गणतंत्र दिवस की डरावनी कहानियाँ
हर भूटिया कहानी डरावनी नहीं होती और हर भूत बुरा नहीं होता एक ऐसी ही कहानी है एक ऐसे शख्स की जिससे काफी सारे लोग आज तक अनजान हैं रमेश कुमार नाम का एक लड़का जिसने इंडियन आर्मी नई नई ज्वाइन करें अपनी सिक्किम पोस्टिंग के लिए ट्रेन से गैंग टॉक जा रहा था उसने देखा कि ट्रेन की सीट के पास आकर बहुत सारे जवान उस सीट पर हाथ पैर जोड़कर जा रहे को सीधे एकदम खाली सीट के नीचे दो बड़े बड़े बक्से बड़े हुए रमेश को कुछ समझ नहीं आया तो वह अपनी आंखें बंद करके सो गए
देर रात में उसकी आंख खुली तो अंधेरे से हैं
पहले बैठा एक लड़का दिखा जो उसी खाली सीट पर बैठा था पर रमेश को एक मुस्कान के साथ देख कहा था उसे देखते ही रमेश थोड़ा घबरा गया और उठकर बैठ गए रमेश ने जब उस लड़के से पूछा कि क्या वो सीट उसकी है तो उस लडकी ने आंखों के इशारे से कहा तब रमेश ने पूछा क्यों लड़का कौन है और लोग उसकी सीट पर आकर हाथ जोड़ रहे थे इस बात पर उस लड़के ने कोई जवाब नहीं दिया.रमेश ने फिर पूछा फिर वो लड़का एक मुस्कान लिए उसे देखता रहा रमेश उस लड़के को पागल बोलकर लेट गया पर जब उसने वापस सीट पर नजर घुमाई तो वहां कोई नहीं रवीश को सब बहुत अजीब लग रहा था
सारी रात उस लडके के बारे में सोच सोच कर सो नहीं पाया और उसकी खाली सीट को घूरता रहा
सुबह हुई और जब स्टेशन आया तो कुछ आर्मी ऑफिसर्स उस लडके की सीट के नीचे रखे दो बक्से लेने आए रमेश से रहा नहीं गया और जब उसने बाकी ऑफिसर्स से उस लडके के बारे में पूछा तो उसके होश उड़ गए उन ऑफिसर्स ने बताया कि वो सीट बाबा हरभजन सिंह की है जिनकी नाइनटीन सिक्सटी एक में मौत हो चुकी है हरभजन सिंह ने नाइंटीज सेक्सी सेक्स में आर्मी ज्वाइन करें और दो साल बाद ही उनकी पानी में डूब कर मौत हो गई थी तीन दिन तक जब उनकी लाश नहीं मिली तब बाकी फौज वालों ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया पर एक रात को अपने दोस्त के एक सपने में आए और उनका शव कहां मिलेगा को बताया जब आर्मी ने सर्च किया उनका शव उसी एक जगह से तबसे लेकर आज तक हरभजन सिंह फौजियों के सपनों में आकर उन्हें दुश्मन के प्लान्स के बारे में पहले से ही बता देते हैं इस तरह वह इंडो चाइना बॉर्डर पर चालीस साल से इंडिया की रक्षा करते आए कहते हैं रात में पहरा कर रहे फौजियों की अगर आंख लग जाती है तो उनको चाहता मारकर पर भी करते हैं
इतना ही नहीं इंडियन आर्मी भी इस बात को मानती है कि उनकी आत्मा अभी भी बॉर्डर पर ड्यूटी कर रही है और उनको कैप्टन का दर्जा पर बाबा की उपाधि भी दी गई उनके नाम का एक मंदिर भी बनाया गया है जहां उनका एक कमरा हर रोज उनका बिस्तर बिछा है और उनकी यूनिफॉर्म और जूते वहां रखे जाते हैं हर बार जब उनके कमरे की सफाई होती है तब बिस्तर पर सिलवटें और उनके जूतों में चढ़ पाई जाती है
और तो और उन्हें हर साल घर जाने के लिए दो महीने की छुट्टी भी दी जाती है उनका सारा समान उनके गांव भेजा जाता है और उस समय सिक्किम के जवान हाई अलर्ट पर होते हैं कुछ सुनकर रमेश दंग रह गए और अपने बंकर पहुंचते ही उस सबसे पहले बाबा हरभजन सिंह के मंदिर गए जहां ट्रेन में हरभजन के साथ हुई उस मुलाकात के बारे में सोचने लगा सोचते सोचते एक बार फिर हरभजन सिंह की छवि उसके सामने आए रमेश को एक मुस्कान देखकर उसके सामने से गए
Thanks for Reading ❣️