99% लोग नहीं जानते पानी पीने का सही तरीका | 21 दिन इस तरीके से पानी पियो Result देखकर हैरान रह जाओगे।

दोस्तों हममें से ज्यादातर लोग पानी को इतना साधारण समझते हैं कि उन्हें लगता है कि वह जब चाहे जितना चाहे और जैसे चाहें पानी को पी सकते हैं लेकिन उनका ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है क्योंकि पानी देखने में जितना साधारण लगता है यह हमारे शरीर के सभी अंगों को ठीक तरह से काम करने और शरीर में पैदा होने वाले विषैले पदार्थों को बाहर निकालने के लिए उतना ही जरुरी है पेट से लेकर पहुंचा तक और वजन बढ़ाने से लेकर वजन घटाने तक के सभी कामों में पानी सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है बिना पानी के हमारा शरीर भोजन से मिलने वाले न्यूट्रिएंट्स को ऐप्स और के नहीं कर सकता इसीलिए अगर पानी पीने की सही मात्रा इसके पीने का सही समय और किस तरीके से पानी पीने से क्या क्या फायदे और क्या क्या नुकसान हो सकते हैं अगर इसके बारे में ठीक से पता नहीं है तो फिर चाहे व्यक्ति कितनी ही अच्छी से अच्छी चीजें खाली उसका सही फायदा शरीर को मिल ही नहीं पाता और इसकी वजह से भविष्य में बहुत सी शारीरिक समस्याओं और भयंकर बीमारियों का सामना करना पड़ता है जैसे कि कब्ज खाने का न पचना कैसे बनना लीवर की कमजोरी किडनी में पथरी सुस्ती बार बार बीमार पड़ना स्किन एलर्जी दाद खुजली चेहरे पर पिंपल्स और दाग धब्बे का होना वाइट हेड्स ब्लैक हेड्स त्वचा का बहुत ज्यादा रूखा या ऑयली होना जोड़ों में दर्द होना शरीर के अनचाहे जगहों पर छवि का जमना खाया पीया शरीर को ना लगना सर दर्द और चक्कर आना वजन बढ़ाने या घटाने में बहुत परेशानी होना बालों का झड़ना और रात में नींद ना आने जैसी कई बीमारियां केवल पानी को गलत समय गलत तरीके और गलत मात्रा में पीने से हो सकती है इसलिए आज के इस वीडियो में हम जानेंगे कि पानी हमारे शरीर में जाकर करता क्या है पानी कम पीना चाहिए
ही और कम नहीं पीना चाहिए पानी की सही मात्रा क्या है यानी एक दिन में कितने गिलास पानी पीना चाहिए पानी को कैसे पीना चाहिए अगर शरीर में पानी की कमी हो रही है तो उसे कैसे पहचानना है पानी को किसी बर्तन में स्टोर करके रखना चाहिए और पानी वजन बढ़ाने या घटाने में कैसे मदद करता है तो आइये शुरू करते हैं पहले प्रश्न से कि पानी हमे शरीर में जाकर करता क्या है दोस्तों हमारे शरीर का साठ से सत्तर प्रतिशत हिस्सा पानी से बना है और हमारे शरीर के सभी आंतरिक अंग जैसे पाचन तंत्र किडनी लीवर फेफड़े मस्तिष्क आदि पानी की मदद से ही अपना काम सही तरीके से कर पाते हैं इसके अलावा हमारे शरीर में पानी का सबसे अधिक उपयोग शरीर की गंदगी को बाहर निकालने और कोशिकाओं को ज़िन्दा रखने में होता है मल मूत्र पसीना और सॉस के जरिए शरीर को साफ रखने में हमारी शरीर से रोज लगभग दो लीटर पानी बाहर निकल जाता है जिससे शरीर में रीस्टोर करना भी जरुरी होता है अब प्रश्न उठता है कि एक दिन में हमें कितना पानी पीना चाहिए और अगर शरीर में पानी की कमी हो गई है तो इसका पता हमें कैसे चलेगा दोस्त तुम शरीर में पानी की कमी होते ही शरीर विभिन्न तरीकों से इसका संकेत भेजना शुरू कर देता है जैसे पाचन शक्ति कमजोर होने लगती है मुंह सूखने लगता है चेहरे और शरीर की