सहयोग उपयोग करके उसमें से अपने लिए सही निर्णय लेते हैं तो हमारी सफलता की संभावना सबसे ज्यादा होती है और जब किसी काम की शुरुआत इस तरीके से होती है तो समझो आधा काम पूरा हो गया हमें लक्ष्य हासिल करने के लिए लगातार कोशिश करने और एकाग्रचित बने रहने की जरूरत होती है जब हमें तुरंत परिणाम नहीं मिलता तो भटकाव आसान हो जाए आता है कुछ लक्ष्य ऐसे होते हैं जिनके लिए कितना ही प्रयास कर लिया जाए लेकिन उन्हें एक निश्चित समय के बाद ही हासिल किया जा सकता है लेकिन इतने समय तक लक्ष्य की तरफ केंद्रित रहना आसान काम नहीं इसके लिए सही योजना दृढ़ इच्छा शक्ति और धैर्य की जरूरत पड़ती है धैर्य हमें अनुशासित भी बनाता है और काम के बीच में भटकाव और चिन से दूर रखता है तुरंत मिलने वाले परिणाम हमें और जल्दी हासिल करने का लालच देते हैं इससे होता यह है कि हम जो भी छोटी छोटी सफलताएं यह लक्ष्य हासिल करते हैं उसके लिए खुश होना भूल जाते हैं जिससे हमारे अंदर उस छोटी सफलता का उत्साह नहीं आ पाता और हम उसी तनावपूर्ण स्थिति में बने रहते हैं जो काम के बीच होती है बूंद बूंद से ही सागर बनता है हर काम के लिए एक निश्चित समय लगता है बदलता मौसम भी इस बात को सिद्ध करता है बड़ी और महत्वपूर्ण लक्ष्यों को हासिल करने में समय दृढ़ता और धैर्य लगता है बड़े लक्ष्य के लिए बड़े धैर्य की भी जरूरत पड़ती है क्योंकि धैर्य हमें डटे रहने में मदद करता है ऐसे समय में जब कोई परिणाम मिलता न दिखाई दी ठहरे हमारी निराशा को दूर करता है और हौसला बढ़ाता है जिससे हम अपने लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में लंबे समय तक पूरी दृढ़ता और आत्मविश्वास के साथ लगे रहते हैं इतना कहने के बाद महात्मा जी ने अपनी बात समाप्त किया और वह मौन हो गई उस व्यक्ति को भी धैर्य और सफलता प्राप्ति में धैर्य के महत्व का अर्थ पता चल चुका था उसने इस जानकारी के लिए महात्मा जी का धन्यवाद किया और वहां से चला गया दोस्तों मुझे उम्मीद है कि आपको भी इस कहानी से काफी कुछ सीखने को मिला होगा धन्यवाद