अंजान रास्ता - सच्ची कहानी | डरावनी
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अनजान रस्ता
मेरा नाम पवन है और मेरे साथ एक घटना तब हुई थी जब मैं के साल का था मेरा गांव उत्तराखंड के पिंडारी ग्लेशियर के हिल्स में है पहाड़ी लोगों के लिए रात को पहाड़ों में घूमना आम बात है और उस रात जो मेरे साथ हुआ उसके बाद से जब भी मैं उन पहाड़ों में अकेले निकलने के बारे में सोचता हूँ तो मेरी रूह कांप जाती है में छह साल बाद गर्मियों की छुट्टियों में अपने गांव वापस आया था मेरे आने की खुशी में मेरे बचपन के दोस्तों गिर्दा और देव ने डिसाइड किया कि हम पिंडारी ट्रैक के नीचे वाले पहाड़ झरने पर जाकर सेलिब्रेट करें हमने अगली सुबह ट्रैक शुरू किया
आठ घंटे का था और रास्ता बेहद खूबसूरत था आधे से ज्यादा ट्रैक करने के बाद थकान और तेज धूप के कारण हमने सोचा कि थोड़ी देर आराम करने व जगह बहुत ही शांत थी और वहाँ कई सारे छोटे रास्ते थे जो अलग अलग पहाड़ों तक जाते थे हम ने गाड़ी चलाते चलाते लंच किया और थोड़ी देर में ही हमारी आँख लग गई लेकिन कुछ देर बाद अचानक मेरे कानों में किसी बच्ची की आवाज आई और मेरी आंख खुल गई मैं जब नींद से उठा तो पसीने से तरबतर था मैंने देखा कि आसपास कोई नहीं था और शाम भी हो चुकी थी
उस वक्त मुझे वो एक बुरा सपना ही लगा हर तरफ शांति थी मैंने टाइम देखा और अपने दोनों दोस्तों को उठाया हमें सूरज ढलने के बाद रात में पहाड़ों में घूमने की आदत थी तो हम ट्रैक पर आगे बढ़ गए हम तीनों ने अपने फोन की फ्लैश लाइट और तौर से जलाने की कोशिश की पर कुछ ही देर में दोनों की बैटरी खत्म हो गई
कोई भी और चारा नहीं था इसलिए हमने अपने अंदाजे से एक रास्ता पर ले लिया हम कई घंटों तक उस रास्ते पर चलते रहे पर चढ़ाई भरती जा रही थी रास्ता पतला हो रहा था और हम थे कि झरने तक पहुँच ही नहीं पा रहे थे पटना जाने वहां की हवा में ऐसा क्या था कि मुझे हर समय ऐसा लग रहा था जैसे कोई मेरा पीछा कर रहा है
लेकिन में जितनी भी बार पीछे मुद्दा मुझे सिर्फ पेड़ और झाड़ियां ही नजर आती थी कई घंटों तक जंगल में भटकने के बाद हम समझ गए थे हम सही रास्ते से काफी दूर आ चुके हैं शायद हम चलते चलते किसी दूसरे ही पहाड़ पर पहुंच गए थे हमारे शरीर थक कर चूर हो गए थे हमने एक सही जगह पर अपना तंबू लगा दिया लेकिन तम्बू लगाते वक्त मुझे झाड़ियों से फिर से एक छोटी लड़की की आवाज आई ऐसा लग रहा था कि कोई छोटी लड़की मुझे कुछ बोलने की कोशिश कर रही थी पर मुझे समझ नहीं आ रहा था
मैंने उसे अपने मन का वहम समझा और सीधा खाना खाकर सो गया कुछ देर बाद मेरी आँख खुली मैंने देखा कि मेरे शरीर को कोई घसीटकर कहीं ले जा रहा है मैंने गर्दन उठाकर देखा तो मुझे एक भयानक दानव जैसा एक आदमी घसीट रहा था उसे देखकर मेरी चीख निकल गई और तब उस आदमी ने मुझे पलटकर गुस्से से देखा
और अपने पंजों से मुझ पर वार कर दिया
तभी अचानक मेरी नींद टूटी कि मैं अपने टेंट में ही लेटा हुआ था जो आग हमने लकड़ी से जलाई थी वह बुझ चुकी थी पर अभी सुबह नहीं हुई थी
मेरी नींद उड़ चुकी थी लेकिन मेरे बगल में देव आराम से सो रहा था पर गिर्दा टेंट में नहीं था
वह गायब था मैं अपनी टीम से बाहर निकलकर गिरधर को तलाशने लगा कि तभी मुझे देश की चीखने की आवाज आई मैं बहुत डर गया और तुरंत वापस टेंट में गया लेकिन देव आराम से सो रहा था मैंने देश को जगाकर उसे सब कुछ बताया और तभी हमें टेंट के बाहर एक परछाई दिखीं
तो पर छाई थी उसी भयानक दानव जैसी लग रही थी जैसे मैंने सपने में देखा था देव की डर के मारे चीख निकल गई और उस दानव में अपने पंजों से उस पेंट को चीर दिया और उस पढते हुए दिन से अब साफ साफ दिखाई दे रहा था एक बेहद डरावना चेहरा जो शायद सड़ गल चुका था
लंबे लंबे बाल और उससे भी लंबे उसके पंजों के नाखून उसके नुकीले दांत और गुस्से से लाल आँखें तो कोई जानवर जैसा नहीं लग रहा था
पर ऐसा लग रहा था जैसे कोई मिलियन हो हम जैसे तैसे करके उस ट्रेन से बाहर भागे हमें कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि आखिर हो क्या रहा है पर हम भागते रहे थोड़ी दूर पर हम एक अजीब से रास्ते पर पहुंच गए रास्ता बहुत पतला था और हम बार बार फिसल रहे थे मुझे भागते हुए ऐसा महसूस हो रहा था जैसे कुछ नुकीला बार बार मेरे शरीर पर लग रहा है लेकिन हम भागते रहे हैं और कुछ देर बाद झाड़ियों के बीच जाकर गए है उस वक्त तक सब शांत हो गया था
और वहीं से हमें नीचे कुछ ही दूर एक गांव दिख रहा था हमें अपनी जान बचाने के लिए उस गांव तक पहुंचना था तब मेरी नजर देव की शर्त पर गई उससे खून बह रहा था उसी तरीके से मेरा भी खून बह रहा था हमारे शरीर पर सैकड़ों कट्स लगे हुए थे ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी ने हमें बुरी तरह ऊंचा हो तभी हमें उसी दानव की गुहार सुन ली जो झाड़ियों है दूसरी तरफ से आ रहा
हम अपनी बची खुची जान लगाकर वहां से भागे
हम तब तक भागते रहे जब तक हमारा शरीर बेजान नहीं हो गया हम दोनों बहुत बुरी तरीके से घायल हो चुके थे और हमारे दोस्त गिर्दा की भी कोई खबर नहीं थी तभी मुझे ऐसा महसूस हुआ कि कोई हमारी तरफ आ रहा है मैंने देखा तो वो एक बकरी चराने वाला था उसने हम दोनों की ऐसी हालत को देखकर शोर मचाना शुरू कर दिया और कई गांव वाले वहां आकर जमा हो गए
उन्हें देखते ही मनु हम दोनों बेहोश बढ़ गए
पूरी एक दिन की बेहोशी की हालत में रहने के बाद हमें होश आया हम दोनों के शरीर पर पट्टियां बंधी थी वह गांव के मुखिया का घर था होश में आते ही हमने उन्हें सब कुछ बताया जब हमने उन्हें वो सब बताया जो हमारे साथ हुआ तो थोड़ी देर के लिए शांत हो गए थोड़ी देर बाद उन्होंने बताया कि हमारा बचना किसी जादू से कम नहीं था क्योंकि उस पहाड़ में कई काले तंत्र करने वाले तांत्रिक वास करते हैं और कई साल पहले एक आदमी वहां उनको काबू करके उनकी शक्तियां पानी गया था उस आदमी ने उनकी शक्तियों पर काबू पाने के लिए कई जानवरों और इंसानों की बली भी दी और फिर वह उन्हीं पहाड़ों में कहीं गायब हो गया लेकिन वहां के लोग मानते हैं कि वो आदमी अभी भी काली शक्तियों की मदद से जिंदा है और उन्हीं पहाड़ियों में अपने अगले शिकार का इंतजार कर मुखिया ने बताया कि गांव की एक लड़की खेलते खेलते महान गलती से चली गई थी और फिर बुक कभी नहीं लौटी माना जाता है कि उस आदमी की आत्मा ने वहां उस लडकी की बलि ले ली और आज भी अगर कोई वहां जाता है तो उसके साथ भी वही होता है
उस मुखिया की बात सुनकर हमारा दिल दहल गया हम तो बस गए थे लेकिन उस दिन के बाद से हमने अपने दोस्त गिर्दा को फिर कभी नहीं देखा
उसका सदमा आज भी हमें सताता है में अब कभी भी अनजान पहाड़ों में घूमने नहीं जाता और खुद से ऐसा कोई रास्ता नहीं पकड़ता जिसके बारे में मुझे पहले से पता ना हो
Thanks for Reading ❣️