त्वचा धीरे धीरे रूखी बेजान और ढीली पड़ने लगती है आखिर धसने लगती हैं और पेशाब का रंग अत्यधिक पीला हो जाता है यह कुछ सामान्य लक्षण हैं शरीर में पानी की कमी के और अगर लंबे समय तक शरीर में पानी की कमी बनी रहती है तो फिर ये लक्षण अब इसमें गंभीर बीमारी का रूप भी ले सकते हैं इसीलिए हर दिन पर्याप्त मात्रा में पानी का पीना बहुत आवश्यक होता है अब प्रश्न उठता है कि एक दिन में कितना पानी पीना चाहिए और पानी कैसा होना चाहिए यह ठंडा गरम या नॉर्मल दोस्तों पानी में जीरो कैलोरी होने के बाद भी यह हमारे शरीर को हाइड्रेट रखकर शरीर की गंदगी को बाहर निकालता है और शरीर को साफ और स्वस्थ बनाए रखता है वैसे एक व्यक्ति को दिन भर में कितना पानी पीना चाहिए इसकी कोई निश्चित मात्रा फिक्स नहीं है पानी की मात्रा उस व्यक्ति की सेहत वह जहां रहता है वहां का मौसम उसका वजन और उसके दिनभर की फिजिकल एक्टिविटी पर निर्भर करता है लेकिन फिर भी एक सामान्य व्यक्ति को दिनभर में कम से कम दस से बारह गिलास पानी जरूर पीना चाहिए और अगर कोई व्यक्ति फल हरी सब्जियां दूध और जूस का अधिक सेवन करता है तो उसके पानी पीने की मां इससे भी कम हो सकती है क्योंकि उसके शरीर को इन सभी चीजों से भी काफी सारा पानी मिल जाता है लेकिन गर्मी के मौसम में पानी की मात्रा बढ़ाई जा सकती है और वो लोग जो एक्सरसाइज या शारीरिक मेहनत वाला काम करते हैं उन्हें भी सामान्य लोगों की तुलना में थोड़ा ज्यादा पानी पीना चाहिए अब यहां अगला प्रश्न यह उठता है कि क्या जरूरत से अधिक पानी पीने पर शरीर को कोई नुकसान भी हो सकता है तो इसका उत्तर है हां क्योंकि जरूरत से ज्यादा कोई भी चीज हानिकारक होती है ज्यादा मात्रा में पानी पीने से हमारी किडनी का काम पर जाता है और खून में सोडियम की मात्रा कम होने का खतरा बढ़ जाता है लेकिन ऐसा होने के चांसेस बहुत कम है क्योंकि अक्सर लोग उतना भी पानी नहीं पी पाते जितने में यह सारी समस्याएं शुरू हो ये सारी समस्याएं तभी होती है जब व्यक्ति एक दिन में कम से कम चार से पाँच लीटर से ज्यादा पानी पी लें अब प्रश्न उठता है कि पानी को किस तरीके से पीना चाहिए यानी पानी पीने का सही तरीका क्या है अक्सर लोगों को लगता है क्यों पानी को जितना चाहे और जैसे चाहे पी सकते हैं लेकिन उनका ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है क्योंकि एक ही तरह के पानी को अलग अलग तरीके से पीने से उसका हमारे शरीर पर अलग अलग तरह का असर पड़ता है आपने अपने बड़ों को यह कहते हुए सुना होगा कि खड़े होकर पानी नहीं पीना चाहिए क्योंकि इससे जोड़ों में दर्द हो सकता है खैर इसके पीछे एक आयुर्वेदिक कारण है आयुर्वेद के अनुसार खड़े होकर कुछ भी पीने से शरीर में तरल पदार्थों का संतुलन बिगड़ जाता है जिससे जोड़ों में अतिरिक्त तरल पदार्थ जमा हो जाता है जिससे उम्र बढ़ने के साथ जोड़ों में दर्द होने की समस्या शुरू हो जाती है इसीलिए पानी को हमेशा बैठकर और आराम से घुट घुटकर के पीना चाहिए पानी का एक घूंट मुंह में भरने के बाद उसे कुछ सेकेंड तक में इधर उधर घुमाएं उसके बाद कूद गई क्योंकि ऐसा करने से हमारे मुंह में उपस्थित लार जो कि छारी यानी हेल्पलाइन यूजर की होती है वह पानी में अच्छे से घुल जाती है और पेट में जाकर पेट के अमली माध्यम