कभी सफल नहीं बनोगे अगर ये गलतियां करोगे।

एक बार की बात है जापान में पहाड़ियों के बीच बसे एक गांव में हिरोशी नाम का एक आदमी रहता था जो कि अपनी बुद्धिमता दयालुता और कड़ी मेहनत के लिए जाना जाता था उसमें वह नेचुरल करिश्मा था जो लोगों को उसकी ओर आकर्षित करता था पर एक बात की कमी उसे हमेशा खलती थी कि उसे वह सम्मान नहीं मिल रहा है जिसका वह हकदार है और इसकी वजह थी उसकी छः आदतों का एक समूह जो के विकास में बाधा डाल रहे थे और उसे उसकी क्षमता तक पहुंचने से रोक रहे थे एक दिन वह पहाड़ की चोटी पर गया जहां पर एक जिन मास्टर एक साधारण सी मंदिर में रहा करती थी वहीं ज़ेन मास्टर उस पूरे क्षेत्र में अपनी बुद्धि और आत्म ज्ञान के लिए प्रसिद्ध थे जिन मास्टर ने जैसे ही हिरोशी को अपनी तरफ आते देखा उन्होंने एक लंबी मुस्कान के साथ उसका स्वागत किया
और उसे बड़े ही प्रेम से बैठने के लिए कहा इसके बाद ही रूसी अपना दिल खोलकर अपने संघर्ष और मुश्किलों की कहानी जिन मास्टर कुछ मारने लगा इन्हीं संघर्षों को वह अपने जीवन की सबसे बड़ी समस्या मानता था उसकी सारी समस्याओं का मुद्दा केवल एक था कि उसे सम्मानित महसूस नहीं होता था जिन मास्टर उसकी सारी बातों को ध्यान से सुनते जा रही थी और बीच बीच में अपना सिर हिलाती जा रही थी जब हिरोशी ने अपनी बात खत्म कर ली और चुप हो गया तो जिन मास्टर ने बहुत ही शांत और सुखद आवाज में कहा प्रिय ही रूसी सम्मान अर्जित किया जाता है दूसरों का सम्मान पाने के लिए तुम्हें पहले खुद का सम्मान करना सीखना होगा और ऐसा करने के लिए तुम्हें उन आदतों को पीछे छोड़ना होगा
जो तुम्हें आगे बढ़ने से रोक रही है हिरोशी लिए उम्मीद भरी नजरों से जिन मास्टर की ओर देखा क्योंकि वह यह जानने के लिए उत्सुक था कि वो छः आदतें कौन सी है और उनसे छुटकारा कैसे पा सकते हैं जिन मास्टर आदतों को बताना शुरू किया जिन मास्टर ने कहा पहली आदत जो तुम्हारे काम में सबसे बड़ी बाधा है और तुम्हें छोड़नी चाहिए वो है काम को टालना अपने काम में देरी कर करके तुम खुद को आगे बढ़ने और महानता हासिल करने के लिए उचित अवसर से दूर हो जाते हो काम को टालने का अर्थ है अपनी सफलता को टालना याद रखो अगर तुम उस काम को टाल रहे हो तो कोई और उस काम को करके उस सफलता को छीन ले जाएगा और तुम्हारा सपना सिर्फ सपना बनकर ही रह जाएगा इसीलिए अनुशासन अपनाओ और अपनी जिम्मेदारियों को पूरे मन से निभाओ दूसरी आदत है लोगों को जज करने की आदत हम किसी को बिना जाने बिना अच्छे से पर भी उसके बारे में एक विशेष राय बना लेते हैं और अक्सर यह राय नकारात्मक ही होती है राय बनाने का मतलब है कि फिर हम उस चीज योग इंसान को वैसा नहीं देख पाएंगे जैसा वो असल में है क्योंकि हमारी राय इसमें हमारी बाधा बन जाती है और हम उस इन्सान वस्तु या परिस्थिति के मूल स्वभाव को समझने में विफल रह जाते हैं जिन मास्टर का कहना था कि किसी को भी बिना अच्छे से जानें या किसी भी परिस्थिति