Munjya Real Horror Stories in Hindi |

ये कहानी अभिनव और जायेगी है जो बचपन से ही बहुत अच्छे दोस्त थे दोनों महाराष्ट्र के एक छोटे से शहर में पैदा हुए थे और समुद्र किनारे बसे उसी शहर में बड़े हुए थे पर आज का दिन कुछ अलग था आज अभिनव का बर्थडे था जैन ने अभिनव कि बर्थडे के लिए एक बहुत ही स्पेशल आइडिया सोच रखा था वो अभिनव को रात बारह बजने से ठीक पहले ही एक बीच पर ले गया पर बारह बजते ही जैन ने अभिनव को हैप्पी बर्थडे विश किया और अपने बैग से एक शराब की बोतल निकाली अभिनव वह बॉटल देकर छोड़ा चौंक गया आज से पहले उन दोनों में से किसी ने कभी शराब को हाथ तक नहीं लगाया था अभिनव से कहा कि यह उसकी बर्थडे सेलिब्रेशन का ही एक हिस्सा है अभिनव भी अपनी लाइफ में एक नया एक्सपीरिएंस लेना चाहता था इसलिए उसने जय की बाद झट से मान ली दोनों समुद्र के किनारे काफी देर तक बैठकर शराब पीते हैं कुछ देर बाद जय को जोर से टॉयलेट आ गया वोट कर एक पेड़ के पास टॉयलेट करने चला गया नशे में धुत जैन ने यह देखा ही नहीं कि वह पेड़ कोई अहम पर नहीं बल्कि एक पीपल का पेड़ था टॉयलेट करते हुए अचानक से के सर पर पत्थर आ पड़ा
चेहरे पर एक तरफ सर उठा कर देखा तो उसे वहां कोई नहीं दिखा इतने में अभिनव भी उस पेड़ के पास आ गया उसके हाथ में एक खाली बोतल थी और उसने मसाज में उस बोतल को शोर से जय के पास का पोती सीधा उस पीपल के पेड़ पर जा लगी और उसके टुकड़े टुकड़े हो गए और मॉडल के पेड़ पर लगते ही एक अजीब सी आवाज आई ऐसे वास जैसे कोई जानवर गुस्से में गुर्रा रहा हो एक मिनिट के लिए अभिनव वजय दोनों ही शांत हो गए लेकिन कुछ ही पलों बाद वो बाज आना बंद हो गए तभी अचानक से भी नीचे पड़े टूटे हुए कांच के टुकड़ों में से इकतीस उठाया और उस पेड़ के तने पर कांच के टुकड़े से अपने और अभिनव के नाम के लेटर लिख दी छः ने पेड़ पर स्कॉच खोखर उसने हुए करवा अभिनव अब यह दिन हमें हमेशा याद रहेगा उसके इतना बोलते ही उस पीपल के पेड़ की डालियों से मिलने लगी और खुशी एक बड़ी सी सीधा आकर छः के स्तर पर गिल और जाए वहीं बेहोश हो गया यह देखकर अभिनव का नशा मनु एक सेकंड में चूर हो गया वह जल्दी से के पास गया और उसे होश में लाने की कोशिश करने लगा तभी अभिनव को अपने पीछे से आवाज आई मनु भीड़ से कुछ नीचे गिरा अभिनव ने जैसे ही पीछे कर देखा उसके पैरों तले जमीन खिसक गई उसके ठीक पीछे एक काली परछाई थी उसकी नीली आँखें अंधेरी में चमक रही थी अभिनव को अपनी नजरो पर विश्वास नहीं हो रहा था अभिनव को लगा कि जो भी उसके पीछे कोई न कोई सुपर नेचुरल क्लींजर हैं कुछ ऐसे ही उस सीट से दूर जाने के लिए अगर उस जीव में उस पर हमला हरी भरी अभिनव की पीठ में फंस गए क्रिकेट शृंखला हुआ अभिनव जैसे तैसे उस जीव की पकड़ से छोटा और वहां से दूर भाग गया दूर जाकर अभिनव ने देखा कि वह जीव एक काली परछाई मॉडल गया है और वो बेहोश पड़े जय के मुंह के अंदर घुस गया और तभी अचानक मुझे अपनी बेहोशी से उठ खड़ा हुआ अभिनव दूर से उसका नाम बार बार पुकार रहा था पर छः मानो सुन होकर एक ही जगह पर खड़ा था उसकी आँखें पूरी तरह से नीली पड़ चुकी थी और वह बस एक पुतले की तरह खड़ा था तभी अचानक से जमीन की तरफ झुका और उसने वहां पर पड़े टूटे हुए कांच का एक टुकड़ा उठा लिया और अपनी शॉर्ट फाड़ कर अपनी छाती पर उसी कांच के टुकड़े से को एक से लिखने लगा ऐसे ही जैसे उसने उस पीपल के पेड़ पर लिखा था यह सब देखकर अभिनव की रूह कांप गई थी सुबह के पाँच बज चुके थे और समुद्र के ऊपर से अब सूरज उगता दिखने लगा था जय के ऊपर जैसे ही सूरज की रोशनी गई अचानक से होश में आ गया ऐसा लग रहा था कि से से उसे अपने साथ हुई कोई भी चीज याद नहीं थी और वो अपने सीने पर बने घाव को देख कर बहुत ज्यादा घबरा गया था उसके बाद वह दोनों चुपचाप अपने घर चले गए उस दिन शाम होते ही की तबियत खराब होने लगी अपने बिस्तर पर लेट गया और उसे बिल्कुल भी नहीं आ रही थी
उसके दिमाग से उस जीव की शक्लें निकल ही नहीं रही थी चाय को अपने कमरे से किसी के गुर रानी की ठीक वैसे ही थी जैसी उन्हें गल उस पेड़ के पास इतना घबरा गया कि उसने डर के मारे अपनी आँखें बंद कर ली और चादर को अपने मुंह पर चढ़ा लिया कुछ ही पलों बाद वो आवाज आना बंद हो गई और कमरे में एक सन्नाटा हो गया दृढ़ थोड़ा कम हुआ तो उसने अपने चेहरे से उस सत्तर को हटा लिया लेकिन जैसे ही चादर को हटाकर जैन ने अपनी आँखें खोली तो उसके दिल की धड़कनें लगभग रुक ही गई उसके कमरे की छत पर वहीं जीव बैठा था लेकिन इस बार उसका खौफनाक चेहरा साफ साफ दिखा खाक एक भयानक राक्षस की तरह दिख रहा था उसकी चमड़ी बिल्कुल पेड़ के तने जैसी थी और उसका चेहरा बिल्कुल छोटे बच्चे जैसा था इससे पहले की कुछ कर पाता उस भयानक राक्षस नहीं पर कर दिया उधर अभिनव बहुत घबराया हुआ था जो उसके पापा ने उससे उसकी घबराहट की वजह पूछी तो उसने अपने पापा को पूरा किस्सा बताया कि उनके साथ पिछली रात क्या हुआ था
अपने के पापा शहर के माने जाने वाले पंडित थे
लेकिन अभिनव की बात सुनकर उनका दिल दहल उठा उन्हें समझ आ गया कि उनके बेटे अभिनव और उसके दोस्त जय के ऊपर गूंजा का साया हो चुका है उन्होंने बताया कि या एक ऐसा असुर है जो एक बार पीछे पड़ जाए तो पीढ़ियों तक पीछा नहीं छोड़ता जब कोई बच्चा अपने मुंडन के दस से चौदह दिन के बीच इसी वजह से मर जाता है तो उसकी आत्मा गूंजा बन जाता है
गूंजा एक गुस्से से भरे बच्चे की तरह होता है
और पीपल के पेड़ पर रहता है और अगर कोई उस पीपल के पेड़ से छेड़खानी करें तो वह उस इंसान के पीछे पड़ जाता है उन्होंने उसी वक्त अभिनव और जय को लेकर उस पेड़ के पास जाने का डिसीजन लिए रात को अभिनव और उसके पापा के घर पहुंचे और वहां जो उन्हें देखा उस पर किसी को विश्वास ही नहीं हुआ जय कि
अपने बिस्तर में ही मौत हो है चेहरे पर ऐसा एक्सप्रेशन था मानो मरने से पहले उसने अपनी मौत को करीब से देखा होगा अभिनव के पिता यह देखकर चिंता में आ गए वह अभिनव को लेकर फौरन उस पीपल के पेड़ के पास पहुंचे और अभिनव के पिता ने उसी समय उस पेड़ के सामने एक छोटी सी पूजा करके उस मंजर से जोड़कर माफी मांगी कई घंटों तक पूजा करते रहे और समूचा से माफी मांगते रहे जैसे सूर्य उदय हुआ वो दोनों अपने घर वापस आ गए उस दिन के बाद से अभिनव को कभी वो गूंजा नहीं देखा लेकिन अभिनव ने अपने सबसे करीबी दोस्त खो दिया
आज भी अभिनव शराब को हाथ नहीं लगाता हूं और रात के समय पीपल के पेड़ के पास से कभी नहीं गुज़रता है
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