Dadaji Ka Kamra - Haunted Room | सच्ची कहानी |
दादा जी का कमरा
यूं तो सभी परिवारों में हर सदस्य की कुछ आदतें अजीब होती है
मेरे दादा जी भी कुछ ऐसे ही थे कहीं भी गायब हो जाते थे
कभी कभी तो कुछ दिनों के बाद ही आते थे हाथ और पैरों पर अचानक ही चोटों के निशान दिखने लगते थे
जब उनसे पूछो तो चोटों का उनके पास कोई जवाब नहीं होता था
इन्हीं अजीब चीजों में से एक उनका कमरा भी था
जहां किसी को भी जाने की इजाजत नहीं थी यहां तक कि वह वहां की सफाई भी खुद ही करते थे
एक दिन बचपन में खेलते वक्त मुझे उस कमरे से अजीब सी आवाजें आ रही थी
मैंने झुककर दरवाजे के नीचे से झांककर कर देखा तो मुझे परछाई भी तभी मैंने देखा कि कमरे से खून की तेज धार बह रही थी
देखते ही देखते मेरे सारे पेड़ खून में चुके थे
मैं छोटा था तो यह देखकर घबरा गया और वहीं बेहोश हो गया
उठा तो माँ मुझे डांट रही थी कि मुझे धूप में नहीं खेलना चाहिए
उनके हिसाब से मैं उसी की वजह से बेहोश हुआ था
मैंने जब उनको सच्चाई बताने की कोशिश की तो दादा जी ने मुझे झुठला दिया उसके बाद से मेरी और दादाजी में इतनी बातचीत नहीं हुई
पूरे दिन उस कमरे में ताला लगा रहता था और किसी को भी उसके आसपास भटकने की मंजूरी नहीं थी
कुछ साल बाद दादाजी चल बसे
और हम भी अपना पुराना घर छोड़कर अब शहर वाले घर में चले गए थे
सब कुछ ठीक चल रहा था
शहर में पापा की जॉब काफी अच्छी चल रही थी और मैं भी अब कॉलेज जाने लगा था
तभी मोबाइल पर पापा का खोला गया पापा ने कॉल कर बताया कि हमें कुछ काम से दागा
जी के पुराने घर पर जाना है और हम अगले ही दिन दादा जी के घर के लिए निकल गए करीब दस साल बाद जब मैं उस घर में वापस आया तो मैंने देखा कि तब भी किसी के उस कमरे के पास जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी
बचपन की जिज्ञासा के मारे मैंने हथौड़ी ली और उस कमरे पर लगा ताला ही तोड़ दिया
मुझे मन ही मन में खुशी तो बहुत हुई मगरी दर भी अंदर भर गया कि आखिर ऐसा क्या था जो दादा जी हम से छुपा रहे थे
अंदर घुसते ही मुझे कई सारी अलमारियाँ लिखीं जिनमें अलग अलग अजीब सी चीजें रखी हुई थी
कई सारे कलश कई लाल कपडे में बने ताले चीनी मिट्टी के बरतन और न जाने क्या क्या कमरे के बीचोंबीच दीवार पर एक बड़ी सी तस्वीर लगी थी वो तस्वीर एक घर की थी जो नदी के किनारे बसा था इतनी खूबसूरत तस्वीर को बंद कमरे में नहीं होना चाहिए
था
तुम्हें उस तस्वीर को वहां से उतार कर बाहर हॉल में ले आया और कमरे को खुला रहने दिया लेकिन उस रात जब में सोया तो मेरी नींद एक बड़ी सी नदी के बीचों बीच खुली में वहां कैसे पहुंचा यह सोचने का समय ही नहीं था
पानी का बहाव इतना था कि मैं अचानक से डूब रहा था
जैसे तैसे बच बचाकर में किनारे तक आया तो हैरत यह हुई कि वहां वही घर था जो दादा जी के कमरे वाली तस्वीर में था
यह देखकर मानो मेरे पैरों तले जमीन ही खिसक गई
मगर दिल तब ढेला हूं जब मैंने थोड़ा दूर देखने की कोशिश की वह घर बिल्कुल मेरे पुराने घर जैसा ही था जिसके हॉल में मैं भी कुछ देर पहले सो रहा था
