यह कहानी एक योद्धा के जीवन से प्रभावित एक मोटिवेशनल स्टोरी है जो आपको अपनी जिंदगी को देखने का एक नया नजरिया सिखाएगी और अगर आपने इस कहानी से मिलने वाली सीख को समझ लिया तो आपकी पूरी जिंदगी बदल जाएगी शाम जो कि इस कहानी का नायक है उसे एक रात बुरा सपना आता है जिसमें वह हर रोज की तरह अपने गुरु के आश्रम में तलवारबाजी के मुश्किल दांव पेचों का अभ्यास कर रहा था उसका अभ्यास अच्छा चल रहा था लेकिन जैसे ही वह एक ऊंची छलांग लगाकर जमीन में वापस आता है उसका एक पेड़ टूटकर कांच के टुकड़ों की तरह बिखर जाता है उसकी ऐसी हालत देखकर सभी लोग डर जाते हैं लेकिन एक रहस्यमय आदमी बड़ी शांति से उन टुकड़ों को इकट्ठा करने लगता है जिसने भूरे रंग के जूते पहने हुए थे सांप घबराकर नींद से जाग जाता है उस समय रात्रि का अंतिम प्रहर चल रहा था और वे खुद को शांत करने के लिए बाहर टहलने निकल जाता है कुछ देर चलने के बाद वह एक पुराने से घर के बाहर आकर रुक जाता है और उसके बाहर बने चबूतरे पर जाकर बैठ जाता है तभी एक बूढ़ा आदमी उस घर से बाहर निकलता है जिसने बिल्कुल वैसे ही जूते पहन रखे थे जैसे सांप ने अपने सपने देखे थे सब उससे कहता है कि तुम्हारे पैरों में अलग अलग जुटे हैं तो जवाब में वह आदमी कहता है कि इसमें से एक जूता नया है और दूसरा पुराना फिर शाम वहां से उठकर जाने लगता है और वह आदमी वही चबूतरे पर बैठ जाता है लेकिन जब अगले ही पल साहब पीछे मुड़कर उस आदमी को देखता है तो वह आदमी उस घर की छत पर हो चुका था जो कि आश्चर्य चकित कर देने वाली बात थी क्योंकि एक बूढ़े आदमी के लिए बिना किसी सहारे के इतनी जल्दी छत पर हो जाना असंभव आती साहब उस बूढ़े आदमी से पूछता है कि उसने ऐसा कैसे किया लेकिन वह आदमी रहस्यमय ढंग से चुपचाप उसकी ओर देखता रहता है तो साहब वहां से चला जाता है फिर सांप आश्रम के अभ्यास मैदान में तलवार बाजी का अभ्यास करने जाता है अपने आश्रम का सर्वश्रेष्ठ तलवार वास था लेकिन वे अपने प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं था वह खुद को दूसरों से बेहतर समझता था इसीलिए वे थोड़ा घमंडी भी था अपने आपको सबसे श्रेष्ठ साबित करने के लिए वे तलवारबाजी पर ऐसे ऐसे प्रयोग करता था जो कि बहुत ही मुश्किल और खतरनाक थे ऐसे प्रयोग करके वह सर्वश्रेष्ठ तलवारबाज बनना चाहता था क्योंकि तलवार बाजी के क्षेत्र में ऐसे प्रयोग और अभ्यास आजतक किसी नहीं किए थे लेकिन इन अभ्यासों को वह कर नहीं पा रहा था और बार बार जमीन पर गिर जाता था उसके गुरु को यह सब जान लेवा अभ्यास पागलपन लगती थी मैं उसे कहते हैं कि तुम एक बेहतरीन योद्धा हो लेकिन तलवार बाजी कि इन अभ्यासों को कर पाना संभव नहीं है क्योंकि इसके लिए असाधारण ताकत अचूक तकनीक और निडरता की जरूरत है और अगर तुम से जरा सी भी गलती हुई तो तुम बुरी तरह घायल हो सकते हो या फिर तुम्हारी जान भी जा सकती है गुरु की बातें सांप को दुखी कर देती हैं उसे इन विशेष अभ्यासों को करने के लिए विशेष प्रशिक्षण की जरूरत थी तो मदद मांगने वह उस बूढ़े आदमी के पास चला जाता है सांप उससे पूछता है कि आप पलक झपकते ही उस