Shaapit Raat - Horror Stories in Hindi |

भुतहा रात - शापित रात | सच्चा कहानी | डरावनी कहानियाँ हिंदी में |
शापित रात राजीव एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता था कभी कभी उसके ऑफिस से घर आते आते अंधेरा हो जाता था राजीव को अक्सर ऑफिस से उसकी क्या अब घर के बाहर वाली रोड पर ड्रॉप कर देती थी एक दिन राजीव को घर आते आते रात के एक बज गए थे थका हुआ राजीव बस घर जाकर खाना खाकर सोना चाहता था घर के रास्ते पर चलते हुए राजीव को सामने से कुछ लोगों की भीड आती दिखाई दी
सड़क ज्यादातर सुनसान ही रहती थी ब्राजील ने ध्यान से देखा तो उन सभी लोगों ने सफेद कपडे पहने थे उनमें से सबसे आगे चल रहे दो आदमियों के सर पर लाल रंग लगा हुआ था उस भीड़ में चल रहे कुछ लोगों ने एक पालकी उठाई हुई थी और सब बार बार मोड़कर उस पालकी को देखकर अपने हाथ जोड़ रहे थे और एक अजीब सी धुन में कुछ गा रहे थे राजीव को यह बात बहुत ही ज्यादा अजीब लगी उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर इतनी रात में किस भगवान की पालकी ले जाई जा रही थी राजीव उस भीड़ को इग्नोर करके अपने घर के रास्ते पर चलने लगा राजीव सीधा चलता गया और भीड़ उसके बाएं ओर से गुजरने लगी जैसे ही राजीव को लगा कि उसने भीड़ को पीछे छोड़ दिया है वैसे ही उसके कंधे पर किसी में हाथ रख राजीव अचानक से पीछे मुड़ा और उसने देखा कि भीड़ के सबसे आगे चल रहे एक आदमी ने उसे रोका था इससे पहले कि राजीव कुछ बोलता उस आदमी ने कहा तुम हमारी माँ को प्रणाम करें बिना जा रहे राजीव की नजर पदों से ढकी पालकी पर गई तो से भोपाल की बिल्कुल खाली लगी राजीव को लोग बहुत अजीब लग रहे थे राजीव में दूर से ही हाथ जोड़े और तेजी से वहां से निकलने लगा तभी उसके पीछे से उसका हाथ किसी ने पकड़ लिया
राजीव ने देखा कि जो लोग पहले मुस्कुरा रहे थे
अब उनके चेहरे एकदम गुस्से से भर गए थे उन लोगों के शरीर का रंग नीला सा पढ़ने लगा था राजीव अपना हाथ छुड़ाने लगा कि तभी उस आदमी ने कहा तुमने हमारी देवी का अपमान किया है अभी पश्चाताप करो नहीं तो अनर्थ हो जाएगा अब राजीव को उन लोगों पर गुस्सा आने लगा था उसे लगा कि भीड़ में वो लोग चोर उचक्के होंगे जो रात में चलते फिरते लोगों को देवी का डर दिखाकर लूटते होंगे उसने गुस्से से अपना हाथ छुड़वाया और बोला नहीं मानता मैं तुम्हारी किसी देवी को पता नहीं कौन से पागल खाने से भागकर आए हो सबके सब इतना
कहकर राजीव वहां से चला गया और उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा दरअसल राजीव बचपन से ही अंधविश्वास दूर रहा था वो इस हद तक इन सब बातों से दूर हो गया था कि उसने भगवान में भी मानना बंद कर दिया था राजीव अपनी चाबी से दरवाजा खोलकर घर के अंदर आया तो उसने देखा कि उसकी वाइफ श्रुति सो चुकी थी वह उठाना नहीं चाहता था इसलिए हाथ धोकर अपने लिए खुद ही खाना लेने चीन में चला गया राजीव अभी भी उन लोगों पर गुस्से में बौखला रहा था और अपने दिमाग को शांत करने के लिए उसने एक ड्रिंक बनाने का सोचा उसमें विस्की की बोतल उठाई और स्टोरेज के ऊपर रख दी फ्रीजर से बरफ निकालने लगा तभी उस पेज पर एक रिफ्लेक्शन में देखा कि उसके पीछे एक आदमी खड़ा है वहीं भीड़ वाला आदमी था जिसके माथे पर लाल रंग लगा था अचानक उसकी रिफ्लेक्शन देख राजीव घबरा गया  और फ्रेश के ऊपर रखी बोतल प्रिंट से सीधा उसके पैर पर आकर गिरी
