लंबे समय तक जवान रहने के लिए 5 अदतें |

एक रूसी क्योंकि योग ध्यान और आयुर्वेद के विशेषज्ञ थे एक दिन उनके पास एक व्यक्ति आता है जिसकी उम्र लगभग पैंतीस साल थी लेकिन वह देखने में अपनी उम्र से दस पंद्रह साल अधिक लग रहा था वह किसी के पास आया उन्हें प्रणाम किया और बोला मुनिवर मेरी उम्र तो बढ़ रही है लेकिन मेरा शरीर मेरी की तुलना में कई गुना तेजी से बुढ़ापे की तरफ जा रहा है मेरी त्वचा में झुर्रियां पड़ने लगी है आंखों के नीचे काले घेरे आ गए हैं आंखों की रोशनी भी कम होती जा रही है बाल झड़ने और सफेद पड़ने लगे हैं और शरीर व हड्डियों में भी कमजोरी महसूस होने लगी है अपने शरीर की ऐसी हालत को देखकर मुझे बहुत अधिक चिंता होती है मैं यह सोचकर परेशान रहता हूं कि क्या में समय से पहले ही बुरा होकर इस दुनिया से चला जाऊंगा मुनि मुनिवर अब तो योग ध्यान और आयुर्वेद के बहुत बड़े विशेषज्ञ माने जाते हैं कृपया मुझे मेरी इस समस्या का कोई समाधान बताइए उस व्यक्ति की पूरी समस्या को ध्यान से सुनने के बाद डीसी ने कहना शुरू किया आज मैं तुम्हें पाँच ऐसे तरीके बताऊंगा जो तुम्हारी उम्र को रोक सकते हैं जब उसे बहुत धीमा कर सकते हैं जिससे तुम ज्यादा उम्र के बाद भी कम उम्र के दिखोगे लेकिन उससे पहले यह बात समझो कि हमारे विचारों और हमारे शरीर का सीधा संबंध होता है हजारों सालों पहले हमारे पूर्वजों ने एक बात कही है कि लोग इसीलिए बुरी होकर मरते हैं क्योंकि उन्होंने दूसरे लोगों को बुढ़ापे में मरते देखा है तो अगर आप दिमाग से यह बात निकाल दें यह मानना छोड़ दें कि एक निश्चित उम्र के बाद यह बीमारी हो जाती है त्वचा में झुर्रियां आने शुरू हो जाती है अगर तुम यह सब देखना छोड़ दो तो तो अपने शरीर को सबसे अलग कर पाओगे और सबसे अलग स्वास्थ्य भी हासिल कर पाओगे असल में हमारी निन्यानवे प्रतिशत बीमारियां हमारी बुढ़ापे की वजह से नहीं होती है अगर तुम ध्यान से देखो तो पाओगे कि ज्यादातर लोगों की मृत्यु सिर्फ इसलिए नहीं होती है कि उनकी एक निश्चित उम्र हो चुकी है और उनके शरीर ने काम करना बंद कर दिया है और उनकी मौत हो गई ज्यादातर मौकों पर लोगों की मृत्यु का कारण उनकी उम्र नहीं बल्कि उनके शरीर के किसी आंतरिक अंग का काम न करना या फिर किसी बड़ी बीमारी का हो जाना होता है संक्षिप्त में कहें तो उम्र और मृत्यु का कुछ खास गहरा संबंध नहीं होता है आमतौर पर लोगों की धारणा है कि तीस की उम्र के बाद मोटापा बढ़ना चेहरे की चमक होना त्वचा में झुर्रियां पढ़ना शरीर और हड्डियों का कमजोर होना एक आम बात है यानी कि लोग मान लेते हैं कि उम्र बढ़ने के साथ उनके शरीर में यह सारी परेशानियां और कमियां आएंगी लेकिन क्या तुम्हें पता है कि हर साल उम्र
रहने पर उसका हमारे शरीर पर असर सिर्फ एक से जितना ही होता है यानी कि निन्यानवे प्रतिशत हमारे शरीर को उम्र के साथ कोई लेना देना होता ही नहीं है लेकिन हम अपने दिमाग में उस एक प्रतिशत को लेकर इतना बड़ा बना देते हैं कि हमें लगता है कि उम्र बढ़ने का हमारे शरीर पर बुरा असर होना ही है  किसी ने आगे कहा हमारे शरीर में कुछ चीजें ऐसी होती हैं जो कभी पूरी होती ही नहीं है और वह क्या पता है हमारी भावनाएं यह कभी बुरी नहीं होती है जब तक हम इन्हें न बनाएं हमारी पहचान हमारा आत्मसम्मान हमारी मानसिक स्थिति हमारे गुण हमारे व्यक्तित्व हमारी