ऊंची दीवार पर उस दिन कैसे चढ़ गए थे क्योंकि मैं खुद एक योद्धा हूं और में अच्छी तरह जानता हूं कि कोई भी हो ऐसा नहीं कर सकता वह आदमी कहता है उसे समझने के लिए अभी तुम बहुत कमजोर हो और तुम्हें बहुत कुछ सीखने की जरूरत है लेकिन शाम को अपने अभ्यास और ज्ञान पर बहुत घमंड था इसीलिए वह कहता है कि मुझे हर चीज की जानकारी है और तुम मुझसे कोई भी सवाल पूछ सकते हो तो वह बूढ़ा आदमी उसे पूछता है कि क्या तुम खुश हो सांप को यह प्रश्न बेमतलब रखता है लेकिन फिर भी वह कहता है कि मेरे पिता के पास बहुत सारा धन है मैं पढ़ाई में भी अच्छा हूँ मेरे अच्छे मित्र हैं मैं देखने में सुंदर हूं और लड़कियां मुझे पानी के लिए मरती है जवाब में वह बूढ़ा आदमी कहता है कि अगर तुम्हारे पास सबकुछ है तो फिर तुम रात में सो नहीं पाते तुम कल भी रात्रि के अंतिम प्रहर में मेरे पास आई थी और आज भी तुम रात्रि के अंतिम प्रहर में ही आए हो उस बूढ़े व्यक्ति की रहस्यमयी बातें सुनकर सब उसकी तुलना दुनिया के महान दार्शनिकों से करने लगता है और उसे दार्शनिक बाबा के नाम से ही बुलाने रखता है उसके बाद वह आदमी पूछता है कि अगर तुम देश के सर्वश्रेष्ठ तलवारबाज की प्रतियोगिता का हिस्सा न होते तो तुम क्या कर रहे होते हैं यह प्रश्न शाम को अंदर से हिला कर रख देता है क्योंकि उसने सर्वश्रेष्ठ तलवारबाज बनने के अलावा और कुछ भी नहीं सोचा था और उस बूढ़े आदमी ने यह सवाल पूछा क्यों सांप को लगता है कि वह आदमी सनकी है इसीलिए वह घबराकर वहां से चला जाता है और उसे भूलने का प्रयास करने लगता है अपनी रोजमर्रा की जिंदगी की तरह व दोस्तों के साथ मुझे करता है नशा करता है और लडकियों को आकर्षित कर उनके साथ समय बिताता है और इसी दौरान अचानक सिर्फ एक पल के लिए वह दार्शनिक बाबा उसके सामने आ जाता है जो एक इशारा था कि साहब अपनी हरकतें सुधारी तो सांप दार्शनिक बाबा से मिलने उसके पास चला जाता है उन दोनों में थोड़ी बातचीत के बाद गीता नाम की लड़की खाना लेकर आती है जो कि उस बूढ़े व्यक्ति की मुंहबोली बेटी थी फिर दोनों खाना खाने लगते हैं तो साहब अपनी भूमि खानापूर्ति लगता है और जल्दी जल्दी खाने लगता है लेकिन तांत्रिक बाबा कहता है कि तुम अपना खाना आराम से आनंद लेते हुए खाना चाहिए वह कहता है कि तुम्हारे अंदर बहुत शीघ्रता देते हैं और अगर तुम मुझसे प्रशिक्षण लेना चाहते हो तो आज सहित तुम्हें मित्रों के साथ बेमतलब घूमना नशा करना मांस खाना शारीरिक संबंध बनाना बंद करना पड़ेगा लेकिन शाम को अपने प्रशिक्षण और अभ्यास पर बहुत घमंड था तो दार्शनिक बाबा उसे कुछ समय के लिए घुटने मोड़कर खड़े रहने के लिए कहता है
