स्वयं पर विश्वास करने कि शक्ति कैसे लायें |

आश्रम में रहने वाला एक सीसीयू एक दिन अपने गुरु के पास जाता है और कहता है गुरुवर में आत्म संदेह की भावना से ग्रसित हो मैं अपने ऊपर विश्वास नहीं कर पाता मैं अपनी योग्यताओं और क्षमताओं पर भी विश्वास नहीं कर पाता मुझे अपने लक्ष्यों पर भी भरोसा नहीं कि मैं उन्हें पूरा कर पाऊंगा मैं हर दिन हर काम के लिए खुद पर नहीं करता हूं कई बार मेरे आसपास के लोग मुझे प्रोत्साहित करने का प्रयास करते हैं कि में योग्य हूं और कुछ भी कर सकता हूं लेकिन मुझे उनकी बातों पर भी संदेह होता है किसी भी बड़े और कठिन कार्य को करने से पहले मैं खुद को बहुत समझाने का प्रयास करता हूं कि मैं उस कार्य को कर सकता हूं लेकिन जैसे ही उस कार्य को करने का समय नजदीक आता है संदेह और दर में
मेरे ऊपर हावी हो जाता है और में उस कार्य को खराब कर देता हूं और लोगों के बीच हंसी का पात्र बनता हूँ गुरुवर आप मुझे स्वयं पर विश्वास करने की शक्ति के विषय में कुछ बताइए और इस आत्म संदेह की भावना को खत्म करने के लिए मेरा मार्गदर्शन की थी गुरु अपने शिष्य की बात पूरे ध्यान से सुनें और फिर कहना शुरू किया अगर तुम्हें अपनी बाहरी दुनिया को जीतना है या फिर बाहरी दुनिया में कुछ भी हासिल करना है तो सबसे पहले तुम्हें अपनी आंतरिक दुनिया को जीतना होगा और खुद की आंतरिक दुनिया को जीतने के लिए तुम्हें अपने अंदर की विश्वास प्रणाली को मजबूत बनाना होगा क्योंकि जब तक तुम खुद पर विश्वास करना ही सीखते अब तक तुम्हारे आसपास के लोग भी तुम पर विश्वास नहीं करेंगे एक बात हमेशा याद रखना दूसरे लोग तुम पर विश्वास करें या ना करें तो में अपने ऊपर विश्वास होना चाहिए क्योंकि अगर दूसरे लोगों को तुम पर विश्वास नहीं है और तुम्हें अपने ऊपर विश्वास है कि मैं कुछ अच्छा कर सकता हूं तो यह तुम्हारे लिए बहुत ही हम इंसानों के पास एक बहुत ही अच्छी सकती है और वो है विश्वास करने की शक्ति हर अलग अलग इंसान हर परिस्थिति को अपने नजरिए से देखता है और यही हो सकती है जिस तरह से हमारे विश्वास होंगे उसी नजरिए से हम अपने आसपास की घटनाओं को देखेंगे और हमारा आत्मविश्वास भी उसी तरह का होगा इसे एक छोटी सी कहानी से समझा एक बार एक राजा ने तो पक्षी खरीदें फिर उसने अपनी माली से कहा कि वह इन दोनों पक्षियों को होना सिखाया कुछ दिनों बाद माली ने देखा कि उन दोनों में से एक अब चीनी उड़ना सीख लिया
लेकिन दूसरा पक्षी उड़ नहीं पा रहा था वह पक्षी बस एक पेड़ की डाली पर बैठा रहता था माली उस पक्षी को उड़ाने की बहुत कोशिश करता था लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ एक दिन जब दोनों पक्षियों को आसमान में उड़ते राजा ने देखा तो वह बहुत आश्चर्य में पड़ गया उसने माली से पूछा कि तुमने ऐसा कैसे किया इनमें से केवल एक ही पक्ष उठता था दूसरा बिल्कुल भी नहीं उठता था तो तुमने दूर पक्षी कूदना कैसे सिखाया माली ने उत्तर दिया कि मैंने उसे उड़ाने की बहुत ज्यादा प्रयास किया लेकिन फिर भी नहीं उड़ा इसलिए मैंने उस डाली को ही काट दिया जिस पर वह बैठा रहता था उस दिन के बाद से धीरे धीरे उसने उड़ना सीख लिया कहानी खत्म करने के बाद गुरु ने कहा कि यही हालत इंसान की भी है इंसान अपने दुखों से और अपनी परेशानियों से चिपका रहता है वह अपने आराम क्षेत्र में बैठा रहता है और फिर कहता है कि मैं यह नहीं कर सकता अगर तुम किसी चीज के लिए प्रयास करोगे नहीं अगर तुम आगे अपना काम करोगे ही नहीं तो फिर तुम्हें परिणाम नहीं मिलेंगे ज्यादातर लोग बस बैठे रहते हैं और फिर ये सोचते हैं कि उन्हें विश्वास करने और सोचने से सब कुछ मिल जाएगा
