Bhoot Chaturdashi Horror Stories in Hindi |

Bhoot Chaturdashi | Horror Stories in Hindi | सच्ची कहानी |
भूत चतुर्दशी छोटी दिवाली के दिन मनाए जाने वाले इस फेस्टिवल के बारे में आप इसके नाम से ही समझ गए होंगे ऐसा माना जाता है कि भूत चतुर्दशी के दिन इंसानी और रोहाणी दुनिया के बीच का रास्ता खुल जाता है और पैरानॉर्मल एक्टिविटी बहुत ज्यादा बढ़ जाती है ठीक वैसा ही जैसा बाहर के देशों में हैलोवीन पर या और डेट पर होता है तो आज की कहानी है इंडिया के हैलोवीन भूत चतुर्दशी के बारे में महान की मॉम डैड शादी के बाद अमेरिका शिफ्ट हो गए थे
और मनन वहीं पर पला बढ़ा था पर कुछ ही सालों में मनन की मॉम गुजर गई थी वो और उसके डैड अकेले ही अमेरिका में रहते थे इस बार मनन के पापा को एक पुरानी प्रॉपर्टी के चलते एक महीने के लिए इंडिया आना था और वो मनन को अपने साथ ले जा नहीं सकते थे इसलिए इंडिया आकर मनन के पापा ने उसे उसकी कोलकाता में रहने वाली मासी सुमोना के पास ही छोड़ दिया मनन को यह सब बिल्कुल भी पसंद नहीं था क्योंकि अक्टूबर के महीने में हेलोवीन आता था जो मन को बहुत पसंद था मन ने अपनी सिचुएशन को एक्सेप्ट किया और चुपचाप अपनी मौसी के घर चला गया मनन की मौसी का घर बहुत ही आलीशान था उनकी फैमिली में कुल मिलाकर पांच लोग थे मनन की कजिन भाई बहन मौसा मौसी और घर की सबसे बड़ी दादी दूसरे दिन जब मनन सुभाव था तो उसने देखा कि पूरा घर बहुत ही सुंदर तरीके से सजा हुआ था
घर का माहौल देखकर मनन का मूड भी ठीक होने लगा था तभी मरयम की नजर अपनी दादी पर गई वह घर के मंदिर के पास बैठकर एक थाली में चौदह दिए सजा रही थी मनन ने दादी से जाकर उन के बारे में पूछा तो उन्होने कहा कि दिए आज की रात के लिए बहुत जरूरी है इतना कहकर दादी अपना काम करने लगी तभी अचानक से उसी कमरे की खिड़की जोर जोर से बजने लगे घर का कोई भी मेंबर उस बात से चौकाने हैं मणि ने ध्यान से देखा तो बाहर हवा भी नहीं चल रही थी ऐसा लग रहा था कि उस खिड़की को कोई जान बूझकर धक्का दे रहा हो
मनन ने अपनी गर्दन को इशारा कर वह खिड़की दिखाई और उसने मनन की तरफ देखकर अपने मुंह पर उंगली रखकर उसे चुप रहने को कहा कुछ ही समय में वह खिड़की हिलना बंद हो गई
मनन को यह बात बहुत अजीब लगी पर फिर वो अपने ग़ज़ल के साथ डेकोरेशन के काम में लग गया तैयारियों में कब शाम हो गई पता ही नहीं चला सभी घरवालों ने मिलकर पूजा शुरू की मनन की मां ने उसे बताया कि आज भूत चतुर्दशी है लोग मानते हैं कि इस दिन गुजर चुके लोग आत्मा के रूप में अपने परिवार वालों से मिलने के लिए आते हैं पर कभी कभी उन आत्माओं के साथ इंसानी दुनिया में कुछ बेहद बुरी आत्माएं और शक्तियां भी इंसान के घर में घुस सकती है
और उसकी जिंदगी तक ले सकती है मनन की मासी ने यह सब कहते हुए प्लेट में रखे उन सौदा दीयों को जलाना शुरू कर दिया दिए जलाते वक्त अचानक से घर की लाइट्स लेकर करने लगी
और वही खिड़की की दोपहर की तरह बजने लगे
मनन को अब डर लगने लगा था क्योंकि घर का कोई भी इंसान कुछ रियायत ही नहीं कर रहा था
जैसे ही उसकी मौसी ने आखिरी दीया जलाया घर में एक अजीब सा सन्नाटा हो गया किसी ने एक दूसरे से कुछ नहीं कहा मनन के मन में अब भी कई सवाल थे लेकिन उसने अपनी घबराहट के मारे किसी से कुछ पूछना नहीं सब लोग खाना खाने बैठ गए खाना खाने के बाद सभी घर वाले सोने चले गए परमानंद को नींद नहीं आ रही थी
उसके मन में अजीब सी बेचैनी थी कर किचन में पानी पीने चला गया पानी पीते हुए मनन को खिड़की पर किसी के नौ करने की आवाज आई मैंने ध्यान से देखा उसे खिड़की पर एक हाथ नजर आया जो खिड़की को बजा रहा था
यह देखकर मन की रूह कांप उठी पर न जाने क्यूँ उसके पैर उस खिड़की की तरफ बढ़ने लगे
मनन जैसे ही खिड़की के नजदीक पहुंचा अचानक से खिड़की के पास रखे दीयों की रोशनी बहुत तेज हो गई और खिड़की पर मनन को दिखा कि वह हाथ गायब हो गया मनन ने अपनी जिंदगी में कभी कुछ ऐसा एक्सपीरियंस नहीं किया था
बोर्ड के पास बैठ गया और उन्हें नजदीक से देखने लगा उन्हें देखते देखते अचानक से मनन को जोर से गई और उस ठीक से उन चौदह में से एक दीया बुझ गया उस दिए के पहुंचते ही मन को बहुत तेज ठंड लगने लगी बोस दिए को जलाने के लिए माचिस उठाने पीछे मुड़ा तो उसने जो देखा उससे उसका दिल ही दहल गया उसने देखा कि वहीं खिड़की जिस पर उसने कुछ देर पहले उस हाथ को देखा था अब खुली हुई थी और ठीक उस खिड़की के साथ एक आदमी खड़ा था जिसका आधा मुंह बीच से कटा हुआ था वह मुस्कुराता हुआ मन को देख रहा था उसकी भयानक मुस्कान देखकर मन की चीख निकल गई और वो वहां से अपने कमरे की ओर भागा वह जैसे ही अपने कमरे में घुसा तो उसे बूढ़ी औरत उसके बेड पर बैठी दिखी मनन की आहट से उस बूढ़ी औरत ने अपना मुँह पीछे मुड़ा और मनन की ओर देखा तो मनन के होश उड़ गए उस बूढ़ी औरत ने अपनी पूरी गर्दन घुमा ली थी और उसकी शकल बहुत ज्यादा भयानक थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वो सालों से मर चुकी हो मनन फौरन उस कमरे से बाहर भागा पर वह जहां भी जा रहा था
उसे बस मरे हुए लोग ही दिखाई दे रहे थे मन में चीख चीख कर अपने घर वालों को आवाज लगाई और उसकी मदद के लिए कोई भी नहीं आ रहा था भागते भागते मनन घर के हॉल में आ गया था देखते ही देखते सभी मरे हुए लोग जो मनन को दिख रहे थे बोस की तरफ आगे बढ़ने लगे
मनन का दिल जोरों से धड़कने लगा और धीरे धीरे उसकी आंखें मिलाने लगी कुछ ही सेकेंड्स में मनन जमीन पर गिर गया और अपने होश खो बैठा जब मनन की आंख खुली तो उसका पूरा परिवार उसके साथ बैठा हुआ था मनन घबराकर इधर उधर देखने लगा पर घबराते हुए कहने लगा वो सभी यही है इसी घर में दादी ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए उसे चुप कराया और उससे कहा
चिंता मत करो वो सब चले गए हैं मेरे वो दिया जो बुझ गया था वो फिर से जला दिया अब हम सब बिल्कुल सुरक्षित हैं दादी ने मरण को बताया कि भूत चतुर्दशी के दिन उन चौदह को इसलिए जलाया जाता है ताकि बुरी शक्तियों से उनकी रक्षा हो पाए मनन से जब एक दीया बुझ गया था
तो सभी भूत प्रेत और बुरी शक्तियां उस पर हावी हो गई और उसके साथ ऐसा हुआ मनन के पास कहने को कुछ भी नहीं था उसकी जिंदगी में कभी कुछ ऐसा होगा उसने सोचा भी नहीं था लेकिन उस दिन के बाद से वह अपने किस्से कहानियों में भूत चतुर्दशी को इंडिया का हैलोवीन कहने लगा
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