चतुरता और बुद्धिमता यह कभी बुरे नहीं होते अगर एक अट्ठारह बीस साल का लड़का जो अपनी बुद्धि अपनी कलात्मक क्षमता को उपयोग नहीं कर रहा है तो कहने को तो वह भी साल का है लेकिन वह अपने मन अपने विचारों से जवान नहीं है वहीं दूसरी तरफ एक अस्सी साल के कोई इंसान हो सकते हैं जो बहुत ज्यादा उत्साही हैं कलात्मक हैं नई चीजों को सीखने और विचारों को अपनाने को तैयार रहते हैं तो हम कह सकते हैं अब तक पूरे नहीं हुए हैं और वह अभी भी जवान है अगली चीज है पानी हमारे शरीर सत्तर प्रतिशत पानी से बना है और पानी को हम कभी भी बुरा नहीं मानते तो इसका मतलब है कि हमारे शरीर का सत्तर प्रतिशत हिस्सा हर दिन नए होता जा रहा है तो फिर बुढ़ापे को इतना महत्व क्यों ना देखो हम इंसानों की तीन तरह की उम्र होती है पहली उम्र जिस समय बीतने के साथ बढ़ है जिसे ज्यादातर लोग अपनी असली में मानते हैं जैसे तुम्हारी उम्र पैंतीस साल ही दूसरी उम्र है शारीरिक उम्र यानी कि हमारा शरीर किस उम्र के व्यक्ति की तरह कार्य कर रहा है जैसे कि अगर किसी व्यक्ति की उम्र पचास साल है लेकिन अगर उसका शरीर की साल के व्यक्ति की तरह कार्य कर रहा है तो हम कहेंगे कि है तो वह पचास साल का लेकिन उसकी शारीरिक उम्र इस ही है और इसका उल्टा भी सही है और तीसरी उम्र जो कि सबसे ज्यादा मायने रखती है वो है हमारी मानसिक उम्र मानसिक उम्र का मतलब है कि व्यक्ति अपने दिमाग़ अपने विचारों में कितना चबाने जैसा कुछ लोग हैं तो जमान लेकिन वह अपने दिमाग़ अपने विचारों में बूढ़े हो चुके हैं तो उनके जवान होने का कोई मतलब नहीं और अगर कोई बुरा है लेकिन उसका दिमाग जवान है तो वह हमेशा जवान रह सकता है और एक स्वस्थ और लंबा जीवन जी सकता है ऋषि ने आगे कहा अगर तुम खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से हमेशा जवान रखना चाहते हो और अपने बुढ़ापे की गति को धीमा करना चाहते हो तो इन पाँच आदतों को अपनाना ही पड़ेगा जिसमें से पहली आदत है वर्तमान में रहे वर्तमान के पलों को जीना यह इतना शक्तिशाली तरीका है जिसका कोई जवाब नहीं देखो समय का आभास में तभी होता है जब हम या तो भविष्य में होते हैं या फिर अतीत में अगर हम पूरी तरह से वर्तमान के पलों के साथ एक हैं तो हमें समय का पता ही नहीं चलेगा अभी तो मेरे सामने बैठे हो और अगर इस पल तुमसे कोई पूछे कि क्या परेशानी है तो असल में कुछ भी नहीं इंसान अगर अतीत के दर्द को याद कर
अरे या फिर भविष्य के डर को याद करें तभी परेशानी आती है जीवन में भी और शरीर में लेकिन अगर व्यक्ति वर्तमान में आ जाए तो कुछ है ही नहीं बस तुम इस बात को समझो कि तुम जितना अतीत या भविष्य में रहते हो तुम उतनी ही तेजी से अपनी शारीरिक उम्र को बढ़ाते हो लेकिन जितना तुम वर्तमान में होगी उतनी ही जवान रहोगे तो अगर तुम काम करते करते हैं
ईद के पश्चाताप और भविष्य की चिंताओं में खोये रहते हो तो याद रखो कि तुम जवानी से दूर जा रही हूं और बुढ़ापे के नजदीक आ रही हो हमारे दिमाग के अंदर हर पल इतनी सारी क्रियाएं हो रही हैं तो इस बात पर निर्भर करती है कि हम इस पर क्या कर रही हैं और क्या सोच रहे हैं क्योंकि विचारों का शरीर की आंतरिक क्रियाओं से सीधा संबंध होता है एक बात और कि बुरी होती कोशिका और कुछ नहीं बल्कि यह इशारा है कि वह कोशिका भूल चुकी है कि जवान रहना क्या होता है लेकिन अगर उसे