Scary Scarecrow - Bijuka Real Story | सच्ची कहानी

Scary Scarecrow - Bijuka Real Story | सच्ची कहानी 

नौ साल का राजेश अपने पिता के साथ एक गांव में रहता था
उसकी माँ जो की सबसे अच्छी दोस्त थी
कुछ साल पहले एक बीमारी के कारण मर गई थी और तब से वह बहुत अकेला महसूस करने लगा था
स्कूल में भी उसके ज्यादा दोष नहीं थे
और हाइट में छोटे होने के कारण उसकी क्लास के सभी बच्चे उसको हर वर्ग परेशान करते रहते थे पर उस रात राजेश की जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई
उस दिन स्कूल में राजेश की क्लास के बच्चों ने उसका इतना मजाक उड़ाया राजेश की उनमें से एक से लड़ाई हो गई
जिसकी वजह से सारे बच्चे उसको मारने के लिए उसके पीछे दौड़ने लगे
स्कूल के बच्चे उसे हर जगह ढूंढ रहे थे
जिसके कारण राजेश को उनसे बचने के लिए एक खेत का रास्ता लेना पड़ा राजेश उस रास्ते पर चला तो गया और उसे नहीं पता था
कि उस खेत के बीचोंबीच वो उसका इंतजार कर रहा है
वो एक बिजूका यानी एक स्क्वेयर जिसके सर की जगह एक मटका था
जिस पर सफेद रंग से चेहरा बना हुआ था और जिसका पूरा शरीर उसे का था
जिसकी दो आंखें सूरज की रोशनी में चमकते हुए जैसे उसी को घूर रही थी
उस बिजूका को वहां देखकर राजेश को एहसास हो गया कि वो उस खेत में आ गया है जहां पर कोई कभी नहीं जाता
क्योंकि पूरे गांव को ये बात पता थी
व्यूस खेत में जाने का मतलब उस बिजूका के हाथों अपनी जान खो न था
वह वहां खड़ा हुआ उस बिजूका को ही देख रहा था
कितने में जो लडकी उसका पीछा कर रहे थे वो वहां पहुंच गए
और उन्होंने राजेश को चारों तरफ से घेर लिया डरे हुए राजेश को पता था कि उसका क्या अंजाम होने वाला है तो उसने अपनी हार मानकर उन लडकों के हाथों पिटने से पहले अपनी आँखे बंद कर और राजेश वहीं खड़ा रोने लगा
पर तभी उसे भूसे के फिल्में की और स्कूल के लड़कों के कहानी की आवाज आई जब राजेश ने आँखें खुली तो उसने देखा कि उसके स्कूल के लडके जमीन पर गिरे हुए थे
और उनके हाथों पर गहरी चोट लगी थी इस हादसे के बाद सब भाग कर अपने अपने घर चले गए राजेश की हालत घबराहट के मारे इतनी बुरी हो गई थी कि वो एकदम सुन्न पड़ गया और सीधा सोने चला गया जो कुछ भी उस खेत में हुआ राजेश रात में बिस्तर पर लेटा हुआ
उसी के बारे में सोच रहा था
पर राजेश को यह नहीं समझ आ रहा था
क्यों बिजूका ने उसे क्यों नहीं मारा और यही सोचते सोचते उसकी आंख लग गई
देर रात को एकदम से उसकी नींद खुली और उसने देखा कि वह बिजूका उसके कमरे की खिड़की के दूसरी तरफ से उन्हें सफेद आंखों से उसे घूर रहा था
पर इससे पहले वह कुछ कर पाता उस बिजूका ने घूसे वाले हाथ खिड़की से अंदर डालें और राजेश का हाथ
राजेश छटपटाने लगा और तभी उसे एक छोटे बच्चे का दृश्य दिखने लगा
जो अपनी गेंद को ढूंढते हुए उसी खेत में जा रहा था
नीची जाति का होने के कारण कुछ ऊंची जाति वालों ने उस बच्चे को उनके खेत में घुसने के लिए लाठियों से मार मारकर उसकी जा रहा है
और उसकी हत्या छुपाने के लिए उस बच्चे की लाश को एक बिजूका के अंदर भर दिया यह सब देखकर राजेश को समझ आ गया कि दरअसल वह बिजूका भी उसी की तरह छोटा बच्चा था
शायद सिर्फ उसका दोस्त बनना चाहता था
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उसकी कहानी जानकर राजेश और बिजूका दोष बन गए
पर पिछली रात जो गांव में बच्चों के साथ हुआ था
उसके चलते राजेश के पिताजी जो कि एक पंडित थे उन्हें उन बच्चों की आत्मा को शुद्ध करने के लिए बुलाया गया क्योंकि सबके माँ बाप को डर था कि वह बिजूका उनके बच्चों के पीछे पड़ जाएगा और बच्चों को मार डालेगा
वहीं दूसरी तरफ राजेश और बिजूका साथ में काफी समय बिताने लगे
जहां पर बिजूका राजेश को अपनी शक्तियों से कई खेल दिखाता और राजेश उसके लिए नए नए कपड़े और खिलौने लाता कुछ दिन बाद जब राजेश का जन्मदिन आया तो उसकी क्लास के बच्चे फिर से उससे लड़ने लगे और वो लड़ाई इतनी ज्यादा बढ़ गई कि उनमें से एक ने राजेश
की मां की मौत का मजाक उड़ाना शुरू कर दिया
जिसकी वजह से राजेश को इतना गुस्सा आ गया कि उसने बगल में पड़ा टेस्टर उस लडके के सर पर एक मारा और वहां से भाग है
राजेश भागता हुआ स्कूल के पीछे चला गया जिसके बाद कुछ ऐसा हुआ जिसकी वजह से पूरा गांव हिल गया
क्योंकि उस रात राजेश की क्लास की उन बच्चों को बिजूका के भूसे भरे हाथों ने छाती चीर कर मार डाला
उन बच्चों की मौत के बाद सारे गांव वालों ने सोच लिया कि आज वो उस बिजूका को जलाकर हमेशा के लिए खत्म कर देंगे
सारे गांव वालों ने उस बिजूका को ढूंढना शुरू किया और वह बिजूका उन्हें कहीं नहीं मिला
राजेश के पिता जब रात को घर पहुंचे तो राजेश घर पर नहीं था उन्होंने आसपास देखा तब लिए उन्हें राजेश कहीं नहीं दिखा वो बहुत डर गए
और हाथ में मशाल लिए उसे हर जगह घूमने लगे
जब राजेश कहीं नहीं मिला
तो वह थक हार कर अपनी बीवी की मनपसंद जगह पर जाकर बैठ गए
और अपने बेटे को खोने के दुख में फूट फूटकर रोने लगे
उन्हें लगा कि वह बिजूका उनके बेटे को भी कहीं ले गया है तभी उन्हें राजेश की आवाज सुनाई दी और उन्होने देखा कि राजेश के साथ वहीं बिजूका था
और उन्हें नहीं पता था कि राजेश उस बिजूका को खुर्द गांव वालों से बचाकर यहां लाया था राजेश उस बिजूका से बात कर ही रहा था कि तभी उसके पिताजी मशाल लेकर एकदम से उनके सामने आ गए और उस बिजूका की तरह अपने बेटे को बचाने के लिए मशाल लेकर आगे बढ़ने लगे
इससे पहले वह कुछ कर पाते उस बिजूका ने अपने भूसे वाले हाथों से उसके पिताजी को जकड़ लिया
राजेश चिल्लाता हुआ उस बिजूका से अपने पिता को छोड़ने की विनती करने लगा पर बिजूका उन्हें छोड़ ही नहीं रहा था
तो राजेश ने नीचे गिरी हुई मशाल उठाई और अपने पिता को बचाने के लिए अपने सबसे अच्छे दोस्त को आग लगा दी
जलते हुए बिजूका ने राजेश के पिताजी को अपनी पकड़ से छोड़ तो दिया पर तब तक राजेश के पिता की सांसे खत्म हो चुकी थी
उस रात राजेश और भी ज्यादा अकेला हो गया क्योंकि उस रात उसने दो लोगों को हमेशा हमेशा के लिए खो दिया अपने सबसे अच्छे दोस्त को और अपने पिता को 
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