को बिना समझे हमें उसके बारे में अपनी नकारात्मक या सकारात्मक राय नहीं बनानी चाहिए तीसरी आदत जन्माष्टमी बताइए कि हर चीज के लिए दुखी होना बंद करो हर परिस्थिति और हर चीज हमारे नियंत्रण में नहीं हो सकती और ना ही हर चीज हमारे इच्छानुसार होगी हमेशा कुछ न कुछ ऐसा होता ही रहेगा जो हमारी मर्जी के खिलाफ होगा इसीलिए जो चीजें तुम्हारी नियंत्रण में नहीं हैं और जिनके लिए तुम कुछ भी नहीं कर सकते हैं उनके लिए दुखी होना बंद करो चौथी आदत है जलन और ईशा को दूर करो और तुम्हारे अंदर जो भी शिकायतें जो भी असंतोष है उसे भी हटाओ बेवजह कि ईर्ष्या और गुस्सा अपने मन में रखकर हम खुद को ही नुकसान पहुंचाते हैं इसके कारण हमारे भीतर दर और संकट पैदा होती है जिससे बुद्धि दूषित हो जाती है और भ्रम पैदा हुई लगता है और भ्रम की वजह से किसी भी काम में सफलता नहीं मिल पाती इसीलिए जितना जल्दी हो सके खुद को इन नकारात्मक आदतों से दूर करो पाँच मी आदत जिसे तुम्हें छोड़ देना चाहिए वह है दूसरों को दोष देने की आदत किसी भी गलती का दोष दूसरों पर डाल देना यह बहुत ही गलत बात है इससे समाज भी हमारी बहुत ही खराब छवि बनती है और हमारा ध्यान गलतियों से सीखकर आगे बढ़ने की बजाय गलतियों को छिपाने और दूसरों को गलत साबित करने में लग जाता है जो हमारे साथ कुछ अच्छा होता है तो हम उसका श्रेय लेना नहीं भूलते तो अगर कुछ गलत होता है तो उसका दोष भी हमें खुद को ही देना चाहिए दूसरों को दोष देना असफल लोगों की निशानी है असफल लोगों की आदत होती है कि वे अपनी असफलता के लिए दूसरों को दोष देते हैं कभी कभार ऐसा हो जाता है कि किसी और की गलती की वजह से हमारा काम बिगड़ जाता है लेकिन जब कोई व्यक्ति अपनी असफलता के लिए बार बार किसी और को दोषी बना रहा है तो समझ लें ना कि इसमें किसी और की नहीं बल्कि खुद उस व्यक्ति की ही गलती है अपनी गलती को मान लेने से हम छोटी या कमतर नहीं बन जाते हैं इसीलिए अपनी असफलता पर किसी और को दोषी बनाने से अच्छा है अपनी गलती को मानो और से सीखकर आगे बढ़ो छठी और आखिरी गलती है दूसरों से अपनी तारीफ सुनने की आदत हम दूसरों को दिखाने के लिए अक्सर कुछ न कुछ नया करते रहते हैं हर चीज के लिए हम चाहते हैं कि लोग हमारी तारीफ करें हमारे बारे में अच्छा बोले और हम जो भी काम करें लोग उसकी प्रशंसा करें अगर किसी बात के लिए हमारी आलोचना होती है तो हम बहुत दुखी हो जाते हैं और इस तरीके से हम लोगों के हाथों की कठपुतली बनकर रह जाते हैं इसीलिए हमें दूसरों की तारीफ की कोई जरूरत नहीं है और वैसे भी लोगों की तारीफें खोखली होती है जो एक पल में हमें आसमान पर पहुंचा देती है तो दूसरे ही पल नीचे जमीन पर पटक देती है इसीलिए हमें लोगों की तारीफ़ और बुराई से फर्क नहीं पड़ना चाहिए और जो हमें पसंद है और जो हमें सही लगता है वहीं करना चाहिए बशर्ते वो नैतिकता पर खरा उतरता हूं