वापस याद दिलाया जाए कि जवानी क्या होती है तो बुरी होती कोशिका वापस से जवान भी हो सकती है और एक बात हमेशा याद रखो कि तनाव हो या तनाव भरी आदि दोनों का असर हमारे शरीर पर एक जैसा ही होता है तो अगर भले ही अभी तुम्हारे जीवन में कोई तनाव नहीं है लेकिन अगर तुम किसी पुरानी बात को अभी तक लेकर बैठी हूँ जो तुम्हें उस समय भी परेशान कर रही थी और अब भी कर रही है तो तुम्हारा शरीर और भी ज्यादा बूढ़े और बीमार होता चला जाएगा बुढ़ापे का मतलब सिर्फ झुर्रियां कमजोरी नहीं है बुढ़ापे का मतलब है कि तुम्हारा शरीर उतना अच्छे से काम नहीं कर पा रहा है तो अगर अति मैं तुम्हारे साथ कोई ऐसी घटना घटी जिसने तुम्हें बहुत दुख पहुंचाया या कहीं किसी ने अपमान कर दिया था और अगर तुम आज भी उसके बारे में सोचकर अंदर ही अंदर घुट रही हो तो ऐसे विचारों का तुम्हारे शरीर पर बहुत ही नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा भले ही वह असल तनाव नहीं बल्कि तुम्हारे अतीत की यादें हैं लेकिन वह भी तुम्हें उतना ही नुकसान पहुंचाएंगी कितना असर जिन्हें
की का तनाव पहुंचाता है तो अगर तुम इतना ही समझ पाई न तो तुम महसूस करोगे कि अतीत की बुरी यादों को भूलना तो और भी ज्यादा जवान बनाएगा और तुम कितना अतीत की बातों को पकड़कर बैठे रहोगे दिमाग से निकाल नहीं पाओगी उतना ही तुम्हारा शरीर जवानी से दूर होता चला जाए अब अगला प्रश्न उठता है कि वर्तमान में रहने की आदत कैसे डालें तो इसका उत्तर है ध्यान ध्यान एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति अतीत और भविष्य की सभी दर चिंताओं और झरनों से निकलकर वर्तमान में आ जाता है और जो व्यक्ति जितनी अच्छी तरीके से ध्यान कर सकता है खुद को एकाग्र कर सकता है वह व्यक्ति उतना ही ज्यादा अपनी बढ़ती उम्र को धीमा कर सकता है तुमने बहुत से संत महात्माओं के बारे में सुना होगा कि वह सालों तक ध्यान कर अतिथि आंख बंद करके खुद के भीतर उतर जाते थे और कई सौ वर्षों तक जीवित रहते थे तो वह ऐसे ही नहीं थी वह जानती थी कि बहुत ही शक्तिशाली चीज है और वह ध्यान के माध्यम से खुद को इतना स्थिर और एकाग्र कर लेती थी कि उनकी श्वास एक साधारण मनुष्य की तुलना में बहुत ही गहरी और धीमी हो जाती थी जिससे वह एक साधारण मनुष्य की तुलना में कई गुना ज्यादा समय तक जीवित रह पाने में सक्षम हो पाती थी ध्यान की शुरुआत करना कोई मुश्किल काम नहीं इसके लिए पस्त में शांति से बैठकर अपनी सांसों पर ध्यान देना है और समय बीतने के साथ तुम्हारा मन शांत और एकाग्र होता चला जाएगा सांसो पर ध्यान देने के अलावा भी अगर तुम किसी चीज को करने या सीखने में खो जाते हो और उस समय तुम्हारे दिमाग में पर विचार नहीं आ रही हैं तो यह कि तुम्हारे लिए एक ध्यान ही है
जैसे उगते और डूबते सूरज को देखना किसी बच्चे के साथ खेलने में खो जाना किसी खेल या अभ्यास में खो जाना संक्षिप्त में कहें तो ध्यान का मतलब है कि वह हमारे चित्त को वर्तमान मिलाता है ऋषि ने आगे कहा दूसरी आदत है अपनी प्रतिक्रिया पर नियंत्रण रखें क्या हमारे साथ कोई घटना घटती है और उस घटना को लेकर हम जो प्रतिक्रिया देते हैं उस प्रतिक्रिया को हमारा शरीर अपनी यादों के रूप में इकट्ठा कर लेता है उदाहरण के लिए मानो किसी के साथ कोई दुर्घटना घटी अब उस दुर्घटना को बुक किस तरह से लेता है और प्रतिक्रिया क्या