पथरीली चट्टानों पर इन्तेहाई खतरनाक अंदाज में लटकते यह ताबूत अपने अंदर एक गुमनाम कबीले के कई राज छुपाए बैठे हैं चाइना की दूर दराज पहाड़ियों में ऐसा हैरान करने वाला मंजर देखकर मालूम होता है कि शायद ये कोई ग्रेफ याद है एक ऐसा ग्रेव याद जिसको वर्टिकल लिए बनाया गया था पर सबसे बड़ा सवाल है चाइना की चौहान और यूनान प्रो में ऐसा मंजर किसी एक चट्टान पर नहीं बल्कि यहां कई छोटी बड़ी चट्टानें हैं जिन पर ये हैरत अंगेज मंजर देखा जाता है कई ताबूत सौ फीट तो कई चार सौ फीट तक की ऊंचाई पर भी देखे जा चुके हैं अभी तक चाइना में टोटल ऐसे एक सौ इकतीस लटके हुए ताबूत पाए गए हैं
इनमें से कुछ तो ऐसे हैं जो तीन हज़ार साल से भी ज्यादा पुराने है लाइम स्टोन की चट्टानों पर इतनी ऊँचाई तक चढ़ना वहां ताबूत के लिए लकड़ी के फट्टे गाना और फिर कई सौ केजी वजनी ताबूत को ऊपर लेकर जाना एक ऐसा काम है जो शायद आज के मॉडर्न इक्विपमेंट की मदद से करना भी काफी चैलेंजिंग हो तो आखिर ये काम हजारों साल पहले कैसे की किया गया था इससे भी ज्यादा इम्पोर्टेन्ट यह जानना है कि ऐसा क्यों किया गया था क्या उनके पास जमीन खत्म हो गई थी यहाँ ये लोग रहते ही पहाड़ों के अंदर थे कौन थे वो लोग और ऐसा क्या हुआ था कि आज इस पाइप का कोई अता पता नहीं है लोकल का मानना है कि ये लोग लेजेंड्स थे जिनके पास और
ने की ताकत मौजूद थी पर क्या ये हकीकत है या फिर सिर्फ एक अफसाना तीन हज़ार साल पहले चाइना की सी चौहान और यूनान प्रोविंस में बोर्ड के नाम से एक कबीला रहता था हिस्ट्री में हमें इस कबीले के बारे में ज्यादा कुछ तो नहीं मिलता सिर्फ इतना मालूम है कि सिर्फ तीन सेवंती थ्री में आज से करीब साढ़े चार सौ साल पहले मिंग डायनेस्टी ने चाइना पर कब्जा किया और साथ ही मिंग इम्पीरियल आर्मी ने तमाम बोर्ड ट्राई के लोगों को चुन चुन कर मार डाला वोट ट्राइब की नसल तो खत्म हो गई पर साथ ही इनसे जुड़े कई राज भी इस दुनिया से चले गए जिनमें सबसे बड़ा राज लटकने वाले इन दावों तो का था सेंट्रल चाइना का यह हिस्सा हजारों मील तक छोटे बड़े पहाड़ और चट्टानों से भरा हुआ है इनमें से ज्यादातर चट्टानें काफी रिमोट हैं जहां आज तक कोई नहीं जा पाया कुछ जताने जो आबादी से करीब है वहां ताबूत देखे जा सकते हैं लेकिन उन तक पहुंचना फिर भी बहुत मुश्किल है क्योंकि ये चट्टानें आम
चट्टानें नहीं बल्कि पथरीली नुकीली और बिल्कुल सीधी जुटाने है कई ताबूत तो चट्टानों पर दूर से ही नजर आ जाते हैं लेकिन क्योंकि यह ताबूत चट्टानों में कैम लाश हो जाते हैं इसी वजह से इन को रैंडम चट्टानों पर ढूंढना बहुत ही ज्यादा मुश्किल है रिसर्चर ने मिलने वाले चंद ताबूतों का सैंपल लिया तो मालूम पड़ा कि इनमें से सबसे पुराना तीन हज़ार साल पहले बनाया गया था इसी एविडेंस से हमें यह मालूम पड़ा है कि बोट राइड किलो तीन हज़ार साल पहले भी यहां रहा करते थे एस्टीमेट लगाया गया है कि इस प्रोविंस में मजीद हजारों ताबूत पर