को उदा सीन कर देती है जिससे एसिडिटी और पेट फूलने जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलता है और पाचन शक्ति मजबूत होती है इसके विपरीत जल्दी जल्दी पानी पीने से मुंह की लार उस पानी में नहीं भूल पाती और हमारी कितनी भी उस पानी को ठीक से फिल्टर नहीं कर पाती इसलिए पानी को हमेशा बैठकर आराम से तीन से चार सौ नहीं पीना चाहिए इसके साथ ही एक बार में एक या डेढ़ गिलास से ज्यादा पानी नहीं पीना चाहिए क्योंकि एक ही बार में ज्यादा पानी पी लेने से हमारी कितनी उस पानी को ठीक से फिल्टर नहीं कर पाती और फिर वह पानी बिना एक स्माल हुए ही इस की जगह शरीर से बाहर निकल जाता है अब अगला प्रश्न उठता है कि पीने का पानी ठंडा गरम या नॉर्मल कैसा होना चाहिए दोस्तों हम जब भी कोई ठंडी चीज खाते या पीते हैं तो पहले हमारा शरीर उस चीज को शरीर के तापमान पर गर्म करता है फिर उस पर अपना काम शुरू करता है पानी के साथ भी कुछ ऐसा ही होता है जब हम बहुत ठंडा या सीधे कृषि निकाला पानी पी लेते हैं तो पहले हमारा शरीर उस पानी को कम करता है फिर काम में लेता है और इस प्रक्रिया में शरीर की बहुत सी ऊर्जा खर्च हो जाती है और हमारे शरीर को भी इस पानी के उपयोग के लिए तब तक इंतजार करना पड़ता है जब तक यह कदम हो जाता और इसके साथ ही ठंडा पानी हमारे द्वारा खाए गए खाने को बहुत सख्त बना देता है जिससे पाचन क्रिया धीमी पड़ जाती है और कब्ज होने की संभावना बढ़ जाती है इसीलिए पानी हमेशा कमरे के तापमान का या फिर हल्का गरम ही पीना चाहिए क्योंकि ऐसे पानी को हमारा शरीर तुरंत काम पर लेता है और हमारे द्वारा खाए गए खाने को तोड़ने में भी हल्का गरम पानी बहुत मदद करता है जिससे पाचन शक्ति बढ़ती है और पेट भी खुलकर साफ होता है
अब अगला प्रश्न उठता है कि पानी को पीना चाहिए और कब नहीं पीना चाहिए तो पहले हम यह जान लेते हैं कि पानी को कब कब नहीं पीना चाहिए पहला खाना खाने के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए जैसे ही खाना हमारे पेट में पहुँचता है उस खाने को पचाने के लिए पेट बहुत से पाचक रस निकलता है जठर ग्रंथियों से अंग नहीं करता है जो कि भोजन को पचाने के लिए बहुत जरुरी है लेकिन जब हम भोजन के तुरंत बाद पानी पी लेते हैं तो ये सारे पाचक रस और अम्ल पानी में घुलकर बहुत पतले हो जाते हैं जिससे हमारी पाचन क्रिया बहुत धीमी हो जाती है या ये कहो कि भोजन सही से बचने की बजाय साधना शुरू कर देता है और जब भोजन सड़ता है तो न केवल हमारा शरीर भोजन से मिलने वाले पोषक तत्वों को अवशोषित नहीं कर पाता बल्कि हमें भोजन के सड़ने से होने वाली बहुत सी बीमारियों का सामना भी करना पड़ता है जैसे पेट का फूलना गैस बनना कब्ज का होना एसिडिटी इत्यादि आपने बहुत से लोगों को कहते सुना होगा कि मैं तो हमेशा अच्छा और हेल्दी खाना ही खाता हूं लेकिन फिर भी मेरा वजन कम नहीं हो रहा यह वजन बढ़ने ही रहा तो इसका सबसे बड़ा कारण यही है कि आप खाने के ठीक पहले या खाने के ठीक बाद बहुत सारा पानी पी लेते हैं खाने के ठीक पहले खाने के दौरान या खाने के बाद एक या दो घूंट पानी पी लेने में कोई बुराई नहीं है लेकिन यह एक या दो घूंट से मतलब है सिर्फ गले को गीला करने जितना पानी पीना आयुर्वेद के अनुसार खाना खाने से चालीस मिनट पहले और खाना खाने के एक घंटे बाद आप मन भरकर पानी पी सकते हैं अगर दो शहर के खाने के बाद आप कुछ भी नहीं चाहते हैं तो आप छाछ मट्ठा पी सकते हैं दूसरा रात में सोने से ठीक पहले या अचानक नींद खुलने पर पानी पीकर सोना दोस्तों दिन के समय पानी पीना जितना फायदेमंद होता है रात में ज्यादा पानी पीना उतना ही नुकसान पहुंचा सकता है क्योंकि सोते समय हमारा शरीर