हिरोशी ने जिन मास्टर से कहा आपने छः बुरी आदतों के बारे में तो बता दिया लेकिन पुरानी आदतों को छोड़ना और नई आदतों को अपनाना बहुत मुश्किल होता है तो मेरा प्रश्न है कि आखिर हमारा मन नई आदतों को अपनाने का विरोध क्यों करता है और नई आदतों को आसानी से कैसे अपनाया जा सकता था है जिन मास्टर ने कहा ज्यादातर लोग आदतों को बदलने में असफल रहते हैं क्योंकि उनकी उस नई आदत के साथ अवास्तविक उम्मीदें जुड़ी होती है जैसे अगर कोई व्यक्ति सुबह जल्दी उठकर व्यायाम करने की नई आदत डालना चाहता है तो वह उम्मीद लगा लेता है कि उसकी इस नई आदत से उसका वजन तेजी से कम होना शुरू हो जाएगा या फिर उसका शरीर तेजी से शक्तिशाली बन जाएगा जबकि असल में ऐसा नहीं होता इन दोनों ही परिणामों को हासिल करने में समय लगता है लेकिन हमारा मन पहले से ही यह निश्चित कर लेता है कि परिणाम कैसा होना चाहिए और जब हमारी उम्मीदों के अनुसार परिणाम नहीं मिलते तो
हम निराश और उदास हो जाते हैं और अपनी पुरानी आदतों में वापस लौट जाते हैं लेकिन जो व्यक्ति वास्तविक और सही उम्मीदों के साथ नई आदत की शुरुआत करता है वह उदास और निराश होने से बचाता है और आदत बदलने के दौरान अपने आंतरिक विरोध पर काबू पा लेता है अब अगला प्रश्न है कि आदतों को आसानी से कैसे अपनाया जाए तो ऐसा करने के पाँच आसान नियम है पहला अपने विचारों को लिखो उन सभी चीजों की पहचान करो जिन्हें तुम बदलना चाहते हो चाहे वो छोटी हो या बड़ी उन सबको लिखो दूसरा नियम छोटे कदम उठाओ सबसे छोटी आदत से बदलाव करना शुरू करो इस बदलाव को इतना आसान बना हूं जिसे तुम मना न कर सको उदाहरण के लिए हर सुबह की शुरुआत दो मिनट के धन्यवाद के साथ करो या फिर हर सुबह सिर्फ पाँच मिनट ध्यान का अभ्यास करने का निर्णय लो तीसरा नियम अपने आलस्य और टाल मटोल की आदत को कम करो और इसके लिए सचेतन रूप से अपने काम के परिणाम को किसी मजे से जोरू उदाहरण के लिए अपने आपसे कहूं कि जब मैं सुबह का ध्यान और व्यायाम पूरा कर लूंगा तब एक कप चाय पी होगा यानी जब तुम अपने ध्यान और व्यायाम के नियम को पूरा कर लो कि तभी चाय पियोगे उससे पहले नहीं चौथा नियम है अपने काम को आदत बनने दो यानी दूर
नई आदत तब तक मत शुरू करो जब तक तुम्हारा ये वाला काम तुम्हारी आदत न बन जाए तुम्हारी दिनचर्या का हिस्सा न बन जाए पाँच मी आदत है आभार यह धन्यवाद का भाव तुम जिस भी आदत को अपने जीवन में बढ़ावा देना चाहते हो उससे जुड़ी चीजों के लिए ब्रम्हांड या उस परमशक्ति का आभार व्यक्त करना शुरू कर दो उदाहरण के लिए अगर तुम खुश रहने की आदत विकसित करना चाहते हो तो उन तमाम अच्छी चीजों के लिए आभार व्यक्त करना शुरू कर दो जिनकी वजह से तुम्हारे जीवन में खुशियां है और फिर तुम देखोगे कि वह सभी अच्छी चीजें कई गुना बढ़कर तुम्हारे पास वापस आनी शुरू हो जाएंगी एक बात याद रखो जो लोग निष्क्रिय और संवेदन हीन होकर बैठे रहते हैं वे गलतियां नहीं करते गलतियां भी वही लोग करते हैं जो कुछ नया करने का प्रयास करते हैं गलतियां करना और उनसे सीखना मानव जीवन का हिस्सा है इसीलिए गलतियां करने से डरो मत लेकिन एक ही गलती को बार बार दोहराना भी मूर्खता है
