हर रिलीजिंग डेट के बाद शरीर को विदा करने के अलग अलग तरीके होते हैं हिन्दू बॉडी को जलाकर अंतिम संस्कार करते हैं वहीं क्रिश्चियन मुस्लिम कब्र बनाते हैं और जहां कपड़े होती है
उस जगह को कब्रिस्तान कहा जाता है हम बचपन से ही कब्रिस्तान से जुड़ी कई डरावनी कहानियां सुनते आए हैं ऐसा माना जाता है कि आत्माएं शरीर तो छोड़ देती हैं पर कभी कभी इस दुनिया को नहीं छोड़ती और अक्सर अपने शरीर के पास ही रहने लग जाती है यह कहानी सोलह साल के बाल की है इकबाल अपने अब्बू के साथ रहता था इकबाल के अबू एक बीमारी होने के कारण चल फिर नहीं पाते थे.इसलिए छोटी उम्र में ही इकबाल घर संभालने लगा था इकबाल सड़क पर जूते पॉलिश करके अपना और अपने अब्बू का पेट पालता था इकबाल के की बीमारी इस कदर बढ़ गई थी एक कुछ ही महीनों में उनका देहांत हो गया इकबाल के पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वह अपने अब्बू को अच्छे से विदा कर सकें
इसलिए उसने जैसे तैसे करके अपने अब्बू के शरीर को एक कब्रिस्तान में दफना कर दिया
इकबाल ने यह सब भी अकेले ही किया इसलिए सुबह से शाम हो गई और शाम कब रात में बदल गई उसे पता ही नहीं चला इकबाल अपने को की मौत से बहुत ही ज्यादा बेबस और अकेला महसूस कर रहा था उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वह क्या करेगा इसी उदास सोच के साथ आंखों में आंसू लिए इकबाल कब्रिस्तान से घर लौटने लगा नेपाल जैसे ही उस कब्रिस्तान के गेट तक पहुंचा उसे पीछे से किसी ने आवाज लगाई बाल एकदम से रुक गया वह सहम गया क्योंकि उसे को सिर्फ उसके अब्बू बुलाते थे
इकबाल को लगा कि शायद उसके कान बज रहे हैं कि तभी उसे एक और आवाज आई अब इकबाल के रोंगटे खड़े हो गए थे रिवाज उसके अब्बू की ही थी वो पीछे मुड़ा और जोर से चिल्लाया और उसके सामने बसे खामोश कब्र थी और कुछ नहीं बाल फिर से चिल्लाया अब्बू अब क्या मुझे सुन सकते हैं ऐसा होने से कोई आवाज नहीं आई इकबाल को लगने लगा था शायद उसे अपने अब्बू की कुछ ज्यादा ही याद आ रही है
अब्बू की आवाज बस उसके खयाल है और कुछ नहीं वह अपना मन पक्का करके जैसे ही वापस जाने के लिए मुड़ा तो वह दंग रह गया कब्रिस्तान से बाहर जाने वाला लोहे का के जो भी चंद लम्हे पहले तक खुला हुआ था वह अचानक बंद हो गया.शायद उस पर कोई ताला डालकर चला गया था और पूरे कब्रिस्तान की बाउंड्री पर बड़े बड़े लोहे के फैन्स जिन्हें पार कर पाना बहुत ही मुश्किल था इस कब्रिस्तान से बाहर निकलने का एक दूसरा गीत भी था पर वो एक दूसरे कोने में था उस गेट तक पहुंचने का मतलब इकबाल को पूरे कब्रिस्तान के बीच से होकर गुजरना पड़ता है
लेकिन इकबाल पास और कोई ऑप्शन नहीं था
तो वो दूसरे गेट की ओर जाने लगा देर रात हो चुकी थी उस कब्रिस्तान में तेज हवा और बेजान खामोशी के अलावा और कुछ भी नहीं था
अंधेरे में कब्रिस्तान और भी डरावना लग रहा था
इकबाल हल्का सा घबराया हुआ जल्दी से जल्दी बस वहाँ से बाहर निकलना चाहता था लेकिन कुछ ही दूर चलते हुए इकबाल को कुछ ऐसा दिखा जो से बहुत अजीब लग रहा था उसने देखा कि कमरे के किनारे एक आदमी अपने घुटनों में दर्द यह बैठा हुआ है वो सुनसान कब्रिस्तान के बीचोंबीच आखिर क्या कर रहा था यह सवाल इकबाल का पीछा नहीं छोड़ रहा था इकबाल ने उस आदमी को आवाज दी और उस आदमी ने कोई जवाब नहीं दिया इकबाल धीरे धीरे उस आदमी के करीब गया उसके नजदीक जाकर इकबाल ने जैसे ही उस आदमी की पीठ पर अपना हाथ रखा उस आदमी ने अपना सर उठाया और देखते ही देखते उसकी गर्दन उल्टी हो गई
उस आदमी का चेहरा बेहद भयानक था और वो अपनी लाल आंखों से गुस्से में इकबाल को घूमने लगा इकबाल उस आदमी को देखते ही जोड़ सके और उस जगह से वह बिना कुछ सोचे समझे वर्ष भागता रहा और कुछ दूर जाकर एक पेड़ से सटकर बैठ गया बाल चुका था उससे उसकी रूह कांप गई थी उस आदमी का चेहरा इकबाल भूल ही नहीं पा रहा था इकबाल में अब इतनी भी हिम्मत नहीं थी कीबोर्ड कर एक कदम भी और चल पाए इसलिए वह उसी पेड़ से चिपक कर बैठ गया और सुबह का इंतजार करने लगा तभी कुछ ही पलों में बहुत कोहरा फैलने लगा देखते ही देखते इतना गहरा हो गया कि को अब कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था तभी उस कपड़े में इकबाल को एक औरत की परछाई दिखे जो तेजी से उसके सामने से इससे पहले इकबाल कुछ समझ पाता उसे उस कोहरे में एक बच्चा भंग हुआ दिखा और उस बच्चे के पीछे एक औरत भी रही थी
बच्चा तो कोहरे में कहीं गायब हो गया पर वो औरत इकबाल के पास आकर रुक गई इकबाल की धड़कनें तेज होने लगी थी आखिर वो मरद ठीक उसके ही सामने क्यों रुकी थी तभी उस औरत के सामने से कोहरा हटा और इकबाल को उस औरत का चेहरा दिखा ऐसा लग रहा था कि जैसे वो औरत सालों से किसी कब्र में दफन हो और अभी अभी उस कब्र से उठकर बाल के सामने आ गई हो वो औरत बेहद भयानक लग रही थी वो धीरे धीरे इकबाल की तरफ आगे बढ़ रही थी इकबाल जब डर के मारे पीछे हुआ उसका पैर फिसल गया और वो पास में खुदी हुई एक कब्र के अंदर गिर पड़ा इकबाल उस कमरे से बाहर निकलने की कोशिश करने लगा और को उससे बाहर ही नहीं निकल पा रहा था उसे ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसे पीछे से जकड़ लिया है जब उसने अपनी नजर घुमाई तो उसकी रूह कांप गई उसे वही डरावनी भयानक और
उस औरत ने इकबाल का गला पकड़ लिया और इकबाल उस कमरे में नीचे धंसता चला जा रहा था किराये इकबाल की आंखें भी बंद होने लगी थी तभी अचानक से हवा का झोंका आया और इकबाल को ऐसा लगा जैसे किसी ने उसका हाथ पकड़कर उसे ऊपर उठाया इकबाल उस सहारे से ऊपर तो आ गया लेकिन दूर दूर तक बहुत कोई भी नहीं था पर इकबाल उस कब्र से बाहर निकलते ही फौरन कब्रिस्तान के गेट की तरफ दौड़ा और वहाँ से बाहर निकल गया बाहर निकलकर फुटबाल की आँखों में आँसू आ गए
क्योंकि उसे समझ आ गया था जो सहारा उसे अपने हाथों पर महसूस हुआ था और कोई नहीं बल्कि उसके अब्बू ही थे उसके अब्बू ने ही शायद उसकी जान बचाई थी उस रात के बाद इकबाल को समझ आ गया कि अगर आप से प्यार करने वाले लोग इसी वजह से आप से दूर भी हो जाएं
तब भी वो हमेशा आपका ख्याल रखते हैं
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