दिमाग को कमजोर बनाती हैं ये 10 आदतेंBhawan सच्ची कहानी।

गांव में रहने वाला एक नौजवान लड़का अपने मन के अनियंत्रित विचारों से बहुत परेशान था न चाहते हुए भी हर समय उसके मन में कोई न कोई विचार चलते ही रहते जगह कोई काम करता तो उसके हाथ पैर और शरीर तो उस काम को कर रहे होते लेकिन उसका मन अतीत में घटी किसी घटना के ख्याल में खोया रहता उसे अपने भविष्य को लेकर खयाली पुलाव पकाने की भी आदत पड़ चुकी थी वह अक्सर सोचता कि एक दिन में यह करूंगा वो करूंगा एक दिन में बहुत ही बड़ा और सफल इंसान बन जाऊंगा वह अक्सर अपने भविष्य को लेकर बड़े बड़े सपने देखता और उन सपनों में खुद को हमेशा दूसरों से आगे रखता और खुद को एक नायक के रूप में प्रस्तुत करता वह जब भी किसी महान बुद्धिमान वीर और साहसी व्यक्ति की कहा सुमिता या पड़ता तो उस कहानी के नायक की जगह खुद को रख लेता और अपने खयालों में ही वह सभी साहसिक और महान कार्य करने की कोशिश करता जो कहानी के नायक ने किए होते थे वह अक्सर अपने खयालों में सोचता कि एक दिन में बहुत ही सफल इंसान बनेगा जिसके पास बहुत सारा पैसा होगा समाज में खूब इज्जत और मान सम्मान होगा वहीं बहुत ही सुंदर और सुशील लडकी से शादी करेगा और खुशी खुशी अपना जीवन व्यतीत करेगा वह कई वर्षों से ऐसा ही सोचता रहा था उसे लगता था कि उसका जीवन एकदम से बदल जाएगा वह एकदम से सफल बन जाएगा लेकिन उसके साथ आज तक ऐसा कुछ भी चमत्कार नहीं हुआ था बल्कि समय बीतने के साथ उसके हालत और भी खराब होती जा रही थी और इसका सबसे बड़ा कारण था उसका एक्शन ना लेना यानी कामना करना उसके सपने तो बड़े बडे थे और वह अपने खयालों में भविष्य के लिए बड़ी बड़ी योजनाएं बना लेता था लेकिन उसने आज तक उन सपनों को हकीकत में बदलने के लिए कभी कोई ठोस कदम नहीं उठाया था कभी भी खुद को कड़ी मेहनत करने के लिए पीड़ित नहीं किया था जिसका परिणाम यह हुआ कि अब वह पच्चीस साल से भी ऊपर का हो चुका था लेकिन आज तक अपने किसी भी सपने को हकीकत में बदलते हुए नहीं देखा था इसीलिए अब उस व्यक्ति को भी यह बात समझ आने लगी थी कि वे अपने मन की बनाए हुए ख्यालों के जाल में फंस चुका है जिससे वह केवल अपने ख्यालों में ही अपने सपनों की चीजों के बारे में सोचकर खुश होता रहता है और कभी भी वास्तविक दुनिया में उन सपनों को पूरा करने के लिए कोई प्रयास नहीं करता उसे पता तो था कि उसका दिमाग़ फालतू के विचारों से भरा हुआ है और वह वास्तविकता में नहीं जी रहा है लेकिन बहुत प्रयास करने के बाद भी वह इस आदत को छोड़ नहीं पा रहा था उसे अपने ख्यालों की दुनिया में जीने में मजा भी आ रहा था लेकिन जब वह अपने ख्यालों से बाहर आकर अपनी वास्तविक स्थिति को देखता और उसके बारे में सोचता तो वह बहुत दुखी हो जाता अब धीरे धीरे उसकी यह आदत उसके तनाव और उदासी का कारण बन चुकी थी अब वह अपने दोस्तों और घर वालों से ज्यादा बाद भी नहीं
करता था दिनभर गुमसुम और उदास सा रहने लगा था एक दिन ऐसे ही उदास मन के साथ वह एक पेड़ के नीचे बैठा हुआ था तभी उसका एक मित्र उसके पास आता है और उससे कहता है मित्र हमारे गांव में एक बहुत ही प्रसिद्ध बौद्ध भिक्षु पधारे हुए हैं और मैंने सुना है कि वह मन और मन की शांति से जुड़ी हर एक समस्या
का समाधान बहुत ही आसानी से कर देते हैं मुझे लगता है कि तुम्हें उनसे एक बार जरूर मिलना चाहिए वो तुम्हारी समस्या का समाधान कर सकते हैं अपने मित्र की बात सुन वह नौजवान व्यक्ति खुश हो जाता है और उन बौद्ध भिक्षु से मिलने चल पड़ता है थोड़ी देर बाद वह बौद्ध भिक्षु के समक्ष पहुंच जाता है जो कि एक वृक्ष के नीचे ध्यान मुद्रा में बैठे हुए थे वे बौद्ध भिक्षु को प्रणाम कर उनके सामने बैठ जाता है और अपनी सारी समस्याएं बताना शुरू कर देता है वह कहता है
मुनिवर मेरा मन हर समय असंख्य विचारों से भरा रहता है इसमें बेवजह कि विचार हर समय चलते ही रहते हैं मैं कोई काम कर रहा होता हूँ तब भी मेरा मन अतीत या भविष्य के किसी विचार नहीं खोया रहता है मैं कितना ही प्रयास कर लूं पर ये मेरी एक नहीं सुनता मैं अपने इस अशांत मन को शांत करना चाहता हूं इसे खाली करना चाहता हूं इसे एकाग्रचित करना चाहता हूं जिसमें में अब तक असफल रहा हूँ मुनिवर मैं आपके पास बड़ी उम्मीद लेकर आया हूँ कृपया मुझे कोई रास्ता दिखाएं उस नौजवान व्यक्ति की ये सारी बातें ध्यान से सुनने के बाद बौद्ध भिक्षु ने कहा जिंदगी खुशहाल और मन शांत तो तभी होगा जब जो गलतियां कर रहे हो उन गलतियों को करना बंद कर दोगे क्या क्या गलतियां कर रहे हो और मन को कैसे साफ करना है इस बारे में आश्वस्त नहीं विस्तार से बताऊंगा ध्यान से सुनना पहली गलती पर्याप्त नींद न लेना पूरी नींद न लेना शरीर और मन को कई तरह से नुकसान पहुंचाता है अगर पूरी नींद न ली जाए तो याददाश्त का कमजोर होना तनाव चिड़चिड़ापन हर समय थका हुआ महसूस करना और चेहरे की चमक खोने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है इसके साथ ही कम सोने से समस्याओं का समाधान निकालने के दिमाग की क्षमता पर असर पड़ता है और दिमाग को तुलनात्मक अध्ययन करने में दिक्कत आती है इसीलिए रोजाना कम से कम पाँच छः घंटे की गहरी नींद लेना जरूरी है नींद मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण होती है क्योंकि यह हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ को सुरक्षित रखने का माध्यम होती है रोज पर्याप्त गहरी नींद लेने से हमारी शारीरिक क्षमता बढ़ती है मानसिक तनाव कम होता है और जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है हमारी दिनचर्या में नींद का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि यह हमें दिनभर की थकान और तनाव से राहत दिलाती है यदि किसी कारणवश तुम पूरी नींद नहीं ले रहे हो तो इसे तुम्हारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ पर
बहुत बुरा असर पड़ रहा है शारीरिक स्वास्थ्य के पहलू में नींद का आभाव तुम्हारी शारीरिक क्षमता को कम कर सकता है क्योंकि नींद के दौरान हमारे शरीर की मरम्मत सफाई और इसके ऊर्जा स्तर में सुधार होता है लगातार कम नींद लेने से जीवन की गुणवत्ता में गिरावट आने के साथ साथ हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली भी कमजोर पड़ने लगती है जिससे बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है और मानसिक स्वास्थ्य के पहलू में पर्याप्त नींद ना लेने से मानसिक तनाव बढ़ सकता है और मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाल सकता है नींद के अभाव में मानसिक तनाव और चिंता की स्थिति में वृद्धि होती है जिसे तुम्हारी दिनचर्या निर्णय लेने की क्षमता और उत्साह पर असर पड़ता है नींद के अभाव से बच्चों और युवाओं की शिक्षा कार्य पर भी असर पड़ सकता है उनकी याददाश्त समाज और नैतिकता पर असर पड़ सकता है जिससे उनकी शिक्षा कार्य में प्रगति रुक सकती है इसके साथ ही पूरी नींद न लेना तुम्हारी व्यक्तिगत जीवन शैली पर भी असर डालता है नींद की कमी से तुम्हारे ध्यान समर्पण और रिश्तों में भी समस्याएं आ सकती है संक्षेप में कहें तो हमारी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में नील सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है अच्छी और गहरी नींद लेकर अपने जीवन की गुणवत्ता को सुधार सकते हैं और एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सकते हैं दूसरी गलती खाने की मात्रा और उसकी गुणवत्ता पर ध्यान न देना और कभी भी कुछ भी और कितना भी खाली ना कुछ लोगों को ज्यादा मसालेदार चटपटा और मीठा खाने की आदत होती है उन्हें ज्यादा मैदा चीनी और तेल से बने सामानों को खाने की आदत पड़ चुकी होती है ऐसे लोगों को लगता है कि अगर जिंदगी में खाने को सीमित कर दिया तो फिर जीवन बचा ही क्या जिंदगी के मजे ही क्या जैसे कि इंसान सिर्फ खाने के लिए ही इस दुनिया में जन्म लेता है कुछ लोगों को हर समय खाते रहने की आदत पड़ चुकी होती है भूख नहीं होती तब दिखाए जा रहे होते हैं जबरजस्ती कुछ भी उल्टा सीधा पेट में डालते रहते हैं जैसे पेट नहीं कोई कूड़ादान हो जरूरत से अधिक कुछ भी खाते होने से सिर्फ शरीर का वजन ही प्रभावित नहीं होता बल्कि दिमाग़ी शक्ति पर भी इसका बुरा असर पड़ता है मैदा तेल चीनी और ज्यादा नमक से बने पदार्थों का सेवन करने से शरीर का वजन बढ़ने के साथ साथ कई सारी बीमारियां जन्म लेने लगती है और जिसका नकरात्मक प्रभाव हमारी भावनाओं और विचारों पर ही पड़ता है क्योंकि एक बीमार शरीर व्यक्ति के मन को भी बीमार बना देता है जिससे व्यक्ति मानसिक रूप से भी बीमार पड़ने लगता है और तनाव व चिंता का शिकार हो जाता है इसीलिए व्यक्ति को भोजन की उचित मात्रा और उसकी गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देना चाहिए तीसरी गलती जरूरत से ज्यादा भागदौड़ भरी जिंदगी और ये सोच कि रुकना मना है कुछ लोगों को लगता है कि जिंदगी सिर्फ ऐसे ही चलती है गलत भागदौड़ भरी जिंदगी कितनी भी हो लेकिन रुको अगर भागते ही रहोगे तो ऐसे हाफ के गिरोगे कि उठने लायक नहीं रहोगे तो जिंदगी की भागदौड़ के बीच थोड़ा सा समय खुद के लिए भी निकालो खुद को भी समय दो ढूंढने का प्रयास करो कि कौन सी चीज तो में खुशी देती है कौन सा काम करने में तुम्हें आनंद आता है कुछ सवाल करो और खुद को जानने का प्रयास करो और देखना जब तुम अंदर से शांत और तरोताजा होकर किसी काम को करोगे तो बहुत ही कम समय में तुम्हें उसी काम में बहुत अच्छे परिणाम मिलने शुरू हो जाएंगे लेकिन अगर हर समय भागती रहोगे भक्ति होगी थके मांदे रहोगे तो तुम देखोगे कि हर काम में बहुत ज्यादा समय लग रहा है बहुत ज्यादा ऊर्जा लग रही हैं लेकिन फिर भी अंदर से खुशी नहीं मिल रही तो इतना भागना तोड़ना कोई जरूरी नहीं होता यह तो इंसान के अंदर बचपन से ही एक प्रतियोगिता की भावना जगा दी जाती है उसके आसपास के माहौल और उसके माता पिता के द्वारा क्योंकि इतना भागना कोई जरूरी नहीं होता शांति से भी जिंदगी को जिया जा सकता है और शांत और स्थिर रहते हुए आराम से प्रयास करके भी बड़ी बड़ी सफलताएं हासिल की जा सकती है चौथी चीज अपने किसी एक ऐसी बुरी आदत को पहचानना और उसे अपनी जिंदगी से पूरी तरह से हटाना जो तुम्हारी सफलता के रास्ते की सबसे बड़ी बाधा है हर इंसान की कोई न कोई एक ऐसी बुरी आदत होती ही है जो उसे सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती है उसे आगे नहीं बढ़ने देता या फिर उसे पीछे खींच दी है क्योंकि जब कोई इंसान आगे नहीं बढ़ रहा हो है तो समय के साथ साथ वह पीछे ही जा रहा होता है अभी आदत कुछ भी हो सकती है जैसे काम को टालने की आदत ज्यादा सोचने की आदत चिंता करने या बहस करने की आदत कोई भी एक ऐसी आदत जो तुम्हें लगता है कि तुम्हें सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रही है उसे पहचानों और आज से ही उसे किसी अच्छी आदत बदलने का प्रयास शुरू कर दो हालांकि आदतों को बदलना इतना आसान नहीं होता लेकिन हर चीज को बदलना संभव है अगर तुम्हारे अंदर वह मजबूत संकल्प और लचीलापन है और अगर तुम लगातार प्रयास करोगे तो तुम्हारी नई आदत बन जाएगी और पुरानी आदत अपने आप छूट जायेगी पांचवीं गलती जरूरत से ज्यादा बड़े बड़े वादे करना वादा जरूर करना चाहिए और वादे का पक्का भी होना चाहिए और वादा करने के बाद जो लोग उसे पूरा करते हैं उनके समाज में एक अलग ही होती है लोगों ने ज्यादा पसंद करते हैं लेकिन हमें कभी भी ऐसे वादे नहीं करना चाहिए जिसे हम पूरा न कर सकें या जिसे पूरा करने में हमें संदेह हो साथ ही हमें न कहना भी आना चाहिए यह जरुरी नहीं कि हम दूसरों के हमको हा कहकर उनकी नजरों में हर समय अच्छा बनने का प्रयास करें हमें मना करना भी आना चाहिए जितना तुम कर सकते हो सिर्फ उतने ही वादा करो क्योंकि अगर तुम अपनी क्षमताओं से बाहर जाकर किसी को जवान दे दोगे तो फिर तुम खुद के ऊपर बहुत दबाव महसूस करोगे तनाव से भर जाओगे और साथ ही सामने वाले की बेवजह की उम्मीदें भी तुम से जुड़ जाए
और जब तुमने पूरा नहीं कर पाओगे तो या तो तुम अपने आप पर बहुत ज्यादा दबाव डालोगे उन्हें पूरा करने का या फिर दूसरों की नजरों में बुरा बन जाओगे जो फिर बाद में तुम्हारे अंदर और भी तनाव पैदा करेगा तो जितना कर सकते हो जितना आसान है तुम्हारे लिए उतना करो फिर देखो कितना सुकून आता है जिंदगी में छठी गलती अंदर खुद की बुराई करना और खुद को कमजोर व दूसरों से कम समझना अगर तुम्हें खुद की बुराई करने की आदत है हर समय अपने अंदर सिर्फ कमी दिखती है रोज अपने आप को कोसते हो तो फिर तुम्हें बाहर के किसी दुश्मन की कोई जरूरत नहीं क्योंकि तुम अकेले ही अपने लिए काफी हो अगर तुम्हें अपनी बुराई करने की आदत है तो इसे आरसी छोड़ दो क्योंकि ऐसा करके तुमने अपनी जिन्दगी को खुद ही बना रखा है खुद को प्यार करो दुलार करो खुद को स्वीकार करो और खुद के बारे में सकारात्मक बोलो अगर कुछ गलती भी हो गई है तो खुद से बोलो कि अच्छा हुआ मुझे इस गलती का अहसास अभी हो गया मैं एक ऐसा इंसान हूं जो अपनी गलतियों से सीखता है और आगे बढ़ जाता है तो कहने का मतलब यह है कि गलती में भी खुद को लगातार उसने खुद को अपनी तुम गिराने की बजाय गलतियों से सीखकर आगे बढ़ने वाला इंसान बनो क्योंकि अंदर ही अंदर खुद की बुराई करना और खुद को कोसना इंसान को ऐसी जंजीरों में बांध देता है कि फिर वे उसे तोड़ नहीं पाता और वहीं पर्दा पड़ा मानसिक रूप से सड़ता रहता है तो अगर यह तुम्हारे अंदर है खुद की बुराई करना तो इसे जल्दी से जल्दी छोड़ो तभी जिनकी खूबसूरत बनेगी सातवीं गलती दिमाग को तीन की बुरी यादों और नकारात्मक भावनाओं से भरकर रखना अतीत में कुछ गलत घटना घट गई थी उसकी बुरी यादों को इकट्ठा किए हुए हैं सालों पहले किसी ने कुछ गलत बोल दिया था उसकी बातों को आज ही मन में लेकर हो रही हैं किसी काम में सफलता मिल गई थी उसे लेकर आज भी दुख मना रहे हैं जब कोई इंसान दिमाग़ में सारा बोझा इतनी सारी नकारात्मक भावनाएं लेकर चलेगा तो फिर वे खुश और शांत कैसे रह पायेगा इसीलिए अपनी मन अपने दिमाग को साफ करो शरीर से सीखो शरीर रोज अपने आप को साफ करता है सुबह उठते ही यह अपने अंदर की सारी गंदगी को मलमूत्र के द्वारा बाहर निकाल देता है तो ऐसे ही दिमाग की गंदगी को भी हर दिन बाहर निकाल रोज रात में सोने से पहले सारी की सारी जो अंदर उथल पुथल है नाराजगी है शिकायतें हैं अपने आप से दूसरों से सब साफ करो इसके साथ ही हर सुबह कुछ समय निकालकर ध्यान और प्राणायाम का अभ्यास करो जिंदगी बहुत ज्यादा खुशहाल बन जाएगी आठवीं गलती अवास्तविक अपेक्षाएं यह उम्मीद रखना उम्मीद ही अपेक्षाएं रखना हम इंसानों का स्वभाव है लेकिन जो अपेक्षाएं बेबुनियादी और जरूरत से अधिक हो जाती है तो फिर यह हमें हर समय तनाव में रखती है दूसरों से की लड़ाई झगड़े करवाती हैं और फिर वो अपनी जिंदगी से असंतुष्ट रहना शुरू कर देते हैं हमें अपने जीवन के नकारात्मक चीजें ज्यादा नजर आने लगती है
और हमें लगने लगता है कि हमारी इच्छाएं तो कभी पूरी होंगी ही नहीं अधूरी इच्छाओं का एक पूरा बोझ अपने सर के ऊपर रख लेते हैं और ऐसा लगने लगता है कि हम बोझ तले दबते जा रहे हैं जिंदगी से निराशा होने लगती है लक्ष्य को पाने का मन नहीं करता अच्छे संबंध बनाने का मन नहीं करता अच्छा खाना खाने का मन नहीं करता कहीं आने जाने का मन नहीं करता पूरी तरह से एक तनाव और उदासी भरा माहौल अपने आसपास बना लेते हैं इसीलिए अवास्तविक और बेवजह की उम्मीद रखना बहुत गलत है हमेशा वास्तविक और सही उम्मीद ही रखना चाहिए और हमेशा मान के चलो की वास्तविक उम्मीदों के साथ भी कुछ उलटफेर हो सकती है जैसे होते होते भी कई बार कम नहीं हो पाएंगे और ही सारी घटनाएं