जिन मास्टर ने आगे कहा अब मैं तुम्हें दस ऐसी आसान आदतों के बारे में बताऊंगा जो एक आसान और अधिक व्यवस्थित जीवन जीने के लिए जरूरी है जब तुम इनमें से कुछ आदतों को लागू कर लोगे तो तुम खुद को एक नियंत्रण की भावना के साथ पाओगे और पाओगे कि तुम बिना थके पहले से भी कहीं ज्यादा काम कर रहे हो
हालांकि तुम्हें इन सभी दस आदतों को लागू करने की जरूरत नहीं है इनमें से कुछ आदतें दूसरों की तुलना में ज्यादा लागू होंगे यह तुम्हें तय करना है कि कौन सी आदत तुम्हारे लिए काम करेगी पहली बात आदतें इकट्ठी करो तुम्हारे पास आने वाले किसी भी अच्छे विचार काम या मौके कोई कागज पर लिखना शुरू करो अपने साथ एक छोटी जारी रखना शुरू करो दूसरी आदत जब तुम्हारे पास सारी जानकारी और सारी चीजें इकट्ठा हो जाए तो इसके बारे में ठीक से सोचो और फिर निर्णय लेने में ज्यादा देरी मत करो तुरंत निर्णय लो और काम पर लग जाओ तीसरी आदत उन तीन सिर्फ कामों को लिखो जिन्हें तुम्हें हर दिन पूरा करना है और हर हाल में पूरा करने का प्रयास करो चौथी आदत एक समय में सिर्फ एक काम पर ध्यान लगाने की आदत डालो कभी भी एक ही समय पर एक से ज्यादा काम करने का प्रयास मत करो पांचवीं आदत चीजों को सरल और साधारण रखो खासकर अपनी उस सूची को जिस पर तुम अपने लक्ष्य और योजनाओं को लिखते हो अपनी सूची को एकदम स्पष्ट सरल और आसानी से पढ़ने लायक बनाओ छठी आदत अपने कमरे पर काम करने की जगह को हमेशा साफ सुथरा और व्यवस्थित रखो चलते फिरते या थोड़ा समय निकालकर अपने आसपास की चीजों को व्यवस्थित करने की आदत डालो सातवीं आदत साप्ताहिक लक्ष्य निर्धारित करना और उसे बार बार जांचना कि वह पूरी तरह से सही है और अगर कुछ बदलाव करने है तो तुम वह भी कर सकते हो आठवीं आदत आदतों को आसान बना ओ केवल जरूरी चीजों पर ध्यान केंद्रित करो और बाकी चीजों को छोड़ दो नौमी आदत सुबह और शाम कि वह सुसंगत दिनचर्या जिसका तुम आनंद लेते हो उसे बनाए रखो क्योंकि यह तुम्हें अंदर से खुश और तरोताजा बनाए रखेगी दशमी आदत तुम्हें जिस चीज में पैशन है उस तरह की आदतें खोजो अपना जीवन उन चीजों के लिए समर्पित करो जिनके लिए तुम एक पैसे रखते हो फालतू की चीजों और कामों के लिए अपनी ऊर्जा और समय बर्बाद मत करो तो ये थी वो सभी आदतें जो तुम्हारे जीवन को बदल कर रख सकती है लेकिन इन सभी आदतों को एक साथ अपनाने की गलती मत करना जब एक आदत तुम्हारी दिनचर्या का हिस्सा बन जाए तब दूसरी की तरफ कदम बढ़ाना इतना कहने के बाद जिन मास्टर अपनी बात समाप्त की और ही रूसी ने भी जिन मास्टर का धन्यवाद किया और अपने घर वापस आकर जिन मास्टर की बताई बातों का पालन करने लगा दोस्तों उम्मीद है कि आपको यह कहानी पसंद आई होगी और कहानी में यहां तक बने रहने के लिए आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद