Bhootiya Phonecall - Horror Story in Hindi |

माना जाता है कि भूत प्रेत और आत्माएं हमारे चारों ओर रहती हैं पर अगर यही आत्माएं आपकी किसी चीज या किसी समान या किसी डिवाइस के जरिए आपकी जिंदगी में आ जाएं तो बैंगलोर में रहने वाले अनु और तुषार के साथ कुछ ऐसा ही हुआ और उनकी जिंदगी हमेशा के लिए तबाह हो गई अनु और तुषार दोनों की शादी को छह साल हो चुके थे वो दोनों हाल ही में एक सोसाइटी के दसवें फ्लोर के एक अपार्टमेंट में शिफ्ट हुए थे
उनकी जिंदगी उनके प्लान के अकॉर्डिंग ही चल रही थी पर उन्हें नहीं पता था कि ये सब बहुत जल्द बदलने वाला है तुषार जिसे देर रात तक काम करने की आदत थी एक रात आधे बिखरे हुए स्टडी रूम में बैठा हुआ अपना काम कर रहा था तभी एकदम से एक टेलीफोन की घंटी बजने लगी तुषार ने पहले अपना मोबाइल से किया फिर अपना लैपटॉप और फिर सोती हुई अणु का मोबाइल पर वो टेलीफोन की घंटी कहीं और ही बज रही थी लेकिन तुषार के घर में कोई भी और टेलीफोन नहीं था तो शाह ने ध्यान लगाकर सुना तो वह टेलीफोन की आवाज घर के स्टोर रूम से आ रही थी उस स्टोर रूम में पुराने टैलेंट का कुछ सामान अभी भी पड़ा हुआ था तुषार को लगा कि शायद उन्हीं के समान ने कोई चीज व वास कर रही है तुषार ने स्टोर रूम का दरवाजा खोला
और थोड़ा समान इधर उधर करते हुए देखा कि वो आवाज एक पुराने से लैंडलाइन फोन से आ रही थी लेकिन वो फोन कहीं कनेक्टर नहीं था चार ने फोन उठाया है सामने से कोई आवाज नहीं आई और तुषार ने वो फोन वापस रख दिया
तुषार ने जब लैंडलाइन के छोटे से डिस्प्ले पर देखा तो उस पर लिखा हुआ था जीरो जीरो जीरो जीरो जीरो जीरो जीरो उसे लगा कि शायद यह टेलीफोन कोई खिलौना होगा और वो वापस अपना काम करने चला गया लेकिन अगली रात जवानों सो गई थी और तुषार ऑफिस का काम कर रहा था तो तुषार को फिर से उस टेलीफोन के बजने की आवाज आई तुषार को अब हैरानी हुई उसके फोन उठाते ही उसने जब हेलो बोला तो पहले कुछ सेकेंड्स के लिए दूसरी ओर से कोई आवाज नहीं आई तुषार पहले फोन का रिसीवर नीचे रखने ही वाला था कि तभी फोन के दूसरी ओर से उसे एक बुरे आदमी की हल्की सी रोने की आवाज सुनाई दी जब प्रसाद ने पूछा कि दूसरी ओर कौन है तो से कोई जवाब नहीं मिला बल्कि दूसरी ओर उस बुरे आदमी की रोने की आवाज अब फोन से दूर होती जा रही थी और अब फोन से कदमों की आवाज भी आ रही थी तुषार यह सब सुन ही रहा था कि तभी उसे ठीक वैसे ही कदमों की आवाज उसके लिविंग रूम से आने लगी उसने डर के मारे जब स्टोर रूम का दरवाजा हल्का सा खोलकर लिविंग रूम में देखने की कोशिश की तो वहां उसे खाली डिब्बों के अलावा कोई नहीं दिखा पर उसे उन कदमों और उस बुरे आदमी के रोने की आवाज अभी भी सुनाई दे रही थी उन आवाजों को अपना बहन समझते हुए वो किसी तरह अपने बेडरूम तक पहुंचा और अपने बिस्तर पर लेट गया पर सारी रात उसे वो आवाजें आती रहीं सुबह अनूठी तो उसने देखा कि तुषार जो सुभाष सुधा हमेशा नींद में होता है खुली आँखों के साथ बिस्तर पर बैठा हुआ था जवानों ने उससे उसकी इस हालत के बारे में पूछा तो उसका जवाब सुनकर अनूप को उसकी बात पर विश्वास नहीं हुआ तो शायर की दिल की सहमति के लिए अनु ने उसके साथ पूरा घर देखा लेकिन कहीं कुछ नहीं मिला कहीं से कोई आवाज नहीं आ रही थी न किसी के कदमों की न ही किसी बुरे आदमी के रोने की यह देखकर तुषार को थोड़ी राहत मिली और उसके साथ जो पिछली रात हुआ था वो उसे भुलाए नहीं भूल पा रहा था
उस रात तुषार ऑफिस से आते ही खाना खाकर सो गया अनूप ही उसके साथ ही लेट गई लेकिन देर रात दो बजे अनोखी आंख तुषार के चिल्लाने की आवाज से खुली अनुभाग कर स्टोर रूम में गई तो उसने देखा कि तुषार वहां अक्कड़ बक्कड़ खड़ा था और बार बार बस यही कह रहा था तो वो वो फोन को फिर से बाजार और और इस बार मुझे वह बूढ़ा आदमी भी दिखा तुषार की ऐसी हालत देखकर अनु को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे तो उसने बस तुषार का हाथ पकड़ा और उसे कमरे में ले जाकर पानी में नींद की दवाई मिलाकर उसे वह दवाई देकर सुला दिया तुषार को इस हालत में देखकर अनु ने डिसाइड किया कि वह अगली रात जागकर देखेगी दरअसल रात को तुषार को होता क्या था और वह क्यों इस तरीके से बिहेव कर रहा था अगली रात अनु ने देखा कि देर रात होते ही तुषार उठा और स्टोर रूम की तरफ गुस्से से देखने लगा
फिर उसने खुद को वहां जाने से रोकने की कोशिश की और अपने दोनों कान तक से बंद कर लिए वह यह करते हुए कुछ देर और छटपटाने लगा और फिर एकदम से उठकर स्टोर रूम की ओर भागा अनूप भी उसके पीछे भागी और उसने देखा कि तुषार उस लैंडलाइन टेलीफोन को दिवार पर मारकर उसे तोड़ रहा था रनों के आते ही उसने वो टेलीफोन उठाया और बालकनी से नीचे फेंक दिया और एक राहत की सांस लेते हुए अनु से कहा अब वह घोड़ा हमें कभी परेशान नहीं करेगा उसके बाद तुषार अपने चेहरे पर मुस्कान लिए सोने चला गया अनु को अपने पति को इस हालत में देखकर बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था पर उसे लगा कि शायद उस टेलीफोन को फेंकने के बाद तो शायद ठीक हो जाएगा लेकिन अगली सुबह जवानों की आंख खुली तो उसने देखा वो देखकर उसके रोंगटे खड़े हो गए उसने देखा कि तुषार एक कोने पर खड़ा था और वो किसी को अपने से दूर रहने को कह रहा था
अनूप को देखते ही वह रोने लगा और कहने लगा कि वो बुरा आदमी उसे मार डालेगा अनु ने भाग कर तुषार को बालकनी के कोने से पीछे करने की कोशिश की पर उससे पहले ही तुषार का पैर लड़खड़ा गया और वह बालकनी से नीचे गिरकर मर गया अनूप का शरीर मानो जैसे तैसे वहीं जम सा गया और तभी अनूप को एक लैंडलाइन की बचने की घंटी सुनाई दी जो उसी स्टोर रूम से आ रही थी अनु जैसे ही उस स्टोर रूम के अंदर पहुंची उसने देखा कि वहां पर वहीं लैंडलाइन फोन पड़ा था जिसको तुषार में पिछली रात बुरी तरह से तोड़कर बालकनी से फेंका था उस फोन की घंटी बजते ही जा रही थी अनु ने डरते हुए जब उस टेलीफोन का रिसीवर उठाया तो दूसरी तरफ से एक रोने की आवाज आई जो किसी और की नहीं बल्कि उसके पति तुषार का था 
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