भुतहा फ्लैट - डरावनी कहानी हिंदी में | सच्ची कहानी
यह घटना दिल्ली में पढ़ने वाले अभिनव के साथ 2012 में घटी थी जब वह इक्कीस साल का था
अभिनव का दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज में एडमिशन हुआ था दिल्ली आने के बाद कुछ दिन उसने अपने करीबी दोस्त राजीव के पीजी में गुजारे थे राजीव अपने कॉलेज के दोस्तों के साथ रहता था बहुत सारे लोग घर में होने की वजह से अभिनव को वह पढ़ाई करने के लिए शांति नहीं मिलती थी तो उसने अपने कैंपस के पास ही दिल्ली के विजय नगर में एक फ्लैट ले लिया था पर उसे नहीं पता था कि उस फ्लैट में कुछ ऐसा है जो से कभी उस फ्लैट से निकलने ही नहीं देगा
अभिनव उस फ्लैट में संडे को शिफ्ट हुआ था ताकि वो आराम से सेटल हो जाए शिफ्ट करते करते उसे एक कोने में दो पुराने झुमके मिले उसमें ज्यादा ना सोचते हुए उन्हें अपने बिस्तर की साइड टेबल की पुरानी ड्रॉ में रख दिया समान इधर उधर करते हुए अभिनव इतना थक गया था कि बेड पर लेटे ही उसे नींद आ गई उसकी आँख लगी ही थी कि तभी उसको अपने कान के एकदम पास एक लडकी के रोने की आवाज आने लगी है धीरे धीरे वो बाद बढ़ने लगी और फिर अचानक बंद हो गई तभी उसको घर के कोने से किसी के जोरों से चिल्लाने से राजा और उसकी आँखें खुल गई और जो उसे अभी तक एक बुरा सपना लग रहा था वह हकीकत में उसके साथ हो रहा था उसने हिम्मत कर के आसपास देखा तो वहां तो कोई नहीं था पर वो रोने की आवाज अभी भी आ रही थी अभिनव ने कमरे से बाहर निकलने की कोशिश की तो उसके कमरे का दरवाजा जाम हो चुका था वो रोने की आवाज सारी रात अभिनव को सताती रही लेकिन जैसे ही सुबह हुई आवाज बंद हो गई अभिनव उसके बाद दरवाजे के पास गया तो वह दरवाजा अपने आप ठीक हो गया था अभिनव ने पूरा घर जाना लेकिन कहीं पर कुछ भी अनिल उज्ज्वल नहीं था सब एकदम ठीक था क्योंकि रात में अभिनव की नींद पूरी नहीं हुई थी तो वह बाहर निकलकर सोफे पर ही जाकर सो गया कुछ देर सोचने के बाद जब वो था
तो उसने अपने दोस्तों को फोन करके पिछली रात के बारे में बताया पर सबने उसको यही कहा कि यह जरूर उसकी थकान का नतीजा है और कुछ नहीं उसने अपने दोस्त राजीव को अपने पास बुलाने की कोशिश भी की पर क्योंकि उसके एग्जाम चल रहे थे उस दिन नहीं आ पाया अभिनव को भी सबसे बात करके लगा कि वो सब उसका वहम है लेकिन फिर भी दिन भर पढने के बाद उसने डिसाइड किया कि वह उस रात अपने बैडरूम में नहीं बल्कि बाहर लिविंग रूम के सोफे पर ही सोयेगा पढ़ने के बाद सोफे पर लेटते ही उसे नींद आ गई कई घंटे बीत गए पर कुछ नहीं हुआ तभी अचानक से अभिनव को वहीं रोने की आवाज सुनाई दे और उसको ऐसा महसूस होने लगा जैसे कोई उसको रहा है
लेकिन जैसे ही अभिनव की नींद टूटी और आंखें खुली तो उसने देखा कि वहां कोई नहीं था उसे लगा कि फिर से उसका वहम है और वो सब कुछ इग्नोर करके फिर से सोने चला गया कुछ ही देर में दुबारा उसकी आंख लग गई लेकिन थोड़ी देर में उसे वही रोने की आवाज सताने लगी और इस बार को एक अजीब सी घुटन महसूस करने लगा
सारी रात उसके साथ ही होता रहा अगले दिन अभिनव ने अपने फ्लैट के आसपास के लोगों से बात करने की कोशिश की पर जो कुछ भी हो रहा था उसके बारे में उन्हें कुछ नहीं पता था क्योंकि वहां पर रहने वाले लोग कॉलेज स्टूडेंट्स थे जो एक दो साल पहले ही वहां आए थे उसने परेशान होकर जब फ्लैट टोनर को कॉल किया तो उसका भी फोन नहीं लग रहा था अभिनव ने सबकी सलाह मानकर एक सायकायट्रिस्ट को कंसल्ट किया जिसमें उसके अलग अलग टेस्ट के पर उसे कुछ नहीं मिला उस साइकेट्रिस्ट ने अभिनव को समझाया कि कभी कबार भारी थकान और स्पेस से यह सब हो जाता है और उसे कुछ स्लीपिंग पिल्स देवी स्लीपिंग पिल्स लेकर अभिनव सोटो चाहता था और स्क्रीन पर अब उसको अपने सपनों में एक लडकी दिखने लगी थी जो जोर जोर से एक कोने में बैठकर रहती थी और सपने में अभिनव के लाख रोकने के बाद भी एक बिल्डिंग के तेरे से छलांग लगा लेती थी ऐसे सपनों से अभिनव की तबीयत दिन ब दिन बिगड़ती ही जा रही थी उसके दोस्त भी बीच में उसके साथ रहने आए और उन्हें कुछ महसूस नहीं होता था जबकि अभिनव को वहीं सपने हर रात आते थे एक दिन अभिनव कॉलेज से आया और जोर जोर से रोने लगा
क्योंकि वो सारे डोनर्स में फेल हो गया था और उसके एग्जाम पास ही थे अभिनव को यह डर था
कि जो कुछ भी उसके साथ हो रहा था
उसकी वजह से वो एग्जाम के लिए भी काउंसिल थ्रेट नहीं कर पा रहा था उस दिन बुक घबराहट के मारे गिर पड़ा और जमीन पर ही सो गया जब अगली सुबह उठा तो उसको विश्वास ही नहीं हुआ उसके साथ पूरी रात कुछ नहीं हुआ
बल्कि जब तक अभिनव के एग्जाम चले तब तक उसको न ही कोई आवाज आई ना ही वो सपना और न ही वो दम घोटने का एहसास और इसी वजह से अभिनव एग्जाम में बहुत अच्छा स्कोर कर पाया अभिनव में यह सब सेलिब्रेट करने के लिए अच्छा खाना मंगवाया बेड पर लेटे लेटे लैपटॉप पर एक फिल्म चलाई और खाना खाते खाते सो गए लेकिन उस रात फिर से उसे वहीं रोने की आवाज वापिस आई और जब अभिनव ने ध्यान से सुना तो इस बार अवाज रोने की नहीं बल्कि हंसने की थी और उसको ऐसा महसूस हो रहा था जिसे किसी ने उसको कसकर पकड़ा हुआ है उसने डर के मारे आंखें खुली तो उसने देखा कि उसकी छाती पर एक लड़की का हाथ था जिसका शरीर सड़ा हुआ था और वो उसके बगल में लेट कर उसको शोर से पकड़े हुई थी
और मुस्कुरा रही थी और वो लड़की और को ही नहीं बल्कि वही लड़की थी जो उसके सपने में हर रात आती थी और एक बिल्डिंग के तेरे से छलांग लगा दी थी अभिनव में खुद को वहां से निकालने की कोशिश की और उसके लॉकडाउन लगाने पर भी वह हाथ उसके ऊपर से नहीं हिल रहा था
घबराहट में अभिनव की आवाज भी नहीं निकल रही थी अभिनव ने अपना साथ दम लगाया और वह किसी तरह उस बैट से उठा वह घर से बाहर जाने के लिए भगा पर घर का मेन डोर खुल ही नहीं रहा था तभी वो हंसी की आवाज रोने की आवाज में बताया है वो लड़की अभिनव के पीछे पीछे जब कमरे से बाहर आई तो अभिनव जैसे तैसे करके डाइनिंग टेबल के नीचे छुप गया उसने जल्दी से अपने दोस्त राजीव को फोन किया उसे राजीव को पूरी बात बताई और उसे फौरन उसके फ्लैट आने को कहा अभिनव भगवान का नाम लेते हुए यही प्रार्थना कर रहा था कि वह इसी तरह बच जाए लेकिन तभी वो लड़की डाइनिंग टेबल से फूलती लटकी हुई अभिनव की आँखों के सामने आ गई उसे देखकर अभिनव कांप उठा उसका चेहरा भयानक लग रहा था बाल बिखरे हुए थे और आंखें एकदम गीली पड़ी थी उस लडकी के कान में वही झुमके थे अभिनव को फ्लैट की सफाई करते समय मिले थे जब राजीव अभिनव के फ्लैट पहुंचा तो उसने देखा कि अभिनव लिविंग रूम में नीचे गिरा पड़ा था और वह बुरी तरह जख्मी था राजीव तुरंत अभिनव को हॉस्पिटल ले गया अभिनव को बहुत चोट लगी थी
लेकिन जब उसे होश आया तो अभिनव ने राजीव को बताया कि उस लडकी की आत्मा अभिनव को प्यार करने लगी है और वह उसका पीछा कभी नहीं छोड़ेगी अभिनव हॉस्पिटल में धीरे धीरे रिकवर हो रहा था लेकिन एक रात खबर आई कि अभिनव ने हॉस्पिटल बिल्डिंग के तेरे से कूदकर अपनी जान दे दी है और लाश के साथ दो झटके भी पाए गए हैं राजीव को कभी समझ नहीं आया कि अभिनव दिमागी रूप से बीमार था यह सचमुच उस लड़की की आत्मा ने उसके साथ यह सब किया था खैर जो भी हो उसने अपने जिगरी दोस्त को हमेशा हमेशा के लिए खो दिया था
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