आराम की स्थिति में होता है यानी वह उतना एक्टिव नहीं होता जितना दिन में होता है इसीलिए रात में किया गया पानी बिना ठीक से संभाल हुए सीधा कितनी में फिल्टर होने पहुंचाता है जिससे हमारी कितनी पर एक्सट्रा जोर पड़ता है और उसे नुकसान पहुंचता है इसके साथ ही नींद से बार बार उठकर टॉयलेट जाने की भी जरूरत पर
दी है जिससे द्वारा नींद आने में काफी परेशानी हो सकती है और हमारी नींद की पूरी नहीं हो पाती इसलिए जितना हो सके दिन के समय ही पानी की मात्रा को पूरा करने का प्रयास करें और दो बार पानी पीने के बीच कम से कम पैंतालीस मिनट से एक घंटे का गैप जरूर रखें क्योंकि जल्दी जल्दी पानी पीते रहने से पानी हमारे शरीर में थी स्माल हुए बिना ही इस आपकी जगह बाहर निकल जाता है और इसे बार बार पेशाब आने की समस्या भी शुरू हो सकती है तीसरा फल खाने के बाद फल और सब्जियां जैसे तरबूज केला अनार टमाटर खीरा संतरा और भी दूसरे तरह के फल और सब्जियों को अगर आप कच्चा खाते हैं तो उसके तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए क्योंकि इन्हें खाने के तुरंत बाद पानी पीने से खाई भी चीज बहुत सख्त हो जाती है जिससे पाचन क्रिया बहुत धीमी पड़ जाती है और यहाँ तक कि कुछ लोगों को सर्दी खांसी और जुखाम हो जाते हैं
इसके साथ ही बहुत ज्यादा गर्म चीजें जैसे चाय कॉफी और सूप पीने के तुरंत बाद भी पानी नहीं पीना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से दांतों और मसूड़ों को बहुत नुकसान पहुंचता है दोस्तों अब हम इस बारे में बात करेंगे कि पानी कम पीना चाहिए यानी पानी पीने का सही समय क्या है
आपको जबकि प्यास लगी पानी पीना चाहिए लेकिन एक समय जब आपको पानी पीना कभी नहीं भूलना है और वह समय है सुबह जागने के तुरंत बाद रातभर खाना पचाने की वजह से हमारे पेट और आंतों में बहुत सी गंदगी और जहरीले पदार्थ पैदा हो जाते हैं लेकिन जब हम सुबह सुबह बिना कुछ खाए पिए खाली पेट दो से तीन गिलास पानी पीते हैं तो हमारे पेट और आंतों की सारी गंदगी मल और मूत्र के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाती है और पेट भी एक बार में अच्छी तरह से साफ हो जाता है आयुर्वेद में सूबे के मुंह के पास लार को अमृत तुल्य कहा गया है हमारे मुंह की लार जो की झाड़ी यानी हेल्पलाइन होती है जब सुबह हुए पानी में घोलकर पेट में जाती है तो पेट के एसिड मीडियम यानी अमली माध्यम को उदासीन कर देती है जिससे एसिडिटी गैस और जलन जैसी समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है अब आखिरी प्रश्न कि पानी को किसी बर्तन में स्टोर करके रखना चाहिए पीने के पानी को आप चांदी तांबे या कांच के बर्तन में स्टोर करके रख सकते हैं लेकिन पीने के पानी को कभी भी प्लास्टिक के बर्तन में स्टोर करके ना रखें क्योंकि प्लास्टिक के बर्तन में रखे हुए पानी में प्लास्टिक के माइक्रो इंग्लैंड को जाते हैं जो कि पानी के साथ हमारे शरीर में पहुंचकर बहुत सी बीमारियों को जन्म दे सकते हैं आयुर्वेद सलाह देता है कि आपको पानी तांबे या चांदी के बर्तन में रखना चाहिए अगर आप तांबे या चांदी के गिलास नहीं पीते हैं तो ही बेहतर है चांदी और तांबे के बर्तन में संग्रहित पानी को पीने से शरीर के वात पित्त और कफ जैसे दोषों को संतुलित करने में मदद मिलती है इन धातुओं में जमा पानी सकारात्मक रूप से चार्ज हो जाता है जो इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद करता है पाचन प्रक्रिया में सहायता करता है और यहां तक कि इसमें कैंसर विरोधी गुण भी पाए जाते हैं मिट्टी के बर्तनों में रखा हुआ पानी भी बहुत फायदेमंद होता है क्योंकि मिट्टी के बर्तनों में हवा के लिए जगह होती है जो पानी को घंटों तक ताजा और ठंडा बनाए रखती है यह पानी एसिडिटी और त्वचा संबंधी समस्याओं को कम करने में मदद करता है इतना ही नहीं मिट्टी के बर्तन में रखा पानी जीवन शक्ति और ताकत को आता है हम जो खाना खाते हैं उसका अधिकांश हिस्सा शरीर में अमली हो जाता है और विषाक्त पदार्थों का निर्माण करता है मिट्टी सारी प्रकृति की होती है जो अम्लीय खाद्य पदार्थों के साथ क्रिया करती है और पर्याप्त पीएच संतुलन प्रदान करती है यह पानी एसिडिटी और गैस संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है यह पानी किसी प्रकार के रसायनों से मुक्त होता है और इसीलिए मिट्टी के बर्तन का पानी पीने से मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देने मदद मिलती है मिट्टी के बर्तन में रखा पानी पीने से पाचन शक्ति बढ़ती है और वात पित्त और कफ नामक तीनों दोस्त संतुलित होते हैं थामा एक ज्ञात एंटीऑक्सीडेंट है इसलिए इसमें रखा पानी पीने से त्वचा जवान रहती है और कैंसर के होने की संभावना कम हो जाती है इसके साथ ही वो लोग जो हाई ब्लड प्रेशर और मोटापे से परेशान हैं ताम्बे के बर्तन में रखा पानी पीना उनके लिए बहुत ही फायदेमंद साबित हो सकता है क्योंकि ताम्बा शरीर की अतिरिक्त च भी को पानी में घोलकर वजन कम करने में मदद करता है दोस्तों आइए अब जल्दी से सरप्राइज कर लेते हैं कि हम इस कहानी में क्या क्या सीखा पहला पानी को कभी भी खड़े होकर यह भागते हुए नहीं पीना चाहिए पानी को हमेशा बैठकर आराम से घूंट घूंट भर कर पीना चाहिए दूसरा कभी भी ज्यादा ठंडा पानी नहीं पीना चाहिए पानी या तो हल्का गर्म या फिर रूम टेम्प्रेचर पर होना चाहिए तीसरा पानी को हमेशा खाना खाने से चालीस मिनट पहले और खाना खाने के एक घंटे बाद ही पीना चाहिए चौथा हमेशा सुबह उठकर बिना ब्रेस किए और बिना कुल्ला की दो से तीन गिलास पानी पीना चाहिए और पाँच माह पीने के पानी को हमेशा काम कांच या मिट्टी के बरतन में ही स्टोर करके रखना चाहिए दोस्तों मुझे उम्मीद है कि अगर आप पानी पीते समय इन सभी बातों का ध्यान रखते हैं तो सेहत से जुड़ी आपकी कई सारी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी और आपका पाचन भी मजबूत रहेगा जिससे वजन बढ़ाने या घटाने में बहुत आसानी होगी मुझे उम्मीद है कि पीने के इन नियमों को अपनाने के कुछ ही हफ्तों बाद आपको आपकी सेहत में अच्छा खासा सुधार महसूस होने लगेगा और कहानी में यहां तक बने रहने के लिए आप सब का तहे दिल से धन्यवाद