ये सब बसे बुरे सपने की जैसा लग रहा था
जिसे तोड़ने के लिए मैं अपने घर की तरफ भागा
हुए जब मैं उस घर के नजदीक पहुंचा तो एक गहरी सांस भरते हुए मैंने आँखें बंद कर ली
इस उम्मीद में कि शायद यह भयानक सपना खत्म हो जाएगा
लेकिन तभी किसी भारी चीज से मुझ पर किसी ने हमला कर दिया
मैं जमीन पर गिर गया
जब मेरी आँख खुली तो में घर के अंदर था
मैंने चारों ओर देखा तो कई सारे लैब्स झूमर दिखाई दी जो जंग खाए कई सालों से बंद पड़े थे
ग्राउंड फ्लोर पर कोई और कमरा नहीं था
बस सामने की ओर सीढ़ियां चारों ओर बस धूल और मकड़ी के जाले जैसे कई सालों से किसी ने वहां पर पांव न रखा हो
फ़िलिस्तीनियों की तरफ चलना शुरू किया तो धीरे से लाल सुर्ख खून सीढ़ियों से नीचे बहता हुआ रहा था
कब खून मेरे पैरों के पास आ पहुंचा मुझे समझ नहीं आया
मेरा दिमाग और शरीर मनोज से गए
मेरे दिमाग में बचपन का वही समय घूमने लगा जब दादा जी के बंद कमरे से खून बह रहा था
मुझे कुछ नहीं सूझा और में सीढ़ियों से ऊपर भाग गया खून ठीक सामने वाले कमरे से निकल रहा था
वहीं दादाजी वाला बंद कमरा जब मैंने नीचे से उसे देखा तो मुझे फिर से एक परछाई दिखी
जैसे बचपन में दिखी थी
उस कमरे से अब भी अजीब सी आवाजें आ रही थी
लेकिन इस बार उस कमरे के दरवाजे पर कोई ताला नहीं था
मैंने जब वह कमरा खोला तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए
मेरे सामने एक बूढ़ा आदमी बैठा था
जिसकी पीठ मेरी तरफ थी
और वो उस तस्वीर को ही देख रहा था
तुम मुझसे बोला
हैं यहां आने से मना किया था
आवाज सुनकर मैं डर गया वो मेरे दादा जी की ही आवाज थी
डर के मारे मेरी चीख निकल गई
और मेरी चीख सुनते ही उस आदमी ने अपनी गर्दन घुमा ली
वो आदमी कोई और नहीं बल्कि मेरे दादा जी ही थे
वह बहुत ही ज्यादा भयानक लग रहे थे
उनके चेहरे की खाल लटक रही थी
और उनके मुंह की हड्डियां दिख रही थी
उन्हें देखते ही में कांपने लगा और मुझे पढने लगे
कुछ ही पलों में मैं बेहोश हो गया
आंख खुली तो मैं अपने घर में वापस आ चुका था
मेरे घरवाले अब भी चैन से सो रहे थे
मैंने अपने पैरों को देखा जिनमें अब खून की जगह कई सारी चोटें थीं
और वो तस्वीर मेरी आंखों के ठीक सामने मुझे दिख रही थी
मैंने सुबह होते ही उस तस्वीर को अंदर रखा और दादा जी के कमरे को बंद कर दिया
जब मैंने अपनी माँ पापा को पूरा किस्सा बताया तो पहले तो उन्होंने मुझे कमरा खोलने के लिए बहुत डाटा फिर बाद में बताया कि दादाजी को भूत दिखते थे
और वह अपनी तंत्र मंत्र की विद्या से लोगों के अंदर से भूत भगाते थे
वह चोटें उन्हें उसी वजह से आती थी
और इसीलिए वह अपना सारा तंत्र मंत्र का समान उस कमरे में बंद रखते थे
और किसी को भी वहां जाने की इजाजत नहीं थी
यह बात सुनकर मेरे होश उड़ गए थे
मैंने बस यही प्रार्थना की
कि काश मुझे कभी फिर दुबारा कोई भूत ना दिखे
इस हादसे के बाद घर में पूजा रखवाई गई
और मेरे दादा जी का वह कमरा हमेशा हमेशा के लिए बंद कर दिया गया