उस मॉडल के टुकड़े टुकड़े हो गए और उस बोतल से निकला का आज उसके पैरों में घुस गया राजीव बहुत जोर से चीखा और बोतल के टूटने से भी एक बहुत तेज आवाज हुई प्रसूति अपनी नींद से नहीं देगी बोर्ड कर किचिन में नहीं आई राजीव की दर्द से हालत खराब हो रही थी और उस श्रुति को आवास दिए जा रहा था तभी राजीव को उसी गाने की आवाज आने लगी झुकाना पालकी ले जा रहे लोग आ रहे थे वह गाना सुनते ही राजीव की मानो रूही का गई उसके घर के बाहर से आ रही थी और उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके घर के बाहर बहुत से लोग चक्कर लगाते हुए वह गाना गुनगुना रहे हैं राजीव के पास कोई चारा नहीं था उसने अपने पैर में लगे कांच के टुकड़े खींचकर निकाले और घाव को पानी से धोकर लंगड़ाता हुआ श्रुति के पास गया और उसने देखा कि कमरे में कोई था ही नहीं राजीव को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर उसके साथ क्या हो रहा है उसे अब भी वो गाना सुनाई दे रहा था
उसके पैर के घाव से खून बह रहा था और स्तुति का कोई अता पता नहीं था राजीव ने अपना फोन निकालकर छोटी को फोन मिलाया थोडी ऋण जाने के बाद कॉल पिक हुआ राजीव हड़बड़ाहट में श्रुति से कहने लगा श्रुति सूरी तुम कहाँ हो मुझे बहुत डर लग रहा है तुम कहाँ पर तभी राजीव ने कुछ ऐसा सुना जिससे उसका दिल दहल गया
सामने से राजीव को उसी आदमी की आवाज आई जो उसे उस भीड़ में मिला था और जो राजीव को देवी के नाम से डरा रहा था उसने कहा अभी समय है राजीव बाहर आओ और बौछारों खुद को इतना सुनते ही राजीव ने फोन काट दिया और वो कमरे की खिड़की के पास गया उसने खिड़की से बाहर देखा तो वहां पालकी लेकर रही भीड़ खड़ी थी और वही गाना गाये जा रही थी
राजीव की नजर इस बार जब उस पालकी पर पड़ी तो से अंदर एक औरत की परछाई दिखीं
राजीव को कुछ समझ नहीं आ रहा था सीधा अपने घर से बाहर निकला और उस पालकी के सामने माथा टेक कर माफी मांगने लगा उसने कहा कि देवी माँ मुझे माफ कर दो मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई है इतना कहकर वह फूट फूटकर रोने लगा कुछ देर बाद उसने देखा कि उसके आस पास एक अजीब सा सन्नाटा हो गया था उस्ताद शायर जमीन से उठाया तो देखा कि वो उसी रोड पर बैठा था जहां पर उसे वह की पहली बार दिखी उसने अपना फोन निकालकर टाइम देखा तो रात के डेढ़ बज चुके थे राजीव के पैरों में भी कोई चोट नहीं आई थी ताजी जल्दी से अपने घर की तरफ भागा जब घर पहुंचा तो सूती जगी हुई सोफे पर बैठकर टीवी देख रही राजीव को कुछ समझ नहीं आ रहा था लेकिन फिर भी श्रुति को देख उसकी जान में जान आई जब उसने शुद्धि को पूरी बात बताई तो सुरती को लगा कि थकान की वजह से राजीव को वहम हो गया होगा
भले ही किसी ने राजीव की बात पर विश्वास न किया हो पर राजीव तब से भगवान और हर तरह की सुपर नेचुरल चीजों पर विश्वास करने लगा
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