लेकिन ऐसा नहीं है अगर तुम्हें विश्वास है कि तुम कुछ अच्छा कर सकते हो तो तुम्हें काम भी करना पड़ेगा याद रखो अपने आराम क्षेत्र में फंसे रहना और सिर्फ सोचते रहना हमारी जिंदगी को बर्बाद करता है जब भी किसी इंसान की जिंदगी में कुछ बुरा होता है तो वह नकरात्मक सोचना शुरू कर देता है और उस समय उसका स्वयं पर बिल्कुल भी नियंत्रण नहीं होता है फिर वह न तो स्वयं पर विश्वास करता है न दूसरे लोगों पर विश्वास करता है और न ही इस ब्रह्मांड की शक्ति पर विश्वास करता है और यही उसकी सबसे बड़ी गलती है ऐसी परिस्थिति में इंसान सिर्फ दो चीजें कर सकता है पहली या तो वह हार मान ली और उस दुख को और उन विश्वासों को स्वीकार कर ली और खुद पर लोगों पर वह ब्रह्मांड पर विश्वास करना बंद कर दें या फिर वह इस दुख को खत्म करने का रास्ता हुई उस समय उसके पास इन दो रास्तों के अलावा कोई तीसरा रास्ता नहीं होता अगर तुम अच्छा सोचो सोचोगे अगर तुम सकारात्मक सोच होगी तो उससे होगा ये कि तुम्हारा दिमाग तुम्हारी समस्याओं का समाधान खोजना शुरू कर देगा जब हम नकरात्मक सोचते हैं तब हम चिंता और तनाव से भर जाते हैं जिससे उस समय न तो हम सही निर्णय ले पाते हैं और ना ही सही तरह से काम कर पाते हैं इसलिए जब व्यक्ति दुखी होता है तो वह और भी ज्यादा गलत काम करने लगता है उसके प्रयास और भी ज्यादा गलत हो जाते हैं हमारे दिमाग में इतनी शक्ति है कि वो किसी झूठे सपने को भी बिलकुल सच कर सकता है जहां पर लक्ष्य के बारे में अपने उद्देश्य के बारे में पूरी तरह से सोच लेते हैं यानी जब हम यह निर्णय ले लेते हैं यही मेरा लक्ष्य है और उसके बाद हम बिल्कुल भी यहां वहां ही भटकते तो हमारा दिमाग उस सपने को सच मानना शुरू कर देता है उस पर काम करना शुरू कर देता है क्योंकि अब हमारा ध्यान सिर्फ उसी एक चीज पर है लेकिन अगर हम हर दिन बदलते रहेंगे तो फिर हम कहीं भी नहीं पहुंचने वाले जिस चीज को हमारा दिमाग़ पूरी तरह से स्वीकार कर लेता है वह चीज किसी न किसी रूप में पूरी हो जाती है अगर तुम यह विश्वास कर लेते हुए कि टोपी लक्ष्य को पूरा करने में सफल होगी तो तुम्हारा विश्वास
उस चीज को सच बना देगा लेकिन अगर तुम्हारे मन में कोई संदेह रहता है अगर तुम अपने ऊपर विश्वास नहीं कर पाते अगर तुम इस ब्रह्मांड की शक्ति पर विश्वास नहीं कर पाते तो फिर मेरी बात मानो तो निश्चित रूप से सफल होने वाले हो और तुम्हारी असफलता का एक बहुत बड़ा कारण यह है कि तुम अपने ऊपर इस ब्रह्मांड की शक्ति के ऊपर बिल्कुल भी विश्वास नहीं करते कहने का मतलब यह है कि तुम्हारे जीवन में नकारात्मक परिस्थितियां कई बार आएंगी लेकिन ये तुम्हारे ऊपर निर्भर करता है कि तुम कैसी प्रतिक्रिया डोगा या तो तुम थोड़ी देर के लिए दुखी होकर उसके बाद यह समझ सकती हूं कि मुझे अच्छा सोचना है तब मैं इस समस्या का समाधान हो सकता हूं या फिर तुम नकारात्मक सोच सकते हो बहुत ज्यादा नकारात्मक सोच सकते हो और धीरे धीरे उस चीज को एक चिंता बना सकते हो और अपने ऊपर इतना ज्यादा दबाव और तनाव बना सकते हो जिसकी वजह से तुम्हारे अंदर बहुत सारी शारीरिक और मानसिक बीमारियां पैदा हो सकती है इसीलिए जिस तरह से उस माली ने टहनी काटी थी इसी तरह तुम्हें भी अपनी नकरात्मक विश्वासों को धीरे धीरे काटना होगा जिससे तुम दोबारा उसी नकरात्मक विश्वास पर जाकर न बैठ जाओ जैसे जैसे तो अपने नकरात्मक विश्वासों को सकरात्मक विश्वासों से बदलते जाओगे वैसे वैसे तुम्हारे प्रयास तुम्हारा नजरिया तुम्हारा सोचने का तरीका तुम्हारे दिमाग में आने वाली विचार बदलते जाएंगे अब यहां पर एक सबसे जरूरी समझने वाली बात यह है कि तुम्हारी भावनाएं तुम्हारे यह एक सबसे बड़ा हथियार है जब तो अपने जीवन में किसी लक्ष्य को तय करती हूं उसके बारे में सोचती हूँ तब वहां पर भावनाओं को जोड़ना बहुत ज्यादा जरूरी होता है क्योंकि हमारी भावनाओं में बहुत ज्यादा शक्ति होती है जहां अपनी इच्छा को भावनाओं को विचारों को सही दिशा में जोड़ते हैं उन्हें सही दिशा में लगाते हैं तो हमारी जिंदगी में सकारात्मक बदलाव आना शुरू होता है अगर तुम ऐसी लक्ष्य तय करते हो जहां पर तुम्हारी भावनाएं सही जगह पर जा रही हैं तो तुम हमेशा उत्साहित रहने लगती हो और लंबे समय में तुम्हारी भावनाएं उससे जुड़ने लगते हैं लेकिन अगर तुम्हें अपनी भावनाओं का सही फायदा लेना है तो सबसे पहले तुम्हें अपने अवचेतन मन को सही तरीके से प्रशिक्षित करना होगा क्योंकि जो भी बार बार दोहराने पर तुम्हारे अवचेतन मन में जाएगा उसी से तुम्हें अपनी भावनाओं को जोड़ना है और तुम्हारी भावनाएं जब उससे जुड़ जाएंगी तब धीरे धीरे तुम्हारी वास्तविक दुनिया में भी वो चीजें प्रगट होने लगेंगी गुरु ने आगे कहा एक बार यात्रा के दौरान मैं एक बहुत बड़े व्यापारी से मिला उस व्यापारी ने मुझे बताया कि कैसे उस अपना व्यापार एक छोटी सी दुकान से शुरू किया था और उसने बहुत बड़े बड़े सपने देखे थे वह हर दिन बहुत बड़े बड़े सपने देखता था वह सोचता था कि उसका एक बहुत बड़ा व्यापार होगा जिसकी शाखाएं पूरे देश में होंगे वह अपनी कल्पना में बड़ी बड़ी दुकानें भूत से कर्मचारी नौकर चाकर बड़ी बड़ी कोठियों घोड़ा गाड़ी इत्यादि के चित्र देखता था और वे हर दिन उसको बार बार करता था और पूरे अनुशासन के साथ करता था और बिल्कुल संतुलित कल्पना शक्ति के साथ करता था वह जानता था कि नियमित संतुलित और अनुशासित कल्पना से वह अपने सपनों को सच कर सकता है इसकी वजह से वह अपने अंदर एक चमत्कारिक ऊर्जा को महसूस करता था जब उसने ऐसा करना शुरू किया तो थी धीरे धीरे वह और भी ज्यादा सफलता की तरफ बढ़ने लगा ब्रह्मांड के आकर्षण के नियम से अपनी मनचाही चीजों को अपनी ओर आकर्षित करने लगा उसने अपनी कल्पना शक्ति का और आकर्षण के नियम का प्रयोग करके अपने सारे सपनों को हकीकत में बदल दिया उसने वह सब कुछ पा लिया जो उसे अपनी जिंदगी में चाहिए था गुरु ने आगे कहा कि उस व्यापारी ने मुझसे एक बहुत अच्छी बात कही थी इतना आसान खुद की असफल रूप में कल्पना करना है उतना ही आसान खुद की सफल रूप में कल्पना करना भी है बस फर्क हमारी सोच और कल्पना का है कि हम क्या कल्पना करेंगे यह पूरी तरह से हमारे ऊपर निर्भर करता है याद रखो भावनाएं ही शक्ति का स्रोत है इसलिए परिणाम हासिल करने के लिए तुम्हें अपनी कल्पना शक्ति को भावनाओं से जुड़ा पड़ेगा अपने लक्ष्य को अपनी भावनाओं से जोड़कर उन्हें शक्तिशाली बनाना होगा अपने लक्ष्य को बार बार मत बदलो उन्हें एक बार निश्चित कर लो उन्हें अपनी कल्पनाओं में पूरा होता हो देखो और उनसे अपनी भावनाओं को जोड़ना शुरू करो उनके लिए सकरात्मक हूँ और फिर बस उनके प्रति ईमानदार बने रहो धीरे धीरे तुम्हारे सारे नकरात्मक विश्वास तुम्हारे साथ डर खत्म होने लगेंगी समस्याएं तब भी आएंगी लेकिन तब तुम उनके समाधान उतनी ही अच्छी तरीके से निकालोगे यह फायदा है जब हम अपने ऊपर विश्वास करते हैं हम सकरात्मक कल्पना करते हैं और जब हम उस कल्पना से अपनी भावनाओं को छोड़ देते हैं इसलिए आज से अभी से अपने मन में नियंत्रित और सकरात्मक कल्पना करना शुरू करो अपने मनचाहे परिणाम को अपनी कल्पना में बनाओ यह तुम्हारे नियंत्रण में है तो अपनी कल्पना में खुद को असफल होते हुए भी देख सकते हो और सफल होते हुए भी देख सकते हो यह तुम्हारे हाथ में है तुम जैसा देखोगे और जिस चीज पर विश्वास करोगे जिस चीज को महसूस करोगे वह वास्तविकता बंटी जाएगा तुम आज जितने भी सफल लोगों को देखते
हो उन सब में एक बात समान है कि वह सभी लोग समझते हैं कि एक सही मानसिक नजरिए का महत्व कितना ज्यादा है सही मानसिक नजरिया होना इसलिए जरूरी है क्योंकि अगर तुम्हारे अंदर सही सोच नहीं हैं अगर तुम्हारा मानसिक नजरिए सही नहीं है कि चाहे तुम्हारे अंदर कितनी प्रतिभा हो चाहे तुम कितने ही अच्छे से काम करो तुम अच्छे परिणाम हिला सकते हैं उदाहरण ही मानो एक व्यापारी है वह अपने काम से खुश नहीं हैं वह हर दिन अपने काम के लिए खुद को कोसता है हर दिन अपने मालिक को कोसता है अर्जुन अपने बेटे को कोसता है कि जगह काम पर जाता है तो अच्छा मानसिक नजरिया न होने की वजह से वे ग्राहकों से अच्छा व्यवहार नहीं कर पाता जिसकी वजह से उसकी बिक्री कम होती है वहीं पर एक दूसरा व्यापारी हैं जो अपनी नौकरी से बहुत खुश है जो यह विश्वास रखता है कि अगर वो अच्छा काम करेगा अच्छा सोचेगा अच्छा व्यवहार करेगा तो उसको और अच्छे परिणाम मिलेंगे ऐसा सोचने की वजह से ऐसा महसूस करने की वजह से वह अपने ग्राहकों के साथ अच्छा व्यवहार करता है जिसकी वजह से उसकी और ज्यादा बिक्री होती है तो यह फर्क होता है मानसिक नजरिए का तुम एक ही परिस्थिति में दो लोगों को अलग अलग तरीके से काम करते देख सकते हो अगर उन दोनों का मानसिक नजरिया अलग अलग है सही मानसिक नजरिया का मतलब है कि लोगों को परिस्थितियों को और चीजों को तुम कैसी प्रतिक्रिया देते हुए अक्सर लोग अपने मन के अनुसार बात करते हैं कभी गुस्से में बात करते हैं कभी प्यार से बात करते हैं और तुम्हें कितना फर्क पड़ता है क्या तुम उनके गुस्से से बात करने पर नकारात्मक हो जाते हो क्रोधित हो जाते हो तो ये तुम्हारी कमजोरी है
उसी तरह अलग अलग परिस्थितियों और घटनाओं पर तुम कैसी प्रतिक्रिया देते हो अगर कोई परेशानी आई तो विचलित तो नकरात्मक हो जाते हो तो यह भी तुम्हारी कमजोरी है इसका मतलब तुम्हारे अंदर सकारात्मक मानसिक नजरिया नहीं है अक्सर हमारे आसपास बहुत ज्यादा नकारात्मकता होती है लेकिन हम उसे अपने अंदर आने की इजाजत देते हैं और ऐसा
तब होता है जब हम बाहर की नकारात्मकता पर विश्वास करना शुरू कर देते हैं अगर ऐसा न हो तो बाहर की नकारात्मक चीजें कभी भी हमारे ऊपर असर नहीं कर पाएंगे अगर तुम खुद को इतना ज्यादा मजबूत बना लो मानसिक नजरिए को इतना सही कर लूं तो आसपास होने वाली नकारात्मक चीजों का लोगों का परिस्थितियों का तुम्हारे ऊपर कभी भी कोई असर नहीं पड़ेगा विश्वास में कितनी शक्ति होती है इस कहानी से समझो एक बार एक सीट था जिसको एक बीमारी थी उसके फेफड़ों में उसके शरीर में यह बीमारी बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी जब बहुत उपचार करने के बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ तो उसके बेटे ने अपने पिता का उपचार करने का निश्चय किया उस सेठ का बेटा एक जगह पर गया और जब वहां से वापस आया तो उसने अपने पिता से कहा मैं एक बड़ी प्रसिद्ध साधु से मिला था जिसने मुझे यह ताबीज दी है पर इसके बदले उसने मुझसे पूछा सोने के सिक्के लिए हैं लेकिन शेयर के लडके ने उस ताबीज को एक बाजार से खरीदा था वह एक साधारण चांदी के ताबीज थी लेकिन उस लडके ने अपने पिता को बताया कि यह एक बहुत ही शक्तिशाली ताबीज है इस को छूने से बहुत से लोगों की बड़ी बड़ी बीमारियां ठीक हो गई है और उस लडके ने अपने पिता के विश्वास को यहां पर जीत लिया उसके पिता ने ताबीज को उसके हाथ से लिया और प्रार्थना करने लगा और वह प्रार्थना करते करते ही सो गया अगली सुबह सब हैरान रह गए जब चिकित्सकों ने निरीक्षण करके यह बताया कि अब वह बिल्कुल ठीक हो चुका है अब तो मुझे बताओ कि वो इंसान की कैसे हुआ उस ताबीज से या फिर अपने विश्वास की सकती है उसका विश्वास और उसकी भावनाएं एक दूसरे से जुड़ गए और वह बिल्कुल ठीक हो गया उसको कभी भी यह पता नहीं चला कि उसके साथ ही प्रयोग किया गया था अगर उसे पता चल जाता तो वह दुबारा से बीमार पड़ जाता वह पूरी तरह से स्वस्थ रहा और फिर उसके बाद कई सालों तक जीवित रहा इस वर्ष में कितनी ज्यादा शक्ति होती है यह तुम ही सच्ची कहानी से समझ सकते हो यह विश्वास ही है जिसकी वजह से लोगों की जिंदगी में बड़े बड़े बदलाव आए हैं और तुम विश्वास की शक्ति का प्रयोग कर सकते हो इसकी शक्ति से जीवन में कुछ भी हासिल कर सकते हो क्योंकि विश्वासी कुछ भी किया जा सकता है आज की इन बातों और कहानियों से तुम्हें समझ आया होगा कि विश्वास कितना ज्यादा शक्तिशाली है यह हमारी बीमारियों को ठीक कर सकता है कि हमारी जिंदगी में बड़े बड़े बदलाव ला सकता है इसलिए विश्वास की शक्ति का प्रयोग करना शुरू करो इसका प्रयोग करने के लिए तो भी कल्पनाओं का सकारात्मक विचारों का अपनी भावनाओं का सहारा लेना होगा और धीरे धीरे अपने नकरात्मक विश्वासों को खत्म करना होगा और एक दिन तुम्हारे नकरात्मक विश्वास खत्म हो जाएंगे और तुम अपने ऊपर और इस ब्रह्मांड की सख्ती के ऊपर विश्वास करने लगोगे और तुम्हें बहुत ही अच्छे परिणाम मिलने इतना कहने के बाद गुरु ने अपनी बात समाप्त की और ध्यान से सीसी की आँखों में देखा अब उन्हें किसी की आंखों में
दिखाई दे रहा था गुरु समझ गई कि जो बात वह शिष्य को समझाना चाह रही थी वो बात सिर्फ इतनी समझ नहीं है इसके बाद उन्होंने चित्त को वहां से जाने की आज्ञा दी और खुद आंख बंद करके ध्यान में डूब गए दोस्तों उम्मीद है कि आपको यह कहानी पसंद आई होगी और कहानी में यहां तक बने रहने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद