Bhootiya Cinema Ghar - Horror Stories in Hindi |

गोल्ड सिनेमा शहर के सबसे पुराने और फेमस सिनेमा हॉल में से था तरुण की वहां क्लीनिंग स्टाफ में नाइट शिफ्ट में ड्यूटी लग गई थी सबकुछ अच्छा होते हुए भी उसे वहां की कुछ बातें बेहद अजीब लगती थी नाइट शिफ्ट की ड्यूटी के लिए वो एक इकलौता स्टाफ यह प्वाइंट हुआ था और तो और उस शिफ्ट में रात में ज्यादा काम भी नहीं था इसके बावजूद उसे ट्रिपल सैलरी मिल रही थी इसलिए ज्यादा न सोचकर उसने अच्छे पैसों के चलते उस नौकरी को ज्वाइन कर लिया वहां हॉल में काम करते हुए उसे जब एक महीना हुआ तो साढ़े ग्यारह बजे के शो के बाद उसका एक रूटीन बन चुका था लाश शो खत्म होते ही एक ऑपरेटर से कहकर वह पिछली मूवी रीप्ले करवाकर उसे अकेला हॉल में बैठकर देखा करता था और साथ ही बोस हॉल की सफाई भी कर देता था लेकिन अपनी नाइट शिफ्ट के पहले दिन से ही तरुण के साथ अजीब इंसिडेंट हो रहे थे
कभी फिल्म के चलते चलते बीच में किसी की चीख सुनाई पड़ती थी तो कभी अचानक ही आगे की सीट अपने आप नेकलाइन हो जाती थी कभी कभी तो तरुण को ऐसा लगता था जैसे उसके आगे वाली सीट पर कोई उसके साथ बैठकर फिल्म देख रहा हो शुरुआत में तरुण को शायद डर भी लगा पर फिर एक महीने में उसे इन सबकी आदत हो गई थी इन सब बातों पर कोई उसका मजाक न उड़ाएं यह सोचकर उसने ये सब बातें किसी को भी नहीं बताई ऐसी ही नाइट शिफ्ट पर डेढ़ बजे जब सब लोग निकल चुके थे
तब तरुण टेक ऑपरेटर के रूप में चाय लेकर गया पर बहुत कोई नहीं था तरुण ने उसे फोन भी लगाया पर किसी ने कॉल ही नहीं उठाया वहीं लाश सीट पर चला गया और ऑपरेटर का वेट करने लगा सीट पर बैठे बैठे तरुण की आंख कब लग गई उसे खुद भी नहीं पता चला कुछ ही देर बाद सिनेमा हॉल के अंदर एक चीख शोर से गूंजा
उस आवास से तरुण की नींद अचानक ही टूट गई
लेकिन इस बार कुछ अलग बात थी चीन की आवाज सामने चलती हुई स्क्रीन से आ रही थी
एक ऑपरेटर में कब मूवी चला दी उसे पता ही नहीं चला तरुण ने सोचा कि ऑपरेटर शायद लौट आया है उसने सोचा कि वह उस रात भी मूवी देखकर हर रोज की तरह वहां से निकल जायेगा
कुछ ही देर बाद मूवी देखते हुए तरुण कोई ऐसा फील हुआ जैसे उसे फिर वही चीख सुनाई है
लेकिन अब तक तरुण को आदत हो चुकी थी
तो उसने उस पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया लेकिन फिर उसे ऐसा लगा कि कोई उसके बाल नोच रहा है उसे बहुत तेज दर्द महसूस हुआ उसने जब पीछे मुड़कर देखा तो वहां कोई नहीं था
तरुण को थोड़ा अजीब लगा वो फिर से स्क्रीन की तरफ मुड़ा तो उसे फ्रंट सीट पर कोई बैठा हुआ दिखा और अचानक से फिल्म स्क्रीन बंद हो गई
यह देखते ही तरुण ने उस फ्रंट सीट वाले को कई बार आवाज लगाई कर उस आदमी ने कोई जवाब नहीं दिया तरुण उसके कंधे को दबाने लगा
लेकिन जैसे ही तरुण ने उसे छुआ उसका हाथ उस आदमी के आर पार हो गया तरुण घबरा गया तभी वो आदमी मुड़ा और तरुण की चीख निकल पड़ी उस आदमी का चेहरा जला पड़ा था और वह बहुत ही ज्यादा डरावना लग रहा था तरुण डर के मारे उठ खड़ा हुआ बोस हॉल से जल्द से जल्द निकलना चाहता था लेकिन उसके पैर मानो एक ही जगह जब है उसने अपने पैरों की तरफ देखा तो उसके होश उड़ गए ऑल के सीट के नीचे से रेंगते हुए आटो ने उसके पैरों को जकड़ रखा था
वहीं उसके सर के ऊपर कई अजीब से दिखने वाले लोग उसके सर के बाल चबा रहे थे जो जी हैं तरुण को अक्सर सुनाई देती थी अब वो वापस उस हॉल में गूंजने लगी थी उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे वो सारी चीखें उसी की तरफ आ रहे हैं
तरुण सुन्न बढ़ गया था और उसके बुरी तरह पसीने छूटने लगे उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ क्या हो रहा है और क्यों हो रहा है
देखते ही देखते तरुण कोर्स हॉल में कई सारे लोग दिखने लगे सबके सब वैसे ही भयानक लग रहे थे
जैसे उसके आगे बैठा वो आदमी वो सब लोग तरुण की तरफ बढ़ने लगे और उसके शरीर के अलग अलग हिस्सों को नोचने लगे तरुण कुछ भी नहीं कर पा रहा था बस वो अपनी आंखें बंद करके जोर जोर से मदद के लिए चीखे जा रहा था
तभी अचानक किसी ने उसका नाम पुकारा
तरुण में आँखें खुली तो उसके सामने हॉल का टैग ऑपरेटर खड़ा था आसपास सब कुछ नॉर्मल था
वो सारे लोग जो तरुण को दिख रहे थे वो अब गायब थे स्क्रीन पर एक फिल्म चल रही थी
लेकिन तरुण बौखलाया हुआ घबराया हुआ पसीने में तर बस रोए जा रहा था एक ऑपरेटर में उसे शांत करवाया और उसे बताया कि जब हॉल में आया तो तरुण अपनी सीट पर बैठा बुरी तरह छटपटा रहा था तरुण ने उस ट्रक ऑपरेटर को सब कुछ बताया लेकिन उस एक ऑपरेटर ने तरुण से कहा कि उसने कोई बुरा सपना देखा होगा तरुण ने भी यह मान लिया लेकिन जब घर पहुंचा तो उसने देखा कि उसके पूरे शरीर पर किसी के न पहुंचने के निशान थे तरुण को विश्वास नहीं हो पा रहा था कि वह सब जो उसने देखा और महसूस किया है बोस का कोई सपना है और इसलिए वो फिर रूस ईरान गोल्ड सिनेमा में वापस लिया सुबह के पाँच बज रहे थे अक्सर सिनेमा के बाहर सुबह सुबह एक बूढ़ा आदमी चाय बेचता था तरुण ने उससे जाकर बात करने का सोचा जब तरुण ने उसे अपने साथ हुआ पूरा किस्सा बताया तो वह चाय वाला सबकुछ समझ गया उसने तरुण को बताया कि कुछ साल पहले उस हॉल में करीब तीस चालीस लोग रात का एक शो देख रहे थे और अचानक उस रात पॉल में आग लग गई थी जिसकी वजह से सब लोग मारे गए तब से माना जाता है उन लोगों की आत्माएं उसी हॉल में भटक रही हैं कई लोग जो तरुण से पहले ड्यूटी करने आए वो इसी चक्कर में नौकरी छोड़कर चले गए तरुण यह सुनते ही हैरान पर गया और उसने भी और नौकरी छोड़ दी तरुण को लगा कि उस रात वह मौत के मुंह से बाल बाल बचा लेकिन अपने साथ हुई इस दिल दहला देने वाली घटना को वो शायद ही कभी भूल पायेगा
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