हो सकते हैं जाहिर है जो कबीला इतना पुराना हो उसके सिर्फ एक सौ इकतीस ताबूत कैसे हो सकते हैं इन ताबूत की खास बात यह है कि इनको लकड़ी के सिंगल पीस से बनाया गया था एक्सपर्ट्स का मानना है कि उस दौर में अगर कोई टूल था तो वो था सिर्फ कुल्हाड़ी इसका मतलब है कि बोर्ड कबीले के लोग सिर्फ कुल्हाड़ी की मदद से बड़े दरख्त के तने का अंदरूनी हिस्सा काटकर उसको ताबूत की शकल देते थे चाइना एक्सप्लोरेशन एंड रिसर्च सोसाइटी की तरफ से एक कैंपेन अरेंज की गई जिसमें दुनिया भर के आर लार्जेस्ट और रिसर्चर ने छुपे हुए इन हैंगिंग कांफ्रेंस को ढूंढने का फैसला किया ताकि इस मिस्त्री को सुलझाया जा सके
यूनान में एक चट्टान पर जहां छः कॉफ्रेंस लटके थे रिसर्चर ने इन तक पहुंचने का प्लैन बनाया कॉफ्रेंस तक डायरेक्टली पहुंचना एक्सपीरियंस लिए फ़्लैंडर्स के लिए भी काफी मुश्किल था इसी वजह से क्लिफ पर दूसरे रास्ते से चढ़कर रस्सियों की मदद से लाइन बस को नीचे सीधा उन छः कॉफ्रेंस तक उतारा गया यह बहुत ही खस्ता हाल के कॉफ्रेंस थे जिनको लकड़ी के जिन तनों पर सपोर्ट देकर रखा गया था वो भी बिलकुल गल चुकी थी और किसी भी वक्त टूट सकती थी क्लैम्बर को इन ताबूतों के अंदर जो कुछ मिला उसने इस मिस्त्री को सुलझाने के बजाय मजीद उलझा दिया जी हां इनमें मौजूद हड्डियों के सैंपल्स पर जब रिसर्च की गई तो मालूम पड़ा कि हर ताबूत में एक से ज्यादा इंसानों की हस्तियां मौजूद थी इसके अलावा इन हाथियों पर मिट्टी भी चिपकी हुई थी पहले तो ये समझा गया कि शायद बारिश का पानी और चट्टानों से गिरने वाली मिट्टी ताबूत के अंदर अपना रास्ता बना रही है लेकिन
बाद में मालूम पड़ा कि टाइप के लोग असल में पहले मुद्दों को मिट्टी में दफन करते थे और बाद में जब पौड़ी दी कंपोज हो जाती थी फिर उसको निकाल कर ताबूत में रखा करते थे ढांचे को ताबूत में डालकर खाली हिस्सों में रेत पर दी जाती थी शायद इसलिए ताकि ताबूत को ऊपर चढ़ाते वक्त अंदर मौजूद हथियार हिल न सके
जिस रेट की वजह से ही यह ताबूत ढाई सौ केजी वजनी है तो अब सवाल यह है कि जिन चट्टानों पर अकेले इंसान का चढ़ना भी नामुमकिन है वहां तक इतने वजनी ताबूत को कैसे ले जाया गया जाहिर है उस दौर में बोट राइड के पास कोई मशीनरी तो नहीं थी लेकिन तीन हज़ार साल पहले बोट राइड के पास रस्सियां छेनी हथौड़ा और सबसे बढ़कर मैन पावर मौजूद थी दिन चट्टानों पर बो ट्राई ने ताबूत रखे थे उनकी जब तफसील से जांच की गई तो रिसर्चर्स को जहां चट्टान पर छोटे छोटे स्वराज हुए भी मिले यह सुराख किसी सूरत भी नैचरल नहीं लग रहे थे बल्कि इनको किसी ने चीनी और हथौड़े की मदद से किया था ऐसा मालूम होता है कि इन चौराहों का जरूर इन ताबूतों से कोई कनेक्शन है शायद वो लोग इसमें बांस के डंडे डालकर ऊपर चढ़ने के लिए एक सपोर्ट बनाते थे इस मिस्त्री को सॉल्व करने के लिए एक एक्सपेरिमेंट करने की जरूरत थी दो हज़ार तीन में डिस्कवरी चैनल की एक टीम ने यह एक्सपेरिमेंट करने का फैसला किया उन्होंने हूबहू बोट राइड जैसा ताबूत सिर्फ कुल्हाड़ी की मदद से तैयार किया उसके बाद चट्टान में सुराख करके उसमें बांस का डंडा फंसाया गया जिस पर एक आदमी आसानी से खड़ा हो सकता था इसी तरीके के से पांच से छः फुट के फासले पर चट्टान पर स्वराज किए गए और उसमें डंडे गाड़े गए यह बांस के डंडे एक तरह के स्टेप्स थे जो चट्टान पर ऊपर चढने के काम आते थे जिस हाइट पर ताबूत को रखा जाना था वहां एक डंडे को पुलिस के तौर पर इस्तेमाल किया गया आजकल की मौत पुलिस में तो बॉल बेयरिंग होती है जिससे रस्सी को गोल घूमने में आसानी हो जाती है बांस का धंधा ऊपर से से प्रिय होता है जो लगभग बॉल बेयरिंग जैसा ही अफेक्ट देता है रस्सी को इस देसी पोली से गुजार कर ताबूत को दूसरी तरफ से ऊपर खींचा गया क्योंकि पुलिस की मौजूदगी से
फिफ्टी परसेंट लोड कम हो जाता है इसी वजह से वर्कर्स ने बड़ी आसानी से ताबूत को तीन सौ फीट ऊपर पहुंचा दिया ऊपर मौजूद वर्कर्स का दूसरा ग्रुप जिसने ऑलरेडी चट्टान पर लकड़ी की बेस बना रखी थी उन्होंने ताबूत को बेस पर रख दिया बारह लोगों की शिरकत और तीन दिनों की मेहनत के बाद रिसर्चर्स का एक्सपेरिमेंट कामयाब हो चुका था और उनका खयाल है कि बोर्ड राइड के लोग भी इसी तरीके से ताबूत ऊपर चढ़ आया करते थे मिलने वाले कई ताबूतों के अंदर फाइन लेनिन से बने ऐसे कपडे भी मिले उन कपड़ों का डिजाइन हूँ बहू इसी तरह दिखता था इससे यह जाहिर होता है कि बोट ट्राई लोग सिल्क मॉम की कल्टीवेशन के माहिर थे इसके इलावा ये लोग बहुत ही रिफाइंड लेनिन भी बना सकते थे इसी रिसर्च के दौरान एक्सपर्ट्स को बोर्ड ट्राइब से रिलेटेड एक बहुत ही इंटरेस्टिंग एविडेंस मिला जो कपडे हजारों साल पहले बोर्ड ट्राइब बनाकर ताबूत में रखा करते थे बिल्कुल इसी तरह के कपड़े आज भी चाइना के रूरल एरियाज में बनाए जाते हैं यह इस बात की निशानी है कि मिंग एमनेस्टी में मारे जाने वाले बोट ट्राइब की पूरी नसल खत्म नहीं हुई थी बल्कि कुछ लोग तब जिंदा बचने में कामयाब हो गए थे बच जाने वाला दो ट्राइब अब कहाँ है और वह अब अपने एंड सिस्टर्स की ट्रेडिशन्स को पूरा क्यों नहीं कर रहा यह भी एक अलग मिस्त्री है इसी चौहान जन्मशती से ताल्लुक रखने वाले प्रोफेसर लेन झेंग जिन्होंने अपनी जिंदगी के तीस साल इन हैंगिंग कॉफ्रेंस पर रिसर्च करके गुजारे हैं उनका कहना है कि कॉफ्रेंस को पथरीली चट्टानों पर रखने के दो रीजन हो सकते हैं पहला यह कि को जितना ऊँचाई पर होगा वह उतना जल्दी मूर्ति
को हैवेन तक जन्नत तक पहुंचा पाएगा दूसरा रीजन काफी प्रैक्टिकल है मुझे के वो ट्राइब अपने प्यारों की बॉडी को जंगली जानवरों और दुश्मनों से बचाना चाहता था और चट्टानों के बीच में लटकाने से कॉफ्रेंस तक पहुंचना करीब नामुमकिन ही है दो ट्राइब और हैंगिंग कॉफ्रेंस से रिलेटेड आज हमें जो कुछ भी मालूम है वह महज सिर्फ थ्योरिटिकल बातें हैं
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