देखने में तो बहुत आसान लगता है लेकिन थोड़ी ही देर में सांप का सब्र जवाब दे देता है और वह भी जमीन पर गिर पड़ता है अपने घमंड टूटने और खुद को बेइज्जत महसूस करने के बाद सांप गुस्से में वहां से जाने लगता है तो दार्शनिक बाबा उसे कहता है कि आत्मानुभव हमें बहुत सी नई चीजें सिखाता है हमारे अंदर हर सवाल का जवाब है इसलिए बाहर से सोचना बंद करो और अपने अंदर अपने आत्म अनुभव से उनके जवाब हो फिर तुम्हें पता चलेगा कि तुम रात को इसलिए नहीं सो पाते क्योंकि तुम अंदर से खाली हो और तुम्हें अपने खालीपन से डर लगता है वह यह भी कहता है कि एक योद्धा के लिए शरीर और दिमाग दोनों पर नियंत्रण होना बेहद जरुरी है और वह सांप को एक योद्धा की तो प्रशिक्षित करने के लिए मान जाता है अगले दिन शाम जो अपने आश्रम के अभ्यास मैदान में जाता है तो वहां उसे पता चलता है कि उसके मित्र सबल के हाथ में अभ्यास के दौरान गहरी चोट आ गई है और अब सब्बल देश की सबसे बड़ी प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं ले पाएगा इस बात से सबल को प्रशिक्षित करने वाला शिक्षक बहुत परेशान था क्योंकि सबल तीरंदाजी में सबसे श्रेष्ठ योद्धा था रात को सांप फिर दार्शनिक बाबा से मिलने जाता है उस समय दार्शनिक बाबा बैल गाड़ी के पहिए को सुधार रहे थे वह सांप से एक लोहे का टुकड़ा मांगता है तो शाम जानबूझकर उस लोहे के टुकड़े को बाबा की तरफ तेजी से देखता है लेकिन बाबा बिना उसकी ओर देखा बड़ी आसानी से उस लोहे को टुकड़े को अपने हाथों में पकड़ लेता है सांप दोबारा से ऐसा करता है लेकिन तांत्रिक बाबा फिर से उसे बिना देखे पकड़ लेता है दार्शनिक उससे कहता है कि हमारे दिमाग में लाखों बेतुके विचार चलते रहते हैं जो हमारे लक्ष्य को धुंधला बनाकर हमें भटका देते हैं फिर वह साहब को थप्पड़ मारकर उसे उकसाता है और बदले में मुक्का मारने के लिए कहता है पहले तो साहब शांत रहता है लेकिन जब दार्शनिक बाबा पर हमला करता है तो दार्शनिक उसे पलक झपकते ही चारों खाने चित्त कर देता है और उससे कहता है कि अपने लक्ष्य के अलावा जो कुछ भी तुम्हारे दिमाग में चल रहा है वह सब बेकार है उस कचरे को अपने दिमाग़ से बाहर निकाल दो और वह उसे अगली सुबह नदी के पुल के ऊपर मिलने बुलाता है अगले दिन जब सांप नदी के पुल पर पहुंचता है तो दार्शनिक उसे धक्का देकर उनसे नीचे गिरा देता है साहब गुस्से में दार्शनिक पर चिल्लाने लगता है तब दार्शनिक कहता है जिस पल तुम नीचे गिर रहे थे उस पल तुम्हारा दिमाग बिल्कुल खाली था अब फिर से उसमें कचरा भर चुका है सब गुस्से में कहता है कि मेरे दिमाग़ में कोई कचरा नहीं भरा है तो दार्शनिक साहब के दिमाग पर नियंत्रण करके वह सब देखने लगता है जो उसके दिमाग में चल रहा था फिर वह कहता है कि अगर तुम अपना ध्यान इन फिजूल के विचारों में रखोगे तो तो अपने वर्तमान के पलों को जी नहीं पाओगे और जब तो अपना सारा ध्यान वर्तमान के पलों में रखोगे तब तुम्हें पता चलेगा कि तुम क्या कर सकते हो और कितने अच्छे से कर सकते हैं हम इसके गुलाम बनकर रह जाते हैं हमारे विचार अक्सर दोहराए जाने वाले और बेकार होते हैं सबल को चोट लगने के बाद तीरंदाजी सिखाने वाला शिक्षक सभी छात्रों की परीक्षा ले रहा था इस दौरान शाम दार्शनिक किसी सिखाई तरीके से अपने ध्यान को एकाग्र करने में सफल हो जाता है और पूरी एकाग्रता के साथ तीरंदाजी का बेहतरीन प्रदर्शन करके दिखाता है जो कि शायद सबल से भी बेहतर था सभी लोग
से प्रदर्शन को देखकर हैरान रह जाते हैं फिर उस रात शाम दार्शनिक को पूरी बात बताता है वह खुश था और उसे अपने प्रदर्शन पर नाज था क्योंकि दूसरे खिलाड़ी उद्धव से जलने लगे थे लेकिन दार्शनिक उसकी बातों में कोई दिलचस्पी नहीं थी वह कहता है कि तुम अभी भी अतीत में जी रहे हो और तुम अपने प्रदर्शन पर घमंड भी है इसका मतलब अभी तुम कुछ भी नहीं सीखे इतना कहकर मैं उसे घर जाने के लिए कहता है और आज रात उसे कुछ भी खाने से मना कर देता है लेकिन यहां कुछ अजीब होता है साहब वहां छुपकर सुबह होने का इंतजार करता है और सुबह होते ही दार्शनिक का पीछा करने लगता है दार्शनिक साहब के आश्रम के अभ्यास मैदान में चला जाता है और जाकर एक ऊंचे स्थान में बैठ जाता है जब शाम उसके बगल में जाकर बैठता है
है तो वह महसूस करता है कि वह सभी खिलाड़ी योद्धाओं के दिमाग़ को पढ़ पा रहा है वो उनके दिमाग में चल रही सभी बातों को सुन सकता है उसे हैरानी तो तब होती है जब शाम स्वयं को उस अभ्यास मैदान में आते ही भी देखता है यह देखकर वह अपनी जगह से नीचे गिर जाता है फिर उसे पता चलता है कि ये सब तो उसका भ्रम है न तो सुबह हुई थी और ना ही उसने दार्शनिक का पीछा किया था यह तो दार्शनिक था जो उसके दिमाग़ से खेल रहा था दार्शनिक उससे कहता है कि अभी तो बहुत कुछ सीखना बाकी है लेकिन शाम को बुरी तरह से डर चुका था तो वह घबराकर वहां से चला जाता है इस घटना का साम्य पर उल्टा असर पड़ता है उसका आत्मविश्वास नीचे गिरने लगा था जो उसके साथ ही योद्धा भी महसूस करते हैं और उसका शिक्षा
भी क्योंकि उसका प्रदर्शन कमजोर पड़ने लगा था अगले दिन वह दार्शनिक के घर के बाहर गीता को देखता है जो कि दार्शनिक के लिए खाना लेकर आई थी गर्व से कहता है कि मुझे लगा था कि दार्शनिक के तरीकों से में एक बेहतर योद्धा बन सकता हूं लेकिन मेरे साथ बिल्कुल उल्टा हो रहा है फिर दार्शनिक सांप से वो सारे काम करवाता है जो आज से पहले उसने कभी नहीं की थी जैसे कि कचरा साफ करना गंदगी साफ करना कपडे धोना लोगों की मदद करना घूमना और गप्पे मारना बंद मांस खाना बंद शारीरिक संबंध बनाना बंद सांप यह सब करता रहा था लेकिन उसे यह सब बेमतलब लग रहा था उसका प्रदर्शन सुधारने की बजाय दिन प्रतिदिन खराब होता रहा था क्योंकि वह दार्शनिक की शिक्षाओं को समझ नहीं पा रहा था और एक दिन तंग आकर दार्शनिक से झगड़ने लगता है वह कहता है कि गंदगी साफ करके में कौन सा युद्ध बन सकता हूं लेकिन दार्शनिक कहता है कि मैं तुम्हें किसी भी स्थिति में ध्यान करना सिखा रहा था और इससे तुम्हारा घमंड और बुरी आदतें कम हो जाएंगी लेकिन शाम का गुस्सा बढ़ता ही जा रहा था वह कहता है
कि तुमने पहले दिन मुझसे पूछा था कि क्या मैं खुश हूं तो आज मैं तुमसे पूछता हूं कि क्या तुम इस खंडहर घर में खुसरो असल में शाम को लगता है कि दार्शनिक जिंदगी से हार हुआ व्यक्ति है जो अपनी जिन्दगी में सफल नहीं हो पाया और उसकी रहस्यमयी बातें सुनकर वह गलती से उसके चक्कर में फंस गया है दार्शनिक उसे अपनी भावनाओं पर काबू करने के लिए कहता है लेकिन तो उसकी एक भी सुनने को तैयार नहीं था और गुस्से में वह दार्शनिक से कहता है कि अपनी खुशी में खुद तलाश लूंगा और अपना प्रशिक्षण छोड़कर वहां से चला जाता है अफसोस शाम यह समझ नहीं पाया कि दार्शनिक उसे निस्वार्थ भाव से दूसरों की सेवा करना सिखा रहा था जिससे उसका घमंड कम हो सकता था खैर सामने अपनी पुरानी दिनचर्या को वापस अपना दिया था जैसे नशा करना मांस खाना दोस्तों के साथ भी बजे का समय बर्बाद करना लड़कियों को आकर्षित करके उनके साथ समय बिताना और दूसरों से श्रेष्ठ दिखने के लिए जानलेवा अभ्यास करना एक दिन ऐसे ही जगह खतरनाक अभ्यास कर रहा था तब ऊंचाई से गिरने पर उसका पैर
बुरी तरह घायल हो जाता है फिर इलाज के दौरान उसे पता चलता है कि उसके दाहिने पैर की हड्डी सिर्फ टूटी नहीं है बल्कि चकनाचूर हो गई है जिसमें अलग अलग सत्रह दरारें पड़ चुकी है चिकित्सक उसे कहते हैं कि अगर तुम अपने ठीक से ध्यान रखोगे तो अगले कुछ महीनों में तुम चलने लगेगी सिर्फ चलने सांप को पता चल चुका था कि उसका सर श्रेष्ठ तलवारबाज बनना लगभग असंभव हो चुका है क्योंकि उसे चलने के लिए भी बैसाखी का सहारा लेना पड़ता था और उसका प्रशिक्षण की पूरी तरह से बंद हो चुका था
टांग टूटने के साथ ही अब उसका घमंड भी टूट चुका था फिर एक दिन गीता उसे मिलती है उसे सांप की चिंता हो रही थी क्योंकि देश की सबसे बड़ी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का उसका सपना टूट चुका था वह दोनों एक दूसरे को अच्छी तरह से समझती थी और वह एक दूसरे को पसंद भी करने लगे थे शाम अपने सपने को ही टूटता हुआ नहीं देखना चाहता था इसलिए वह अपने शिक्षा
से मिलता है और कहता है कि मैं अभी की छोटी छोटी प्रतियोगिताओं में हिस्सा नहीं ले पाऊंगा लेकिन दस महीने बाद योद्धाओं के चुनाव की जो अंतिम प्रतियोगिता होगी मैं उसमें जरूर हिस्सा लूंगा जिसके लिए उसने प्रतियोगिता कराने वाली समिति को अपना आग्रह पत्र भी भेज दिया है लेकिन शिक्षक को उसकी हालत देखकर लगता है कि सांप आप कभी भी प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं ले पाए क्योंकि उसके पैर की हड्डियां टूटी हुई है और अब उसका प्रशिक्षण भी बंद हो चुका है अपने सपने को टूटता हुआ देखकर सब गुस्से से भर जाता है और घर जाकर तोड़फोड़ करने लगता है यह दौर उसकी जिंदगी का सबसे मुश्किल दौर था उसका सब कुछ बर्बाद हो चुका था अब उसके जिन्दा रहने का कोई मतलब नहीं था इसलिए अपनी जिंदगी खत्म करने के लिए वह एक ऊंची इमारत पर चढ़ जाता है इससे पहले कि वह नीचे कूद पाता वह कुछ अजीब होने लगता है उसे एक इंसान नजर आता है जो कोई और नहीं बल्कि उसी की बुरी पर छाई थी वो परछाई उसके घमंड उसके गुस्से उसके डर उसके संदेह और उसके अंदर चल रही उथल पुथल को दर्शाती है वह कोई और नहीं बल्कि उसी के अंदर का शैतान था उस शाम को नीचे कूदने के लिए उकसा रहा था यहां सांप समझ जाता है कि अगर वह अपने अंदर की सभी बुराइयों को खत्म कर देगा तो उसके अंदर शांत किया जाएगा अभी वह शैतान नीचे गिरकर हमेशा के लिए खत्म हो जाता है लेकिन यह सब तो बस उसका एक सपना था वह शैतान तो अभी भी उसके अंदर ही था उसने सपने के जरिए अपनी जिंदगी की सच्चाई को देखा था तो मदद मांगने उदासी के पास चला जाता है सांप डसने के पास जाकर उन्हें लगता है दार्शनिक उससे कहता है कि हर चीज का एक मकसद होता है अब तुम सवालों के जवाब अपने अंदर से ही धोने पड़ेंगे और जब तक तुम अपने अंदर से कोई खास जवाब नहीं मिलता तब तक तुम उस पेड़ के नीचे बैठे रहो सांप पेड़ के नीचे बैठकर सोचने लगता है उसके पास समय तो बहुत था लेकिन वह क्या सोचे उसे यह पता नहीं था वह बार बार अपने नए जब के साथ दार्शनिक से मिलता लेकिन हर बार दार्शनिक उसके जवाब से संतुष्ट नहीं हूं आता था और उसे वापस भेज देता था कि सारी रात सोचने के बाद जब सुबह हुए एक नए शादीशुदा जोड़े को देखता है तो उसे अपना जवाब मिल जाता है कि हमारी जिंदगी का एक एक पल बहुत खास है हमें अपनी जिंदगी की कद्र करनी चाहिए उसका यह जवाब सुनकर दार्शनिक खुश हो जाता है सबको को अपनी जिंदगी की कीमत पता चल चुकी थी अब ऊंची इमारत से कूदने की विचार उसके दिमाग में नहीं आएंगे दार्शनिक के साथ रहते हुए को बहुत सी नई बातें सीखता है दार्शनिक उसके अंदर फिर से जीने की आशा पड़ता है और अपनी जिंदगी फिर से शुरू करने के लिए उसे तैयार करता है फिर एक दिन शाम अपने मित्रों से मिलता है और अतीत में अपने बुरे व्यवहार के लिए उनसे क्षमा माँगता है उसके मित्र शाम का यह रूप देखकर हैरान रह जाते हैं दार्शनिक विचारों ने सांप को पूरी तरह से बदल दिया था और एक दिन सांप दार्शनिक से कहता है कि वह उसी की तरह लोगों की निस्वार्थ भाव से सेवा करने के लिए तैयार हैं लेकिन दार्शनिक उसे उसकी तलवार बाजी का प्रशिक्षण फिर से शुरू करने के लिए कहता है पर साहब उससे सहमत नहीं होता वह कहता है कि मेरे पैर की हड्डी टूटी हुई है मुझे नहीं कर सकता
दार्शनिक कहता है कि एक योद्धा कभी भी अपनी जीत या श्रेष्ठता की चिंता नहीं करता उसे जो कम सबसे प्यारा है वो से करता रहेगा चाहे उसमें उसकी जान ही क्यों न चली जाए फिर दार्शनिक उसे अभ्यास के लिए एक छोटे से मैदान में ले जाता है जिसे उसने तब तैयार किया था जब साहब घायल होकर बिस्तर में पड़ा था अपने पैर में सत्रह छोटे होने के बाद भी सांप पूरी मेहनत और लगन से अभ्यास करता है और खुद को आने वाली प्रतियोगिता के लिए तैयार करता है और एक दिन जब अभ्यास के लिए अपनी पुरानी आश्रम में जाता है तो उसे देखकर उसके साथ ही योद्धा और शिक्षक हैरान रह जाते हैं लेकिन सांप की परेशानी तो तब बढ़ती है जब उसका शिक्षक उसे एक चिट्ठी देता है प्रतियोगिता आयोजित कराने वाली समिति ने सांप की या का को खारिज कर दिया था समिति ने साहब के चिकित्सकों से बात की उन्होंने सांप के शिक्षक से भी पूछा लेकिन शिक्षक ने सांप को अपने घमंड में आकर जान लेवा अभ्यास करते हुए देखा था उसे लगता था कि सांप इस प्रतियोगिता के लिए पागलपन की किसी भी हद तक जा सकता है जो एक दिन खुद को ही मार डालेगा इसलिए उसे सांप की हिस्सेदारी का समर्थन नहीं किया
अपनी मंजिल के इतने करीब आकर एक बार फिर से उसका सपना टूट जाता है दार्शनिक उससे कहता है कि कोई भी असहमति पत्र तो रोक नहीं सकता तुम वह करती हूं जो तुम्हें अच्छा लगता है लेकिन साफ कहता है कि मेरा लक्ष्य सिर्फ अभ्यास करना नहीं बल्कि देश की सबसे बड़ी प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतना है दार्शनिक कहता है कि स्वर्ण पदक जितना सिर्फ एक लालच है अगर मिल भी जाए तो क्या जब तक तुम अंदर से खुश नहीं हूं कोई भी बाहरी चीज में खुशी नहीं दे सकती है दार्शनिक उसे अपनी भावनाओं पर काबू करने के लिए कहता है लेकिन साहब बहुत परेशान था वह गुस्से में आकर दार्शनिक से कहता है कि मैं अपना सबकुछ छोड़ने के लिए तैयार था लेकिन तुमने मुझे फिर से प्रशिक्षण के लिए कहा वह काफी हताश हो चुका था उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था तो अपने अंदर से जवाब ढूंढने के लिए वह उस पेड़ के नीचे बैठ जाता है दार्शनिक उसकी तरफ को देखता है तो उसे कल सुबह अपने साथ एक पहाड़ के ऊपर चल निकली कहता है जहां कोई खास चीज है कि अगली सुबह बुरी तरह थका देने वाला लंबा सफर तय करती है जब वह पहाड़ी की चोटी पर पहुंचते हैं तो सांप दार्शनिक से पूछता है कि बताओ आप मुझे क्या दिखाना चाहते थे यह पहाड़ यह नजारा या फिर कुछ और तो दार्शनिक उसके पैर के पास पड़े एक पत्थर की ओर इशारा करता है और कहता है कि मैं तुम्हें यह पत्थर दिखाने के लिए लाया हूँ इतना सुनने के बाद सब निराश हो जाता है वह कहता है कि आधे दिन का इतना लंबा सफर तय करके हम यहां इस मामूली पत्थर को देखने आए हैं फिर उसे एहसास होता है कि दार्शनिक जरुर से को समझाना चाहता है थोड़ी देर सोचने के बाद मैं समझ जाता है कि जब तक उसे मंजिल के बारे में पता नहीं था तब तक वह अपने सफर का आनंद ले रहा था और वह खुश था लेकिन जैसे ही वह मंजिल तक पहुंच गया उसकी कुर्सी खत्म हो गई क्योंकि जो खुशी सफर में हैं वह मंजिल को पाने में नहीं सांप यह भी समझ चुका था कि उसका लक्ष्य हासिल करने का सपना भी इस पत्थर की
रही है जिसे हासिल करने या न करने से कोई फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि असली खुशी तो सफर के दौरान है और अपने सफर का आनंद लेते हुए वह बिना किसी हार जीत की चिंता किए अभ्यास मैदान में अभ्यास करने लगता है उसका बेहतरीन प्रदर्शन देखकर सभी हैरान हो जाते हैं और उसका शिक्षक उसे अंतिम चुनावी प्रतियोगिता में ले जाने के लिए मान जाता है सांप अपने साथ दार्शनिक को भी ले जाना चाहता था लेकिन जब वह उस पुरानी इमारत में पहुंचता है तो उसे पता चलता है कि दार्शनिक वहां से हमेशा के लिए जा चुका है दार्शनिक अपना काम पूरा कर चुका था फिर अंतिम चुनावी प्रतियोगिता में सब अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करता है उसका अपने दिमाग पर पूरा नियंत्रण था उसे प्रतियोगिता जीतने का लालच के डर नहीं था वह तो बस इस पल का आनंद ले रहा था इतनी भयंकर दुर्घटना के बाद भी उसका ऐसा श्रेष्ठ प्रदर्शन देखकर सभी लोग बहुत ज्यादा हैरान थे इसके बाद.अंतिम प्रतियोगिता में देश के सबसे बड़े योद्धा का खिताब जीता और उसने गीता के साथ शादी भी कर ली बाद में सामने अपनी किताबों और बातों के माध्यम से दार्शनिक विचारों को जनसमूह तक पहुंचाने का प्रयास किया दोस्तों मुझे उम्मीद है कि आपने इस कहानी से बहुत कुछ सीखा होगा
Thanks for Reading ❣️