एक बार एक गुरु अपने शिष्यों को प्रभावशाली व्यक्तित्व के ऊपर प्रवचन दे रहे थे गुरु कह रहे थे कि दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं पहले वो जो कहीं जाते हैं और कहते हैं देखो में आ गया और दूसरे वो जो जब ही जाते हैं तो लोग कहते हैं देखो वो आ गया हममें से ज्यादातर लोग खुद को दूसरे प्रकार के लोगों के समूह में देखना चाहते हैं लेकिन क्या कारण है कि ज्यादातर लोग जीवन भर अपनी पहचान नहीं बना पाते अपनी बात नहीं रख पाते या जीवन भर किसी को प्रभावित नहीं कर पाते जनसमूह का एक बड़ा हिस्सा इसी अपनी बदकिस्मती समझकर स्वीकार कर लेता है और जीवन भर किसी और के दिखाए रास्ते पर चलता रहता है आपने अक्सर अपने आसपास ऐसे लोगों को देखा होगा जो आपसे अधिक बुद्धिमान न होने के बावजूद अपनी जिंदगी में आम लोगों से काफी बेहतर करते हैं उन्हें देखकर आप यह सोचने पर मजबूर हो जाते होंगे कि आखिर ऐसी क्या चीज है जो इन्हें इतना सफल बनाती है और सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न कि क्या उस कला को अभी अपने ला सकते हैं आपको बता दूं कि उन सफल लोगों के पास लोगों के दिलों को जीतने की कला है सफलता के शिखर पर ये लोग ऐसे ही नहीं पहुंचे उन्होंने हर मोड़ पर लोगों को अपनी बातों से प्रभावित किया है और उनके विश्वास को जीता है आप लोगों को यह जानकर बहुत हैरानी होगी कि यह कला हर कोई सीख सकता है और अपने आपको सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंचा सकता है इसके लिए आपको कुछ बातों को अपने जीवन में उतारना होगा इन बातों को अपनाकर आप लोगों को प्रभावित करने में महारत हासिल कर पाएंगे अधिकतर लोग इस कला को सीखने के लिए जी भर अलग अलग लोगों से सलाह लेते हैं लेकिन बिना किसी अनुभवी व्यक्ति कि वह अक्सर इसे सीखने में असफल रह जाते हैं गुरु यह सब बोल रहे थे कि तभी एक्सिस खड़ा हुआ और बोला गुरुदेव मेरा एक प्रश्न है मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं कैसे लोगों की भीड़ में अपनी एक विशिष्ट पहचान बना है आखिर हम कैसे सैकड़ों की भीड़ में अपना एक अलग स्थान बना सकते हैं और कैसे अपनी सकारात्मक छाप अपने आसपास के लोगों पर छोड़ सकते हैं क्या इसका कोई समाधान है
गुरु ने शिष्य को बैठने का इशारा करते हुए कहा तुम अकेली नहीं हूं जो इस समस्या का अनुभव करते हो बल्कि अधिकतर लोग आज इसी समस्या से जूझ रहे हैं हो सकता है आप लोगों को इसका समाधान बाहर से देखने में बेहद मुश्किल लग रहा हो लेकिन अगर आप ठीक से देखेंगे तो पाएंगे कि ये काम आप में से हर व्यक्ति कर सकता है आपको बस जरूरत है कि आप नौ बेहद जरुरी बातों को ध्यान में रखें इन बातों में सबसे ऊपर आती है आपकी मुस्कुराहट जी हां हमारे पूरे व्यक्तित्व की शुरुआत ही हमारी मुस्कुराहट से होती है लेकिन यदि कोई व्यक्ति बिना परिस्थिति को समझें इस मुस्कुराहट का उपयोग करता है तो यही मुस्कुराहट उसके व्यक्तित्व को रूखा बनाने में ज्यादा देर नहीं लगाती इसके अलावा मुस्कुराहट केवल एक ही प्रकार की नहीं होता अलग अलग प्रकार के अवसरों पर हमें एक अलग मुस्कुराहट देनी होती है जो उस अवसर के संदर्भ में सटीक बैठती हो
हमारी मुस्कान सच्ची झूठी और प्रभावित करने वाली यह मजाक उड़ाने वाली भी हो सकती है मुस्कुराहट के बारे में एक सबसे जरूरी सीखने वाली बात यह है कि मुस्कुराहट बेहद जल्दी हमारे होठों पर नहीं आनी चाहिए इससे लोग हमारी बातों को गंभीरता से नहीं लेते आपको अपनी मुस्कुराहट को थोडा समय देकर अपने चेहरे पर लाना चाहिए जिससे सामने वाला व्यक्ति समझ पाता है कि आपकी मुस्कुराहट का वास्तव में क्या अर्थ है संक्षिप्त में कहें तो किसी व्यक्ति को देखने के कुछ क्षणों बाद ही मुस्कुराहट हमारे चेहरे पर आनी चाहिए इससे सामने वाले व्यक्ति को रखता है कि यह मुस्कुराहट सच्ची है और आप वास्तव में उसे देखकर खुश हुए हैं जल्दबाजी में आई मुस्कुराहट आपके धैर्य में कमी को दिखाती है जिससे सामने वाला व्यक्ति आपकी बातों को गई
गीता से नहीं देगा दूसरी चीज हैं हमारी आँखें अक्सर जब लोग किसी से मिलते हैं तो वह अपनी आंखों पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं हमारी आँखें वह जादुई अंग हैं तो सामने वाले व्यक्ति से बिना एक भी शब्द कहे उसे अपना मुरीद बना सकती है लेकिन उसके लिए आपको इस जादुई अंग का सही से उपयोग करें आना चाहिए नजरें मिलाना हमारे समाज में अक्सर आंखें दिखाने के बराबर माना जाता है बहुत से लोगों का यह मानना है कि किसी की आँखों में आँखें डालकर बात करने का अर्थ उस व्यक्ति से सम्मानपूर्वक तरीके से बात करने के बराबर है लेकिन यह धारणा एकदम गलत है बल्कि किसी से नजरें मिलाकर बात करने से हमारी बात ज्यादा प्रभावशाली होती है जो लोग अपने सामने खड़े व्यक्ति की आंखों में देखकर बात करते हैं वो लोग अपने सामने खड़े व्यक्ति को प्रभावित करने में ज्यादा सफल होते हैं इसके विपरीत वो लोग जो आँखों से आँखें मिलाकर बात नहीं करते वो लोग
सामने वाले पर उतना बेहतर प्रभाव नहीं छोड़ पाते तो हमारी दूसरी तकनीक यह है कि जब भी आप किसी व्यक्ति से बात करें तो उससे नजरें मिलाकर ही बात करें इससे उस व्यक्ति को यह एहसास होगा कि आप उसकी बातों में बेहद रुचि ले रहे हैं और वह व्यक्ति आपसे बात करने के लिए हमेशा उत्सुक रहेगा नजरों से जुड़ी एक और खास बात है जिसका अक्सर कई लोग इस्तेमाल करते हैं और वह यह है कि हम कई बार समूह में खड़े उस व्यक्ति पर ध्यान नहीं देते जो बोल रहा है बल्कि हम उस व्यक्ति पर ध्यान देते हैं जिस पर हमें दिलचस्पी होती है इस कारण वह व्यक्ति यह सोचने पर मजबूर हो जाता है कि आखिर यह व्यक्ति बोलने वाले व्यक्ति को छोड़कर मेरी ओर क्यों देख रहा है इसी से उसको यह अंदाजा भी हो जाता है कि इस व्यक्ति को शायद मुझ में दिलचस्पी है तो इस तकनीक का उपयोग करने का सबसे आसान तरीका यह है कि आप किसी व्यक्ति विशेष रुचि रखते हैं उसे अपनी नजरों के द्वारा विशेष आकर्षण का केंद्र बनाएं इससे उस व्यक्ति को यह अहसास होता है कि वह आपके लिए कितना खास है तीसरी चीज है बैठने चलने और खड़े होने का तरीका अपने जीवन के उस क्षण के बारे में याद कीजिए जब आप अपने मित्रों के साथ एक कमरे में बैठे थे और यदि उस किसी ऐसे व्यक्ति ने कमरे में प्रवेश किया हो जिसके उस कमरे में आते ही आप सब लोग उसकी ओर ध्यान देने पर मजबूर हो गए आखिर उस व्यक्ति में
आपने ऐसा क्या देखा जो आप सब लोग उसकी ओर ध्यान देने पर मजबूर हो गए अब एक ऐसे व्यक्ति के बारे में सोचिए जिसके आने या जाने पर शायद ही उस कमरे में बैठे किसी व्यक्ति पर फर्क पड़ता अब बताइए उस व्यक्ति के अंदर आपने ऐसा क्या देखा जिससे उसके आने जाने से आपको कोई फर्क नहीं पड़ा यह बात बहुत सोचने लायक है कि कुछ लोग बहुत ही जल्द दूसरे लोगों को प्रभावित कर देते हैं इस दुनिया के सबसे सफल और प्रभावशाली लोगों को यदि हम ध्यान से देखें तो पाएंगे कि वो सब एक विशेष तरह का गुण अपने अंदर रखते हैं और भूगोल हैं उनके बैठने चलने और खड़े होने का तरीका उनके खड़े होने में आपको आत्म विश्वास की एक बड़ी सुनामी से आती हुई नजर आई थीं इसी आत्मविश्वास की सुनामी में को बाकी लोगों को अपने साथ बहाकर ले जाते हैं जिन लोगों से हमारी पहले कभी बात तक नहीं हुई उनके चलने और खड़े होने का तरीका हमें उनके बारे में बहुत कुछ बता देता है अब प्रश्न उठता है कि जब बचपन से हमें यह सिखाया गया है कि सीधे खड़े रहना चाहिए हमेशा सिर को सीधा और ऊंचा रखना चाहिए को कंधों की चौड़ाई जितना खोलकर रखना चाहिए हाथों को बांधकर नहीं रखना चाहिए इसके बावजूद भी अधिकतर लोग इसे अपने जीवन में लागू नहीं कर पाते तो ऐसा क्या किया जाए जिससे हम इस बात को अपने दैनिक जीवन में लागू कर पाए इसके लिए आपको यह समझना बेहद जरूरी है कि सीधा खड़ा रहना और अपने सर को आत्म विश्वास से सीधे रखना एक आदत है न कि हर समय ध्यान में रखकर किया जाने वाला एक काम तो कुछ दिनों की लगातार अभ्यास के बाद आप इसे अपनी आदत का हिस्सा बना सकते हैं चौथा नियम उनके अंदर के बच्चे को पहचानें क्या आपने कभी किसी ऐसे बच्चे को देखा है जो अपने माता पिता के पास तोड़कर जाता है और उनके गले लग जाता है मान लो एक छोटा बच्चा है जिसने अपनी मां को बहुत समय बाद देखा है तो आपको क्या लगता है उसकी पहली प्रतिक्रिया क्या होगी वह जरूर अपनी मां को देखते ही उसे गले लगाने की कोशिश करेगा ठीक ऐसे ही हम सबके अंदर भी एक ऐसा ही बच्चा है जो उन लोगों को नजदीक लाने की कोशिश करता है जो हमें सुरक्षित और खुश महसूस कराते हैं अगर आप वास्तव में किसी व्यक्ति को प्रभावित करना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे अच्छा तरीका यह होगा कि आप उनके अंदर के बच्चे को पहचाने और उसे खुश करें अगर उनके अंदर का बालक मन आपसे प्रसन्न होता है तो वह व्यक्ति आपको निश्चित रूप से स्वीकार करेगा और ऐसा करने के लिए आप सबसे पहले यह पता करें कि वह कौन सी चीजें हैं जो उनके बचपन में उन्हें खुश किया करती थी या जो उनके अंदर के बच्चे को पसंद आई पाँच नहीं हम उन्हें एक पुराने दोस्त की तरह महसूस करवाई एक बड़ी प्रसिद्ध कहावत है कि लोगों को तब तक इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि आप उनके बारे में कितना जानते हैं जब तक कि आप उन्हें यह महसूस न करवाते रहें कि आपको उनकी कितनी फिक्र है यह बात तब एकदम सटीक बैठती है जब हम किसी नए व्यक्ति से मिलते हैं हमारे शरीर के हाव भाव और बातों से लोग यह जानने का प्रयास करें हैं कि हम उनके बारे में क्या सोचते हैं तो अपने व्यक्तित्व को और प्रभावशाली बनाने के लिए आपको एक आदत अपने अंदर और विकसित करनी है और वह यह है कि आपके शरीर की हर हलचल और हाव भाव से ऐसा लगी जैसे कि आपको सामने वाले व्यक्ति की परवाह हो जैसा कि आप सबको पता ही होगा कि जब हम किसी नए व्यक्ति से मिल आते हैं तो हमारे दिमाग़ में सैकड़ों प्रकार के विचार चलते रहते हैं इस कारण हम ठीक तरह से यह सोच नहीं पाते कि हमारा कौन सा व्यवहार सामने वाले व्यक्ति को अच्छा लगेगा और कौन सा खराब इसी कारण जब हम किसी नए व्यक्ति से मिलते हैं तो सबसे पहले हमें हड़बड़ाहट से बिल्कुल बचना चाहिए जिससे हम कोई भी ऐसी हरकत करने से बच सकें जो सामने वाले व्यक्ति को हमारे बारे में कुछ गलत राय बनाने के लिए प्रोत्साहित करें इसके विपरीत कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनके साथ हम बहुत सहज होते हैं वो लोग हमारी सबसे करीबी मित्र होते हैं हम जो अपने किसी करीबी मित्र से मिलते हैं तो हमें बिल्कुल भी घबराहट महसूस नहीं होती है हम एकदम ध्यान से उनकी बातें सुनते हैं और बिना किसी हटके अपनी बात उनसे कहते भी हैं इसके अलावा हमारा शरीर और दिमाग भी पूरी तरह से उनके साथ होता है यही से हमारी अगली सलाह निकलती है कि जब भी आप किसी नए व्यक्ति से मिले तो अपने दिमाग में यह मानकर चलें कि वह व्यक्ति आपका एक पुराना मित्र है वह पुराना मित्र जो अब कई वर्षों बाद आपसे मिला है इसे आप
के अंदर की सारी हड़बड़ाहट अपने आप ही दूर हो जाएगी इसके साथ ही आपका उस व्यक्ति के प्रति व्यवहार भी पूरी तरह से बदल जाएगा जो उस व्यक्ति को अवश्य ही बहुत पसंद आएगा क्योंकि वह व्यक्ति भी आपसे पहली बार मिल रहा है इसी कारण उसके दिमाग़ में भी यह खयाल आया होगा कि उसे कितना और क्या बोलना चाहिए अगर आप सामने वाले व्यक्ति को यह एहसास करा देते हैं कि आप उनके एक करीबी मित्र की तरह हैं तो वह बहुत जल्द आपके नजदीक आ जाएंगे स्वाभाविक है कि आप उस व्यक्ति को ऐसा नहीं हो सकती कि वह आपको पुराने मित्र है क्योंकि यह सच नहीं है यह बात तो केवल आपको अपने दिमाग को बतानी है जिसे मानने के बाद आपका दिमाग अपने आप ऐसा बर्ताव करने लगेगा जैसे वह व्यक्ति आपका कोई पुराना मित्र हैं इसी के साथ आपके शरीर के हाव भाव भी बदलने लगेंगे और आप उस व्यक्ति के साथ और सहज महसूस करने लगेंगे पुराने मित्र होने की सलाह के बाद कुछ ऐसी चीजें हैं जो आपको ध्यान में रखनी है अगर आप किसी व्यक्ति के मन को जीत लेते हैं तो उसके बाद भी आपको खुद को एक विश्वासपात्र बुद्धिमान और खुद पर भरोसा रखने वाले व्यक्ति की तरह आभास कराना होता है छटा नियम एक विश्वसनीय व्यक्ति की तरह नजर आएंगे अक्सर जब हम किसी व्यक्ति से झूठ बोलते हैं तो उन्हें हमारी झूठ का आभास हो जाता है हमारी हावभाव अचानक बदलने लगते हैं जिससे सामने वाले व्यक्ति को ऐसा आभास होने लगता है कि शायद यह व्यक्ति