देता है इस पर निर्भर करेगा कि उस दुर्घटना का उसके दिमाग और शरीर पर क्या असर पड़ेगा मान लो दुर्घटना के बाद वह व्यक्ति बहुत ज्यादा डर में और तनाव से भर जाता है और दिनभर बस दुर्घटना के बारे में ही सोचता रहता है तो यह विचार उसके शरीर को बहुत बुरी तरीके से नुकसान पहुंचाएंगे लेकिन अगर वह व्यक्ति ऐसा मानना शुरू कर दें कि चलो दुर्घटना घट गई आज के दिन जो पूरा होना था हो गया अब आगे बढ़ते हैं अगर वह भूल जाएँ उन बुरे विचारों को तो फिर यह दुर्घटना उसे उतनी बुरी तरीके से प्रभावित नहीं करेगा किसी ने अपमान कर दिया यह घटना है लेकिन अगर उस घटना को लेकर तुम्हारी प्रतिक्रिया ये रही कि चलो कोई बात नहीं आज उसका दिमाग कुछ ठीक नहीं रहा होगा कि आज गुस्से में रहा होगा अगर तुम भूल जाते हैं उस अपमान को तुम्हारे दिमाग में उस घटना को लेकर कोई विचार ही नहीं
है तो इसका मतलब तुम्हारी प्रतिक्रिया भूत सकरात्मक थी और उस घटना का तुम्हारे दिमाग पर कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा लेकिन अगर पांच साल पहले किसी ने कुछ बोला था और तुम आज भी उसे दिमाग को लेकर घूम रहे हो तो जो अपमान हुआ था उसने तो तुम्हारा उतना नुकसान नहीं किया जितना उस विचार नहीं किया जिसे तुम पांच साल से अपने अंदर रूप की बैठे हो और हो रही हो तो तुम्हें अपनी प्रतिक्रिया को बदलने की जरूरत है तो अपने आसपास होने वाली घटनाओं चीजों परिस्थितियों और लोगों को नहीं बदल सकते लेकिन तो अपनी प्रतिक्रिया को बदल सकते हो और जब तुम्हारी प्रतिक्रिया सकारात्मक होगी तो शहीद जवान रहेगा तीसरी आदत है विश्वास इस बात का विश्वास कि मैं स्वस्थ हूं हो सकता है तुम कभी किसी खराब समय से गुजर रही हो तुम्हारा स्वास्थ्य ठीक न हो या तुम किसी बड़ी बीमारी की चपेट में आ गए हो लेकिन तब भी तुम्हें इस बात पर पूर्ण विश्वास रखना है कि मैं ठीक हो सकता हूं और जरूर होगा ज्यादातर लोग जब किसी बड़ी बीमारी की चपेट में आ जाते हैं तो सबसे खराब चीज जो उनके साथ होती है वह यह है कि उनके जीने की इच्छा ही खत्म हो जाती है क्योंकि उन्हें ऐसा लगने लगता है कि यह मेरा कुछ नहीं हो सकता हूं और मुझे तो ऐसे ही जीना है तो ऐसी स्थिति में विश्वास बहुत ही शक्तिशाली तरीके से काम करता है क्योंकि किसी भी इंसान को अगर जिन्दा रखना है ना तो चाहे हम उसे कितनी भी अच्छी से अच्छी दवाई दे दें कितना ही अच्छा करा ली लेकिन वह नहीं बच पाएगा अगर उसके जीवन से ये सब चला गया विश्वास यह विश्वास कि मैं ठीक हो सकता हूं और मुझे जीना है जब तक यह नहीं रुकना तब तक उस इंसान को कोई भी दवा कोई भी उपचार उतना मदद नहीं कर पाएगा इसलिए तुम चाहे किसी भी स्थिति में क्यों न हो तुम्हारा स्पष्ट आज जिस भी स्तर में हैं विश्वास करना शुरू करो कि तुम थी को सकते हो और जवान दिख सकती हो इसी तरह से जल्दी बुढ़ापा और बीमारी आने का दूसरा कारण हैं जीवन में किसी लक्ष्य किसी उद्देश्य का न होना तुमने देखा होगा कि जो लोग अपनी नौकरी काम या व्यापार से छुट्टी लेकर या उन्हें अपने बच्चों को सौंप कर अपने बुढ़ापे का आनंद लेने के लिए घर में बैठ जाते हैं वह अक्सर जल्दी बुरे होते हैं और किसी न किसी बीमारी
का शिकार हो जाते हैं ऐसा होता है जीवन में किसी भी उद्देश्य के न होने के कारण क्योंकि ऐसा इंसान कहीं न कहीं अपने दिमाग को यह संदेश देगा कि अच्छा मेरे जो उपयोगी दिन थे काम करने वाले दिन थी वह अब चली गई तो जब वो इंसान अपने में यह बात बता लेगा कि आप कोई उपयोगिता नहीं आने वाले तो कहीं न कहीं वह अंदर से अपनी मौत का इंतजार करने लगता है कि कम मौत आएगी और वो इस दुनिया को अलविदा कहें तो तीसरी सीख यह है कि विश्वास रखो कि तुम स्वस्थ हो और अपने जीवन के अंतिम दिनों तक अपने लिए कोई न कोई लक्ष्य बनाये रखो फिर देखना तुम शरीर और मन दोनों से जवान होगी क्योंकि हम अपनी मानसिक उम्र में बदलाव लाकर अपनी शारीरिक उम्र को बदल सकते हैं चौथी आदत समय और परिस्थिति के अनुसार बदलना से को जो इंसान बहुत ज्यादा होता है अंदर से भरा होता है कि जो मैं कह रहा हूँ बस वही सही है जो बदलने के लिए तैयार नहीं होता और बस खुद को सही साबित करने में लगा रहता है ऐसे इंसान की उम्र जरूरत से ज्यादा बढ़ सकती है क्योंकि ऐसा इंसान समय के साथ बदलता नहीं है जिससे वह अंदर से अशांत रहता है तनाव में रहता है और उसका स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है कुछ लोग ऐसे होते हैं क्योंकि हर स्थिति में कुछ रहते हैं हर चीज में अपने लिए कुछ न कुछ अच्छा ढूंढ ही लेते हैं और उन्हें कुछ भी दे दो उसे पाकर खुश हो जाते हैं लेकिन दूसरी तरफ कुछ ऐसे लोग होते हैं जिनके साथ कितना भी अच्छा से अच्छा हो जाए वह उसमें भी कोई न कोई कमी निकाल देते हैं वह बिल्कुल अपनी पुरानी सोच के साथ जमीन होते हैं जबकि व्यक्ति को समय परिस्थिति और सामने वाले इंसान के अनुसार खुद को बदल लेना चाहिए क्योंकि हर परिस्थिति एक जैसी नहीं होती और ना ही हर इंसान जैसा होता है इसीलिए व्यक्ति को पानी की तरह होना चाहिए जैसे पानी को जिसकी बर्तन में डालो वह उसी का आकार ले लेता है और जब व्यक्ति इतना लचीला होगा ना तो उसकी उम्र अपने आप ही कम दिखेगी पांचवें और आखिरी आदत हर दिन पसीना बहाओ हर दिन शारीरिक मेहनत करो फिर चाहे वह गया के रूप में हो योगासनों के रूप में या फिर किसी शारीरिक मेहनत वाले काम के रूप में क्योंकि जब हम किसी भी रूप में शारीरिक मेहनत करते हैं तो यह उम्र के साथ हमारी हड्डियों और मांसपेशियों में कमजोरी आती है उसकी गति को धीमा कर देता है प्रकृति का एक नियम है कि हम जिस भी चीज को उपयोग नहीं करते वो धीरे धीरे कमजोर होकर खत्म हो जाती है तो अगर हम बस पूरे दिन
रहेंगे और शरीर को उपयोग नहीं करेंगे तो यह धीरे धीरे कमजोर होकर जल्द ही खत्म हो जाएगा नियमित व्यायाम और संतुलित और पौष्टिक भोजन के सेवन से कोई भी व्यक्ति अपनी शारीरिक उम्र को बीस से तीस साल तक कम कर सकता है यानी कि पचास साल का व्यक्ति भी इस साल लग सकता है और एक आखरी बाद हर दिन इसे महसूस करो और खुद से कहो कि में और भी ज्यादा जवाब होता जा रहा हूँ और स्वस्थ होता जा रहा हूँ रोज ऐसा कहने से तुम्हारी मानसिक उम्र कम होंगी और जब मानसिक उम्र कम होगी तो शारीरिक उम्र अपने आप कम होना शुरू हो जाएगी अगर तुम इन पांचों आदतों को अपनाओगे तो निश्चित रूप से तो स्वस्थ होगी और अपनी उम्र से काफी जवान गई इतना कहने के बाद ऋषि ने अपनी बात समाप्त हुई उस व्यक्ति को समझ आ चुका था कि ऋषियों से क्या कहना चाह रही थी उसने उनके सामने ही इन पांचों आदतों को अपनाने का प्रण लिया और उनका धन्यवाद कर वहां से चला गया दोस्तों उम्मीद है कि आपको यह कहानी पसंद आई होगा 
Thanks for Reading ❣️