Holi Horror Stories | सच्ची कहानी

Holi Horror Stories  सच्ची कहानी 

होली के त्योहार को हम रंगों और उत्साह से मनाते हैं पर इस व्यवहार से कुछ ऐसी भी भयानक चीजें जुड़ी है जिनका जिक्र करना भी डरावना लगता है यह कहानी प्रीति की है प्रीति अपनी लाइफ के एक बहुत ही अनोखे पड़ाव पर थी अगले दो महीने में वो एक बच्चे को जन्म देने वाली थी प्रीति और उसका हसबैंड शोभित गुड़गांव के एक फ्लैट में अकेले रहते थे काम में बिजी रहने की वजह से शोभित प्रीति का पूरी तरह से ख्याल नहीं रख पाता था और इसलिए प्रीति ने अपनी प्रेग्नेंसी के आखिरी महीने अपनी मां के साथ रहने का डिसाइड किया होली से करीबन एक दिन पहले प्रीति अपने घर के आपसे पहुंची लोकेशन में कुछ प्रॉब्लम होने की वजह से प्रीति को घर के सामने वाली रोड पर उतरना पड़ा
प्रीति के घर के सामने वाली रोड पर एक चौराहा था उस चौराहे को पार करते हुए प्रीति का पैर जमीन पर आते के बने दिए पर जा लगा और को उसके पैर से चिपक गया प्रीति ने उस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और घर चली गई पर घर के दरवाजे पर पहुंचते ही प्रीति ने जैसे ही घर की दहलीज पर अपना पैर रखा उसके पूरे शरीर में करंट दौड़ा उसे एक जोर का झटका लगा और वो पीछे हो गई जब तक प्रीति कुछ समझ पाती उसकी मां घर के गेट पर उसे लेने आ गई
अपनी मां को देखकर प्रीति बेहद खुश हो गई
और वो उस झटके को नजरअंदाज करके उनके साथ अंदर चली गई उसी रात को प्रीति वॉशरूम जाने के लिए रात में उठी बैट से उठकर मुझ जैसे ही वॉशरूम की तरफ जाने लगी उसके पीछे से किसी ने जोर से धक्का मारना उस धक्के से जमीन पर गिर गई और दर्द के मारे उसकी चीख निकल गई घर में सभी लोग जाग गए
प्रीति ने जब यह बताया कि उसे किसी ने पीछे से धक्का मारा था तो घर के सभी लोग चौंक उठे
तभी प्रीति के पापा ने उसकी बात को टालते हुए कहा कि शायद अंधेरे में प्रीती जमीन पर पड़ी किसी चीज से टकरा गई होगी सबने इस बात को मान लिया और सब लोग सोने चले गए अगली सुबह होली का त्योहार था हर जगह रंग और साथ घर के सभी लोग एक दूसरे को रंग लगा रहे थे जब रीति के बचपन के दोस्तों को पता लगा कि प्रीति अपने पुराने घर में वापस आई हुई है तो वह भी उसके साथ होली खेलने के लिए वहां आ गए
घर के बाहर प्रीति के चार दोस्त आ गए
लेकिन उन चारों में से प्रीति सिर्फ तीन को ही जानती थी एक आदमी उसके लिए बिल्कुल अनजान था पर प्रीति को लगा कि शायद उसके किसी दोस्त के साथ आया होगा उन सब ने एक दूसरे को रंग लगाना शुरू कर दिया उसी मस्ती के बीच वजन अभी भी प्रीति को रंग लगाने आ गया प्रीति ने उसका नाम पूछा तो नहीं कुछ नहीं बोला
और सीधा प्रीति के गालों पर रंग लगाने लगा
प्रीति को एकदम से महसूस हुआ कि वो आदमी अपनी बातों से सिर्फ रंग नहीं लगा रहा बल्कि वह प्रीति के मुंह को मसलने की कोशिश कर रहा है
ईडी ने गुस्से में उस आदमी को पीछे धक्का मारा और जोर से चीखने लगी उसके चेहरे पर बहुत तेज दर्द हो रहा था सब लोग उसके पास न हो गए
प्रीति गुस्से में अपने दोस्तों से कहने लगी कि उनके साथ जो आदमी आया है उसने प्रीति के साथ बदसलूकी की है यह सुनकर सब दंग रह गए तभी प्रीति के दोस्त रवि ने उससे पूछा कि वह किस आदमी की बात कर रही है रवि ने बताया कि उनके साथ कोई चौथा आदमी नहीं था
सुनकर प्रीति सुन्न पर है उसे पूरा यकीन था कि उसने एक आदमी को वहां देखा था प्रीति इधर उधर उसे घूरने लगे पर वो आदमी उसे कहीं नहीं मिला घर के बाहर अब इतना तमाशा बन चुका था कि प्रीति की मां से घर के अंदर ले गए
प्रीति बार बार पागलों की तरह उसी आदमी के बारे में बोले जा रही थी प्रीति की मां ने उसे बिस्तर पर बिठाया और उसके लिए पानी लेने किचिन में पहुंचे कि तक जाते हुए प्रीति की मां के पास उसकी भतीजी श्रेया फोन लेकर आ गई
और उन्हें वीडियो दिखाने लगी वीडियो में जो उन्होंने देखा उससे उनके होश उड़ गए
वह वीडियो बाहर हो रही होली सेलिब्रेशन की थी
और उस वीडियो में साफ साफ दिख रहा था कि प्रीति अकेली खड़ी हुई है उसके गालों पर खुद से रंग लग रहा है कि देखते ही प्रीति की मां भागती हुई प्रीति के कमरे में पहुंची तो उन्होंने देखा कि प्रीति का शरीर बिस्तर के ऊपर हवा में तैर रहा है
देखकर प्रीति की मां बेहद घबरा उठी वह समझ गई कि जरूर पेंटी के ऊपर कोई काला साया गया है उन्होंने तुरंत शहर के जाने माने तांत्रिक को बुलवाया जब तांत्रिक वहां पहुंचा तो प्रीति उसे देखकर गुस्से से चिन्ना मैंने भी उसका दिया
समय उस पर बधाई ऋग्वेद के ऊपर कुछ पाउडर
तांत्रिक का गला सब घर वालों ने उसे बेड से बांध दिया और फिर उस तांत्रिक ने अपनी झड़प हो गए जैसे जैसे तांत्रिक झाड़ कर रहा था वैसे वैसे वृद्धि दर में चिल्ला रहे हैं तांत्रिक में इसे थोड़ा सा कमरा पड़ा है और से चला गया है जैसे जैसे हो रहा था उसमें से नहीं हुआ के और है और
में से थे प्रीति की चीखें भी बंद हो गई और वो बेहोश सी पड़ गई जब प्रीति होश में आई तो तांत्रिक ने बताया कि प्रीति पर किसी ने काला जादू किया था उन्होंने बताया कि होली के समय पूरे साल की सबसे शक्तिशाली पूर्णिमा की रात होती है और इस समय में बच्चों और प्रेग्नेंट और तो को सबसे ज्यादा खतरा होता है ज्यादातर लोग चौराहे पर काला जादू कर के समान रख देते हैं
ताकि जब भी किसी का पैर समान पर पड़े
काली आत्माएं उन पर चढ़ जाए और उन्हीं काली आत्माओं के जरिए वह अपने अधूरे काम करवा पाए प्रीति और उसके बच्चे की तो जान बच गई
पर प्रीति के दिमाग से कि खौफनाक किस्सा शायद ही कभी में पाए इसलिए दोस्तों त्योहारों के समय चलते वक्त पैर कहा पढ़ रहा है इसका ध्यान जरूर रखना इंडिया में होली एक खुशियों का त्योहार है जहां सब लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को रंग लगाकर एक दूसरे की खुशियां सेलिब्रेट करते हैं लेकिन इंडिया में एक ऐसी जगह है जहां पिछले सौ सालों से लोगों ने होली नहीं मनाई है यह कहानी झारखंड में बसे दुर्गापुर गांव की है कहते हैं सौ साल पहले दुर्गा प्रसाद नाम का एक राजा शासन करता था राजा को होली का त्योहार बहुत पसंद था पर एक रोज होली के दिन उनकी बेटी की मौत हो गई तब से वह राजा पागल हो गया और पूरे गांव भर में होली मनाने पर रोक लगा दी कुछ ही सालों बाद उस राजा ने होली के दिन ही खुद को मार डाला और इस गांव की परिस्थितियां और बिगड़ गए उस साल सूखा पड़ गया और कई लोग भुखमरी से मर गए
तब से गांव के लोग होली का दिन उस गांव के लिए अशुभ मानते हैं और कभी होली नहीं मनाने और तो और यह भी कहा जाता है कि उस गांव में आज तक उस राजा का रखता है होली के दिन लोगों को बहुत सताता है गांव के लोग इस डर से सहमे हुए रहते हैं कि अगर उन्होंने राजा का कहा नहीं माना तो उनका भूत आकर रुकी
नरक बना देगा कई साल पहले जब एक आदमी जो गांव में नया नया आया था उसने गांव वालों की बात नहीं सुनी और होली मनाने निकल पड़ा
जिसके बाद गांव में कभी नहीं दिखा कहते हैं उस राजा के भूत में उसे खाई में धक्का देकर मार डाला उसके बाद से उस गांव में होली नाम बनाए जाने की परंपरा बन गई है जो आज तक चलती आ रही है आज भी ओली आते ही इस गांव में सन्नाटा छा जाता है जैसे किसी का मातम हो
अर्णव ऋषि और आकाश बहुत अच्छे दोस्त तीनों सेम कॉलेज में पढ़ते थे और कॉलेज से उन्होंने ट्रिप प्लान की थी होली के चलते उन्हें कॉलेज से एक हफ्ते की छुट्टी मिली थी तो ऋषि ने आगरा जाकर होली मनाने का आइडिया दिया तीनों ही उस आइडिया को लेकर बहुत एक्साइटेड हो गए और होली मनाने के लिए आगरा के लिए निकल गए आगरा में अक्सर होली का त्योहार बहुत ही जोरो शोरो से मनाया जाता है होली का त्योहार पूरे जलसे की तरह होता है अरनब ऋषि और आकाश कोहली से एक दिन पहले आगरा पहुंचे
ही सुबह सफेद कुर्ता पहनकर होली सेलिब्रेट करने आगरा की गलियों में निकल गए
तीनों ने पूरा दिन बहुत एंजॉय किया होली खेलते खेलते उन्होंने ठंडाई समझकर काफी सारी भंग पीली पूरा दिन रंगों से खेलने के बाद अब सूरज ढलने लगा था और तीनों ही बहुत बुरी तरह थक चुके थे अभिनव ऋषि और आकाश अब अपने होटल की तरफ वापस जाने लगे थे पर कहीं ना कहीं वो तीनों ही भांग के नशे में थे जिसकी वजह से वो वापिस जाने का रास्ता भटक गए थे
अभिनव के कहने पर उन्होंने चलते हुए एक नया रस्ता ले लिया और उनमें से कोई नहीं जानता था कि उनकी गलती उन्हें कितनी भारी पड़ने वाली है
जहां आगरा की हर गली में शोर शराबा था वहीं वो नया रास्ता काफी सुनसान सा था तीनों बस उस पर चलते जा रहे थे चलते चलते उन्हें अपनी दायीं ओर एक पुराना सा खंडर हुआ किला देखा वह उसके सामने से निकल ही रहे थे कि तभी उन्हें खंडर के अंदर से कुछ अजीब सी आवाजें आने लगी ऋषि में ध्यान से सुना वह शोर असल में लोगों के हसने खेलने का था उस खंडर से ऐसी आवाजें सुनकर उन तीनों को काफी अजीब लगा और वो तीनों ही देखना चाहते थे कि आखिर अंदर क्या हो रहा था वो तीनो उस खंडर की दीवार के पास जाकर खड़े हो गए
वो दीवार एक जगह से थोडी सी टूटी हुई थी
और में वहां से अंदर देखा तो उसके होश उड़ गए
उस खंडर के अंदर पचास से भी ज्यादा लोग आपस में होली खेल रहे थे किसी को भी अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था आखिर एक अंदर में सूरज ढलने के बाद इतने लोग होली क्यों खेल रहे थे पर इससे पहले कोई कुछ समझ पाता अकाश उसी टूटी हुई व्यवहार से अंदर घुस गया और नाचते हुए उन लोगों के पास चला गया और सबके साथ नाचने लगा उसके पीछे पीछे अन्ना व ऋषि भी अंदर चले गए दोस्त उन सबके नाचते नाचते उस खंडर के अंदर अचानक से अंधेरा छाने लगा जैसे एकदम से रात हो गई है वहीं ऋषि का पर नाचते हुए फिसल गया और वो एक औरत से टकरा गया ऋषि ने तुरंत ही माफी मांगी पर वो औरत बस खड़ी होकर ऋषि को घूरने लगी और देखते ही देखते सभी नाचते हुए लोग वहीं रुक गए और सिर्फ ऋषि आकाश और को घूरने लगे
उस खंडर का माहौल अब बहुत भयानक सा हो गया था इससे पहले कि उन तीनों में से कोई कुछ कर पाता उस औरत का चेहरा बदलने लगा बल्कि वहां खड़े सभी लोगों का चेहरा बदलने लगा और नीला बढ़ने लगा तभी ऋषि के सामने खड़ी उस औरत की आंखें सफेद हो गई
ये सब देखकर उन तीनों दोस्तों की रूह कांप गई
आकाश और नव सीधा वहां से भागने लगे
परदेशी अपनी जगह पर ही रुका हुआ था
वह उस औरत को सुन्न होकर देखे जा रहा था
ऐसा लग रहा था कि जैसे ऋषि एक पुतला बन गया हो अकाश ने उसे वहां से खींचने की कोशिश की पर ऋषि मानो वहीं पर जम गया था
काश ने उसे और जोर से खींचा और जो उसने देखा उसे देख उसका दिल दहल गया किसी की आंखें भी सफेद बढ़ने लगी थी यह देखते ही अकाश ने इसी कहा छोड़ा और वहां से भागने लगा का और न दोनों को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था वह जहां भी नजर डाल रहे थे वहां वो नीले परदे लोग उन्हें भयानक सफेद आंखों से देख रहे थे पास कुछ भी करके उस अंदर से बाहर निकलना चाहते थे इसी अब भी वहीं एक पुतले की तरह खड़ा था अनम देखा कि जिस व्यवहार से अंदर आए थे वहीं बाहर जाने का इकलौता रास्ता था तो हो उसकी तरफ जाने का रास्ता ढूंढने लगा तभी कुछ ऐसा हुआ जिससे हमें व की सांसे थम सी गई वहां पर खड़े सभी लोगों की भर्तियां खटकने लगी और वो धीरे धीरे अभिनव और आकाश की तरफ बढ़ने लगे उन दोनों की जान सूख चुकी थी उन्हें लगने लगा था कि उनके साथ कुछ बहुत ही बुरा होने वाला था और तभी अनवर आकाश ने मिलकर कृषि को वहां से खींचा और उसे अपने कंधे पर उठाकर वह दोनों उसी दीवार की तरफ भागने लगे जहां से वो तीनो अंदर आए थे बिना कुछ सोचे तो बस उस दीवार की तरफ भागते गए और उसके लिए से बाहर कूद गए किले से बाहर निकलते ही ऋषि की आंखें पहले जैसी नॉर्मल हो गई और वह वहीं पर बेहोश हो गया इससे पहले कि वह कुछ समझ पाते उस खंडर से आग की लपटें निकलने लगीं और उस किले के अंदर मौजूद सभी लोग आग में जलने लगे वह भयानक नजारा अनवर आकाश से देखा भी नहीं जा रहा था पहले तो उन्हें लगा कि ये सब जोन के साथ घटा वह कुछ नहीं बल्कि भांग का नशा था लेकिन वो दोनों जैसे तैसे विषयों को उठाकर जब आपने होटल तक पहुंचे और वहां के मैनेजर को उन्होंने सब कुछ बताया तो मैनेजर की बात सुनकर वो लोग दंग रह गए
उस मैनेजर ने उन्हें बताया कि जिस किले के पास को थे उसके लिए में कई साल पहले गांव के लोग होली मना रहे थे और तभी उनके गांव पर एक मुगल बादशाह ने हमला कर दिया था किले को चारों ओर से घेरकर मुगलों ने उस पूरे किले को आग लगा दी थी उस किले में मौजूद हर एक इंसान की वहीं पर मौत हो गई थी आज भी होली के दिन शाम को कोई भी उसके लिए के पास नहीं निकलता कहते हैं वो सारी आत्माएं उस किले के अंदर कैद हो गई है और वहीं पर भटकती रहती हैं
और हर साल होली के दिन वहां भूतों की होली खेली जाती है यह सब सुनकर अरनब और आकाश के होश उड़ चुके थे ऋषि अब भी बेहोश था पोर्टल के मैनेजर ने उसे दिलासा दिया कि अब वो तीनों बिल्कुल सुरक्षित हैं सुबह होते ही अरनव कृषि और आकाश तुरंत ही आगरा से निकल गए ऋषि को उस दिन के बारे में ज्यादा कुछ याद नहीं है पर अनावरण काश उस दिन को शायद ही कभी भूल पाएंगे वैसे तो इंडिया में हर फेस्टिवल ही स्पेशल होता है मगर रंगों का त्योहार होली सभी के लिए थोड़ा एक्सप्रेस स्पेशल होता है
तरह तरह की मिठाइयां ढेर सारे रंग और खूब सारी मस्ती मगर बारह साल के रोहन के लिए उसका फेवरेट होली का त्योहार इतना भयानक बन जाएगा उसने कभी नहीं सोचा था रोहन एक अनाथ आश्रम में रहता था और होली से कुछ दिन पहले ही उसे एक फैमली में आकर अडॉप्ट कर लिया था जब रोहन को अपने घर लेकर आए तो रोहन घर के अंदर जाते जाते रुक गया उसका ध्यान घर के पास वाले गार्डन की तरफ जाने लगा
लेकिन तभी रोहन की नई मोहन ने उसे अंदर बुला लिया वो फैमली रोहन का बहुत अच्छे से ध्यान रखने लगे सभी उसे बहुत प्यार करते थे
मगर सबसे ज्यादा रोहन को उसकी दादी प्यार करती थी मगर उस घर में एक अजीब सी बात थी
रोहन पूरे घर में फ्री होकर घूम सकता था
पर उसे सेकेंड फ्लोर पर जाने की परमिशन नहीं थी रोहन अक्सर सेकंड फ्लोर की तरफ देखता रहता लेकिन जब भी वो पर आने की कोशिश करता उसकी दादी को से आकर रोक ली थी
होली से एक रात पहले जब रोहन अपने कमरे में जा रहा था तब अचानक ही रेयर केस के पास रुका और सेकंड फ्लोर की तरफ देखने लगा
घर में सब सो चुके थे और इसलिए वह चुपके से सेकंड फ्लोर पर चला गया उस फ्लोर पर एक कमरा था जिसके दरवाजे पर एक लाल रंग का ताला लगा हुआ था रोहन ने जैसे ही उस ताले को तोड़ने की कोशिश की तभी उस दरवाजे पर किसी ने अंदर से नौ किया हो उसके बाद जो में देखा उसके होश उड़ गए उसके पास में एक बच्चा खड़ा था उस बच्चे का नीला रंग था और की पूरी तरह सफेद थी रोहन को देखकर जोर से चिल्लाया और रोहन के अंदर घुसकर हम वहीं बुरी तरह तड़पने लगा और उसे अजीब से दौरे पड़ने लगे और तभी उसकी आवाज सुनकर उसके मम्मी पापा ऊपर आ गए उन्होंने उसे उठाकर उसके कमरे में सुला दिया अगली सुबह खोली थी मगर रोपण का शरीर बुरी तरह बुखार में तप रहा था रोहन की दादी काढ़ा बनाकर जैसे ही उसके कमरे में गई वैसे ही रोहन नींद से उठ गया और उन्हें देखकर जोर से चिल्लाने लगा
उसका हैं इस लड़की की तरह नीला पड़ने लगा
उसकी आँखें सफेद हो गई तभी उसकी दादी डरकर कर सेकंड फ्लोर की तरफ भागी और वह देखकर हैरान हो गए के ऊपर वाले कमरे का दरवाजा खुला हुआ है रोहन भी अजीब सी आवाजें निकालते हुए दादी के पीछे पीछे ऊपर चला गया रोहन के वहां से सहायता उसके मॉम और डैड ऊपर है पर जो उन्होंने देखा वह देखकर वो सुन पढ़ गए रोहन जमीन पर गिरा पड़ा था और उसे दौरे पर रहे थे और रोहन के बगल में रोहन की दादी मरी पड़ी थी रोहन की मॉम डैड को कुछ समझ नहीं आया के सेकेंड फ्लोर पर आखिर क्या हुआ है जब कुछ देर बाद रोहन अपने साइंसेज में वापस आया उसने सबको बताया कि उसे उनके घर में एक बच्चे की आत्मा दिखती थी सबसे पहले दिन जब वह घर आया था तो वो उसे गार्डन में देखा और फिर अक्सर सेकंड फ्लोर पर दिखता था वह बच्चा बार बार रोहन को पर खेलने लिए बुलाता था कल रात भी बोर्ड से बात करने के लिए उसके शरीर में घुसा और उसने बताया कि उसकी दादी शैतान की पूजा भर्ती थी और उन्होने उसको होली के दिन मार डाला था और वो अब रोहन के जरिए अपना बदला लेने आया है यह सब सुनकर रोहन की मम्मी पापा शॉक्ड थे क्योंकि वह बच्चा जिसकी रोहन बात कर रहा था वो और कोई नहीं बल्कि रोहन के मम्मी पापा का पहला बेटा था जो अचानक पांच साल पहले होली के दिन गायब हो गया था उन्होंने उस दिन के बाद अपने घर में अपने पहले बेटे की आत्मा की शांति के लिए हवन कराया और फिर वो रोहन को लेकर हमेशा हमेशा के लिए उस घर से कहीं दूर चले गए
मगर आज तक रोहन उस भयानक होली को भूल नहीं पाया है
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