मुझसे झूठ बोल रहा है वहीं कई बार ऐसा भी होता है कि आप सच बोल रहे होते हैं लेकिन आप के हावभाव ऐसे होते हैं कि सामने वाले व्यक्ति को वह बाद भी छोटी लगती है तो इसी से निकलती है हमारी छठी सलाह जो ये सिखाती है कि जब भी आप किसी व्यक्ति से बात करें तो अनावश्यक रूप से अपने चेहरे या शरीर के किसी भी अंग को बार बार न छुए अपनी पलकें बार बार ना झपकाए और अपने पैरों को भी बार बार एक दूसरे पर न चढ़ाएं साथ ओमानी हम सामने वाले के हाव भावों और विचारों को पढ़ें बातचीत के दौरान आपको सामने वाले के हाव भाव और प्रतिक्रिया पर भी ध्यान देना है आपको देखना है कि क्या लोग आपकी बात सुनकर मुस्कुरा रहे हैं क्या वह हां में सिर हिला रहे हैं क्या वह एकदम सहज हैं या फिर वह आपकी ओर न देखकर दूसरी ओर देख रहे हैं यहीं से निकलती है हमारी अगली सलाह जो सिखाती है कि जब भी आप किसी से बात कर रही हूं तो हमेशा उस व्यक्ति पर भी एक नजर डालें जो बात आप उसे कह रहे हैं क्या वह से प्रभावित कर रही है या नहीं यदि आप ध्यान से देखेंगे तो आप यह बड़ी आसानी से जान पाएंगे कि आपकी बातें उन्हें पसंद आ रही है या नहीं यदि आपको ऐसा महसूस होता है कि आपकी बातें शायद उन्हें पसंद नहीं आ रही हैं तो उस उसी समय कुछ और बातें करने की सोचे इस तरह से आप खुद को ऐसी बात करने से बचा सकते हैं तो सामने वाले व्यक्ति को आपसे दूरी बनाने के लिए मजबूर कर सकती थी आठवां नियम खुद को मानसिक रूप से तैयार करो कोई भी बड़ा कार्य करने से पहले उसके बारे में ठीक से सोचें और हर दिन उसे अपने दिमाग़ में पूरा होता हुआ महसूस करें इसी बात से आती है हमारी आठवीं सलाह और वह यह है कि किसी भी काम को करने से पहले आप उसे अपने दिमाग़ में अच्छे से सोच कर रख लें आप उस कार्य को किस तरह से करने वाले हैं उस प्रक्रिया को आप बार बार अपने दिमाग में दोहराएं उसकी प्रक्रिया को बार बार दिमाग़ में दोहराने से आप मानसिक रूप से उस कार्य को करने के आदी हो जाएंगे आप हमेशा यह सोचें कि आप लोगों से बात करने में बेहद सहज हैं आप हमेशा आत्मविश्वास के साथ चलते हैं आप लोगों को बहुत अच्छे से समझते हैं और आप जो भी काम शुरू करते हैं उसे पूरा करके ही छोड़ते हैं जब आप लगातार ये चीजें अपने दिमाग़ में सोचेंगे तो आपका दिमाग थोड़े ही समय में इस चीज को अपना लेगा और फिर आपका शरीर भी इसके
अनुसार ही कार्य करने लगेगा नौवां नियम बातचीत करने के तरीके को प्रभावी बनाए इस बात से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता कि आप क्या कहते हैं बल्कि फर्क इस बात से पड़ता है कि आप उस बात को कैसे कहते हैं इसीलिए हम जब भी किसी व्यक्ति से बात करें तो हमें पूरे उल्लास के साथ बात करनी चाहिए इस बात के लिए भी ज्यादा पर इंसान नहीं होना चाहिए कि हम क्या बात करने वाले हैं क्योंकि अस्सी प्रतिशत से भी अधिक बार हक सिर्फ इस बात से पड़ता है कि हम बात कैसे करते हैं इतना कहने के बाद गुरु ने अपना प्रोसेस समाप्त किया उसी से को अपने प्रश्न का उत्तर मिल चुका था सभी शिष्यों ने गुरु का धन्यवाद किया
Thanks for Reading ❣️