एक युवक बहुत ही महत्वकांक्षी था उसके बड़े बड़े सपने थे वह बहुत कुछ हासिल करना चाहता था बहुत बड़ा बनना चाहता था लेकिन उसे ये सब कुछ बहुत जल्दी हासिल करना था उसे हमेशा लगता था कि उसके पास समय बहुत कम है इसीलिए वह जल्द से जल्द अपने सपनों को पूरा करना चाहता था उसने कई बार कड़ी मेहनत करके जल्दी सफलता हासिल करने का प्रयास किया लेकिन वह हर बार असफल हो जाता उसे थोड़ी बहुत कामयाबी मिल जाती थी लेकिन उसे कभी भी अपने मनचाहे परिणाम हासिल नहीं हो पाती थी इस बात से वह बड़ा परेशान हो जाता था वह सोचता रहता कि कमी कहां रह रही है आखिर वह ज्यादा मेहनत करके दूसरों की तुलना में जल्दी सफल क्यों न हो सकता यह प्रश्न अक्सर उसे बहुत परेशान करता था लेकिन फिर धीरे धीरे उसे समझ आने लगा कि शायद उसे उन्हें नियमों और रहस्यों के बारे में नहीं पता जिनका उपयोग करके वह कम समय में बड़ी लक्ष्य को हासिल कर सकता है जिस दिन उसे यह बात समझ आई उस दिन के बाद से वह ऐसे इंसान की तलाश में रहने लगा जो उसे सफलता के उन नियमों और रहस्यों के बारे में विस्तार से समझा सके तभी एक दिन उसे अपने एक मित्र के माध्यम से एक ऐसे गुरु के बारे में पता चला जो अपनी बुद्धिमता और ज्ञान के लिए दूर दूर तक प्रसिद्ध थे वो लोगों की समस्याओं को समझकर बड़ी ही बुद्धिमानी और सरलता से उसका समाधान निकाल लेते थे साथ ही वह मुश्किल से मुश्किल बात को भी बड़े ही आसान शब्दों में समझा देने में माहिर थे गुरु के बारे में जानकारी मिलते ही अगले दिन वह युवक सीधे गुरु के आश्रम में पहुँच जाता है वह गुरू एक बौद्ध भिक्षु थी युवक ने उन्हें प्रणाम किया और उनके सामने बैठ गया बौद्ध भिक्षुओं ने युवक से आने का कारण पूछा तो युवक ने कहना शुरू किया मुनिवर मेरे सपने बहुत बड़े हैं मैं जीवन में
बहुत कुछ बनना और करना चाहता हूं बड़ी सफलताएं हासिल करना चाहता हूं लेकिन मुझे यह सब कुछ कम समय में हासिल करना है मैंने कई बार कड़ी मेहनत करके जल्दी सफल होने का प्रयास किया लेकिन मुझे कभी भी मनचाहे परिणाम नहीं मिले मुझे लगता है कि मुझे सफलता के उन महत्वपूर्ण नियमों और रहस्यों के बारे में जानने की जरूरत है जिनका उपयोग करके मैं कम समय में बड़ी सफलता प्राप्त कर सकता हूँ क्या आप मुझे उन नियमों और रहस्यों के बारे में विस्तार से समझा सकते हैं मैं वादा करता हूं कि मैं जरूर उन नियमों का पालन करूंगा बौद्ध भिक्षु को उस युवक की आंखों में एक ज्वलंत इच्छा शक्ति और जुनून दिखा वह सफल होने के लिए कितनी भी मेहनत करने और बड़ा से बड़ा त्याग करने के लिए भी तैयार था बौद्ध भिक्षुओं ने उसकी आँखों में देखते हुए गंभीर आवाज में कहना शुरू किया आज मैं तुम्हें आठ ऐसे नियम बताऊंगा जिनका अगर तुम पूरी ईमानदारी से पालन करते हो तो तुम दस साल के लक्ष्य को दस महीने में पूरा कर सकते हो बस शर्त यह है कि इन नियमों पर पूर्ण विश्वास रखते हुए पूरी ईमानदारी से इनका पालन करना है।पहला नियम की सबसे पहले अपने दिमाग को इस संभावना के लिए खोलो कि हां यह किया जा सकता है एक साल का काम एक महीने में किया जा सकता है इस बात का अपने दिमाग को विश्वास दिलाओ क्योंकि जब तक तुम्हें अंदर से ही इस बात पर पूर्ण विश्वास नहीं होगा कि तुम दस साल की लक्ष्य को दस महीने में भी पूरा कर सकते हो तब तक तुम इसके लिए जरूरी कदम नहीं उठा पाओगे कोई भी लक्ष्य बाहरी दुनिया में पूरा होने से पहले एक बार हमारे दिमाग में पूरा होता है इसी। इस संभावना को स्वीकार करो ठीक उस विद्यार्थी की तरह जिसने साल भर कुछ खास पढ़ाई नहीं की लेकिन परीक्षा से एक महीने पहले सब कुछ भूलकर स्वयं को पढ़ाई में झोंक देता है और इतनी कड़ी मेहनत करता है कि उसके परिणाम सभी को आश्चर्य चकित कर देते हैं जब वह विद्यार्थी एक साल की पढ़ाई को
अपनी कड़ी मेहनत और एकाग्रता से एक महीने में पूरा कर सकता है तो तुम अपने लक्ष्य पूरे क्यों नहीं कर सकते सफलता के नियम तो सभी के लिए एक बराबर काम करते हैं दूसरा नियम छह महीने के लिए गायब हो जाओ आने वाले छह महीने के लिए भूल जाओ कि तुम्हारा कोई है भूल जाओ अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को अपने पड़ोसियों को कोई तुम्हें छोड़कर नहीं जाने वाला जिसको रुकना होगा वो रुकेगा और छह महीने के लिए अपने सारे दरवाजे बंद कर लो और दूर हो जाओ इन सारी भटकाने वाली चीजों से यानी कि तुम्हें स्वयं को छह महीने के लिए दुनिया से गायब कर लेना है जैसे कि तुम कभी यहां थी ही नहीं तुम्हें अपने आप को छह महीने के लिए अपने मन शरीर लक्ष्य और उद्देश्य के साथ बंद कर लेना है छह महीने कोई बहुत ज्यादा समय नहीं होता है ये सुनने में बड़ा लग सकता है लेकिन तुम यह भी तो देखो कि यह त्यात तुम किसके लिए कर रहे हो अपने मित्रों पड़ोसियों के लिए या खुद के लिए इन छह महीनों में अगर तुम्हारे और तुम्हारे लक्ष्य के बीच कोई आ रहा हूं वह भले कितना ही अमीर हो प्रभावशाली हो लेकिन अगर फालतू की बातें कर रहा है तो वहां से गायब हो जाओ अगर तुम्हारे मित्र और रिश्तेदार अपने मतलब से तुम्हें घूमने बुला रहे हैं तो उन्हें मना कर दो क्योंकि तुम्हारे जाने या ना जाने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन तो अपनी जिंदगी में एक कदम पीछे जरूर हो जाओगे बेमतलब के गप्पे मारने वाले दोस्तों के समूह से दूर हो जाओ समय बर्बाद करने वाले लोगों से मतलब रखना बंद कर दो अगर थोड़ी रिश्ते खराब होते हैं तो होने दो अपनी नींद और ऊर्जा को दूसरे लोगों पर बर्बाद करना बंद कर दो एकदम स्वार्थी बन जाओ सिर्फ
अपने बारे में सोचो अपने लक्ष्य उद्देश्य योजना और परिवार के बारे में बस और जो भी चीज तुम्हें इनसे दूर ले जा रही है उन सब विचारों को अपने दिमाग़ में जला दो तीसरा नियम एक सही गुरु की तलाश करो अगर तुम्हें किसी काम में जल्द ही सफल होना है और उसके शीर्ष पर पहुंचना है तो तुम्हें अपना समय उस काम का साधारण ज्ञान रखने वाले लोगों के साथ बर्बाद नहीं करना चाहिए बल्कि तुम्हें तो सीधा उस इंसान के पास जाना चाहिए जो पहले से ही उस काम के शिखर पर है क्योंकि वही इंसान तो में सबसे अच्छे से सिखा सकता है कि सिर्फ तक कैसे पहुंचा है उसने उन सारी मुश्किलों और बाधाओं का सामना कर रखा है जिनका तुम भविष्य में सामना करोगे इसीलिए वह अपने अनुभवों से तुम्हें ऐसी बातें सिखा सकता है जिसे स्वयं सीखने में तुम्हें अपना बहुत सारा समय खर्च करना पड़ेगा तो दस साल के लक्ष्य को दस महीने में पूरा करने के लिए तुम्हें अपने क्षेत्र के सबसे सफल में से एक को अपना गुरु अपना मार्गदर्शक बनाना पड़ेगा चौथा नियम एक स्पष्ट और निश्चित लक्ष्य तय करो निश्चित कर लो कि तुम्हें क्या और कितने समय में हासिल करना है तुम्हारा लक्ष्य स्पष्ट रूप से तुम्हारे पास लिखा हुआ होना चाहिए तुम भले ही कितने ही होशियार हो कितने ही बुद्धिमान हो कितना भी तेज तुम्हारा दिमाग को लेकिन अगर तुम्हारे पास एक स्पष्ट लक्ष्य नहीं है और तुम अपने लक्ष्य की तरफ रोज मेहनत नहीं कर रहे हो तो बड़ी सफलता तो भी कभी नहीं मिल सकी बड़ी सफलता के लिए एक स्पष्ट लक्ष्य का होना सबसे जरूरी है मानवीय स्वभाव के बारे में एक बात है कि अगर तुम्हारा लक्ष्य बहुत ज्यादा आसान होगा तो तुम उसे हल्के में छोड़ दोगे और अगर तुम्हारा लक्ष्य बहुत ज्यादा मुश्किल होगा तब भी तुम उसे असर होने के डर से छोड़ दोगे इसीलिए लक्ष्य ऐसी होनी चाहिए जो मुश्किल तो हूं लेकिन उन्हें पूरा किया जा सके अगली बात तुम्हारे जीवन के लक्ष्य यानी प्राथमिकताएं तीन से ज्यादा नहीं होनी चाहिए अगर तुम्हारी तीन से ज्यादा प्राथमिकताएं हैं यानी छः सात ऐसे काम हैं जो तुम्हें लगता है सारे बराबर जरुरी है सारे करना जरूर है तब उनमें से एक भी ऐसा काम नहीं है जो सच भी जरूरी है तीन से ज्यादा प्राथमिकता होने का मतलब है कि एक भी ढंग की प्राथमिकता नहीं है प्राथमिकता का मतलब होता है उद्देश्य यानी जो है बस यही है और इतने समय में ही है कोई उद्देश्य नहीं मतलब अटका हुआ दुखी और अस्त व्यस्त जीवन उद्देश्य मतलब मजा क्या चाहिए पता है तो भी अगर किसी इंसान के पास कोई उद्देश्य ही नहीं हैं तो वह हमेशा भटकता ही रहेगा ज्यादातर लोगों की जिंदगी का नियम बड़ा अजीब है उनको नहीं पता कि उन्हें क्या चाहिए और लगे हुए हैं इसलिए अगर तुम्हें दस साल का लक्ष्य दस महीने में हासिल करना है तो तुम्हारा लक्ष्य तुम्हारे दिमाग में स्पष्ट रूप से अंकित होना चाहिए
आशिमा नियम लक्ष्य को पाने के लिए एक विस्तृत योजना बनाओ देखो कि तुम्हारे लक्ष्य को हासिल करने के लिए तीन सबसे जरुरी काम किया है उनका पता लगाओ और फिर उन कामों को आगे छोटे छोटे हिस्सों में बांट लो दस महीने के लक्ष्य को दिनों हफ्तों और महीनों में बांट लो और यह निश्चित करो कि तुम हर दिन अपने उस बातें हुए काम को पूरा कर रहे हो इसके साथ ही तुम्हारे पास तीन ऐसे ठोस कारण होनी चाहिए कि तुम्हें यह लक्ष्य हासिल करना है याद रखो जितना ज्यादा मजबूत तुम्हारा कारण होगा उतनी ही ज्यादा संभावना है कि तुम्हारे लक्ष्य हासिल हो जाएगा हर दिन उस लक्ष्य को पूरा होता हुआ देखो और महसूस करो कि जब तुम उस लक्ष्य को हासिल कर लोगे तो कैसा महसूस करोगे उसे महसूस और अनुभव करने की कोशिश करो साथ यह प्रश्न भी अपनी से पूछना जरूरी है कि तुम्हारा जो लक्ष्य है उसे पूरा करने के लिए क्या क्या करना जरूरी है और क्या क्या छोड़ना पड़ेगा
तुम्हें अपने लक्ष्य के बारे में यह अंदाजा भी जरूर होना चाहिए कि तुम्हारा लक्ष्य कितना मुश्किल है तुम्हें अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ेगी कितना त्याग करना पड़ेगा इस बात का भी तुम्हें अंदाजा होना चाहिए
छठा नियम स्वयं के अंदर प्रबल एकाग्रता और अनुशासन विकसित करो कभी कभी ऐसा होता है ना कि हम बहुत ज्यादा ऊर्जावान महसूस करते हैं हमें लगता है आज बड़ा अच्छा लग रहा है और समस्या यह है कि यह कभी कभी ही महसूस होता है याद करो उस दिन के बारे में जिस दिन तुम बहुत ज्यादा एकाग्र थी बहुत ज्यादा काम करने का मन कर रहा था तुम्हारे अंदर यह नहीं आ रहा था कि मैं कल से करूंगा एक उत्साह था तुम्हारे अंदर एक ऊर्जा थी सोचो अगर तुम्हारे साथ ही हर रोज होने लगे तो तो अपनी जिंदगी में क्या कुछ हासिल नहीं कर सकते आलस्य थकान काम में मन न लगना था भटकना हार मानने का मन करना बार बार काम को बदलना यह सब न हो इसीलिए तुम्हारा ध्यान होना चाहिए अपनी ऊर्जा नियंत्रण पर हमें हर दिन एक निश्चित मात्रा में ऊर्जा मिलती है इसीलिए इसका सही उपयोग करना सीखो अपना सबसे अच्छा समय जब तुम जोश में होते हो उस समय सिर्फ वह करो जो तुम्हें
लिए सबसे ज्यादा जरूरी है बाकी दुनिया की बातें सब बाद में पहले दिन जिस काम को जितने समय में कर सकते थे प्रयास करो अगली बार उसे और कम समय में कर से कष्ट कुछ ही लो तुम्हारा शरीर और दिमाग एक समय के बाद उसे स्वीकार कर लेंगे फिर एक दिन मजाक हो जाएगा तुम्हारे लिए वो करना जो लक्ष्य पाना है उसे पानी में अगर कोई चीज रोके या बाधा बनी तो उसे छोड़ दो उससे किनारा कर लो या ताल दो कि से बाद नहीं करेंगे जब हम ऊर्जावान उत्साहित और एकाग्र महसूस कर रहे होते हैं तब हम दस घंटे के काम को एक घंटे में ही पूरा कर सकते हैं और अगर यही ऊर्जा और एकाग्रता तुम्हारे अंदर हमेशा बनी रहे तो तुम दस साल के लक्ष्य को दस महीने में भी पूरा कर सकती हो दुनिया में जितने भी मुझे बनी हैं कामयाब लोग इन सबको नजरअंदाज कर लेते हैं और वो मुझे ढूंढते हैं अपने काम में बड़े से बड़े कामयाब लोगों के पास में उन्होंने कितना लगातार एक ही काम को किया इसकी कहानी होती है न कि कितना उनको ज्ञान था इसकी कहानी होती है।तुम किसी भी सफल इंसान को देख लो उसके काम गिने जाते हैं उसका ज्ञान नहीं ज्ञान बहुत लोगों के पास होता है
लेकिन लगातार काम बहुत ही कम लोग कर पाते हैं कहने का मतलब है कि ज्ञान के साथ मेहनत और अनुशासन बहुत जरूरी है दुनिया में ज्यादातर इसी बात के उदाहरण मिलेंगे कि कर्म ज्ञान रखने वाली अक्सर ज्यादा ज्ञान रखने वाले से आगे निकल जाते हैं और इसकी वजह होती है निरंतरता यानी लगातार प्रयास कामयाबी न ज्ञान की मोहताज है न तेज दिमाग की मोहताज है ना पैसों की जान पहचान के यह कामयाबी गुलाम हैं लगातार प्रयास की लगातार कम करते रहने के बाद जानकारी या ज्ञान की नहीं है ज्ञान तो पूरी दुनिया ने रही है बात उस ज्ञान को दूसरों से ज्यादा बुद्धिमानी से उपयोग करने की है नब्बे प्रतिशत लोग तुम अपने दिमाग़ में पड़े ज्ञान का इस्तेमाल ही नहीं कर रही ज्ञान लेकर बैठे हैं कर कुछ नहीं रहे दुनिया में सफल और अमीर लोग बने हैं जिन्होंने ज्ञान मिलने पर उस पर काम शुरू किया न कि वो लोग जो कि ज्ञानी हैं मेहनत हमेशा एक बुद्धिमान इंसान को पीछे छोड़ देती है जब बुद्धि वाला इंसान मेहनत नहीं करता एक मूल इंसान लगातार अपनी मेहनत और प्रयास से एक प्रतिभाशाली आलसी व्यक्ति को बड़ी आसानी से हरा सकता है अफसोस बड़ी कामयाबी के लिए ध्यान ही नहीं ज्ञान तो ले सकते हैं लेकिन भटके हुए मन को लगाना सबसे मुश्किल होता है दूसरी चीज है अनुशासन और काम को समय पर करना इस दुनिया में सबसे ज्यादा सपने काम को टालने की आदत नहीं मारे हैं सबसे ज्यादा सपने अलग सिनेमा रहे हैं इस टालने की आदत ने कि मैं कल करूंगा बाद में करूंगा इस टालने की आदत ने न जाने कितने लोगों को बुढ़ापे में यह पछतावा करवाया है कि काश मैं एक कोशिश और कर लेता तो दस साल के लक्ष्य को दस महीने में प्राप्त करने के लिए गहन एकाग्रता और अनुशासन का होना बेहद जरुरी है सातवां नियम उत्तरदायित्व लो और जवाबदेह बनो अपने काम की व्यक्तिगत जिम्मेदारी लो और उसके प्रति जवाबदेह रहा हूँ किसी एक ऐसे इंसान को ढूंढो जिसके प्रति तुम जवाबदेह बन सके जिससे अगर तुम किसी काम को करने का वादा करते हो तो वह तुमसे उस काम के पूरा होने या न होने पर प्रश्न कर सके और तुम्हें उसे देना पड़े ऐसी उत्तरदायित्व और जवाबदेही तुम्हें तुम्हारे लक्ष्य से भटकने नहीं देती और तो समय पर काम पूरा करने के लिए मजबूर करती है वह व्यक्ति जिसके प्रति तुम जवाबदेह रहोगे वह तुम्हारे माता पिता या गुरु कोई भी हो सकते हैं अथवा नियम लगातार सीखते रहना और नई चीजों को अपनाना अगर तुम्हारा लक्ष्य बहुत बड़ा है तो ऐसा नहीं होगा कि तुमने लक्ष्य बनाया और तुम्हारी योजनानुसार पूरा हो जाएगा तुम रोज मेहनत करते रहोगे और आगे बढ़ते होगी ऐसा नहीं होगा रास्ते में कई सारी उतार चढ़ाव उतार चढ़ाव आते रहेंगे कई बार तुम बहुत मेहनत करोगे तुम्हें कुछ अच्छे परिणाम मिलेंगे फिर तो मेहनत करती होगी लेकिन तुम्हें।परिणाम नहीं मिलेंगे तो नीचे आओगी ऐसे ही फिर ऊपर जाओगे और ऐसा ही कई बार होता रहेगा तब जाकर तुम्हारा दिमाग तुम्हारा शरीर और तुम्हारा विश्वास ये चीज स्वीकार कर पाएंगे कि हां मुश्किलों के बाद भी तुम बड़ी सफलता प्राप्त कर सकते हैं बाद बहुत ही साधारण है बदलाव प्रकृति का नियम है इसीलिए लगातार नया सीखते जाओ अपने पुराने बेकार विश्वासों को तोड़ते जाओ और समय के अनुसार नई चीजों और नए तरीकों को अपनाते जाओ इतना कहने के बाद बौद्ध भिक्षुओं ने अपनी बात समाप्त की अब उस युवक को समझ आ चुका था कि उसे जल्दी सफलता हासिल करने के लिए क्या क्या करना है उसने इस जानकारी के लिए बौद्ध भिक्षु का धन्यवाद किया और वहां से चला गया दोस्तों उम्मीद है कि आपको यह कहानी पसंद आई होगी।
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