आम बात है जो आज नहीं हो पाया वह कल हो जाएगा जो कल ही हो पायेगा वह परसों हो जाएगा उम्मीद में दुनिया कायम है लेकिन अपने आप को किसी भी हालत में चिंता और तनाव में नहीं लाना है शांत और स्थिर रहना है नौमी गलती बुरे लोगों या बुरे रिश्तों से दूरी बना पाना अगर रिश्ते हूं तो अच्छे हो जिसने प्रेम हो परवाह हो सम्मान हो लेकिन अगर किसी स्वार्थी और चालाक व्यक्ति के साथ तुम्हारा रिश्ता बन गया है जो रोज रोज का सिरदर्द बना हुआ है रूठना मनाना यही चलता रहता संबंधों में अपने आपको खूब दबाना पड़ता है दादर के जीते हैं बस गुस्सा ही तुम्हारे अंदर रहता है तो ऐसे रिश्ते से खुद को दूर कर लोग न हो कोई वह ज्यादा अच्छा है अकेले में बहुत सुकून है लेकिन अगर कोई ऐसा व्यक्ति है जो रोज रोज का सिरदर्द बना हुआ है तो इससे तो जिंदगी तहस नहस हो जाती है अगर उनसे ऐसे घनिष्ठ संबंध है जिसे पूरी तरह से नहीं छोड़ा जा सकता तो फिर ऐसी स्थिति में संबंधी
को सीमित कर दो और जिन लोगों से तुम पीछा छुड़ा सकते हो उन लोगों को तो बिल्कुल अपनी जिंदगी से बाहर निकाल दो और अपनी जिंदगी में सुकून लाओ इतना कहने के बाद बौद्ध भिक्षुओं ने अपनी बात समाप्त की और कहा तो ये थी वह कुछ गलतियां जिन्हें अगर तुम सुधार लेते हो तो तुम्हारी जिंदगी फिर से शांति सुकून और खुशी से भर जाएगी दोस्तों एक और गलती जो आज के समय में हमारे मन को अशांत और बेचैन रखती है वो है डिजिटल डिवाइसेस एंड सोशल मीडिया का अत्यधिक यूज करना अब आज के समय में तो डिजिटल डिवाइस को अपनी जिंदगी से पूरी तरह अलग करना लगभग असंभव है लेकिन जो लोग बेमतलब का इन सब डिवाइसेस में लगे रहते हैं जिनका कोई कमी नहीं है लेकिन फिर भी चिपके
रहेंगे नेटफ्लिक्स देखते रहेंगे सोशल मीडिया स्कोर करते रहेंगे एक पागलपन की हद तक पूरा दिन इन डिवाइसेज नहीं गुजार देंगे यादव बहुत ज्यादा खराब है जितना आपके काम के लिए जरूरी है इसका यूज करिए लेकिन इसमें भी बीच बीच में ब्रेक लेना रिस्क लेना जरूरी होता है नहीं तो यह आपके अंदर की बहुत सारी चीजों को खराब कर देगा आपके चेहरे की चमक हो जाती है आपकी नींद पर भी असर पड़ता है यह आपके अंदर ज्यादा सोचने की आदत बढ़ाकर तनाव पैदा कर देता है इसीलिए आपको जितना हो सके इनसे दूरी बनाकर रखना है क्योंकि कुछ चीजों को तो हम बिल्कुल छोड़ सकते हैं जैसे जंक फूड लेकिन डिजिटल डिवाइस को पूरी तरह से छोड़ना प्रैक्टिकली पॉसिबल नहीं है क्योंकि आजकल सब कुछ टेक्नोलॉजी से जुड़ा हुआ है और अगर हम कम्पलीट डिजिटल डिटॉक्स कर लेंगे तो फिर अपनी लाइफ में आगे नहीं बढ़ पाएंगे इसीलिए इसको पूरी तरह से छोड़ना नहीं लिमिट करना है कुछ चीजों को छोड़ना होता है और कुछ चीजों को लिमिट करना होता है इसे लिमिट कर लो जिंदगी अच्छी हो जाएगी दोस्तों मुझे उम्मीद है कि आपको यह कहानी पसंद आई होगी और कहानी में यहां तक बने रहने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद