क्या आपको पता है जो चीज फ्री होती है ना हो वही सबसे ज्यादा कीमती होती है जैसे नींद शांति आनंद हवा पानी प्रकाश सच्चा प्रेम और हमारी सांसें लेकिन विडंबना यह है कि हम इन्हीं चीजों की सबसे ज्यादा बेकद्री करते हैं और ये सभी वो चीजें हैं जो करोड़ों रुपये खर्च करके भी हमें नहीं मिल सकती है सबसे बड़ा कारण कि हम इन सब चीजों की कद्र नहीं करते हैं हमारी भागती दौड़ती जिंदगी और हमारा गलत विश्वास की जिंदगी ऐसे ही चलती है हम सभी अपनी जिंदगी में अलग अलग रोल और ड्यूटी निभाते हैं हो सकता है आप किसी की बेटी हूँ या बेटी हो किसी की माता या पिता हूं या फिर किसी के पति या पत्नी हो लेकिन क्या कभी आपको ऐसा लगा है कि आप अपनी ड्यूटी पूरी करते करते थक चुके हैं आपके पास अपने लिए समय ही नहीं है क्या आपको कभी ऐसा लगा है कि आपकी खुद की कोई लाइफ नहीं हैं और आप बस अपनी ड्यूटी पूरी करते जा रहे हैं असल में हम जिस भागती दौड़ती दुनिया में जी रहे हैं उसी के कारण हमें ऐसा महसूस होता है जैसे कि हमारी कोई अपनी पर्सनल लाइफ है ही नहीं जैसे इस दुनिया में हम एकदम अकेले है आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हमें हर एक चीज चाहिए और तुरंत चाहिए
आज किसी के पास इतना समय नहीं है कि वह कुछ पल निकालकर अपनी जिंदगी के बारे में सोचे लेकिन इसका भी एक समाधान है क्योंकि आपको इस कहानी मिलेगा इस कहानी में आपको सुकून हिम्मत और नॉलेज के बारे में सीखने को मिलेगा तो आइए शुरू करते हैं यह कहानी के माध्यम से एक बार एक दुखी और परेशान व्यक्ति एक बौद्ध भिक्षु के पास जाता है और उसे कहता है मुनिवर मैं बहुत दुखी हूं कृपया मुझे मेरे दुखों को दूर करने का कोई तरीका बताएं
बौद्ध भिक्षुणी व्यक्ति से पूछा तुम्हें क्या लगता है तुम्हारे दुखों और परेशानियों के लिए कौन जिम्मेदार है व्यक्ति ने कहा ये दुनिया यह समाज ये लोग मेरा परिवार और मेरी परिस्थितियां व्यक्ति से यह उत्तर सुन बौद्ध भिक्षु मुस्कुराए और बोले जब तुम उदास होते हो या खुश होते हो तो तुम्हें क्या लगता है कि क्या यह दुनिया तुम्हारी उदासी और खुशी के लिए जिम्मेदार है अगर तुम ऐसा सोचते हो तो ये बिल्कुल गलत सोच रहे हो असल में यह तुम्हारे ऊपर निर्भर करता है कि तुम दुनिया को किस नजर से देखती हूँ दुनिया ने हमें गरीबी या दुख यह खुशियां नहीं दी है बल्कि इस दुनिया से जो जानकारी हम लेते हैं उसी से हमारी मानसिक अवस्था निर्धारित होती है कि हम कैसा महसूस करेंगे असल में इंसानी दिमाग बना ही ऐसा है कि इसमें नकारात्मक विचार पहले आता है यानी कि इंसान का स्वभाव ही ऐसा होता है केवल सकारात्मक से पहले नकारात्मक बातें ज्यादा सोचता है सच बात तो यह है कि हमें अपने जीवन में खुशी के पल धोने पड़ते हैं हमें खुद को ऐसा तैयार करना पड़ेगा कि हम हर पल हर स्थिति में खुश रह सके क्योंकि खुशी किसी मौके की मोहताज नहीं है यह तुम पर निर्भर करता है कि तुम खुश रहना चाहते हो या दुखी गौतम बुद्ध के बहुत ही प्रसिद्ध कहावत है आप जो देखते हैं वह दिखाता है कि आप कौन हैं यानी कि हमारा नजरिया हमारे व्यक्तित्व और हमारी सोच पर निर्भर करता है जैसे अगर हम नकारात्मक है तो दुनिया में हर चीज हमें नकारात्मक लगेगी और अगर हम सकारात्मक हैं तो हम हर चीज को सकरात्मक नजर से देखेंगे जैसे कि बुद्ध की नजरों में हर इंसान ही बुद्ध स्वरूप था अगर तो अंदर से खुश हो तो यह दुनिया तुम्हारे लिए एक खुशहाल जगह है लेकिन अगर तुम उदास हो तो फिर तुम इन चारों तरफ उदासी ही नजर आई थीं यानी कि सब कुछ हमारे नजरिए पर निर्भर करता है लोग एक ही स्थिति पर अलग अलग तरह की प्रतिक्रिया देते हैं और यह प्रतिक्रिया उनके मन को शांति दे सकती है और सिरदर्दी भी जैसे अगर कभी किसी का दिन बुरा जाता है तो फिर वह हर चीज हर घटना को उसी से जोड़कर देखने लगता है मगर यह सोच गलत है लोगों को समझना चाहिए कि यह सब गुस्से में सोच रहे हैं और गुस्सा एक थोड़े समय तक रहने वाली भावना है इस बात पर ध्यान दो कि कब तुम्हारी बुरी भावना भावनाएं तुम पर हावी होती है ताकि तुम उन भावनाओं को खुद पर हावी होने से रोक सकता क्योंकि यह आई स्थायी गुस्से और चिन्ता की भावनाएं तुम्हारे जीवन के सबसे महत्वपूर्ण निर्णय को गलत तरीके से प्रभावित कर सकती है जैसा कि मैंने पहले कहा कि गुस्सा एक स्थायी भावना है जो कुछ देर बाद खुद ही शांत हो जाएगा तुम इसे एक बादल की तरह मानकर चलो जो भी आसमान में हैं और कुछ देर में खुद ही गायब हो जाएगा अगर नहीं होता तो शांति से इंतजार करो
इस समय तुम खुद को शांत करने के लिए कुछ अभ्यास भी कर सकते हो जैसे अपनी सांसो पर ध्यान लगाओ या फिर खुद को एकदम शांत और ढीला छोड़ दो उस व्यक्ति ने बौद्ध भिक्षु से अगला प्रश्न किया कि गुस्से नफरत और जलन जैसी नकारात्मक भावनाओं से कैसे निपटा जाए
क्योंकि ये भावनाएं अक्सर हमें काफी थका देती है बौद्ध भिक्षु ने कहा जागरुकता अपने विचारों के प्रति जागरुक होना ही वह पहला तरीका है जिससे तो अपनी मानसिकता को बदल सकते हो
बौद्ध भिक्षु ने उस व्यक्ति से पूछा वैसे जब तुम्हें बुरा महसूस होता है तो अक्सर तुम्हारी पहली प्रतिक्रिया क्या रहती है व्यक्ति ने उत्तर दिया मैं उस नकारात्मक भावना को वहीं दबाने का प्रयास करता हो या फिर उसे स्वीकार नहीं करता या फिर जल्दी से अपना मन कहीं और लगाने का प्रयास करता हूं व्यक्ति की यह उत्तर सुन बौद्ध भिक्षु मुस्कुराई और बोली लेकिन मैं तुम्हें बता दूं कि ये सारी ही कोशिशें बेकार है क्योंकि अंत में यही नकारात्मक भावनाएं तुम पर हावी हो सकती है व्यक्ति ने पूछा तो फिर ऐसी स्थितियों मुझे क्या करना चाहिए बौद्ध भिक्षु ने कहा अगली बार जब तुम पर नकारात्मक भावनाएं हावी हो और तुम बुरा महसूस करो तो उसे ऐसे देखा जैसे कि वह भावनाएं तुम्हारा हिस्सा है ही नहीं जैसे कोई पैदल चलता हुआ इंसान राह चलते हुए दूसरे इंसान को देखता है मान लेना कि यह तुम्हारा हिस्सा है ही नहीं तो भी तुम्हें कैसे परेशान कर पाएगा हालांकि इस तरह की जागरुकता के लिए तुम्हें काफी अभ्यास करना होगा लेकिन अगर एक बार तुमने यह करना सीख लिया तो यकीन मानो तुम काफी शांत और हल्का महसूस करोगे नकारात्मक भावनाएं हमारे जीवन का स्थाई हिस्सा नहीं है और ना ही कभी बनेंगी और ना ही हमें परिभाषित करती है इसीलिए अपनी उठने वाली हर एक नकारात्मक भावना पर पूरी जागरुकता के साथ ध्यान दो नकारात्मक विचार आते हैं तो आने दो उन्हें जबरजस्ती दबाने का प्रयास मत करो वरना ये तुम्हारा पीछा कभी नहीं छोड़ेगी अपनी हर नकारात्मक भावनाओं पर काबू पाना संभव ही नहीं है क्योंकि तुम्हें गुस्सा भी आएगा तो ऐसा करोगे और उदास भी होगा लेकिन ये भावनाएं आकर चली जाती है उसके बाद तो फिर से खुश और शांत महसूस करोगे और तुम्हें उसी पल का इंतजार करना है व्यक्ति ने बौद्ध भिक्षु से अगला प्रश्न किया मुनिवर संबंधों का हमारे जीवन में कितना महत्व है और गहरे रिश्ते वह नए दोस्त कैसे बनाये जाते हैं बौद्ध भिक्षु ने कहा दूसरों के साथ अच्छे रिश्ते बने रहने पर लोग सुरक्षित महसूस करते हैं इससे मानसिक शांति बनाए रखने में भी सहायता मिलती है किसी परेशानी के विपदा के समय लोगों को कोई ऐसा व्यक्ति ही होता है जो उनके साथ खड़ा रहे सोचो अगर तुम्हारा कोई प्रयोजन तुम्हें छोड़कर चला जाए तो क्या तुम्हारी महंगी गाड़ी में तसल्ली दे पाएगी
क्या तुम्हारा आलीशान घर तुम्हें तुम्हारी मुसीबत से बाहर निकालने में मदद करेगा नहीं क्योंकि चीजें इंसान की जगह नहीं ले सकती तुम चाहे कितने ही अमीर क्यों न बन जाओ मुसीबत के समय तुम्हारा परिवार और तुम्हारे सच्चे मित्र तुम्हारे काम आएंगी अगर तुम्हें नए मित्र बनाने और अच्छा रिश्ता बनाए रखने में परेशानी होती है
तो सबसे पहले अपना नजरिया बदले बिना लोगों को अच्छे से जानें उनके बारे में अपनी गलत राय बनाना बंद करो तुम जितना खुले दिल और दिमाग़ के साथ अपना जीवन जी होगी तुम उतनी ही आसानी से लोगों को समझ पाओगे ज्यादातर समय तो ऐसा होता है कि हम किसी को ठीक से जाने बिना ही उसके बारे में एक राय बना लेते हैं हम पहले से ही मानकर चलते हैं कि वह इंसान ऐसा होगा यह वैसा होगा इसीलिए दूसरों के बारे में जानने और समझने के लिए थोड़ा समय लो हो सकता है कि सामने वाले को लेकर बाद में तुम्हारी राय एकदम से बदल जाए एक बात याद रखो सच्ची दोस्ती तभी होगी जब तुम सच्चे बनोगे जब तुम खुले दिल से बात करोगे तभी सामने वाला भी अपने दिल की बात कहने की हिम्मत करेगा याद रखो ठंडे स्वभाव वाले व्यक्ति से हर कोई किनारा करने की कोशिश करता है यह तो हो गई नए दोस्त बनाने की बात लेकिन अगर तुम्हारे पहले से ही दोस्त हैं रिश्ते हैं और उनके साथ तुम्हारे रिश्ते टूटने की कगार पर है तब तुम्हें क्या करना चाहिए एक बात हमेशा याद रखूंगा
एक अच्छा रिश्ता बनाए रखना ऐसा ही है जैसा ठंडी रातों में आपके पास बैठना जैसे अगर तुम आग से बहुत दूर बैठोगे तो तुम्हें उसकी गर्माहट का एहसास नहीं होगा और अगर तुम बहुत पास बैठ गए तो फिर तुम्हें ज्यादा गर्मी लगेगी ठीक ऐसा ही जब किसी रिश्ते में करीब या ज्यादा बढ़ जाती है तो अक्सर बोरियत होने लगती है इसीलिए तुम्हें अपने रिश्तों में संतुलन बनाकर चलना होगा बेशक अपने रिश्तों में मजबूती लाओ लेकिन इतनी करीबी भी मत रखो कि सामने वाले को घुटन महसूस होने लगी रिश्तों में भी थोड़ी दूरी होनी चाहिए जिससे तुम्हारा तुम्हारे दोस्तों और करीबी लोगों के साथ एक मजबूत रिश्ता हमेशा के लिए बना रहे व्यक्ति ने बौद्ध भिक्षु से अगला प्रश्न किया लोग क्या कहेंगे स्तर को कैसे खत्म करें बौद्ध भिक्षु ने कहा अब जो तीन बातें मैं तुम्हें बताने जा रहा हूं उन्हें गांठ बांध लो क्योंकि ये तीनों ही बातें तुम्हें खुश रहने में काम आएंगे
सबसे पहली बात लोग तुम पर उतरे दिलचस्पी नहीं लेंगे जितना तुम चाहते हो तो व्यक्ति से पूछा क्या तुम्हें याद है पिछले हफ्ते तुम्हारे दोस्त ने क्या पहना था और उसने क्या खाया था व्यक्ति ने कहा नहीं मुझे याद नहीं तो भिक्षु ने कहा जैसे तुम्हें दूसरों की छोटी छोटी बातें याद नहीं रहती तो फिर उन्हें तुम्हारे बारे में कितना याद रहता होगा और जब लोगों को तुम्हारे बारे में याद ही नहीं है तो फिर चिन्ता करके क्या फायदा कि लोग क्या कहेंगे असल में लोग हमारे बारे में उतरा नहीं सोचते जितना हमें लगता है दूसरी बात हर कोई तुम्हें पसंद करेंगे यह जरूरी नहीं क्या तुम सबको पसंद करते हो नहीं न तो फिर तुम दूसरों की उम्मीद करती हूं क्यों तुम्हें पसंद करें अगर कोई तुम्हें पसंद करता है तो अच्छा है और अगर नहीं करता तो कोई बात नहीं किसी की पसंद या नापसंद से तुम्हें फर्क नहीं पड़ना चाहिए इन बातों को स्वीकार करना सीखो यह सब जीवन का हिस्सा है जब सबको खुश रखना संभव नहीं है
तो फिर हम इसकी इतनी चिंता क्यों करें तीसरी बात ज्यादातर चीजें जो हम दूसरों के नाम पर करते हैं असल में खुद के लिए कर रहे होते हैं इसीलिए खुद के प्रति ईमानदार रहना भी एक बड़ी बात है तो पर दिल बड़ा करो तो दुनिया भी तुम्हारे लिए दिल बड़ा करेगी लेकिन अगर तुम स्वार्थी बनोगे तो दुनिया भी अपना स्वार्थ निकालेगी सभी लोग प्रार्थना करते हैं कि उनका परिवार सुरक्षित रहें क्यों क्योंकि वह अपने परिवार से प्रेम करते हैं लोग यह सोचकर डरते हैं कि कहीं उनके जीवनसाथी या बच्चे को कुछ होना जाए क्योंकि वो अकेले रहने से डरते हैं देखा जाए तो अंदर से हर इंसान स्वार्थी है जब तक कि कोई बुद्ध या महावीर न बन जाए स्वार्थ से छुटकारा पाना मुश्किल है इसलिए वही विचार करो जिसमें तुम्हें खुशी मिले में बहुत आसान लगता है ना जीवन बदलने वाली चीजें आसानी होती है बस हम उन्हें मुश्किल बना लेते हैं इसीलिए क्या होगा यह सोचकर चिंता करने की बजाय उस पर ध्यान दो जो तुम अभी वर्तमान में कर सकते हो बौद्ध भिक्षु ने आगे कहा बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म में लोग एक सिद्धांत को मानते हैं जिसे कहा जाता है कर्म का सिद्धांत या सिद्धांत कहता है कि जैसा करोगे वैसा भरोगे यानी इंसान को उसके कर्मों का फल मिलता ही है इसीलिए अगर जीवन में सबकुछ अच्छा चाहते हो तो अच्छे कर्म करना शुरू कर दो जीवन में सफलता खुशी और समृद्धि चाहते हो तो ईमानदारी के साथ मेहनत करना और सही कम करना शुरू कर दो इतना कहने के बाद बौद्ध भिक्षु ने अपनी बात समाप्त किया उस परेशान व्यक्ति को भी अपने प्रश्नों का उत्तर मिल चुका था उसने इस जानकारी के लिए बौद्ध भिक्षु का धन्यवाद किया और वहां से चला गया दोस्तों उम्मीद करता हूं कि आपको यह कहानी पसंद आई होगी और कुछ सीखने को मिला होगा धन्यवाद